हमारे देश को जिहादी, आतंकी मानसिकता से ज्यादा खतरा छद्म धर्मनिरपेक्षवाद से है। छद्मधर्मनिरपेक्षवादी पाकिस्तान, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों और स्लीपर सेल से भी ज्यादा खतरनाक है।
एक उदहारण द्वारा समझते हैं। मान लीजिए एक मुस्लिम आतंकी हमला करता है या एक मुस्लिम आत्मघाती बम हमला करता है तो वह कितने हिन्दुओं, बौद्धों, सिक्खों या जैनों की हत्या करेगा? दस, बीस, पचास या सौ? परन्तु एक छद्म सेकुलर वामपंथी के बारे में सोचिए जो हमारे बीच रहकर, हमारे जैसा दिखकर, हमारे जैसा बनकर हमारे सनातन धर्म, हमारा हिन्दुस्थान और हम हिन्दुओं के विरुद्ध काम करता है।
मुस्लिम आत्मघाती बम तो दुसरे धर्मों के लोगों के बीच जाकर फटते हैं और हत्या करते हैं पर वामपंथी आत्मघाती बम अपने ही लोगों, अपने ही देश और अपने ही धर्म के विरुद्ध फटते हैं और इनका प्रपाती प्रभाव (Cascading Effect) पड़ता है जिसके प्रभाव से लोग अपने ही देश, धर्म और समाज के विरुद्ध भारत तेरे टुकड़े होंगे, भारत की बर्बादी तक जंग लड़ने के नारे लगाने लगते हैं, देशद्रोही बनकर आतंकियों, जिहादियों, दंगाईयों तथा चीन और पाकिस्तान जैसे भारत के दुश्मनों का समर्थन करने लगते हैं और उनके लिए काम करने लगते हैं जिससे राष्ट्र, धर्म और समाज का व्यापक नुकसान होता है।
सिर्फ कोंग्रेस और वामपंथी ही नहीं कई राजनितिक पार्टियां मुस्लिम वोट बैंक में हिस्सेदारी के लिए बढ़ चढकर धर्मनिरपेक्षवाद के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा दे रहे है। नेहरु-गाँधी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस उनका पथभ्रष्टक है जो प्रारंभ से ही अपनी इस भारत विरोधी, सनातन विरोधी और हिन्दू विरोधी नीतियों से मुस्लिम वोट के लिए बेशर्मी से देश का अहित और देशवासियों को गुमराह करते आ रहे हैं। कुछ झलक देखिए:
1. ईसाई-मुस्लिम तुष्टिकरण के तहत भारत के गौरवशाली इतिहास को मिटा दिया गया या फिर उसे कलंकित कर पेश किया गया। हम हिंदुओं को भी ईसाई और मुसलमानों की तरह अपने ही देश में आक्रमणकारी और सिर्फ १५०० ईस्वी पूर्व आये घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, मध्यकालीन मुस्लिम आक्रमणकारियों को हीरो और उससे अपने राष्ट्र, धर्म, जान और अस्मत की सुरक्षा केलिए लड़ने वाले हिंदू वीरों को विलेन के रूप में दिखाया गया। यही नहीं, आतंकवादी, दंगाई, बलात्कारी, हिंसक मुसलमानों को जबरन महान सिद्ध करने केलिए उनकी एकाध अच्छी बातों को बढ़ा चढाकर और हिंदुओं की एकाध खामियों को तिल का तार बनाकर पेश किया गया।
२. मुस्लिम तुष्टिकरण केलिए नेहरु ने भारत का मस्तक, स्वर्ग और मुख्य धार्मिक एतिहासिक क्षेत्र कश्मीर को भारत का सिरदर्द और आतंकवाद का अड्डा बनने केलिए मजबूर किया। कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया दूसरा चीन को और बचे हिस्से को निपटाने केलिए काला कानून के नाम से कुख्यात धारा-३७० दे दिया।
३. हिन्दुस्तान के आजाद होने के बाबजूद मुस्लिम तुष्टिकरण केलिए मुस्लिम काल में अधिगृहित हिंदुओं के मंदिरों, पाठशालाओं और एतिहासिक इमारतों का उद्धार नहीं किया गया और हिंदुओं का धार्मिक-सांस्कृतिक-एतिहासिक स्थल अयोध्या, मथुरा, काशी, संभल आदि के मंदिर आज भी मुसलमानों के कब्जे में है। इनकी घृष्टता तो देखिए हम हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों के मंदिरों को आजादी पश्चात उद्धार करने की जरूरत थी पर उन्होंने उन पर मुसलमानों को कब्जा बनाये रखने केलिए १९९१ का वर्शिप एक्ट बना दिया ताकि हम सब हिंदुस्थानी अपने मंदिरों के उद्धार के लिए न्यायालय का दरवाजा भी नहीं खटखटा सकें। दूसरी तरफ उन्होंने मुसलमानों को ३५% भारतीय भूभाग देने के बाद अवशेष भारत पर अवैध कब्जा करने केलिए उन्हें वक्फ एक्ट जैसा काला कानून पकड़ा दिया कि वे जब चाहे जहाँ चाहे हमारे जमीन, मंदिरों, पाठशालाओं, घरों, दुकानों और खेतों पर कब्जा कर सकें।
४. इंदिरा सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर हिंदुओं का पकड़ पकड़ कर बंध्याकरण किया पर चार से चौबीस पैदा करनेवाले मुसलमानों को छुआ तक नहीं।
५. मुसलमानों के भारत में रह जाने के कारण विभाजित भारत अविभाजित भारत की तरह ही अनवरत दंगा, हिंसा, आतंकवाद, बलात्कार, भुखमरी, गरीबी, बेरोजगारी आदि का शिकार है। उस पर कांग्रेसी मनमोहन सिंह ने बेशर्मी से इस देश के साधनों पर मुस्लिमों का पहला हक बताया जो उनकी घृणित सांप्रदायिक राजनीती को उजागर करता है जिसका एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक मजबूत करना था, परन्तु यह देश की सांप्रदायिक सौहार्द के लिए घातक साबित हुआ। प्रधान मंत्री भूल गए की इस देश में ८०% हिंदू मूलनिवासी रहते है। समानता के अधीन प्रजातान्त्रिक भारत में किसी भी समुदाय का पहला या दूसरा हक नहीं हो सकता, ये मामूली बात भी देश के सर्वोच्च पद पर आसीन मनमोहन सिंह भूल गए। उनके इस वक्तव्य ने राष्ट्रवादी हिंदुओं के दिल को चोट पहुंचाई तो कट्टर मुस्लिमों, देशद्रोहियों और आतंकवादिओं के मनोबल को बढ़ाया।
६. मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार का घिनौना सांप्रदायिक चेहरा जम्मू-कश्मीर के मामले में उजागर हुआ जहाँ इसने देश की सुरक्षा को ताक पर रखकर कई ऐसे निर्णय लिए जो शर्मनाक थे:
क. इस सरकार ने मारे गए आतंकवादियों के परिवार के लिए पेंशन योजना शुरू की जिसका एकमात्र प्रतीफल आतंकवाद को बढ़ाबा देना ही हो सकता है। अब आतंकवादी निश्चिन्त होकर धर्म के नाम पर जेहाद लड़ सकते थे। अधिकांश मीडिया ने मनमोहन सिंह के इस घोषण के विडियो क्लिप का शीर्षक दिया “आतंकवादी बनो और भारत सरकार से पेंशन पाओ।”
एसी योजना अगर नक्सलिओं के लिए होती तो शायद इस बात से संतोष किया जा सकता था की वे तथाकथित रूप से हक के लिए लड़ते है। परन्तु ये तो देशद्रोही है और देश की तबाही के लिए लडनेवाले है। कश्मीरी पंडित/जनता जो इन आतंकवादिओं के शिकार हुए उनके दिल पर क्या प्रतिक्रिया होगी। काश ये सरकार कांग्रेसिओं के इन शहीदों (आतंकवादिओं) द्वारा मारे गए लोगो के परिजनों के लिए पेंसन की व्यवस्था करती!
ख. इस सरकार ने पाकिस्तान में आतंकवाद का ट्रेनिंग ले रहे आतंकवादिओं को आदर सहित प्रवेश का मार्ग और देश में रहने की व्यवस्था का निर्णय लिया ताकि वे आसानी से जेहाद का उद्देश्य पूरा कर पुण्य कमाए। टाइम्स नाउ एवं अन्य प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने सरकार के इस कदम को घातक करार दिया।
ग. इस सरकार की मुस्लिम परस्ती एवं तुष्टिकरण की नीति ने कश्मीर समस्या जो नेहरु की मूर्खता की देन है, और भी विकट बना दिया था। सरकार पाक, पाकपरस्त आतंकवादी, अलगाववादी के आगे नत नजर आती थी। पाक, पाकपरस्त आतंकवादी, अलगाववादी जो चाहे करने में सफल हो रहे थे। सरकार उन देशद्रोहियों के विरुद्ध कठोर नीति अपनाने की जगह उनकी तुष्टिकरण की नीति अपनाते हुए आर्म्स फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट में विनाशकारी संशोधन करने की बात कर रही थी और घाटी से सैनिकों को हटाने या कम करने पर विचार कर रही थी। भला हो हमारे सैनिक अधिकारिओं का जो सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध किये और कांग्रेस अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाई।
७. सोनिया गाँधी के नेतृत्व में “प्रिवेंशन ऑफ कम्युनल एंड टारगेटेड वायलेंस बिल-२०११” बनाया गया। जिस प्रकार पाकिस्तान की इश निंदा कानून के तहत वहाँ अल्संख्यकों की हालत भिखारियों जैसी बना दी गयी है, यह बिल वही हालत हिंदुस्तान में बहुसंख्यकों की बना देगी। यह कानून देश में साम्प्रदायिकता और नफरत का अंतहीन विषवेल वो देगी। यह देश के नागरिकों को शत्रुतापूर्ण भाव रखनेवाले दो वर्गों में विभाजित करता है। इस कानून के तहत सिर्फ अल्पसंख्यकों के जान माल की क्षति को सांप्रदायिक हिंसा माना गया है।
अगर हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा जान-माल को क्षति पहुंचाई जाती है तो उसे सांप्रदायिक नहीं माना जायेगा। कोई हिंदू मर जाता है, घायल होता है, उसकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती है, वह अपमानित होता है तो यह कानून उसे पीड़ित नहीं मानेगा। अगर हिंदू महिला किसी अल्पसंख्यक की हवस का शिकार होती है तो वह कानून उसे बलात्कार नहीं मानेगा। परन्तु हिंदुओं द्वारा अल्पसंख्यकों पर बलात्कार की स्थिति में उसे लैंगिक अपराध का दोषी माना जायेगा। अल्पसंख्यकों के साथ घटी घटना की जानकारी रखनेवाला ही गवाह होगा। बहुसंख्यकों के सम्बन्ध में जानकारी रखनेवाला गवाह नहीं माना जायेगा। इनकी धर्मनिरपेक्षता को उजागर करने के लिए ये झलक पर्याप्त है और भी पूरा बिल निचे लिंक पर पढ़ें…(साभार पंजाब केसरी, journalistarjun@gmail।com)
८. मुस्लिम वोट बैंक के लिए असंवैधानिक धर्म पर आधारित आरक्षण, पेंशन, वजीफा, नौकरी, ऋण आदि लागु किया गया। सपा सरकार ने तो स्पष्ट कहा की सिर्फ मुस्लिम लड़कियां ही हमारी बेटी है और सिर्फ उसके केलिए आर्थिक सहायता दी जा रही है।रामभक्तों के हत्यारे समाजवादियों का हिन्दू विरोधी, मुस्लिमपरस्त नंगा नाच अब किसी से छुपा नहीं है इसलिए उस पर ज्यादा लिखना नहीं चाहता। इन समाजवादियों की असली जगह आतंकियों, जिहादियों और दंगाईयों की तरह जहन्नुम ही है।
९. आतंकी शोहराबुद्दीन, इशरत, अफजल, बटला कांड के मुस्लिम आतंकवादी आदि पर घृणित राजनीती कर मुस्लिमों को हिंदुओं और हिन्दुस्तान के विरुद्ध उभारा गया। मानवाधिकार आयोग द्वारा रजिस्टर्ड फेक एनकाउंटर के सर्वाधिक मामले देल्ही, महाराष्ट्र, उत्तर-प्रदेश, आन्ध्र-प्रदेश में थे और उनमे सैकड़ो निर्दोष और बेगुनाह थे, परन्तु सिर्फ देशद्रोही सोहराबुद्दीन का मामला राष्ट्रीय मुद्दा बनाकर उसका घिनौना चेहरा देखने को बाध्य किया जा रहा था। जिस हैडली के बयान के भरोसे भारत सरकार आत्मविश्वास के साथ पाकिस्तान के षड्यंत्र का सबूत पेश कर आई उसी हैडली ने जब इशरत जहाँ को लश्कर का आतंकी करार दिया तो इस सरकार ने उसके वक्तव्य की जाँच की बात कर हवा में उड़ा दिया। मै इस बात का पक्का समर्थक हूँ कि अपराधी, देशद्रोही और आतंकवादी चाहे जिस प्रकार भी मारा जाये वो देश हित में है।
१०. सोनिया गाँधी और दिग्विजय सिंह का बटला कांड में मारे गए आतंकवादिओं के लिए घडियाली आंसू एक और घिनौना चेहरा पेश करता है जो स्पष्ट रूप से सेना और पुलिस को हतोत्साहित और अपमानित करनेवाली तथा आतंकवाद और कट्टरवाद को बढ़ानेवाली थी। इंडियन मुजाहिद्दीन का सरगना शहजाद मारे गए लोगो को अपना साथी एवं इंडियन मुजाहिदीन का आतंकवादी स्वीकार कर चूका है।
११. २००२ के दंगे के लिए चीखना चिल्लाना परन्तु दंगे का कारण गोधरा कांड पर चुप्पी साध लेना। कांग्रेस शासन में हुए हजारों दंगों पर खतरनाक सेकुलर मौन सहिष्णु हिंदुओं की बांध तोड़ने लगी। इसी प्रकार एक तथाकथित मस्जिद के टूटने पर राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय हंगामा हुआ परन्तु कश्मीर में आजादी के बाद अबतक २७० से अधिक मंदिरों को नष्ट कर दिया गया जिसपर सेकुलर ख़ामोशी बरकरार है। यही कारण है कि मुसलमान आये दिन हिंदुओं के मंदिरों पर बेख़ौफ़ हमला करते हैं क्योंकि ये सेकुलर चर्च और मस्जिद में ढेला फेंकने पर तो शोर मचाते हैं परन्तु मंदिर पर हमला करने पर सेकुलर मौन साध लेते हैं।
१२. जहाँ एक ओर देश और देश की जनता पाक प्रायोजित आतंकवाद, घरेलु आतंकवाद, स्लीपर सेल आदि से तबाह हो रही थी वहीँ इस देश में आतंकवाद से पीड़ित हिंदुओं को ही षड्यंत्र कर दोषी ठहराया गया, मुस्लिमों की तुष्टि केलिए मुस्लिम आतंकवाद के समकक्ष हिंदू आतंकवाद का भ्रम खड़ा करने का कुत्सित प्रयास हुआ। कुछ देशद्रोही कांग्रेसियों ने तो २६/११ को मुंबई पर हमले के लिए राष्ट्रिय स्वयम सेवक संघ को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराकर और एक आतंकवादी द्वारा इसी आशय पर लिखी पुस्तक का विमोचन कर आतंकवादियों और पाकिस्तान का हौसला बढ़ाया।
इसी प्रकार समझौता ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट के मुस्लिम आतंकियों को छोड़कर हिन्दू साधू संतों को आतंकवादी बताकर गिरफ्तार किया गया और हिन्दू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव केवल मुस्लिम तुष्टिकरण केलिए बनाया गया जो अब न्यायालयों के निर्णयों से साबित भी हो गया है।
१३. केंद्रीय गृहमंत्री चिदमबरम ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का प्रतीक भगवा रंग को आतंकवाद का प्रतीक बताकर मुस्लिम कट्टरवादियों और पाक समर्थक देशद्रोहियों का दिल जित लिया। चिदंबरम भूल गए की यह भगवा संस्कृति ही है जिसने कई संस्कृतियों को अपने गोद में जगह दी है और समानता तथा भाईचारे के साथ आज भी बिना किसी अपवाद के सहस्तित्व में है। यह भगवा रंग की अतिसहिष्णुता ही है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंगलादेश, कश्मीर और भारत के कई हिस्सों में इसने अपना सनातन भगवा रंग त्यागकर हरा रंग धारण कर लिया है। यदि फिर भी इसे इस तरह अपमानित और बदनाम होना परे तो मै कहूँगा की इसे इतना पक्का हो जाना चाहिए की इसे दूसरे रंग में समाहित हो जाने की बजाय अन्य रंगों को खुद में समाहित कर ले या फिर सामने आनेवाले दूसरे रंगों को प्रभावशून्य कर दे।
१४. हैदरबाद के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा की अगर सरकार पुलिस को हटा दे तो वो 25 करोड़ मुस्लिम बाकि 100 करोड़ हिन्दुओ को 15 मिनट में मार डाले। पिछले एक हजार वर्षों में जितने हिंदू मारे गए हैं उससे ज्यादा हिंदू मारेंगे। इतना ही नहीं इसने श्री राम और माता कौशल्या के लिए गंदे अल्फाजों का प्रयोग किया। इसके पहले ओबैसी ने भरी संसद मे गृहमंत्री और प्रधानमंत्री, सोनिया और राहुल की उपस्थिति मे कहा था कि अगर दो महीनों के भीतर आसाम मे मुसलमानों का पुनर्वास नही हुआ तो देश के मुसलमान भारत की ईंट से ईंट बजा देंगे। इसके बाबजूद धर्मनिरपेक्ष मीडिया और देशद्रोही धर्मनिरपेक्ष नेता और सरकार मौन धारण किये हुए थे।
१५. केरल में मल्लपुरम, कन्नूर, कासरगोड मार्ग में मुस्लिमों के सैकड़ों बोर्ड दीखते हैं जिसपर लिखा होता है “Remember, we are 25%” फिर भी इस भारत में ये धर्मनिरपेक्ष माने जाते हैं क्योंकि सांप्रदायिक होने का ठेका तो नेहरु-कांग्रेस ने हिंदुओं को दे रखा है। धर्मनिरपेक्ष भारत में मुस्लिम और ईसाई जन्मजात धर्मनिरपेक्ष माने जाते हैं। अभी से ये हालत है अगर आम हिंदू भी इसी प्रकार मौन धारण किये रहे तो वे दिन दूर नहीं जब हिंदुओं के सर भूमि पर पड़े होंगे और उनकी औरतें मुस्लिमों के बिस्तर पर और ये धर्मनिरपेक्ष नेता और मीडिया इसी ख़ामोशी से तमाशा देख रहे होंगे।
क्रमशः
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