जोगेन्द्र नाथ मंडल का मानना था कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच दलितों की स्थिति में कभी सुधार नहीं हो सकता है. अतः हिन्दुओं के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले अल्पसंख्यक मुसलमान और दलित पाकिस्तान में भाई भाई की तरह रह सकते हैं. उनकी आवाहन पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के लाखों करोड़ों दलित विभाजन के दौरान न सिर्फ वहीं रह गये बल्कि लाखों उनके साथ पाकिस्तान चले गये.
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र का अध्यक्ष बनाया और वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी बने. पर जल्द ही उनका दलित मुस्लिम भाई भाई का भ्रम टूट गया. वे खुद तो १९५० में भागकर भारत आ गये पर उनके बहकावे में आकर पाकिस्तान में रह गये लाखों करोड़ों दलित हिन्दू, बौद्ध आज इतिहास बन गये हैं.
कौन थे जोगेन्द्रनाथ मंडल
जोगेन्द्र नाथ मंडल दलित थे और नामशुद्र समुदाय से संबंधित थे. उन्होंने बंटवारे से पहले की राजनीति में दलितों को मुस्लिम लीग से जोड़ा था. इन्ही के कारण बंगाल के नामशूद्र १९३० के दशक से ही मुस्लिम लीग के मजबूत सहयोगी बन गए थे.
जोगेंद्र नाथ मंडल का जन्म बंगाल के बारीसाल जिले के मइसकड़ी में हुआ था. इनकी माता का नाम संध्या और पिताजी का नाम रामदयाल मंडल था. जोगेंद्र ने सन १९२४ में इंटर और सन १९२९ में बी. ए. पास कर पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पहले ढाका और बाद में कलकत्ता विश्व विद्यालय से पूरी की थी. मैकाले की अंग्रेजी शिक्षा पद्धति से उच्च शिक्षित होने के कारण वे भी भारत की महान सभ्यता, संस्कृति, हिन्दू धर्म और हिन्दू विरोधी बन गये थे. पहले वे कांग्रेस में रहे, फिर उन्हें लगा कांग्रेस सिर्फ उच्च हिन्दुओं कि पार्टी है इसलिए वे मुस्लिम लीग से जुड़ गये और अपने हिन्दू विरोधी मानसिकता के कारण जल्द ही मुस्लिम लीग के खास सदस्यों में से एक बन गये.
जोगेन्द्रनाथ मंडल का जिन्ना प्रेम
मंडल डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर के बाद जिन्ना से सबसे ज्यादा प्रभावित थे. जिन्ना ने अपने भाषण में पाकिस्तान के भविष्य का खाका पेश करते हुए पाकिस्तान को मजहब से अलग रखने का ऐलान किया था. उसी भाषण में जिन्ना ने यह कहा था कि “समय के साथ हिंदू हिंदू नहीं रहेंगे और मुसलमान मुसलमान नहीं रहेंगे. धार्मिक रूप से नहीं, क्योंकि धर्म एक निजी मामला है, बल्कि राजनीतिक रूप से एक देश के नागरिक होने के नाते.”
जिन्ना ने यह भी कहा था, “हम एक ऐसे दौर की तरफ जा रहे हैं जब किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. एक समुदाय को दूसरे पर कोई वरीयता नहीं दी जाएगी. किसी भी जाति या नस्ल के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा.”
और इसीलिए जोगेन्द्रनाथ मंडल जिन्ना और मुस्लिम लीग पर लट्टू हो गये थे. जोगेंद्र ने ही अपनी ताकत से असम के सिलहट को पाकिस्तान में मिला दिया था. ३ जून १९४७ की घोषणा के बाद असम के सिलहट को जनमत संग्रह से यह तय करना था कि वो पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या भारत का. उस इलाकें में हिंदू मुस्लिम की संख्या बराबर थी. जिन्ना ने इलाके में मंडल को भेजा. मंडल ने वहां दलितों का मत पाकिस्तान के पक्ष में झुका दिया जिसके बाद सिलहट पाकिस्तान का हिस्सा बन गया. आज सिलहट बांग्लादेश में है और सिलहट को बांग्लादेश बनाने वाले दलित भारत में शरणार्थी.
जोगेन्द्रनाथ मंडल ने पाकिस्तान क्यों चुना
संविधान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष और पहले स्पीकर जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने पाकिस्तान चुनने की वजह बताई. उन्होंने कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान को इसलिए चुना क्योंकि उनका मानना था कि “मुस्लिम समुदाय ने भारत में अल्पसंख्यक के रूप में अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया है, लिहाजा वो अपने देश में अल्पसंख्यकों के साथ न केवल न्याय करेगा बल्कि उनके प्रति उदारता भी दिखाएगा.”
जोगेन्द्रनाथ मंडल बाबा साहेब अम्बेडकर के परम अनुयायी थे, पर राजनितिक स्वार्थ में वे बाबा साहेब के सीख और सिद्धांतों को बिलकुल भुला दिया था. राजनितिक स्वार्थ में अंधे मंडल को तनिक भी संदेह नहीं हुआ कि जिन्ना जो कह रहा था वो काफिरों (गैरमुस्लिमों) को मूर्ख बनाने का इस्लामिक हथकंडा अल्तकैय्या मात्र था जिसका उद्देश काफिरों को बरगलाकर धोखे में रखना होता है ताकि सही समय आने पर फिर से जिहादी उद्देश्यों की पूर्ति किया जा सके.
बाबा साहेब आम्बेडकर धर्म के आधार पर विभाजित भारत-पाकिस्तान में मुस्लिम और गैरमुस्लिम जनसंख्या के पूर्ण स्थानातंरण के पक्षधर थे क्योंकि उनका मानना था इस्लाम मुसलमानों को गैरमुसलमानों के साथ सौहाद्रपूर्ण व्यवहार की अनुमति नहीं देता है, गैरमुसलमान और मुसलमान कभी एक साथ नहीं रह सकते.
उन्होंने कहा, “कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है, इसीलिए काफिर सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य हैं… इस्लामी कानून सुधार के विरोधी हैं. वो धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते. मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत (या पाकिस्तान) हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती. (प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय, अंग्रेजी-Pakistan or the Partition of India).
पाकिस्तान के कानून मंत्री जोगेन्द्रनाथ मंडल
भारत के बंटबारे के बाद वे अपने समर्थकों के साथ पाकिस्तान चले गये. पाकिस्तान में उन्हें प्रथम कानून और श्रम मंत्री बनाया गया. पाकिस्तान में बंटबारे के बाद गैरमुस्लिमों के उपर भयानक अत्याचार, नरसंहार, लूट, बलात्कार और मन्दिरों का विध्वंस देखकर जल्द ही उनका दलित मुस्लिम भाई भाई का भ्रम टूट गया. विरोध करने पर उन्हें देशद्रोही कहा गया. पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान में हजारों लाखों दलितों का भयानक नरसंहार, बलात्कार और जबरन धर्मांतरण किया गया. स्त्रियों को नग्न कर सड़कों पर जुलुस निकालकर जश्न मनाया गया.
उनके बेटे जगदीश चंद्र मंडल के अनुसार जब उनके पिता कराची में रहते थे, तब भी उनके मंत्री रहते ही उन्हें पूरी तरह अलग-थलग कर दिया गया था. वे आगे बताते हैं, “उन्होंने पाकिस्तान में जिन्ना पर भरोसा किया और दलितों के बेहतर भविष्य की उम्मीद में भारत में अपना सब कुछ त्याग दिया, लेकिन जिन्ना के बाद उसी पाकिस्तान में उन्हें राजनीतिक रूप से अछूत बना दिया गया.”
मंडल को इस बात का एहसास हो गया जिस पाकिस्तान को उन्होंने अपना घर समझा था वो उनके रहने लायक नहीं है. अंत में ८ ओक्टोबर, १९५० में, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद मंडल वापस भारत लौट आये. उन्होंने अपने इस्तीफे में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया.
जोगेन्द्रनाथ मंडल का इस्तीफा और पत्र
भारत विभाजन के समय करोड़ों हिन्दू, दलित, बौद्ध, सिक्ख आदि गाँधी और मंडल के भरोसे पाकिस्तान में ही रह गये थे. इतना ही नहीं लाखों दलित भारतीय जोगेन्द्रनाथ मंडल के साथ भी पाकिस्तान चले गये जिन्हें विश्वास था मुसलमान उनका साथ देंगे. पर हुआ यह कि उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया, बलात्कार किया गया और जबरन धर्मांतरण किया गया. दिल दहला देने वाली इस सच्चाई को वहां के कानून मंत्री जोगेन्द्रनाथ मंडल ने ही अपने इस्तीफा पत्र में लिखा था जिसके कुछ अंश यहाँ है.
मंडल ने अपने खत में लिखा, “बंगाल में मुस्लिम और दलितों की एक जैसी हालात थी. दोनों ही पिछड़े, मछुआरे, अशिक्षित थे. मुझे आश्वस्त किया गया था लीग के साथ मेरे सहयोग से ऐसे कदम उठाये जायेंगे जिससे बंगाल की बड़ी आबादी का भला होगा. हम मिलकर ऐसी आधारशिला रखेंगे जिससे साम्प्रदायिक शांति और सौहादर्य बढ़ेगा. इन्ही कारणों से मैंने मुस्लिम लीग का साथ दिया.
१९४६ में पाकिस्तान के निर्माण के लिये मुस्लिम लीग ने ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ मनाया जिसके बाद बंगाल में भीषण दंगे हुए. कलकत्ता और नोआखली नरसंहार में पिछड़ी जाति समेत कई हिन्दुओ की हत्याएं हुई, सैकड़ों ने इस्लाम (डर से) कबूल किया. हिंदू महिलाओं का बलात्कार, अपहरण किया गया. इसके बाद मैंने दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया. मैने हिन्दुओ के भयानक दुःख देखे जिनसे अभिभूत हूँ लेकिन फिर भी मैंने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग की नीति को जारी रखा (ऐसे मूर्ख और गद्दार होते हैं वामपंथी).
मंडल ने अपने खत में पाकिस्तान में दलितों पर हुए अत्याचार की कई घटनाओं का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा, ‘गोपालगंज के पास दीघरकुल में मुस्लिम की झूटी शिकायत पर स्थानीय नमोशूद्र लोगो के साथ क्रूर अत्याचार किया गया. पुलिस के साथ मिलकर मुसलमानों ने नमोशूद्र समाज के लोगो को पीटा, घरों में छापे मारे. एक गर्भवती महिला की इतनी बेरहमी से पिटाई की गयी कि उसका मौके पर ही गर्भपात हो गया.
निर्दोष हिन्दुओ विशेष रूप से पिछड़े समुदाय के लोगो पर सेना और पुलिस ने भी हिंसा को बढ़ावा दिया. सिलहट जिले के हबीबगढ़ में निर्दोष पुरुषो और महिलाओं को पीटा गया. सेना ने न केवल लोगो को पीटा बल्कि हिंदू पुरुषो को उनकी महिलाओं को सैन्य शिविरों में भेजने को मजबूर किया ताकि वो सेना की कामुक इच्छाओं को पूरा कर सके.
खुलना जिले के कलशैरा में सशस्त्र पुलिस, सेना और स्थानीय लोगो ने निर्दयता से पूरे गाँव पर हमला किया. कई महिलाओं का पुलिस, सेना और स्थानीय लोगो द्वारा बलात्कार किया गया. मैने २८ फरवरी १९५० को कलशैरा और आसपास के गांवों का दौरा किया. जब मैं कलशैरा में आया तो देखा वह जगह उजाड़ और खंडहर में बदल गयी थी. यहाँ करीबन ३५० घरों को ध्वस्त कर दिया गया. मैंने तथ्यों के साथ आपको सूचना दी.
ढाका में नौ दिनों के प्रवास के दौरान मैं दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया. ढाका नारायणगंज और ढाका चंटगाँव के बीच ट्रेनों और पटरियों पर निर्दोष हिन्दुओ की हत्याओं ने मुझे गहरा झटका दिया. मैंने ईस्ट बंगाल के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर दंगा प्रसार को रोकने के लिये जरूरी कदमों को उठाने का आग्रह किया.
२० फरवरी १९५० को मैं बारिसाल पहुंचा. यहाँ की घटनाओं के बारे में जानकार में चकित था. यहाँ बड़ी संख्या में हिन्दुओ को जला दिया गया. मैंने जिले में लगभग सभी दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा किया. मधापाशा में जमींदार के घर में २०० लोगो की मौत हुई और ४० घायल थे. एक जगह है मुलादी, प्रत्यक्षदर्शियों ने यहाँ भयानक नरक देखा. यहाँ ३०० लोगो का कत्लेआम हुआ. वहां गाँव में शवो के कंकाल भी देखे, नदी किनारे गिद्द और कुत्ते लाशो को खा रहे थे. यहाँ सभी पुरुषो की हत्याओं के बाद लड़कियों को आपस में बाँट लिया गया.
राजापुर में ६० लोग मारे गये. बाबूगंज में हिन्दुओ की सभी दुकानों को लूटकर आग लगा दी गयी. ईस्ट बंगाल के दंगे में अनुमान के मुताबिक १०००० लोगो की हत्याएं हुई. अपने आसपास महिलाओं और बच्चो को विलाप करते हुए मेरा दिल पिघल गया. मैंने अपने आप से पूछा, ‘क्या मै इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान आया था?”
जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने खत में आगे लिखा, “ईस्ट बंगाल में आज क्या हालात हैं? विभाजन के बाद ५ लाख हिन्दुओ ने देश छोड़ दिया है. मुसलमानों द्वारा हिंदू वकीलों, हिंदू डॉक्टरों, हिंदू व्यापारियों, हिंदू दुकानदारों के बहिष्कार के बाद उन्हें आजीविका के लिये पलायन करने के लिये मजबूर होना पड़ा. मुझे मुसलमानों द्वारा पिछड़ी जाति की लडकियों के साथ बलात्कार की जानकारी मिली है. हिन्दुओ द्वारा बेचे गये सामान की मुसलमान खरीददार पूरी कीमत नहीं दे रहे हैं. तथ्य की बात यह है पाकिस्तान में न कोई न्याय है, न कानून का राज, इसीलिए हिंदू चिंतित हैं.
पूर्वी पाकिस्तान के अलावा पश्चिमी पाकिस्तान में भी ऐसे ही हालात हैं. विभाजन के बाद पश्चिमी पंजाब में १ लाख पिछड़ी जाति के लोग थे उनमे से बड़ी संख्या को बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तित किया गया है. मुझे एक लिस्ट मिली है जिसमे ३६३ मंदिरों और गुरूद्वारे मुस्लिमों के कब्जे में हैं. इनमे से कुछ को मोची की दुकान, कसाईखाना और होटलों में तब्दील कर दिया है. मुझे जानकारी मिली है सिंध में रहने वाली पिछड़ी जाति की बड़ी संख्या को जबरन मुसलमान बनाया गया है. इन सबका कारण एक है, हिंदू धर्म को मानने के अलावा इनकी कोई गलती नहीं है.
जोगेंद्र नाथ मंडल ने अंत में लिखा, ‘पाकिस्तान की पूर्ण तस्वीर तथा उस निर्दयी एवं कठोर अन्याय को एक तरफ रखते हुए, मेरा अपना तजुर्बा भी कुछ कम दुखदायी, पीड़ादायक नहीं है…जब तक मै मंत्री के रूप में आपके साथ और आपके नेतृत्व में काम कर रहा था मेरे लिये आपके आग्रह को ठुकरा देना मुमकिन नहीं था. पर अब मै इससे ज्यादा झूठे दिखाबे तथा असत्य के बोझ को अपनी अंतरात्मा पर नहीं लाद सकता. मैंने यह निश्चय किया कि मैं आपके मंत्री के तौर पर अपना इस्तीफे का प्रस्ताव आपको दूँ, जो कि मैं आपके हाथों में थमा रहा हूँ. आप बेशक इस्लामिक स्टेट के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस पद को किसी को देने के लिये स्वतंत्र हैं.” (साभार: विकिपीडिया)
लौटकर मंडल भारत आया
१९५० में पाकिस्तान से भारत आने के बाद १९६८ तक उन्होंने अपना अधिकांश समय कलकत्ता के एक बेहद पिछड़े इलाके में बिताया. ये तत्कालीन प्रसिद्ध रवींद्र सरोवर या डकारिया झील का दलदली क्षेत्र था. पहले यहां दलित झुग्गियां थीं. मंडल उन्हीं झुग्गियों में रहा करते थे. अब यहां की जमीन सूख जाने के बाद अमीर लोगों के लिए कालोनी बन गई है.
पाकिस्तान के साथ अपने पिछले संबंधों के कारण, लोगों ने उन्हें बंटवारे और उनके मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया. लोग उनका मजाक उड़ाते और उन्हें जोगेन्द्रनाथ मंडल की जगह ‘जोगन अली मुल्ला’ कह कर पुकारते थे. फिर भी नेता बनने की चाहत में वे चार बार चुनाव लड़े लेकिन चारों बार उनकी जमानत जब्त हुई. उन्होंने एक छोटा समाचार पत्र या पत्रिका प्रकाशित करने की भी कोशिश की, लेकिन लोगों ने उन्हें भाव नहीं दिया. गुमनामी में ५ अक्टूबर, १९६८ को पश्चिम बंगाल में जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अंतिम सांस ली.
मुख्य स्रोत: विकिपीडिया और अमर उजाला में छपे लेख
After all, what a great site and informative posts, I will upload inbound link – bookmark this web site? Regards, Reader.
मैं बड़ा दुखी हूं कि इतना कुछ होने के बावजूद भी नाही हिंदू आज तक सुधरा है और ना ही कभी एकजुट हो सकता है हिंदुओं को यह राजनीतिक भेड़िए जातियों के नाम पर यूं ही लूटते रहेंगे और यूं ही जातिवाद का जहर फैलाकर अपनी रोटियां सेकते रहे सबसे बड़े दोषी यह हिंदू विरोध की राजनीति करने वाले एवं तुष्टीकरण एवं सेकुलरिज्म की राजनीति करने वाले हैं इन लोगों को सबसे पहले हिंदुओं द्वारा फांसी पर लटकाया जाना चाहिए क्योंकि यही राजनीतिक स्वार्थी लोग आज वर्तमान में हिंदुओं का पतन का कारण है
I have been examinating out many of your posts and i must say pretty clever stuff. I will make sure to bookmark your site.
You should take part in a contest for one of the best blogs on the web. I will recommend this site!
I’ve been browsing online more than three hours today, but I never discovered any fascinating article like yours. It¦s beautiful worth enough for me. In my opinion, if all site owners and bloggers made good content as you did, the web will be a lot more helpful than ever before.
आज एडवोकेट श्री अश्विनी उपाध्याय जी सुप्रीम कोर्ट के वकील का सार गर्भित भाषण कला मंदिर के सभागार में सुनने को मिला और पहली बार इस जोगेन मंडल के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। अस्तु गूगल में खोज करने पर इसका सत्यापन किया। किस तरह से एक निजी स्वार्थ की वजह से आसाम के चार जिलों को पाकिस्तान में मिला दिया गया , मगर नतीजा ? पूरे संसार ने देखा।