हॉलीवुड के फिल्मों में आपने देखा होगा बाहर से कोई ड्रैकुला आकर शहर के किसी व्यक्ति को सम्मोहित कर या घात लगाकर शिकार करता है। फिर वह भी ड्रैकुला बन जाता है और वह भी दुसरे लोगों को शिकार बनाने लगता है। जब लोगों को यह बात पता चलती है तो वे ड्रैकुला से बचने की पूरी कोशिश करते हैं, जद्दोजहद करते हैं। फिर भी ड्रैकुला अगर किसी प्रकार उसे शिकार बना लेता है तो वह भी ड्रैकुला बन जाता है और इंसानों का शिकार करने लगता है।
जोम्बीज की स्थिति थोड़ा और खतरनाक होता है। इसके पास दिमाग नहीं होता है, सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है और इसके दिमाग में सिर्फ एक ही फितूर होता है, इंसानों का खून पीना। इसके लिए वे इंसानों पर हमला करते हैं और उन्हें इन्फेक्टेड कर देते हैं। इन्सान इनसे बचने केलिए जी जान लगा देता है। फिर भी वह जोम्बीज से खुद को नहीं बचा पाता है और इन्फेक्टेड हो जाता है तो वे भी जोम्बीज बन जाते हैं और दुसरे इंसानों पर हमला कर जोम्बीज बनाना शुरू कर देते हैं। इस प्रकार जोम्बीज की संख्यां तेजी से बढ़ने लगती है। परिणामतः इन्सान घटने लगते हैं और जोम्बीज से बचने केलिए शहर छोड़कर भागने लगते हैं। इस प्रकार शहर का शहर और देश का देश जोम्बीज बन जाता है।
मैं आपको रोमन ड्रैकुला और अरबी जोम्बीज का इतिहास बताने जा रहा हूँ। हालाँकि, पन्द्रहवीं शताब्दी से पहले आज का ड्रैकुला भी जोम्बीज जितना ही खतरनाक था। और यदि बर्बर शैतान क्रिस्टोफर कोलंबस के अमेरिका और अफ्रीका में किये गये शैतानी कारनामों के विवरणों पर गौर करें तो ये जोम्बीज से भी ज्यादा खतरनाक लगते हैं। अरबी जोम्बीज वस्तुतः रोमन ड्रैकुला का संवर्द्धित वर्जन 2.0 है जो रोमन ड्रैकुला से ज्यादा हिंसक, बर्बर; ज्यादा संगठित, रणनीतिक और सुनियोजित है। भारतवर्ष में जो भी कनवर्टेड भारतीय हैं वे ड्रैकुला और जोम्बीज पद्धति से बने हैं, पर पहले मैं आपको मुसलमानों का इतिहास बताता हूँ।
अरब प्रदेश का ह्रदय स्थल मक्का में जब मुसलमानों ने मूर्ति पूजा और मंदिरों का विरोध किया तो मक्का के लोगों ने उन्हें मारकर भगा दिया। दूसरी बार मुसलमानों ने लूटेरों और डाकुओं के बहुत सारे दलों को इकठ्ठा कर, उन्हें बहुत बड़ी लूट का माल और उसमें हिस्सेदारी का लालच देकर मक्का पर पूरी ताकत से हमला किया। मक्का मंदिर के मठाधीश, महादेव के परम भक्त महम्मद का चाचा उमर-बिन-ए-हज्जाम और मक्का के लोगों को मुसलमान बनने को कहा पर अबू तालिब उमर-बिन-ए-हज्जाम ने उनके पंथ को अवैज्ञानिक और हिंसक करार देकर मुसलमान बनने से इनकार कर दिया। उन्होंने मक्का के लोगों को इकठ्ठा कर महम्मद की सेना का मुकाबला किया पर शहीद हो गये, मक्का की सेना महम्मद से हार गई। महम्मद की सेना ने पूरे मक्का शहर को लूटा, मक्का के 360 मन्दिरों और देवी देवताओं की मूर्तियों को नष्ट कर दिया जिसमें शिवलिंग भी था जिसे संगे अस्वद कहा जाता है।
मक्का के लोग भयानक हिंसा, नरसंहार, लूट और अत्याचार के आगे बेबस होकर मुसलमान बनने को बाध्य हुए पर विरोध शांत नहीं हुआ क्योंकि मक्का की पूरी अर्थव्यवस्था मक्का मंदिर या मक्केश्वर महादेव मन्दिर की अर्थव्यवस्था पर टिकी थी। उनके विरोध को शांत करने केलिए महम्मद को खंडित शिवलिंग अर्थात संगे अस्वद को पुनर्स्थापित कर वार्षिक मेले को हज के रूप में स्वीकृति देनी पड़ी। तब जाकर मक्का के लोग उनके साथ आने को तैयार हुए। इसके बाद इसी तरीके से धीरे धीरे पूरा अर्बस्थान मुसलमान बना।
फिर अरब के मुसलमानों ने सीरिया, जॉर्डन, पेलेस्टाइन, टर्की, स्पेन अफ्रीका से लेकर मिस्र तक कुशायिट्स, यहूदियों और ईसाईयों का कैसे नरसंहार कर मुसलमान बनाया उधर मैं नहीं जाकर भारतवर्ष की तरफ रुख करता हूँ।
इराक में बौद्ध धर्मानुशासन था। परमक या बरमक घराना बौद्ध धर्माधिकारी होते थे। अरबों ने इराक पर हमला कर बरमकों को मुसलमान बनने केलिए बाध्य किया। बरमकों के मुसलमान बनने पर उसके अनुयाई भी मुसलमान बन गये और इराक मुस्लिम बहुल हो गया। फिर अरबों ने ईरान के पारसियों पर हमला किया और उन्हें जबरन मुसलमान बनाया और जो मुसलमान बनने को तैयार नहीं हुए वे पलायन करने को बाध्य हुए जिसमें सबसे ज्यादा भारत में आये।
फिर अरबों ने मध्य एशिया के सबसे बड़े बौद्ध राज्य सोगदियाना आधुनिक समरकंद (प्राचीन मार्कंडेय नगर) पर हमला किया और सिर्फ तीन दिन में यहाँ के बौद्ध राजा ने आत्मसमर्पण कर मुसलमान बनना और अपने हाथों बुद्ध और बौद्ध मंदिरों को नष्ट कर सबसे बड़े बौद्ध मन्दिर को मस्जिद बनाना स्वीकार कर लिया। सोगदियाना राज्य का बल्ख प्रान्त जहाँ मुग़ल शैतान बाबर का जन्म हुआ था वह प्रान्त सौ प्रतिशत बौद्ध राज्य था। अरबों के आक्रमण के बाद वे नरसंहार, बलात्कार, लूट, अत्याचार के डर से मुसलमान बन गये पर अरबों के जाते ही फिर बौद्ध धर्म अपना लेते थे। इस प्रकार चार बार वे अरबों के आक्रमण के बाद मुसलमान बनने को बाध्य हुए और फिर वापस बौद्ध बने परन्तु पांचवी बार उन्हें इस कदर रौंद दिया गया कि वे फिर बौद्ध नहीं बन सके। फिर उन्हीं के वंशज बाबर (बल्ख) और तैमूर (सोगदियाना) जैसे शैतान और मुसलमान पैदा करने लगे।
इसप्रकार परवर्ती सौ बर्षों में पश्चिमी तुर्क जो छठी शताब्दी के मध्य में बौद्ध धर्म ग्रहण किये थे, जिनका शासन पश्चिम मध्य एशिया में था, जहाँ धार्मिक आबादी क्रमशः बौद्ध, हिन्दू, पारसी और ईसाई थी पर ईरान और अरब के मुसलमान लगातार हमले करने लगे। उनके लगातार हमलों के आगे घुटने टेककर तुर्क बौद्ध शासक और अन्य धर्म के लोग मुसलमान बनने को बाध्य हो गये। मुसलमान बनने के बाद अहिंसक बन चुके तुर्क अचानक हिंसक, बर्बर नरपिशाच बन गये और पूर्वी तुर्कों पर हमला करने लगे। पूर्वी तुर्क में मुख्यतः बौद्ध और हिन्दू आबादी थी जो मुसलमान बनने को बाध्य हुए। पूर्वी तुर्क मुसलमान बनने पर शक राज्यों यारकंद, काशगर पर हमला कर उन्हें मुसलमान बनाया। काशगर के हिन्दू, बौद्ध मुसलमान बनते ही नरपिशाच बनकर खोतान राज्य, जहाँ बौद्ध और हिन्दू रहते थे, उन पर हमला करने लगे और उन्हें अपने ही जैसे मुसलमान बनने को बाध्य कर दिया।
इस युद्ध को जापानी प्रोफेसर तोको मोरियासु ने जिहाद कि संज्ञा दी है। लेखक महमूद अल-काशगिरी तुर्किक भाषा में इस विजय पर एक कविता लिखा है जिसका अंग्रेजी अनुवाद निम्नलिखित है:
We came down on them like a flood,
We went out among their cities,
We tore down the idol-temples,
We shat on the Buddha’s head!
शिनजियांग प्रान्त के उईगुर बौद्धों और तुरफान के हिन्दू, बौद्धों पर मुसलमानों के हमले का नेतृत्व चार इराकी मौलानाओं ने किया था जो नर मुंड का पहाड़ और खून की नदियाँ बहाकर उन्हें उईगर बौद्ध से उईगर मुस्लिम बनने को बाध्य किया जिसका बहुत ही वीभत्स और दर्दनाक इतिहास है। लेकिन एक रोचक जानकारी देता हूँ। चगताई ख्वाजा ने तुर्फान के कारा डेल पर हमला किया जहाँ उईगर बौद्धों का ही बौद्ध राज्य था और तलवार के बल पर पूरी आबादी को मुस्लिम बना दिया। और फिर बिडम्बना देखिए, तलवार के नोक पर मुसलमान बनाने के बाद उनके दिमाग में ब्रेनवाश कर यह घुसा दिया गया है कि काफ़िर कालमुख ने तुर्फान में बौद्ध मठ बना दिया था। वे लोग तो सदा से मुसलमान ही थे।
After being converted to Islam, the descendants of the previously Buddhist Uyghurs in Turfan failed to retain memory of their ancestral legacy and falsely believed that the “infidel Kalmuks” (Dzungars) were the ones who built Buddhist monuments in their area. [“The Encyclopaedia of Islam – Hamilton Alexander Rosskeen Gibb, Bernard Lewis, Johannes Hendrik Kramers, Charles Pellat, Joseph Schacht]
खैर, हम वापस भारतवर्ष की ओर लौटते हैं।
कनवर्टेड ईरान और तुर्क मुसलमानों ने ईरान और अफगानिस्तान के मध्य स्थित भारत के खुरासान, जिस पर समानिद क्षत्रियों का शासन था, जो अपने नाम के साथ मनु: शब्द का अवशेष नुह शब्द लगाते थे, जिन्हें मनुस्मृति का संरक्षक क्षत्रिय वंश माना जाता था, उस पर हमला शुरू कर दिया और उन्हें मुसलमान बनने को बाध्य किया। आगे खुरासान में एक मुस्लिम शासक बना अलप्तगीन जिनके पूर्वज समानिद क्षत्रिय थे। उसने सुबुक्तगिन नामक तुर्की को सेनापति बनाया। उसने काबुल के बौद्ध राजा लघमान तुर्क और बामियान के बौद्ध राज्य को मुस्लिम किया। इसी सुबुक्तगीन का नरपिशाच बेटा था शैतान मोहम्मद गजनवी जिसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया था और जिससे लड़ते हुए अफगानिस्तान का हिन्दू शाही वंश खत्म हो गया। फिर हिन्दूशाही वंश का अनंगपाल गांधार छोड़कर लाहौर को अपनी राजधानी बनाकर युद्ध जारी रखा परन्तु गजनवी से पराजित हो गया।
इस्लामिक शैतान मोहम्मद कासिम ने जब सिंध पर हमला किया तो भयानक नरसंहार, बलात्कार, अत्याचार से डरकर बहुत हिन्दू बौद्ध मुसलमान बनने को बाध्य हुए थे। राष्ट्रकूट और गुर्जर सम्राट द्वारा सिंध को मुस्लिम आक्रमणकारियों से मुक्त कराने के बाद जबरन मुसलमान बनाये गये हिन्दू, बौद्ध वापस अपने मूल धर्म में आना चाहते थे परन्तु कुछ मूर्ख हिन्दुओं के कारण यह नहीं हो सका। परिणामतः वे अपने हिन्दू इतिहास को भूलकर नरपिशाच बन गये। यही हाल कश्मीर में जबरन मुसलमान बनाये गये हिन्दुओं, बौद्धों का हुआ। वे बेचारे तो 1930 तक अपना हिन्दू इतिहास नहीं भूले थे पर अब वे पूरी तरह मुसलमान बन गये हैं।
विदेशी मुसलमानों के शिकार भारतवर्ष के उपर्युक्त सभी धर्मान्तरित चाहे वे आज देशी हों या विदेशी इस बचे खुचे हिन्दुस्थान को बाहर और भीतर से हमला कर अपने जैसे मुसलमान बनाने में लगे हैं। अभी ताजा दो घटना उत्तरप्रदेश का है जहाँ शैतान छांगुर अका मोहम्मद जलालुद्दीन का शिकार होकर नेहा और नवीन खुद भी शैतान बन गये और हिन्दू, बौद्ध लड़कियों का शिकार कर उन्हें भी जबरन मुसलमान बनाने लगे।
इसी प्रकार की घटना आगरा में सामने आई जहाँ हिन्दू, बौद्ध लड़कियों को अपने चंगुल में फंसाकर, ब्रेनबाश कर, उनका रेप कर, ब्लैकमेल कर कुछ मुसलमान उन्हें जबरन धर्मान्तरण कराने में लगे थे जिनमें दस को अभीतक गिरफ्तार किया गया है जिनमें छः कनवर्टेड हिन्दू हैं। इससे भी आश्चर्य की बात यह है कि इस पूरे रैकेट का मुख्य सरगना जिस अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया है वो भी कनवर्टेड हैं जिसका नाम महेंद्र पाल था। इनमें से कुछ लड़कियों को तो ब्रेनबाश ऐसा खतरनाक जोम्बीज बना दिया गया है कि वे गैरमुस्लिमों को मारने केलिए आत्मघाती बम बनने को तैयार है। उनका इलाज चल रहा है और अभी तक सुधार के कोई लक्षण नहीं है।
ड्रैकुला का प्राचीन और विस्तृत इतिहास लेख के दुसरे भाग में विस्तार से लिखूंगा। यहाँ संक्षेप में बता दें, भारत में ड्रैकुला का आगमन गोवा में पुर्तगालियों के साथ हुआ जहाँ एक शैतान संत फ्रांसिस जेवियर के नेतृत्व में भयानक अत्याचार, हिंसा, रेप, जिन्दा जलाकर गोवा की लगभग आधी आबादी को जबरन कन्वर्ट कर दिया था। शेष भारत में ड्रैकुला का आगमन अंग्रेजों के साथ हुआ। उसने लोभ, लालच, पद , उपाधि, पैसा, जमीन आदि देकर कुछ भारतियों को इन्फेक्टेड किया और वे इन्फेक्टेड ड्रैकुला आजतक अपने ही भाई, बंधुओं और सहधर्मियों को इन्फेक्टेड कर कन्वर्ट करने में लगे हैं।
इस प्रकार इन्फेक्टेड जोम्बीज खुलकर कर हमारे देश, धर्म और समाज केलिए खतरा बन चुके हैं तो इन्फेक्टेड ड्रैकुला अन्दर ही अन्दर लोगों को इन्फेक्टेड कर अपने हुजूम में शामिल कर देश, धर्म और समाज को खोखला कर रहे हैं।
लेखक: मुकेश कुमार वर्मा, इतिहास का विद्यार्थी और शोधार्थी
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