आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-२

दलित
शेयर करें

मुस्लिम-ब्रिटिश शासन में बंगाल की जनता की तस्वीर

गतांक से आगे…

अब देखिये वामपंथी और दलितवादी कहते हैं ब्राह्मण और क्षत्रिय दलितों का ५००० वर्षों से शोषण कर रहे थे जबकि १००० ईस्वी से १८०० ईस्वी तक ब्राह्मण और क्षत्रिय खुद मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा शोषित, पीड़ित और वंचित थे और पिछले २०० वर्षों से अंग्रेज इनका शोषण और उत्पीडन कर रहे थे. जब विदेशी सत्ताधारी ईसाई और मुसलमान पहले से ही सभी भारतवासियों का शोषण और उत्पीडन कर रहा हो तो एसे समय में भला और कोई क्या किसी का शोषण, उत्पीड़न करेंगे. मगर आगे देखिये..

६.     सीमांत क्षेत्रों में सिकन्दर कि सेना को धूल चटानेवाले अपनी शूर-वीरता केलिए विख्यात खट्टिक ब्राह्मण जातियां रहती थी. जैसे जैसे उन क्षेत्रों पर आक्रमणकारी मुस्लिमों का अधिकार होता गया वे भीतर भारत की और बढ़ते गये. इस क्रम में अपना धर्म बचाने के चक्कर में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया. वे कंगाल और दीन हीन हो गये.

शूर वीर खट्टीक ब्राह्मण

अंग्रेजों ने उन्हें अनुसूचित जाति में डाला और नेहरुवादियों, वामपंथियों, दलितवादियों और आम्बेडकरवादियों ने उन्हें समझाया की तुमलोग दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित और अछूत लोग हो, तुम्हे ब्राह्मणों और क्षत्रियों ने मिलकर ५००० वर्षों से सताया है.

७.     मुगल हराए गए क्षत्रिय और ब्राह्मण जातियों को मुसलमान बनने को बाध्य करते थे. नहीं मानने पर हत्या कर देते थे या उन्हें अपमानित करने केलिए अपना मल मूत्र उठाने के काम पर लगा देते थे. उन लोगों ने उनका मल मूत्र उठाना मंजूर किया पर अपना धर्म नहीं छोड़ा. उन्होंने अपना जनेऊ तोड़ दिया इसलिए वे भंगी कहलाते हैं. और भी कई क्षत्रिय ब्राह्मण, वैश्य, शूद्र जातियां थी जो मुसलमानों से बचने केलिए घरों में सूअर पालने लगे.

अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाला वीर हिन्दू

अंग्रेजों ने एसे लोगों को भी अनुसूचित जाति में डाला और उनलोगों ने उन्हें भी समझाया की तुमलोग दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित और अछूत लोग हो, तुम्हे ब्राह्मणों और क्षत्रियों ने मिलकर ५००० वर्षों से सताया है.

८.     चंवरवंशी क्षत्रियों को हराने के बाद मुगल इन्हें मृत पशुओं का खाल उतारने का काम सौंपा. अंग्रेजों ने उन्हें अनुसूचित जाति में डाला और उनलोगों ने उन्हें भी जन्मजात चर्मकार बताकर ब्राह्मणों और क्षत्रियों के विरुद्ध भड़का दिया.

चंवरवंशी क्षत्रिय

९.     एक दिन मैंने फेसबुक पर एक परमार को खुद को दलित बताकर हिन्दुओं और ब्राह्मणों को गाली देते हुए देखा. मैं आश्चर्यचकित रह गया की राजपूतों के आठ कुलों में सर्वश्रेष्ठ परमार, महापराक्रमी शालिवाहन परमार, वाक्पति मुंज और राजा भोज के वंशज परमार दलित कैसे हो गये? मैंने जब जांच की तो पता चला खिलजियों ने जब मालवा पर अधिकार किया तो ये ढूंड ढूंडकर वीर परमारों का कत्ल कर रहे थे. परमार उनसे बचने केलिए इधर उधर भाग गये, छुप गये. जो उनकी पहुंच से दूर भाग गये वे आज भी खुद को क्षत्रिय बताते हैं और जो आस पास ही छुपकर रहे वे मुस्लिमों के मार से दलित परमार, पवार, पनबर आदि बन गये.

परमार क्षत्रिय

हो सकता है अंग्रेजों ने ही उन्हें भी अनुसूचित जाति में डाला हो और नेहरुवादियों, वामपंथियों, दलितवादियों और आम्बेडकरवादियों ने उन्हें भी समझाया हो की तुमलोग दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित और अछूत लोग हो, तुम्हे ब्राह्मणों और क्षत्रियों ने मिलकर ५००० वर्षों से सताया है.

10.   हिन्दुओं के अधिकांश जातियां उनके व्यवसाय के आधार पर है, पर क्या आपने चित्रकार, मूर्तिकार, शिल्पकार, स्थापत्यकार आदि जातियां सुना है जबकि मुस्लिम आक्रमणकारियों के भारत आने से पूर्व चित्रकला, मूर्तिकला, शिल्पकला, स्थापत्यकला, भवननिर्माण आदि उद्योग अपने सर्वोच्च शिखर पर था और पूरे विश्व में विख्यात था? जबाब है नहीं, क्योंकि मुस्लिम आक्रमणकारी चित्रकला, मूर्तिकला, शिल्पकला आदि के विरोधी थे, इसलिए ये सारे व्यसायी वर्ग खत्म हो गये. मुस्लिम शासक अपना दिन लूटपाट, आक्रमण, हिंसा करने, मन्दिरों, पाठशालाओं आदि को लुटने-तोड़ने और हिन्दू, बौद्धों कि स्त्रियों को पकड़ने में बिताते थे और रात एय्याशी और पकडे गए स्त्रियों का रेप कर जिहादी पैदा करने में बिताते थे. इसलिए सड़क, पुल, भवन, किला आदि निर्माण केलिए उनके पास न समय था और न सोच. वे सिर्फ हिन्दुओं के मन्दिरों, पाठशालाओं और भवनों पर अधिकार कर वहां से चित्रों और मूर्तियों को हटाकर पच्चीकारी करा देते थे और उसपर अरबी फारसी खुदवा देते थे जिसके लिए उनके जिहादी ही पर्याप्त थे. परिणामतः भारत का सर्वोच्च कला और व्यवसाय न केवल खत्म हो गया बल्कि इस व्यवसाय से जुड़े उद्योगपति और श्रमिक भी बेरोजगार हो दीनहीन अवस्था को प्राप्त हो गये.

बामियान के बौद्ध मूर्ति को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया

अंग्रेजों ने इन्हें भी अनुसूचित जातियों के लिस्ट में शामिल कर लिया और दलितवादियों, वामपंथियों आदि ने इन्हें भी बहका दिया

११.    इस्लाम में शिक्षा अनावश्यक कार्य माना गया है और कुरान कि शिक्षा को ही पर्याप्त माना गया है. इसका कारन सम्भवतः यह था कि इस्लाम के प्रवर्तक मोहम्मद पैगम्बर निरक्षर थे. कांग्रेसियों वामपंथियों के महान शासक अकबर और अलाद्दीन खिलजी भी अनपढ़ थे. इसके अतिरिक्त मुसलमानों के आदर्श मोहम्मद कासिम और गजनवी भी अनपढ़ थे. इसलिए वे जहाँ भी जाते पाठशालाओं और विश्वविद्यालयों को लूटपाट कर नष्ट कर देते थे. भारतवर्ष के तक्षशिला, नालंदा, बिक्रमशिला सहित करीब पन्द्रह विश्वविद्यालयों को इन्होने नष्ट कर दिया. परिणामतः ८०० वर्षों के मुस्लिम शासन में भारत में शिक्षण कार्य लगभग ठप्प हो गया. इन विषम परिस्थितियों में शिक्षित ब्राह्मण और क्षत्रिय केवल अपने पुत्र पुत्रियों को ही किसी प्रकार शिक्षा दे पाते थे. फिर भी ब्राह्मण चोरी छुपे स्थानीय स्तर पर गुरुकुल बनाकर शिक्षा दे रहे थे. मुगलों के समय आनेवाले एक यूरोपीय लिखता है, “किसी बड़े पेड़ के निचे गुरुकुल लगता था. विद्यार्थी जमीन पर मिटटी में बैठते थे और मिटटी में ऊँगली से अक्षर लिखना सीखते थे.” दूसरी ओर, ब्राह्मण अपने पुत्रों को संस्कृत और वेदों का विद्वान तो बना देते थे पर उससे अब न उन्हें रोजगार मिलता था और न प्रतिष्ठा. थोड़ी बहुत उम्मीद होती भी तो नया भाषा अरबी, फारसी ने खत्म कर दिया. परिणामतः ब्राह्मणों को छोड़कर आम लोगों से संस्कृत भाषा दूर और खत्म होती चली गयी. फिर जैसे जैसे मुस्लिम शासन का भारत में अंत होता गया गुरुकुल खुलने लगे.

शोषक ब्राह्मण

अंग्रेजों द्वारा अनुसूचित जाति कि सूचि में शामिल बहुत लोग अशिक्षित थे. दलितवादियों, वामपंथियों आदि ने उन्हें बताया कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुम शुद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. उपर तो सिर्फ कुछ उदाहरन है कि कैसे दलित जातियों का अविष्कार किया गया, इन पर तो पूरी किताब लिखी जा सकती है. यदि यह जानना हो की क्षत्रिय, ब्राह्मण, सेठ, साहूकार, वैश्य आदि जातियां कैसे शोषित, वंचित, पीड़ित और दीन हीन बन गयी तो विजय सोनकर शास्त्री की किताब पढ़िए. यदि दलितों का अविष्कार कैसे हुआ यह जानना हो तो फिर उपर्युक्त फार्मूला का और भी विस्तार से अध्ययन और शोध कीजिये.

दलित जातियां क्षत्रिय ब्राह्मणों की सन्तान है

डॉ सुब्रमण्यम स्वामी लिखते हैं, ”अनुसूचित जाति उन्हीं बहादुर ब्राह्मण व क्षत्रियों के वंशज है, जिन्होंने जाति से बाहर होना स्वीकार किया, लेकिन मुगलों के जबरन धर्म परिवर्तन को स्वीकार नहीं किया. आज के हिंदू समाज को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए, उन्हें कोटिशः प्रणाम करना चाहिए क्योंकि उन लोगों ने हिंदू के भगवा ध्वज को कभी झुकने नहीं दिया भले ही स्वयं अपमान व दमन झेला.

प्रोफेसर शेरिंग ने भी अपनी पुस्तक  हिंदू कास्ट एंड ट्राईब्स’ में स्पष्ट रूप से लिखा है कि  ”भारत के निम्न जाति के लोग कोई और नहीं, बल्कि ब्राहमण और क्षत्रिय ही हैं.” स्टेनले राइस ने अपनी पुस्तक कस्टम्स एंड देयर ओरिजिंस में लिखा है कि दलित जातियों में वे जातियां भी हैं, जो मुगलों से हारीं तथा उन्हें अपमानित करने के लिए मुसलमानों ने अपने मनमाने काम करवाए थे.

दलितों के मसीहा डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर ने लिखा है अधिकांश शूद्र जातियां क्षत्रियों की सन्तान है और खुद उनकी महार जाति महाभारतकालीन पांडुपुत्र भीम के वंशज क्षत्रिय जाति है. उन्हें दलित दलित कहकर बरगलाने से पहले कम से कम उन्नीसवीं शताब्दी तक वे गर्व से खुद को पांडवों के वंशज और महाभारत के युद्ध में कौरवों के विरुद्ध पांडवों की ओर से लड़ने की बात करते थे.

अपनी बात…

मैं अपनी बात कहकर खत्म करूंगा. मेरे मोहल्ले का नाम है बढ़ई टोला और बगल में दुसाध टोला है पासवानों का. मुझे अक्षरज्ञान देनेवाले शिक्षक पासवान हैं, अभी जिन्दा है. उनके घर के आगे उनके जमीन पर ही मन्दिर है, पीपल का पेड़ है और एक विशाल कुआँ है. बचपन से मेरा परिवार और पूरे गाँव के तथाकथित दलित-सवर्ण लोग उस मन्दिर में पूजा, पीपल में जल और नल नहीं आने पर उस कुँए से पानी भरते रहे हैं. उसी मन्दिर से सटा एक डोम का घर है और मैंने उन्हें भी उसी मन्दिर में पूजा करते और उसी कुँए से पानी लेते देखा है. छठ पूजा में टोकड़ी, सूप उसी डोम के घर से माँ लाती है, सब लेते हैं. गाँव वाले अपनी सुरक्षा केलिए पासवानों को अपना लठैत रखते थे. बाभनों के उभार से पूर्व पासवान ही गाँव में सबल जाति माने जाते थे.

बड़ा होकर जब नौकरी केलिए फॉर्म भरना शुरू किया तब पता चला कि बचपन से हम जिनसे डरते आये थे वे पासवान तो बेचारे दलित, पीड़ित, शोषित और अछूत लोग है. फिर लगता है कि उनलोगों को भी किसी ने बता दिया कि तुमलोग दबंग नहीं दलित, पीड़ित, शोषित और अछूत लोग हो और तुम्हारे लिए हम दलितवादी बहुत चिंतित रहते हैं और दलित नेता भी. परिणामतः धीरे धीरे कर अब पूरा दुसाध टोला उजाड़ हो गया है. पता नहीं कहाँ चले गये घर द्वार बेचकर? दूसरी जातियां अब वहां बस गयी है. उनके सिर्फ दो चार घर रह गये हैं जिनके टूटे फूटे पुश्तैनी खपरैल मकानों को दलित विरोधी, मनुवादी मोदी सरकार ने पक्का मकान में तब्दील कर दिया है.

बचपन में एकबार दबंग जाति का एक व्यक्ति ने डरा धमकाकर मुझसे जबरन नाले से गेंद निकलवाया था. आज वही व्यक्ति जब मिलता है तो सम्मान के साथ सर से ही सम्बोधन करता है. वास्तव में समस्या जातियों में नहीं है. समस्या गरीबी में है, अशिक्षा में है. मैंने गरीबी से मुक्ति केलिए शिक्षा को हथियार बनाया.

शोषक और शासक वर्ग अब खुद को दलित कहने लगे हैं

मैंने तो सोशल साईट पर यहाँ तक देखा है कि कुछ देशमुख, पाटिल, नाईक/नायक, सोलंकी, गायकवाड आदि भी खुद को दलित बताकर हिन्दुओं को गाली दे रहे हैं. ये लोग तो उन्नीसवीं शताब्दी तक लगान वसूली करने वाले अधिकारी और शासक वर्ग रहे हैं. आम्बेडकरवादियों और वामपंथियों कि भाषा में बोले तो शोषक, उत्पीड़क वर्ग. क्या पता ये भी उपर्युक्त फोर्मुले से आज दलित, शोषित, पीड़ित, वंचित वर्ग बन गये हों?

सवाल है मुस्लिम और अंग्रेज शासकों के द्वारा शोषित, पीड़ित, वंचित अपने गौरवशाली ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र पूर्वजों के वंशज इनलोगों केलिए दलित जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल क्या होना चाहिए? इन्हें जो विशेष सुविधाए आज मिल रही है वो इन्हें मिलना ही चाहिए क्योंकि मुस्लिम और अंग्रेज शासकों द्वारा शोषित, पीड़ित इन हिन्दुओं का यह अधिकार है. पर क्या आजाद भारत में भी इन्हें अपने पूर्व पहचान के साथ सम्मानपूर्ण जीवन जीने का हक नहीं है? दूसरी बात मैं अपने शोषित वंचित पीड़ित सभी भाई बहनों से कहना चाहता हूँ कि आप सत्य का अनुसन्धान कीजिये. आप पाएंगे कि हम सब एक है. हमारे पूर्वज एक थे. इसलिए हमलोगों को बचे खुचे भारत कि एकता अखंडता केलिए एकजुट होकर रहना चाहिए. आपसी मतभेद के कारण जैसे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और कश्मीर में हम दलित-सवर्ण हिन्दु, बौद्ध, सिक्ख और जैन दुश्मनों के द्वारा खत्म कर दिए गए, यहाँ भी वैसा न हो.

हिन्दुओं को अनुसूचित जातियों में सूचित करने केलिए अपनाये गये मानक:

    The Census Commissioner, J. H. Hutton, set forth nine criteria to determine which castes were to be scheduled. The most important criterion, he said, was whether the caste suffered (1) civil disabilities like denial of access to roads, wells or schools. Five more were religious and social criteria: whether the caste (2) caused pollution by touch or proximity; (3) was denied access to the interior of ordinary Hindu temples; (4) was denied the services of “clean Brahmans”; or (5) the services of the same barbers, etc., who served high caste Hindus; and (6) was subject to the rules concerning acceptance of water. These six criteria were meant to include castes; the remaining three were meant to exclude them: the caste was not to be scheduled if (7) an educated member was treated as a social equal by a high caste man of the same education; or if it was de pressed only because of its (8) occupation or (9) ignorance, illiteracy or poverty, “and but for that would be subject to no social disability.”

अनुसूचियों के सम्बन्ध में घोषणाThe term “Scheduled Castes” is a legal designation. It was adopted in 1935, when the British listed the lowest-ranking Hindu castes in a Schedule appended to the Government of India Act for purposes of statutory safeguards and other benefits. The concept “Scheduled Castes” is relevant only in a context of statutory provisions, government programs and politics. Outside this context there are no “scheduled” castes.

स्रोत: (Scheduled Castes in Census of India, 1931. Vol. I, India, Part I, Report, Appendix I, p. 472. This appendix, slightly abridged, appears in Appendix A of J. H. Hutton, Caste in India, 4th Edition (Bombay: Oxford University Press, 1963), pp. 192-222. and in Government of India Ministry of Home Affairs, Annual Report of

Tagged , , , , , ,

30 thoughts on “दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-२

  1. Pretty section of content. I just stumbled upon your website and in accession capital to assert that I acquire actually enjoyed account
    your blog posts. Anyway I’ll be subscribing to your feeds and even I achievement you access
    consistently fast.

  2. Incredible! This blog looks just like my old
    one! It’s on a completely different topic but it has pretty much the same page layout and design. Great choice of colors!

  3. Hello there I am so happy I found your blog page, I really found you by mistake, while I was
    browsing on Bing for something else, Anyways I am here now and would just like to say thank
    you for a remarkable post and a all round exciting blog
    (I also love the theme/design), I don’t have time to go through it all at the minute but I have saved it and also
    added your RSS feeds, so when I have time I will be back to read a lot more, Please
    do keep up the fantastic work.

  4. Hey there would you mind letting me know which web host you’re working with?
    I’ve loaded your blog in 3 different internet browsers and
    I must say this blog loads a lot quicker then most.
    Can you recommend a good web hosting provider at a honest price?
    Many thanks, I appreciate it!

  5. Yesterday, while I was at work, my sister stole my iphone
    and tested to see if it can survive a twenty five foot
    drop, just so she can be a youtube sensation. My iPad is now
    destroyed and she has 83 views. I know this is completely off
    topic but I had to share it with someone!

  6. Having read this I thought it was really enlightening.
    I appreciate you spending some time and effort to put this information together.
    I once again find myself personally spending
    way too much time both reading and commenting.
    But so what, it was still worthwhile!

  7. Whats up very nice website!! Man .. Beautiful .. Wonderful .. I will bookmark your site and take the feeds additionally…I’m satisfied to seek out a lot of helpful information here in the publish, we need develop more techniques in this regard, thank you for sharing. . . . . .

  8. Hey, I think your blog might be having browser compatibility issues.
    When I look at your blog in Ie, it looks fine but when opening in Internet Explorer, it has some overlapping.

    I just wanted to give you a quick heads up!
    Other then that, awesome blog!

  9. Thank you a bunch for sharing this with all people you really understand what you’re talking approximately!
    Bookmarked. Kindly additionally seek advice from my site =).
    We could have a link exchange agreement between us

  10. What’s up i am kavin, its my first time to commenting anyplace, when i read this piece
    of writing i thought i could also create comment
    due to this sensible article.

  11. Heya i’m for the primary time here. I found this board and
    I to find It truly helpful & it helped me out much.
    I hope to give one thing back and aid others like you helped me.

  12. magnificent put up, very informative. I ponder why the other specialists of
    this sector do not understand this. You should continue your writing.
    I am confident, you have a huge readers’ base already!

  13. When I initially commented I appear to have clicked on the -Notify me
    when new comments are added- checkbox and now every time
    a comment is added I get four emails with the same comment.
    There has to be a means you are able to remove me from that service?
    Thank you!

  14. certainly like your web site but you have to check the spelling on several of your posts. Several of them are rife with spelling problems and I find it very bothersome to inform the reality nevertheless I will certainly come back again.

  15. Aw, this was a very nice post. In thought I would like to put in writing like this moreover – taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get one thing done.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *