छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनेता, कम्युनिष्ट बुद्धिजीवी और दोगली मीडिया आजकल चिल्ला रहे हैं कि देश में असहिष्णुता बढ़ी है और यह असहिष्णुता भाजपा और मोदी सरकार के आने से बढ़ी है। मेरा मानना है यह असहिष्णुता में वृद्धि नहीं वरन यह दोगली धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध हिंदुओं में असंतोष की वृद्धि है और इस असंतोष में वृद्धि का कारण वर्षों से सेकुलरिज्म के नाम पर ईसाई-मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं का राजनितिक अवहेलना और शोषण, भारत के गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और धर्म का अपमान, राष्ट्र और धर्म की सुरक्षा से खिलवाड तथा तुष्टिकरण केलिए देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा से समझौता आदि कारणों के विरुद्ध हिंदुओं का उद्वेग, असंतोष, गुस्सा, धैर्य, सहिष्णुता आदि का प्रस्फुटन है।
वास्तव में २०१४ में केंद्र में सत्ता परिवर्तन भी दोगली सेकुलरिज्म से उत्पन्न इसी असंतोष का परिणाम था जो आज खुलकर अभिव्यक्त हो रहा है और मैं दावा करता हूँ यह असंतोष का प्रदर्शन मात्र नहीं बल्कि यह दोगली सेकुलरिज्म के विरुद्ध जनजागृति, राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्र जागरण का शंखनाद है जो सिर्फ इस देश की सत्ता परिवर्तन तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि हिन्दुस्तान की खोई हुई आत्म-गौरव, प्रतिष्ठा, शक्ति, समृद्धि और सुरक्षा के सुफल परिणामों को लाकर ही अब संतुष्ट होगा।
स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अपवाद को छोड़कर मुसलमानों ने पाकिस्तान की लड़ाई लड़ी तो ईसाईयों ने अपने आका के शासन के विरुद्ध तटस्थ रहना ही उचित समझा। धर्म के आधार पर भारत का विभाजन करवाने के बाबजूद मुस्लिम इतिहास की घृणित और नृशंस सच्चाई को दरकिनार कर गैर मुस्लिमों के बजूद को अस्वीकार करनेवाले मुसलमानों का भारत में हिंदुओं की छाती पर मुंग दलने केलिए रहने दिया गया जिसका शिकार हिन्दुस्तान के हिंदू तो बाद में परन्तु पाकिस्तान और बंगलादेश के हिंदू तत्काल हुए और वे अब पाकिस्तान में सिर्फ २% और बंगलादेश में सिर्फ ७% बचे हैं। वे जी नहीं रहे हैं बल्कि अपने मौत का इंतजार कर रहे हैं।
सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुम्बकम की उद्दात विचारधारा वाले हम हिंदू हिन्दुस्तान की इस नियति को भी स्वीकार कर लेते और आज भी स्वीकारने को तैयार हैं परन्तु इसके बाद सेकुलरिज्म के नाम पर तुष्टिकरण का राष्ट्र विरोधी, सनातन धर्म विरोधी, हिंदू विरोधी जो नंगा नाच हुआ और हो रहा है वह न केवल हिंदुओं के अपने ही घर में दुर्दशा केलिए जिम्मेदार है बल्कि यह राष्ट्र केलिए भी बहुत ही खतरनाक हैं।
गतांक से आगे …
१६. जामा मस्जिद का इमाम कई बार देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त पाया गाया और उसने खुद को खुलेआम आई एस आई का एजेंट बताया। अबतक १५० से भी ज्यादा बार उसके गिरफ्तारी का वेलेवल और नॉन वेलेवल वारंट जारी हो चूका है पर हाईकोर्ट के कई बार फटकार के बाबजूद कांग्रेस की सरकार उसे गिरफतार करने की हिम्मत नही जुटा सकी जबकि निर्दोष शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को गिरफ्तार करने में इसने कोई देर नहीं लगायी।
१७. बाबा रामदेव ने जब रामलीला मैदान में कालेधन के विरोध में धरना प्रदर्शन किया तो कांग्रेस की सरकार और दिल्ली पुलिस ने रात्रि में सोते हुए लोगों पर लाठी चार्ज कर उन्हें जबरन भगा दिया जबकि कश्मीर के आतंकवादी सैय्यद अली शाह गिलानी ने देश के अन्य आतंकवादी संगठनो के साथ दिल्ली में सम्मेलन किया, भारत के विरुद्ध नारे लगाये, आतंकवादी संगठनों को भारत सरकार के विरुद्ध एक होने का आवाहन किया, भारतियों के प्यारा तिरंगा को जलाया उस सम्मेलन को कांग्रेसी पुलिस ने संरक्षन प्रदान किया।
१८. क्रूक मीडिया जब गुलबर्ग सोसाइटी दंगे की बात करती थी तो वो यह नही बताती की इस दंगे की शुरुआत कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी ने हिंदुओं पर गोली चलाकर की थी जिसके बाद दंगे भडके थे। ठीक वैसे ही जैसे गुजरात दंगे चिल्लाने वाली क्रूक मीडिया यह नही बताती की गोधरा में कार सेवकों पर पहले तो पत्थर बरसाए गए और जब वे उससे बचने के लिए खिडकी दरवाजे बंद कर लिए तो चारों ओर पेट्रोल छिड़क आग लगा दिया जिसमे ५९ कारसेवक, औरत और बच्चे जल मरे। क्या हिंदुओं के जान की कीमत नही होती?
१९. अयोध्या में तथाकथित मस्जिद टुटा ये विश्व जाना पर कश्मीर में आजादी के बाद २७० मंदिर तोड़ दिया गया; हाल में एक शिव मंदिर जला दिया गया और कुछ दिन बाद दूसरा मंदिर भी तोडा गया पर न तो मीडिया में खबर आई और न ही तथाकथित धर्मनिरपेक्षों के कान पर जूं रेंगा। इससे भी शर्मनाक यह है कि अखिलेश यादव की सरकार में बरेली, मेरठ आदि सहित १०१ जगहों पर दंगे हुए जिसमें हिंदुओं पर अत्याचार हुआ, हिंदुओं को बुरी तरह मारा गया, हिंदू स्त्रियों के साथ खुलेआम बदसलूकी की गयी, हिंदुओं की दुकाने जला दी गयी और लूट ली गयी पर ये घटनाएँ मीडिया में नहीं आ सकी। आया भी तो केवल मुजफ्फरनगर दंगा वो भी हिंदुओं और भाजपा को बदनाम करने केलिए। १९७८ में संभल में हिन्दुओं का नरसंहार अब किसी से छुपा नहीं है जिस पर सेकुलर मौन साधकर बेशर्मी से दबा दिया गया था।
२०. मुंबई में बांग्लादेशी घुसपैठिये के समर्थन में रजा अकादमी के नेतृत्व में संगठित तरीके से दंगे किये गए और उसे पर्याप्त पुलिस सुरक्षा प्रदान की गयी थी, परन्तु जब वे दंगे करने लगे तो यही भारतीय धर्मनिरपेक्ष पुलिस जो शंतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन करनेवाले हिंदुओं पर लाठियां भांजते नही थकती चुपचाप उनसे पिटती रही जिसमे ५० से उपर पुलिसवाले जख्मी हुए और कई तो मर भी गए। क्या उन दंगाइयों को दंगे करवाने की वैध छूट पूर्व प्राप्त थी? अगर नही तो फिर शहीदों का अपमान करनेवाले, पुलिस कर्मियों को मारने, बदसुलूकी करने और जान से मारनेवाले उसके आयोजकों को सजा आजतक क्यों नही हुई? अलबत्ता कांग्रेस की सरकार ने मुंबई दंगे के बाद सिर्फ हिंदुओं के कई वेबसाइट बंद करवा दिए।
२१. पाकिस्तान में हजारों मदरसे इस कारन से बंद कर दिए गए क्योंकि उसमे कट्टरवाद की तथा धर्म के साथ साथ बन्दुक की शिक्षा भी दी जा रही थी, परन्तु भारत में मदरसा को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके दुष्प्रभाव की व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है। मुस्लिमों के पिछडापन और उनमे अराष्ट्रवादी तत्वों के उद्भव का बीज इनमे ढूंढा जा सकता है। अब तो स्पष्ट हो गया है कि मस्जिद/मदरसा आतंकवादियों, जिहादियों, अपराधियों, दंगाईयों, बलात्कारियों को पैदा करने, संरक्षित करने और नकली नोट छापने का अड्डा बन चूका है। शायद इसीलिए मिश्र ने भी आतंकवाद पर अंकुश लगाने केलिए २७००० मस्जिदें बंद करवा दी है।
२२. शिक्षण संस्थानों में सेकुलरिज्म के नाम पर हिंदुओं को धार्मिक शिक्षा देने पर पाबंदी है, किन्तु गैर-हिंदुओं को स्वतंत्रता दी गयी है जिसका दुष्परिणाम एक तो यह हो रहा है की हिंदू अपने सनातन धर्म और संस्कृति से विमुख हो रहे हैं तो वहीँ दूसरी ओर मुस्लिमों और ईसाईयों में धार्मिक कट्टरवादी शिक्षा के कारण कट्टरवाद और अराष्ट्रवाद बढ़ रहा है जिसके कारण देश की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा उत्पन्न हो गया है।
२३. भारत के सभी विशाल मंदिरों का प्रबंधन सरकार द्वारा अपने हाथों में लिया जा चूका है और इन मंदिरों की आय का आधे से अधिक धन ईसाई और मुस्लिम संस्थाओं में बांटा जा रहा है पर गरीब हिन्दू पैसे के आभाव में धर्मान्तरण कर रहे हैं।
२४. सेकुलर राजनितिक पार्टियों के लिए अल्पसंख्यक का अर्थ मुस्लिम और ईसाई होता है और अल्पसंख्यक हित के नाम पर सारे कार्य का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करना होता है। यहाँ तक की इस धुन में देश हित अहित का भी ख्याल रखने की आवश्यकता महसूस नहीं होती है।
२५. समाजवादी पार्टी ने तो हद ही कर दी थी। इसने मुस्लिम वोट बैंक के लिए जेल में बंद सभी मुस्लिम आतंकवादियों की सजा माफ़ कर दिया था। सपा भारत को इस्लामी राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध सिमी पर से प्रतिबंध हटाने की मांग करती आई थी।
२६. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के
- करीब तीस हजार से अधिक इमामों को सम्मान के तौर पर हर महीने २५०० रूपये देने का वादा की
- इमामों को निजी घर बनाने के लिए सरकार की ओर से भूमि देने और भवन निर्माण के लिए आर्थिक सहायता देने का वादा की
- मुस्लिमों के लिए २०००० घर बनाने का वादा की
- मुस्लिमों के रोजगार के लिए रोजगार बैंक स्थापित करने का वादा की
- मुस्लिमों की शिक्षा के लिए मदरसों की स्थापना की घोषणा की
- OBC आरक्षण कोटे में लगभग मुस्लिम जातियों यहाँ तक कि घुसपैठियों को भी भर दिया है
२७. यूपीए की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अफिडेविट देकर बताया की राम का कोई एतिहासिक अस्तित्व नहीं है। इतिहास के किताबों में भी पढाया जा रहा है की राम और कृष्ण काल्पनिक पात्र हैं। राम सेतु तोडने के लिए सरकार बेताब थी परन्तु मेट्रो मार्ग की खुदाई में मस्जिद का अवशेष मिलने पर तत्काल मेट्रो का मार्ग बदल दिया गया और मस्जिद निर्माण के वादों के ढेर लग गए।
२८. भारत की हिंदू विरोधी दोगली कम्युनिष्ट मीडिया जो षड्यंत्र के तहत किसी मुस्लिम को कुछ होता है तो चौबीसों घंटे कई दिन तक रिपोर्टिंग कर हिंदुओं और हिन्दुस्तान के विरुद्ध दुष्प्रचार करती है लेकिन जब मुसलमान रोज हिंदुओं की हत्या कर रहे हैं, रेप कर रहे हैं, देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ देते हैं तो उनपर सेकुलर ख़ामोशी छा जाती है। कुछ समसामयिक उदाहरण:
- एक मुसलमान को रोजे में रोटी खिलाने की कोशिश पर कई दिनों बबाल हुआ परन्तु इसी दौरान मुल्लों ने अमरनाथ यात्रियों पर हमला कर तीर्थयात्रियों को मारा, देवी देवताओं का अपमान किया यहाँ तक की कश्मीर पुलिस भी उन मुसलमानों के सहयोगी बन गयी परन्तु मीडिया और दोगले सेकुलर खामोश रहे।
- एक गोकश अख़लाक़ के मौत पर मीडिया महीनों चीख चिल्ला रही थी, परन्तु इसी बीच मस्जिद के आगे सिर्फ होर्न बजाने पर मुल्लों ने एक हिंदू की हत्या कर दी, सिर्फ शोर न करने के लिए कहने पर दिल्ली में मुल्लों ने एक हिंदू की हत्या कर दी, गौ तस्करों को पकड़ने गए सब इंस्पेक्टर मनोज मिश्रा को मुल्लों ने गोली मारकर हत्या कर दी, एक गौ सेवक प्रशांत पुजारी की हत्या कुछ मुसलमानों ने कर दी, चन्दन, अंकित जैसे दर्जनों निर्दोष हिन्दुओं की हत्या कर दिया परन्तु दोगली मीडिया सिर्फ अख़लाक़ पर छाती पीट रही थी। अभी भी लुटियन मिडिया इसी एजेंडे पर काम कर रही है।
- बंगाल में नन का रेप होने पर बिना किसी जांच पडताल के हिंदुओं को इसके लिए दोषी ठहरा दिया गया और महीनों हिंदुओं को कोसा गया, परन्तु जांच में पता चला के वे सब बंगलादेशी मुसलमान थे। इसी प्रकार नवी मुंबई, कर्नाटक और दिल्ली में चर्च पर हमले हुए और हिंदुओं को महीनों बुरा भला कहा गया परन्तु जांच में पता चला की इन तीनों मामलों में चर्च के ही कर्मचारी और ईसाई इसके लिए जिम्मेदार थे। इसी दौरान कई मंदिरों पर हमले और बम बिस्फोट हुए जिसकी मीडिया ने चर्चा तक नहीं की।
२९. दोगले सेकुलर राजनेता और दोगली कम्युनिष्ट मीडिया की तरह ही दोगले सेकुलर बुद्धिजीवियों ने भी अपने नंगापन का घृणित प्रदर्शन किया है जिसकी जितनी भी निंदा की जाय कम है। सबसे घृणित और खतरनाक बात तो यह है कि एक तरफ जहाँ विश्व के देश और संयुक्त राष्ट्र संघ इस्लामी आतंकवाद से बचने केलिए नित्य नए नए सुरक्षा कानून बना रहे हैं और सख्त कदम उठा रहे हैं, मसलन, अंगोला ने इस्लाम पर ही बैन लगा दिया है, चीन इस्लाम और मुसलमान पर कई तरीके के प्रतिबंध सुरक्षा की दृष्टि से लगाये हैं, फ़्रांस, चीन, आस्ट्रेलिया आदि देशों ने बुर्के में आतंकवादी खतरे की डर से बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। मिश्र ने २७००० मस्जिदों पर ताला लगा दिया है, स्वीडेन ने कई मुस्लिम क्रिया कलापों को प्रतिबंधित किया है आदि वहीँ भारत के सेकुलर राजनेता, मीडिया और बुद्धिजीवी दिन रात मुसलमानों के अंडकोष चाटने में व्यस्त हैं जो देश की एकता अखंडता और सुरक्षा केलिए खतरनाक है।
३०. अब मस्जिद निर्माण के ढांचे बदल गए हैं। मस्जिद के साथ तहखाने भी बन रहे हैं और वहाँ धडल्ले से हथियार जमा हो रहे हैं। जुम्मे के नमाज के बाद मस्जिदों में बेख़ौफ़ पर्चे बांटे जा रहे थे, पता नहीं अब भी हो, जिसमें लिखा होता था, “हमें हिंदुस्तान की हुकूमत फिर से चाहिए-काफ़िर मर्दों की लाशों के बिस्तर पर, उनकी औरतों के साथ… सब पार्टियां और इनके काफ़िर नेता हमारे इशारे पर नाचते हैं। असम और कश्मीर पर तो मुसलमानों का कब्जा हो चूका है,सारे बुतखाने तोड़ दिए गए है और काफिरों को दहशत फैलाकर भगाया जा रहा है। हमारी पूरी हुकूमत तो तब मानी जायेगी जब पूरा हिंदुस्तान इस्लाम के झंडे के निचे होगा। इसलिए हर मुसलान का फर्ज है की वे खाना जंगी के लिए तैयार रहें… कुरान की २४ आयतें रोज पढ़ें और उसी के मुताबिक काफिरों के मारने, जलाने और धोखे से पकड़ने का काम सरंजाम दें। उनको लूटें और उनके औरतों को भगाकर शादी करें। पूरा जोर तब लगाएं जब खाना जंगी के लिए आईएसआई और सिमी हुकुम दें।”
३१. इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेन्स स्टडीज एंड एनलिसिस की लगभग दस वर्ष पहले आई एक रपट के अनुसार दिल्ली में १५ लाख से भी ज्यादा बंगलादेशी घुसपैठिये मौजूद थे जिनमे से दस लाख तो यहाँ की नागरिकता लेकर बकायदा सरकारी मेहमान की तरह रह रहे थे। ख़ुफ़िया रपटों के अनुसार पाकिस्तान की आईएसआई और बंगलादेश में सक्रिय आतंकी संगठन हरकत उल जिहाद ऐ इस्लामी के साथ इनके नियमित तार जुड़े हुए थे। इन्होने शाहीनबाग और दिल्ली दंगे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाधूर्त केजरीवाल की कृपा से तो अब इनकी संख्यां करोड़ों में भी हो गई हो सकती है।
३२. धर्मनिरपेक्ष भारत में बंगलादेशी घुसपैठिओं को नागरिकता देने की होड़ है। अब तो म्यांमार से भी रोहिंग्या मुस्लिम आ रहे है और उन्हें भारत की नागरिकता दिया जा रहा है। वहीँ पाकिस्तान में संगठित तरीके से हत्या और बलात्कार झेल रहे कुछ सौ हिंदू भारत की नागरिक नही शरणार्थी बनकर रहने देने के लिए गिडगिडाते रहे पर UPA सरकार ने उन्हें जबरन पाकिस्तान मरने और लूटने के लिए भेज दिया।
देश के धर्मनिरपेक्ष गृहमंत्री बेशर्मी से कहते थे कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की जाँच होगी। इस देश की सरकार के आलावा विश्व के सभी देश की सरकार और मीडिया को पाकिस्तान में हो रहे हिंदुओं और सिक्खों पर अत्याचार की जानकारी है, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और सरकार इस पर नाराजगी भी जता चुकी है पर हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्ष सरकार के मुख से नित्य हिंसा और बलात्कार के शिकार हो रहे हिंदुओं के लिए दो शब्द भी नहीं निकले। वहीँ दूसरी ओर पोर्न स्टार सनी लियोन को सिर्फ दो दिन में नागरिकता दे दी गयी पर भारत की जनता की अपनी आयुर्वेदिक जानकारी से वर्षों से निश्वार्थ सेवा कर रहे आचार्य बालकृष्ण को नेपाली नागरिक बताकर अकारण जेल में ठूंस दिया।
३३. सच्चर कमिटी का वकवास जो सचाई से परे और झूठ का पुलिंदा है। यह राष्ट्रिय सर्वेक्षण संसथान के आंकडो से एकदम अलग और मनगढंत है और व्यावहारिक स्तर पर भी कही नहीं ठहरता। गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र-प्रदेश आदि में रहने वाले लोग इसकी वास्तविकता का अनुमान आसानी से लगा सकते है। यह मुस्लिम तुष्टिकरण और मुस्लिम वोट बैंक के लिए कांग्रेसी आकाओं की आकांक्षाओं के अनुसार बनाया गया फर्जी रिपोर्ट है।
मै दावे के साथ कह सकता हूँ भारत में सांप्रदायिक सौहार्द, एकता और अखंडता को वास्तविक खतरा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों से है। छद्म धर्मनिरपेक्षवादी आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक हैं। इन छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों ने भारतीय इतिहास को विकृत कर हमारे गौरवशाली अतीत, हमारी सभ्यता और संस्कृति, हमारे परम वैभवशाली पूर्वज आदि की अवहेलना कर हमारे गौरव और हमारे पुरुषार्थ को अपमानित किया है। धूर्त मियां जवाहर लाल नेहरु के समय से ही एसी मानसिकता बना दी गयी है कि मुस्लिमों के बुरे से बुरे कार्यों का यदि विरोध किया जाता है तो उसे हिंदू बनाम मुस्लिम का सांप्रदायिक रंग देकर विरोध की धार कुंठित कर मुस्लिमों की उच्छृंखलता बढ़ाई जाती रही है।
“मुस्लिम लीग के जिन नेताओं ने बंटवारे का समर्थन किया वे विभाजन के बाद पाकिस्तान नही गए। वे रातोरात कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी बदलने से उनकी मानसिकता नही बदली। वही विभाजनकारी मानसिकता धर्मनिरपेक्षता के नाम पर पोषित हो रही है। वास्तविकता तो यह है कि भारत के रक्तरंजित बंटवारे का समर्थन करनेवाली मानसिकता ही आज धर्मनिरपेक्षता का दूसरा नाम है। (साभार: दैनिक जागरण)”
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