पूरे विश्व में शिया और सुन्नी मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन होते हैं। फिर सोचिए हिन्दुस्थान में शिया और सुन्नी मुसलमान आपस में क्यों नहीं लड़ते हैं? आइये पाकिस्तान चलकर समझने की कोशिस करते हैं।
सैय्यद अहमद खान, मुस्लिम लीग और जिन्ना के द्विराष्ट्र के सिद्धांत और फिर मुसलमानों द्वारा परतंत्र भारत में हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) के विरुद्ध सतत नरसंहार, हिंसा, दंगा, बलात्कार के परिणामस्वरूप जब धर्म के आधार पर भारत का विभाजन कर हिन्दुस्थान और पाकिस्तान का निर्माण हुआ तो सबसे जरुरी काम जो पाकिस्तानी मुसलमानों को लगा वो था काफिरों के विरुद्ध जिहाद। फिर उन्होंने एकजुट होकर हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) का बिना किसी जाति, पंथ के भेदभाव के नरसंहार, बलात्कार प्रारम्भ कर दिया और उनके स्त्रियों को चाहे वे सवर्ण हों, दलित हो, अगड़े या पिछड़े हों, वैश्य या शुद्र हों, क्षत्रिय या ब्राह्मण सबको नग्न कर एक झुण्ड में परेड निकाला जाने लगा। ऐसा वर्षों तक चला और फिर हिन्दु (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) लगभग खत्म हो गये और जो बच गये उन्हें केवल मुसलमानों की चाकरी करने हेतु K#त्तों से भी बदतर जिन्दगी जीने केलिए छोड़ दिया।
लेकिन फिर समस्या खड़ी हो गई कि जिहाद का क्या होगा? तब सभी मुसलमानों ने निर्णय लिया की भारत से जो मुसलमान आकर बस गये हैं जिन्हें वे मुहाजिर कहते हैं वे सच्चे मुसलमान नहीं हैं इसलिए वे काफ़िर हैं और उनके विरुद्ध जिहाद होना चाहिए। फिर सभी मुसलमानों ने मिलकर मुहाजिरों का भी वही दुर्गति किया जो हिन्दुओं का किया था। लेकिन समस्या फिर सामने थी, अब कौन? तब सभी मुसलमानों ने अहमदिया को काफ़िर घोषित किया और उनके विरुद्ध जिहाद कर उनका भी वही दुर्गति किया। आज की तारीख में पाकिस्तान के सभी मुसलमान चाहे वे सुन्नी हों, देवबंदी हों, बरेलवी हों, बहाबी हों या जो भी, वे शिया मुसलमानों को काफ़िर कहकर खत्म करने में लगे हैं और आये दिन उनके मस्जिदों में बम फोड़कर उनकी हत्या करते रहते हैं।
अब भारत पर आता हूँ। भारत में उनकी संख्या हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) के विरुद्ध जिहाद का एलान जिसे ‘गजवा ए हिन्द’ कहा जाता है और जो सैकड़ों वर्षों से लगभग पूरे विश्व के मुसलमानों का दिली ख्वाहिश है, उसके लिए उनके पास अभी पर्याप्त संख्या बल नहीं है पर वे इसके लिए हर संभव प्रयास में लगे हैं चाहे जनसँख्या जिहाद हो, लवजिहाद हो या अवैध घुसपैठ हो। अपनी संख्याबल बढ़ाने के अतिरिक्त वे बहुसंख्यक हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) के विरुद्ध रणनीतिक कोशिस में भी लगे हैं। इसके लिए वे अपने हिन्दू नामधारी नाजायज औलादों के कन्धों पर बन्दूक रखकर भारत के दो सबसे मजबूत स्तम्भ क्षत्रिय और ब्राह्मणों के विरुद्ध 20% (क्षत्रिय और ब्राह्मण) वेर्सेज 80% (SC, ST, OBC) का अभियान चला रखे हैं जिसका उद्देश्य 80% हिन्दुओं को क्षत्रियों और ब्राह्मणों के विरुद्ध भड़काकर हिन्दुओं को कमजोर करना है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतवर्ष के क्षत्रियों ने इस्लामिक आक्रमणकारियों के विरुद्ध पूरी शक्ति से संघर्ष किया और इन लड़ाईयों में उन्होंने अपना तन, मन, धन सब बलिदान कर दिया। और ब्राह्मणों ने कभी पुष्यमित्र शुंग और दाहिर की तरह शासक बनकर तो कभी चाणक्य की तरह रणनीतिकार बनकर विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया और भारतवर्ष और भारतियों की रक्षा की। हमारे राष्ट्र, धर्म और समाज पर जब जब संकट आया क्षत्रियों ने अपनी छाती आगे कर दी और ब्राह्मणों ने समाज का नेतृत्व किया और संकट मुक्त किया। आज हम यदि खुद को हिन्दू (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन), दलित सवर्ण, अगड़ी पिछड़ी या जो भी हो यदि गर्व से कह पा रहे हैं तो इनमें इन दोनों वर्णों का पूर्ण योगदान और समर्पण है।
अरबी आक्रमणकारियों को जहाँ दुसरे राज्यों को जीतने में दिन और महीने लगे वहीँ क्षत्रिय और ब्राह्मण शासित राज्यों को जीतने में दशकों, शताब्दियों लगा, उनकी पीढियां लड़ते लड़ते खत्म हो जाती थी, लाखों मुसलमानों को अपना जान गंवाना पड़ता था। यही कारण है कि शैतान सेंट जेवियर अफ़सोस करता है कि यदि भारत में ब्राह्मण नहीं होता तो हम सभी को ईसाई बना चुके होते; टीपू शैतान ब्राह्मणों को टारगेट करता था और ब्राह्मणों को गाँव के गाँव खत्म कर देता था, मोहम्मद सिकंदर जम्मू-कश्मीर में ब्राह्मणों की चोटी बांधकर नदियों में फिकवाकर लाखों ब्राह्मणों का कत्ल करता था। यही कारण है कि आज जिहादी हों या ईसाई मिशनरी क्षत्रिय और ब्राह्मण उनके मुख्य टारगेट पर हैं।
हालाँकि अब तो पिछले सौ वर्षों से, विशेषकर जबसे अंग्रेजों और उनके भारतीय एजेंटों ने हिन्दुओं में जातिवाद और दलित-सवर्ण का जहर घोला है तबसे, क्षत्रिय न तो दिखाई देते हैं और न ही सुनाई देते हैं। कभी सुनाई भी पड़ता है तो वो सिर्फ जातीय दंभ के रूप में। ब्राह्मण भी अब गिने चुने बचे हैं। बची खुची कसर जातिवादी संविधान ने पूरी कर दी है। यही कारण है कि हिन्दू समाज तेजी से पतन की ओर बढ़ रहा है। जब समाज को सही मार्ग दिखाने वाले ब्राह्मण (विद्वान) ही न रहे तो समाज का पतन अवश्यम्भावी है। समस्या तब और भी गंभीर हो जाती है जब जिनके कन्धों पर राष्ट्र, धर्म और समाज को सही मार्गदर्शन का भार होता है वही भारत विरोधी मैकाले शिक्षापद्धति से कुशिक्षित होकर अपने ही राष्ट्र, धर्म, महान संस्कृति और समाज के विरुद्ध आत्मघाती बम बनकर फूटने लगते हैं।
सवाल है फिर भी जिहादियों, मिशनरियों और उनके नाजायज औलाद भिमटों और वामपंथियों के निशाने पर क्षत्रिय और ब्राह्मण क्यों होते हैं? जबाब है वे ऐसा रणनीति के तहत करते हैं ताकि हिन्दू आपस में लड़कर कमजोर हों। क्षत्रियों और ब्राह्मणों को जर्जर कर वे SC/ST को OBC के विरुद्ध लड़ायेंगे। OBC वर्ग के हिन्दुओं के कमजोर होते ही वे छुट्टा शेर हो जायेंगे। तब उन्हें किसी के कंधे की जरूरत नहीं पड़ेगी और SC/ST और ईसाईयों को एक साथ निबटा कर भारत को काफ़िर मुक्त कर देंगे जैसे पाकिस्तान, कश्मीर और बांग्लादेश में किये (HRC के अनुसार बांग्लादेश को अगले 20 वर्षों में वे काफ़िर मुक्त कर देंगे)।
उनकी आपस की मारकाट उसके बाद प्रारम्भ होगी। पाकिस्तान में तो 8-10 फिरके ही थे, भारत में तो मुसलमानों के सभी 82 फिरके पाए जाते हैं और ये आपस में एक दुसरे को पसंद नहीं करते, उन्हें अपने मस्जिदों में घुसने नहीं देते हैं। इनकी मारकाट तो अव्वल दर्जे की होगी परन्तु उसे देखने केलिए न हम होंगे न हमारे हिन्दू वंशज!
यह चिंता की बात है और इस पर सभी हिन्दुओं (हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन) को गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है।