लेख दो भागों में प्रस्तुत करेंगे। पहले भाग में घुसपैठ पर चर्चा करेंगे और दुसरे भाग में घुसपैठियों के कारण भारत की अखंडता, सुरक्षा और हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) के भविष्य पर संकट, घुसपैठियों का राजनितिक और चुनावी प्रभाव; घुसपैठियों के कारण जनांकिकीय दबाब और डेमोग्रेफिक बदलाव; आतंकी, जिहादी, आपराधिक, रेप, रेप-मर्डर में इनकी भागीदारी; घुसपैठियों का गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और अन्य आर्थिक दुष्प्रभाव का विश्लेषण करेंगे।
भाग-1 अवैध घुसपैठ
एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग 7-10 करोड़ अवैध बंगलादेशी मुस्लिम और रोहिंग्या रह रहे हैं और उनमें लगभग 60 से 70 प्रतिशत पश्चिम बंगाल से घुसे हैं। भारत बांग्लादेश का बॉर्डर ऐसा था कि कोई भी घुसपैठिया जब मन हो उधर से इधर और इधर से उधर जा सकता था। उनके पास भारत और बांग्लादेश दोनों के वोटरकार्ड होते थे और जहाँ भी जरूरत पड़ती थी वे जाकर या आकर वोट दे देते थे। वामपंथी तो भारत बांग्लादेश की सीमाओं को मानते ही नहीं थे; ये बात और है कि जिस तरह वे बंगलादेशी घुसपैठियों का भारत में स्वागत करते थे उनकी कभी हिम्मत नहीं होती थी कि वे उसी तरह कभी बांग्लादेश में घुस कर अपने पुश्तैनी गाँव घूम आयें।
कुछ वामपंथियों को मैंने BSF जवानों के साथ बांग्लादेश की सीमा में पैर रखकर अपने मातृभूमि, जहाँ से उन्हें मार पीटकर भगाया गया या फिर मुसलमानों के डर से दुम दबाकर भारत आये, सीना फुलाकर और ललचाई नज़रों से बांग्लादेश को देखते देखता पर उनकी हिम्मत नहीं होती की दो चार कदम भीतर जाकर घूम आयें। अभी भी भारत बांग्लादेश के सीमा पर बाड़ लगाने का काम शायद पूरा नहीं हुआ है क्योंकि कुछ वर्ष पहले ही मैंने देखा था कि बंगाल सरकार BSF/CPWD से करोड़ों रूपये जमीन का वसूलने के बाद भी बाड़ लगाने केलिए जमीन नहीं दे रही थी।
हालाँकि अब सीमाएं उतनी असुरक्षित नहीं रही है पर घुसपैठ आसान नहीं रह गया हो ऐसा कहना मुश्किल है। जब म्यांमार में रोहिंग्या आतंकियों, जिन्होंने बौद्धों के साथ साथ रखाईन प्रान्त के लगभग सौ हिन्दू परिवारों को भी जिन्दा जमीन में दफ़न कर और जलाकर मार दिया और उनकी स्त्रियों को अपने कब्जे में ले लिया था, को भगाया जा रहा था तब बंगाल के सियालदह और हावड़ा स्टेशनों पर मैंने खुद नित्य सैकड़ों रोहिंग्या घुसपैठियों को, जिन्हें उनके शक्ल से ही पहचाना जा सकता है, बेरोक टोक बंगाल से भारत के विभिन्न हिस्सों में जाते देखते थे। उन्हें रोकना तो छोड़िये, कोई टोकने वाला भी नहीं था।
मैं कुछ दिन तो आश्चर्य, गुस्सा और बेबसी से बहुत देर तक उनको आते देखता रहता फिर आदत पड़ गई। अब किधर से और कैसे घुसपैठ कर रहे थे ये कहना तो मुश्किल है पर बोर्डर से घुसपैठ के अतिरिक्त हाल ही में सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसे मुस्लिम भी पकड़े गये हैं जो सीमा पर अपने घर के शयनकक्ष से सीमा पार तक सुरंग बनाये हुए थे और उसके माध्यम से स्मगलिंग के साथ साथ मानव तस्करी भी करते थे। ऐसे कितने होंगे कहना मुश्किल है। बोर्डर पर BSF घुसपैठियों को पकड़ता है तो उन्हें बंगाल पुलिस के हवाले कर देता है। अब बंगाल पुलिस से जाकर यदि पूछा जाये की आप हर वर्ष पकड़े गये सैकड़ों बंगलादेशी घुसपैठियों को बंदी बनाकर अभी तक रखे हुए हैं या उन्हें बांग्लादेश वापस भेज दिए हैं या उन्हें आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनाकर शासन का वोट बैंक बना दिए हैं तो शायद तीसरे प्रश्न का उत्तर ही पोजिटिव होगा।
आधार कार्ड से मुझे याद आ रहा है जब मैं आधार कार्ड बनबाने बंगाल सरकार के कार्यालय में गया तो काफी भीड़ थी। मैंने पता किया तो कर्मचारी ने बताया कि आपको सुबह नौ बजे से पहले आकर लाईन लगना है। प्रथम 20 या शायद 30 को ही फॉर्म मिलेगा और एक एककर भरा जायेगा। फिर छः महीने के भीतर बायोमीट्रिक केलिए बुलाया जायेगा। और सबसे बड़ी बात आधार कार्ड बनबाने केलिए बंगाल का वोटर कार्ड होना जरुरी है। मेरे मुंह से उनकी बात सुन कुछ ‘आशीर्वचन’ निकलने ही वाले थे पर मेरे पास बंगाल का वोटर कार्ड तो है नहीं इसलिए बहस नहीं किया और बिहार आया तो सबकुछ सिर्फ दस-पनद्रह मिनट में हो गया और पन्द्रह दिन में आधार कार्ड भी बन गया।
लेकिन उसी बंगाल में जैसा की आप वीडियो में देखे भी होंगे, यदि बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठिया या रोहिंग्या हो तो कुछ ही दिनों में फर्जी आधार कार्ड, वोटर कार्ड बन जाता है और वे सिर्फ बंगाल में ही नहीं पूरे भारत में सीना फुलाकर घूमते फिरते हैं। यदि वे बंगाल में ही रह गये तो फिर कुछ महीनों या वर्षों में ही ओरिजिनल आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि बन जाता है और वे वैध वोट बैंक बन जाते हैं।
दुसरे देशों में होता है कि अमूमन घुसपैठ के दौरान ही घुसपैठियों को मार दिया जाता है या किसी प्रकार घुसपैठ करने में सफल भी हो जाते हैं तो उसे शासन प्रशासन और वहां के नागरिकों से बचने की बड़ी समस्या होती है पर बंगाल में इसके उलट है। एकबार आप BSF एरिया से भीतर बंगाल में घुस गये तो आप सीना फुलाकर बंगाल पुलिस और पब्लिक के आँखों में आँखें डालकर जहाँ घूमना हो, जो भी करना हो कर सकते हैं, कोई बोलने या टोकने वाला नहीं है।
अब सवाल है क्या म्यांमार से आनेवाले रोहिंग्या या बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को ये सब पता होता है कि कहां आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनाना है; कैसे बनाना है; किससे मिलकर बनाना है; उसे कहां बसना है; हिमाचल के कानूनों के कारण वहां बसना मुश्किल है पर उत्तराखंड में बसना आसान है और झारखण्ड में तो किसी आदिवासी को बहला फुसलाकर निकाह कर लिए तो बीबी के साथ मुफ्त की जमीन भी मिल जाएगी क्योंकि आदिवासियों में जमीन का उत्तराधिकारी बेटी होती है बेटा नहीं; फिर बसने के बाद क्या क्या कांड करना है आदि?
ये सब वे नहीं जानते हैं। उन्हें घुसपैठ कर सिर्फ किसी भी नजदीकी मस्जिद तक पहुंचना होता है बाकी सभी काम भारत के मुसलमान कर देते हैं और करा देते हैं क्योंकि सभी मस्जिदें एक चेन सिस्टम से जुड़ी होती है जो नगर और राज्य के शाही मस्जिद / जामा मस्जिद से जुड़ा होता है जिसका मुख्यालय दिल्ली का जामा मस्जिद है। ये सारे निर्णय शाही मस्जिदों और जामा मस्जिदों में लिया जाता है और इस्लामिक रणनीति के तहत उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया जाता है और लोकल मस्जिदें उनके निर्णय के अनुसार घुसपैठियों की मदद करते और बसाते हैं।
इस तरह घुसपैठियों के कारण भारत की अखंडता, सुरक्षा और हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) के भविष्य पर गहरा संकट खड़ा हो गया है। घुसपैठियों ने वोट बैंक बनकर भारतीय राजनिति और चुनाव को भी प्रभावित कर दिया है। घुसपैठियों के कारण हिन्दू विरोधी हिन्दुस्थान विरोधी वोट की संख्यां तीव्र गति से बढ़ रही है और स्वार्थी राजनीतिज्ञों में उनकी पैठ और पहुँच भी। घुसपैठियों के कारण जनांकिकीय दबाब और डेमोग्रेफिक बदलाव हो रहे हैं जिसके कारण हिन्दू परेशान होकर अपना घर बार छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं और इन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करनेवाले नेताओं की भीड़ विधानसभाओं और लोकसभा में बढ़ रही है जो देश केलिए खतरनाक है।
आतंकी, जिहादी, आपराधिक, रेप, गैंगरेप, रेप-मर्डर में इनकी भागीदारी तेजी से बढ़ती जा रही है। दस करोड़ घुसपैठियों के कारण भारतीय संसाधनों पर दबाब बढ़ रहा है, हम भारतियों का रोजगार छिन रहा है, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई बढ़ रही है और देश की अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इन सभी का आकंड़ों के साथ तार्किक विश्लेषण लेख के अगले भाग में करेंगे।