हिंदू
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

हिन्दुस्थान में हिंदुओं की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन भाग-2

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शेयर करेंपाकिस्तान बनाने वाले देशद्रोही मुस्लिमों का कांग्रेस में शामिल हो जाना और सत्ता पर कांग्रेस की पकड़: देश में सांप्रदायिक सौहार्द, एकता और अखंडता को वास्तविक खतरा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों से है. मुस्लिम लीग के जिन नेताओं ने बंटवारे का समर्थन किया वे विभाजन के बाद पाकिस्तान नही गए. वे रातोरात कांग्रेस में शामिल हो गए. पार्टी बदलने से उनकी मानसिकता नही बदली. वही विभाजनकारी मानसिकता सेकुलरवाद के नाम पर पोषित हो रही है. धूर्त मियां जवाहरलाल के समय से ही एसी मानसिकता बना दी गयी है कि मुस्लिमों के बुरे से बुरे कार्यों का यदि विरोध किया जाता है…

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हिंदू
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

हिन्दुस्थान में हिंदुओं की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कौन भाग-1

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शेयर करेंक्या इस बात से असहमत हुआ जा सकता है की १९४७ में धर्म पर आधारित भारत विभाजन पश्चात यदि सभी हिंदू, बौद्ध, सिक्ख, जैन हिन्दुस्थान में आ जाते और सभी मुस्लिम पाकिस्तान और बंगलादेश चले जाते तो आज हम भारतीय इस्लामी आतंकवाद, अलगाववाद, कट्टरवाद, बम ब्लास्ट, सांप्रदायिक दंगे, छद्मधर्मनिरपेक्षवाद, घृणित वोट बैंक की राजनीती, जनसंख्या विस्फोट, बेरोजगारी, गरीबी आदि से इस कदर पीड़ित नही होते? यदि बंटवारे के समय हिंदुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) का पाकिस्तान और बंगलादेश से स्थानांतरण हिन्दुस्थान में हो जाता तो वे जो बंटवारे के समय पाकिस्तान बांग्लादेश में करोड़ों में थे आज महज कुछ हजारों…

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Secularism
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

संविधान में उल्लिखित पंथनिरपेक्षता का स्वरूप और उसका राजनीतिक दुरूपयोग

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शेयर करेंहम सभी अपने देश, अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति और अपने धर्म से प्यार करते है, उसका पालन करते हैं। हम सभी धर्मों का समान आदर कर सकते है पर हम धर्मनिरपेक्ष कैसे हो सकते है? धर्मनिरपेक्षता राज्य की प्रकृति है व्यक्ति का नहीं। धर्मनिरपेक्ष राज्य का उत्तरदायित्व है कि वह पक्षपात रहित होकर सभी धर्मों और मताबलम्बियों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करे। भारतीय संविधान में उल्लिखित पन्थनिरपेक्षता का यही आशय है। पर नेहरु और कांग्रेस शासित भारत में धोखे से धर्मनिरपेक्ष होने और धर्मनिरपेक्षता बनाये रखने की जिम्मेदारी भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म , परम्परा को माननेवाले मूलनिवासियों पर…

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ताजमहल - कुतुबमीनार
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

ताजमहल, कुतुबमीनार में देवमूर्तियाँ निकलने लगी तो नेहरु, इंदिरा ने क्या किया?

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शेयर करेंमहान राष्ट्रवादी इतिहासकार स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं कि, “ताजमहल, कुतुबमीनार या फतेहपुर सीकरी या सुल्तान गढ़ी आदि स्थलों से देवमूर्ति या संस्कृत शिलालेख जो प्राप्त होते रहे हैं उन्हें गुल और गुम करके उनकी प्राप्ति के सम्बन्ध में पूरी गुप्तता बरती जाती है. जब कुतुबमीनार परिसर से देवमुर्तिया निकाली जाने लगी तब पुरातत्व विभाग ने कुतुबमीनार के इर्दगिर्द ऊँची कनात खड़ी कर चोरी छिपे उत्खनन किया ताकि वह हिन्दू स्थल होने की बात किसी को ज्ञात न हो.” ताजमहल, कुतुबमीनार, फतेहपुर सीकरी, सुल्तान गढ़ी, हुमायूँ का मकबरा, निजामुद्दीन की दरगाह आदि सारी ऐतिहासिक इमारतें इस्लाम पूर्व हिन्दू…

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राणा सांगा
ऐतिहासिक कहानियाँ, राष्ट्रीय मुद्दे

राणा सांगा एक महान योद्धा

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शेयर करेंसमाजवादी हरा आमी ने भारत के जिस महानायक, महान योद्धा को “गद्दार” कहकर राज्यसभा में  संबोधित किया, आईये जानते हैं कि वे कौन थे! महाराणा सांगा अर्थात महाराणा संग्राम सिंह। इस महान योद्धा के बारे में आप जितना पढ़ेंगे, उतना ही आश्चर्य में डूबते चले जायेंगे। लगभग सौ युद्ध और अधिकांश में विजय! शरीर के हर अंग पर युद्ध के चिन्ह सजाए इस रणकेसरी को खंडहर, सैनिकों का भग्नावशेष आदि कहा गया है … जैसे रणचंडी ने उन्हें अपने हाथों से पुरस्कार स्वरूप घावों के आभूषण पहनाए हो। एक योद्धा की एक आँख चली गयी..किसी दूसरे युद्ध में एक…

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द्रविड़ आन्दोलन
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

द्रविड़ आन्दोलन की आड़ में राष्ट्रविरोधी षडयंत्र और जयललिता

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शेयर करें१८५७ की राष्ट्रव्यापी प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष में जब समस्त भारतीय अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े थे उस दौरान भी जब नव मतांतरित भारतीय ईसाई समाज पूर्ण रूप से स्वाधीनता के विरोध में और अंग्रेजों के साथ खड़े हो गए तो अंग्रेजों को भारत में अपना साम्राज्य स्थायी बनाने की उम्मीद जग गयी। इस उम्मीद को अमलीजामा पहनाने के लिए सर्वप्रथम हिंदुओं को लोभ, लालच, नौकरी में आरक्षण आदि के माध्यमों से ईसाई मतों में धर्मान्तरण को बढ़ावा दिया गया, दूसरे स्तर पर शिक्षा को मिशनरियों के सहयोग से सेकुलर यानि राष्ट्र विरोधी, हिंदू विरोधी और अंग्रेजी राज परस्त बनाया गया।…

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khilafat-movement
आधुनिक भारत

खिलाफत आन्दोलन का समर्थन गाँधी का राष्ट्रविरोधी कुकृत्य

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शेयर करेंप्रथम विश्व युद्ध में जब स्थिति बदली तो तुर्की अंग्रेजों के विरुद्ध और जर्मनी के पक्ष में हो गया। विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय के पश्चात अंग्रेजों ने तुर्की को मजा चखने के लिए तुर्की को विघटित कर दिया। अंग्रेज तुर्की के खलीफा के विरोध में सामने आ गए। मुसलमान खलीफा को अपना नेता मानते थे। उनमे अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह की लहर दौड़ गई। भारत के मुस्लिम नेताओं ने इस मामले को लेकर अंग्रेजों के विरुद्ध सन १९२१ मैं “खिलाफत आन्दोलन” शुरू किया। मुस्लिम नेताओं तथा भारतीय मुसलमानों को खुश करने के लिए गाँधी जी ने मोतीलाल…

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दलित-मुस्लिम
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

दलित मुस्लिम भाई भाई: दलितों के विरुद्ध एक खतरनाक षडयंत्र

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शेयर करेंजब मुस्लिम मुस्लिम भाई भाई नहीं हो सकते, वे उंच-नीच और सच्चा झूठा मुसलमान के नाम पर एक दूसरे का कत्लेआम कर रहे हैं तो दलित मुस्लिम भाई भाई, हिन्दू मुस्लिम भाई भाई कैसे हो सकते हैं जबकि कुरान में तीन तीन जगह मुसलमानों को गैरमुस्लिमों को दोस्त बनाने से मना किया गया है? वे कुरान और हदीस को मानेंगे या भाईचारे को? दलित मुस्लिम भाईचारे के विषय पर हर दलित भाई बहनों को बाबा साहेब आंबेडकर के विचार जरुर जानना चाहिए। दलित मुस्लिम भाई भाई का नारा नया नहीं है। भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान मुस्लिम…

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ब्रेस्ट टैक्स
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

ब्रेस्ट टैक्स: एक फर्जी वामपंथी कथा

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शेयर करेंमहान राष्ट्रवादी इतिहासकार स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं कि यूरोपियन जब ईसाई बने तो अपने सभी प्राचीन ऐतिहासिक ग्रंथों को आग लगा दिया और अपने पूर्वजों द्वारा निर्मित पुरातात्विक साक्ष्यों को भी नष्ट कर दिया। उन्होंने अपने पूर्वजों के इतिहास को अंधकार युग कहकर नकार दिया। पीटर, पॉल जैसे कनवर्टेड यूरोपियन ईसाई बनकर प्रत्येक रविवार को प्रार्थना करने के बाद अपने अनुयायियों के साथ हथौड़ा लेकर अपने पूर्वजों के मंदिरों, देवी, देवताओं को तोड़ने और उनके एतिहासिक, वैज्ञानिक और धार्मिक ग्रंथों को जलाने केलिए निकलते थे।  ऐसा शताब्दियों तक चला और उन्होंने वाटिका (अब वेटिकन) मंदिर और उसके…

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छद्म धर्मनिरपेक्षवाद
आधुनिक भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

छद्म धर्मनिरपेक्षवाद आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है भाग-2

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शेयर करेंछद्म धर्मनिरपेक्ष राजनेता, कम्युनिष्ट बुद्धिजीवी और दोगली मीडिया आजकल चिल्ला रहे हैं कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है और यह असहिष्णुता भाजपा और मोदी सरकार के आने से बढ़ी है। मेरा मानना है यह असहिष्णुता में वृद्धि नहीं वरन यह दोगली धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध हिंदुओं में असंतोष की वृद्धि है और इस असंतोष में वृद्धि का कारण वर्षों से सेकुलरिज्म के नाम पर ईसाई-मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं का राजनितिक अवहेलना और शोषण, भारत के गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और धर्म का अपमान, राष्ट्र और धर्म की सुरक्षा से खिलवाड तथा तुष्टिकरण केलिए देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा से समझौता…

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