मुसलमान रक्षाबंधन में राखी बांध ले तो कुफ़्र, जय श्रीराम बोल दे तो इस्लाम से ख़ारिज, आरती कर ले तो बबाल, यहाँ तक कि गैरमुस्लिमों के त्योहारों पर उन्हें बधाई देना भी हराम होता है। पर मुसलमान कृष्णा हिंग, लक्ष्मी बीड़ी, वैष्णो ढाबा, गणेश भोजनालय, श्रीराम टी स्टाल, जैन रेस्तरां, अग्रवाल पनीर आदि नाम से वकायदा देवी देवताओं की तस्वीर और दुकानों में मूर्तियाँ लगाकर बिजनस करे तो हलाल? तिलक लगाकर, कलावा बांधकर, गरबा में जाकर, गायत्री मन्त्र बोलकर, मंदिर में शादी कर आदि विभिन्न तरीकों से हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाकर धर्मान्तरण कर निकाह करे या रेप-मर्डर करे तो हलाल? आखिर ये कौन सी नीति है?
इस नीति को इस्लाम में अल-तकिया कहा जाता है। अल-तकिया के अनुसार यदि इस्लाम के प्रचार, प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा करना पड़े – सब धर्म स्वीकृत है । दर उल हर्ब (संघर्ष की भूमि अर्थात जहाँ काफिरों का राज हो) को दर उल इस्लाम (अमन की भूमि अर्थात इस्लामिक शासन) में बदलने केलिए गैरमुस्लिम देश में मुसलमान ये नीति अपनाते हैं। इस नीति के तहत सभी गैर इस्लामिक हराम काम हलाल माने जाते हैं बशर्ते उनका उद्देश्य दर उल हर्ब (काफिरों का देश) को दर उल इस्लाम (इस्लामिक देश) में बदलने केलिए हो, काफिरों का क़त्ल या समूल नाश करने केलिए हो और तीसरा काफिरों के देवी देवताओं और मंदिरों, चर्चों, सिनेगागों, बौद्ध मठों आदि को नष्ट करने केलिए हो।
उपर्युक्त उद्धरणों के अतिरिक्त जैसे, कुरान गैरमुस्लिमों से दोस्ती रखने से मना करता है परन्तु गैरमुस्लिम देशों में जहाँ वे अल्पसंख्यक होते हैं वहां हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई, दलित मुस्लिम भाई भाई, सिक्ख मुस्लिम भाई भाई, ईसाई मुस्लिम भाई भाई आदि बोलकर धोखा दे सकते हैं। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, हम संविधान को माननेवाले लोग हैं, हम सेकुलरिज्म के समर्थक हैं आदि बोलकर उन्हें गुमराह कर सकते हैं। देवी देवताओं की मूर्तियाँ खंडित करने की जगह उनके नाम का उपयोग कर, उनकी तस्वीरें लगाकर, तिलक और कलावा बांधकर धोखा दे सकते हैं आदि।
सन्दर्भ 1
Jalal al-Din al-Suyuti in his book, “al-Durr al-Manthoor Fi al-Tafsir al- Ma’athoor,”narrates Ibn Abbas’, the most renowned and trusted narrator of tradition in the sight of the Sunnis, opinion regarding al-Taqiyya in the Qur’anic verse: “Let not the believers take for friends or helpers unbelievers rather than believers: if any do that, (they) shall have no relation left with Allah except by way of precaution (“tat-taqooh”), that ye may guard yourselves (“tooqatan”) from them….(3:28)”that Ibn Abbas said:
“al-Taqiyya is with the tongue only; he who has been coerced into saying that which angers Allah (SWT), and his heart is comfortable (i.e., his TRUE faith has not been shaken.), then (saying that which he has been coerced to say) will not harm him (at all); (because) al- Taqiyya is with the tongue only, (not the heart).”
Note: The two words “tat-taqooh”and “tooqatan,”as mentioned in the Arabic Qur’an, are BOTH from the same root of “al-Taqiyya.”
सन्दर्भ 2
Ibn Abbas also commented on the above verse, as narrated in Sunan al- Bayhaqi and Mustadrak al-Hakim, by saying:
“al-Taqiyya is the uttering of the tongue, while the heart is comfortable with faith.”
Note: The meaning is that the tongue is permitted to utter anything in a time of need, as long as the heart is not affected; and one is still comfortable with faith.
(स्रोत: https://www.al-islam.org/shiite-encyclopedia/al-taqiyya-dissimulation-part-1)
यानि जिहादी उद्देश्यों की पूर्ति केलिए किए गये सारे कुकर्म हलाल हो जाता है। इतिहास में काफिरों को धोखा देकर हत्या, हराने केलिए झूठे वादों के तो सैकड़ों उदहारण हैं। यहाँ तक की कुरान की झूठी कसमें भी खाई जाती है जैसे मोहम्मद गोरी सम्राट पृथ्वीराज चौहान द्वारा पकड़े जाने पर बार बार कुरान की कसमें खाकर माफ़ी मांगता था कि अब वह दुबारा हमला नहीं करेगा पर बार बार करता था। वर्तमान समय में जनसँख्या जिहाद और अल-तकिया बिना बृहत् स्तर पर हिंसा किये गैरमुस्लिम देश को मुस्लिम देश बनाने का सबसे बढ़िया और सुगम रेडिकल राजनीति (या हथकंडा) है जिसे इस्लाम कहा जाता है।
कुरान कहता है काफ़िर मूर्ख होते हैं और तुम सौ उन हजार को आसानी से हरा सकते हो पर आधुनिक युग में बिना जनसँख्या जिहाद और अल-तकिया के यह मुमकिन नहीं है। इसी नीति के तहत मुसलमान लोकतान्त्रिक देशों में उन राजनितिक पार्टियों का समर्थन करते हैं जो तथाकथित लिबरल हो, बहुसंख्यक या मूलनिवासियों का विरोधी हो, राष्ट्रवाद का विरोधी हो, अपने ही सभ्यता, संस्कृति, धर्म, परम्परा में अविश्वास रखता हो या ओछी, अप्रगतिशील मानता हो आदि।
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