मैमूना बेगम उर्फ़ इंदिरा गाँधी और फिरोज खान उर्फ़ फिरोज गाँधी
गतांक से आगे…
६. जिन्ना और मुस्लिम लीग ने १९४६ में जब हिंदुओं के विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्यवाही की घोषण की और हिंदुओं की हत्या, लूट और हिंदू स्त्रियों के बलात्कार होने लगे उस समय नेहरु भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री थे, पर उन्होंने इसे रोकने का कोई प्रयत्न नही किया. परन्तु बिहार में जैसे ही कोलकाता में मारे गए लोगों के परिजनों ने इसके विरोध में प्रतिक्रिया व्यक्त की इन्होने तत्काल सेना भेजकर उन्हें गोलियों से भुनवा दिया और उन्हें मरवाने के बाद उसने कहा अब दिल को तसल्ली मिली है. क्यों जनाब, जिहादियों को काफिरों की हत्या, बलात्कार करने से रोकना गुनाह था क्या?
७. शेख अब्दुल्ला १९३१ से ही घाटी में उत्पात मचा रहा था, महाराजा हरिसिंह के विरुद्ध आन्दोलन चला रहा था और हिंदुओं का खुले आम कत्ल और लूटमार कर रहा था, पर जब महाराजा ने शेखअब्दुल्ला को नजरबंद कर शांति स्थापना का प्रयास किया तो नेहरु शेख अब्दुल्ला के समर्थन में कश्मीर में दंगे फ़ैलाने पहुँच गए. नेहरु ने शेख अब्दुल्ला को शेर-ए-कश्मीर एवं लोगो का प्रिय हीरो बताते हुए अपने भाषण में कहा, “यह बड़े दुःख की बात है कि कश्मीर प्रशासन अपने ही आदमियों का खून बहा रही है. मैं कहूँगा की उसका यह कृत्य प्रशासन को कलंकित कर रही है और अब यह ज्यादा दिन तक नही टिक सकती. मै कहता हूँ कि कश्मीर की जनता को अब और अपनी आजादी पर हमला एक पल भी बर्दाश्त नही करना चाहिए. यदि हम अपने शासक पर काबू पाना चाहते है तो हमे पूरी शक्ति के साथ उसका विरोध करना चाहिए. (Sardar Patel’s Correspondence- by Durga Das)
८. नेहरु ने ७२% मुस्लिम आबादी वाले जम्मू कश्मीर के राजा हरिसिंह को जबरन कश्मीर से निकालकर कश्मीर भारत विरोधी शेखाब्दुल्ला को दे दिया. पर उसने ८५% हिन्दू आबादी वाले हैदराबाद के निजाम से यथास्थिति बनाये रखने का समझौता कर लिया क्योंकि निजाम भारत में नहीं पाकिस्तान के साथ मिलना चाहता था जिसका लाभ उठाकर जिहादी और गद्दार निजाम भारत और भारतियों का खजाना पाकिस्तान भेज रहा था. इतना ही नहीं, नेहरु के संरक्षण के कारण ही वह हैदराबाद में मुस्लिम जनसंख्या के पक्ष में संतुलन बनाने केलिए हिन्दुओं का कत्लेआम, बलात्कार और उनपर अत्याचार भी करवा रहा था जिसके कारण सरदार पटेल को नेहरु की अनुपस्थिति में सैनिक कार्यवाही कर हैदराबाद को भारत में मिलाना पड़ा. कहा जाता है कि नेहरु हैदराबाद को भारत में मिला लेने की खबर सुनकर गुस्से से फोन पटककर तोड़ दिया था.
९. जब महाराज हरिसिंह ने जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया तो नेहरु ने उसे अस्थायी घोषित कर प्लेबीसाईट के माध्यम से अंतिम निर्णय की घोषणा की. जम्मू-कश्मीर के सर्वेक्षण करनेवाले शिवन लाल सक्सेना ने अपने रिपोर्ट में बताया की ‘७८% मुस्लिम आबादी वाला जम्मू-कश्मीर में प्लेबीसाईट का परिणाम भारत के पक्ष में होने की उम्मीद करना महा पागलपन है’. पर नेहरु ने उनकी बातों पर ध्यान नही दिया. इतना ही नही शेख अब्दुल्ला के साथ मिलकर गुपचुप धारा ३७० तैयार कर लिया और संसद में दबाव डालकर पास भी करवा लिया जो आजतक भारत की गले की हड्डी बन गयी. कश्मीरी आतंकवाद और भारत में मुस्लिम आतंकवाद की जड़ नेहरु की यही तुष्टिकरण नीति थी.
१०. जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया तो जब हमारी सेना जीत के करीब पहुँच गयी थी तब नेहरु ने अकारण एक तरफा युद्ध विराम की घोषणा कर दी जिसके कारण आज भी जम्मू-कश्मीर का बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के पास है. कुछ आलोचकों का तो यहाँ तक कहना है कि पंजाबी, पहाड़ी और गुर्जर बहुल पाक अधिकृत कश्मीर को जवाहर लाल नेहरु ने कश्मीर में शेख अब्दुल्ला के एकछत्र सत्ता की सुरक्षा केलिए पाकिस्तान को देने की रणनीति अपनाई थी क्योंकि वे लोग भारत और भारतीयता से ज्यादा निकट थे जो भारत विरोधी शेखाब्दुल्ला केलिए संकट बन सकते थे. अगर नेहरु हिन्दू होता तो ये सब भारत विरोधी कुकृत्य कर भारत को कमजोर नहीं करता.
जवाहरलाल नेहरु ने भारत का एक हिस्सा PoK पाकिस्तान को दे दिया, अक्साई हिन्द चीन को दे दिया, तिब्बत भी चीन को दे दिया, नेपाल और बलूचिस्तान भारत में मिलना चाहते थे पर उसने मना कर दिया, भारत को संयुक्तराष्ट्र संघ में मिले स्थायी सीट को भी चीन को दे दिया, भारत का मस्तक कश्मीर हिन्दू राजा से छिनकर एक भारत विरोधी, देशद्रोही शेखाब्दुल्ला को दे दिया. कोई भी हिन्दू, भले ही कितना बड़ा अपराधी हो, वह भारत विरोधी कुकृत्य नहीं कर सकता है.
११. जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया और हमारी सेना उससे लोहा ले रही थी उस समय पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपया देने में गाँधी के साथ इनका भी हाथ था.
१२. नेहरु को राष्ट्रवाद से घृणा था. वह उसे ‘बू’ कहते थे पर वास्तविकता यह थी कि उसकी नजर में राष्ट्रवाद का मतलब हिंदू राष्ट्रवाद से था और वे तो हिंदुओं से घृणा करते थे. हिंदू और हिंदुत्व की बात करनेवाले उनके नजर में देशद्रोही था(भारत गाँधी नेहरु की छाया में- लेखक गुरु दत्त).
१३. जब धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ तो कायदे से इस्लाम के सभी अनुयायी को पाकिस्तान और बंगलादेश में चले जाना चाहिए था और भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म, परम्परा के समर्थकों को भारत आ जाना चाहिए था परन्तु गाँधी और नेहरु के कारण यह नही हो सका जिसका परिणाम यह हुआ की नेहरु गाँधी के छलावे में फंसकर बंगलादेश और पाकिस्तान में रह जानेवाले लाखों करोड़ों हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिक्ख कत्ल कर दिए गये और आज महज कुछ हजारों में सिमट गए है. वे से भी बदतर जिंदगी जीने को बाध्य है; लूट, हिंसा, बलात्कार और धर्मान्तरण के शिकार हो रहे है और अपना अस्तित्व बचाने के लिए भारत से शरण की मांग कर रहे है. इतना ही नही, इनके इस कुकृत्य के कारण भारत फिर से इस्लामिक आतंक, जिहाद और दंगे से उसी तरह घिरता जा रहा है जैसे आजादी के पहले था.
१४. नेहरु खुद को नास्तिक कहते थे. पर वास्तविकता यह है कि वे राजनितिक कारणों से खुद को मुस्लिम या इस्लाम समर्थक नही कह पाते थे और इसीलिए वे नास्तिकता का चोला ओढ़े रहते थे और इस नास्तिकता की आड़ में हिंदुओं और हिंदू धर्म के विरुद्ध अपने मुस्लिम संस्कार, विचार और कार्यों को संरक्षण दे रहे थे. सरदार पटेल की पुत्री मणिबेन ने अपनी आत्मकथा “मणिबेन की डायरी” में घनश्याम दास बिरला से अपनी बातचीत का कुछ हिस्सा लिखा है:
घनश्याम दास बिरला ने मणिबेन से कहा था कि यदि जवाहर लाल नेहरु महात्मा गाँधी के सम्पर्क में नही आते तो वे इस्लाम स्वीकार कर लेते..”
मेरा मानना है कि इस जानकारी का वास्तविक अर्थ यह है कि वे नास्तिक का मुखौटा लगाकर हिन्दू विरोधी कुकर्म करने की जगह खुद को मुस्लिम घोषित कर देते.
१५. नेहरु ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण को संगठित रूप दिया जिसका दुष्परिणाम पूरा देश भुगत रहा है.
१६. जैसे राजीव खान गाँधी ने इंदिरा गाँधी की हत्या पर ३००० हजार निर्दोष सिक्खों को मरवा दिया उसी प्रकार नेहरु ने भी गाँधी वध के बाद देशभक्ति और बहादुरी के लिए विख्यात ७००० निर्दोष चितपावन ब्राह्मणों की हत्या करवा दी.
१७. नेहरु ने सोमनाथ मन्दिर बनबाने का भी विरोध किया था. इतना ही नहीं उसने अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद ही बना रहे इसके लिए पूरा कोशिश किया था पर श्रीराम भक्तों के प्रयास वह सफल नहीं हो सका.
१८. नेहरु अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मुस्लिम शब्द का विरोध नहीं किया पर वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दू शब्द का कड़ा विरोध किया था.
१९. पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने अपनी किताब “मेरा जीवन वृतांत” में पृष्ठ संख्या ४५६ पर लिखा है “पता नही क्यों नेहरु को हिन्दू धर्म के प्रति एक पूर्वाग्रह था”
२०. नेहरु ने हिन्दुओ को जनसांखिकीय और राजनीतिक रूप से कमजोर बनाने केलिए हिन्दू कोड बिल लाने की कोशिस की तो सरदार पटेल ने नेहरु को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि मेरे जीते जी आपने हिन्दू कोड बिल के बारे में सोचा तो मै कांग्रेस से इस्तीफा दे दूंगा और इस बिल के खिलाफ सड़को पर हिन्दुओ को लेकर उतर जाऊँगा. पटेल की धमकी से नेहरु डर गया था. फिर वह सरदार पटेल के देहांत के बाद ही हिन्दू विरोधी हिन्दू कोड बिल संसद में पास करा सका.
इस बिल पर चर्चा के दौरान आचार्य जेबी कृपलानी ने नेहरु को कौमवादी और मुस्लिम परस्त बताते हुए कहा था कि “आप हिन्दुओ को धोखा देने के लिए ही जनेऊ पहनते हो वरना आपमें हिन्दुओ वाली कोई बात नही है. यदि आप सच में धर्म निरपेक्ष होते तो हिन्दू कोड बिल के बजाय सभी धर्मो के लिए कामन कोड बिल लाते.”
२१. इतना ही नहीं नेहरु ने इसी प्रकार भारत की महान सभ्यता, संस्कृति, धर्म, परम्परा और हिन्दू विरोधी, भारत विरोधी झूठ और मक्कारी से भरा फर्जी इतिहास लिखा या लिखवाया जिसका नाम दिया डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया. नेहरु का भारत के इतिहास के नाम पर लिखा गया यही झूठ, मक्कारी और गंदगी वामपंथी इतिहासकारों केलिए मानक किताब बन गया और वे अपनी पूरी जिन्दगी नेहरु के इसी झूठ और मक्कारी को सच साबित करने में लग गये.
२२. किसी भी सभ्यता संकृति और धर्म को नष्ट करना हो तो सबसे पहले वहाँ की शिक्षा व्यवस्था को विकृत कर देना चाहिए ये नेहरु ने अंग्रेजों से अच्छी तरह सीख लिया था. इसीलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद उसने ८% आबादी वाले भारत पर आक्रमणकारी जमात के अबुल कलाम आजाद को ९०% हिन्दू, बौद्ध, सिक्ख, जैन मूल निवासियों पर शिक्षा मंत्री बनाकर थोप दिया और उन्हें अपने इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु लगा दिया. परिणामतः हिंदुओं के गौरवशाली इतिहास को विकृत और घृणित रूप में पेश किया गया और आक्रमणकारी मुस्लिमों का महिमा मंडन किया गया जिसे पढकर हिन्दुओं में हीन भावना उत्पन्न होती है और यही उसका उद्देश्य भी था.
विश्व में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जहाँ की इतिहास में आक्रमणकारियों को हीरो और अपने देश और समाज, अपनी सभ्यता और संस्कृति, धर्म और मर्यादा की रक्षा हेतू लड़नेवाले वीरों को विलेन के रूप में पेश किया गया है. कांग्रेस-वामपंथी इतिहासकार हमे यह पढ़ने और मानने के लिए विवश करते है कि आक्रमणकारी मुस्लिमों के भारत आने के पहले भारत की आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, प्रशासनिक स्थिति बहुत ही खराब थी और उसमे व्यापक सुधार और विकास मुस्लिमों के आगमन पश्चात ही हुआ है जबकि सच्चाई ठीक इसके विपरीत है.
धूर्त नेहरु ने वामपंथियों से मिलकर केवल भारत के पराजय का इतिहास लिखवाया; ऐसे सैकड़ों युद्धों और योद्धाओं को इतिहास की किताब से बाहर कर दिया जिन्होंने अरबों तुर्कों को खत्म कर दिया था या जिन्होंने अरबों तुर्कों को मार मारकर भारतवर्ष की सीमा से बाहर कर दिया था या जिन्होंने अपना साम्राज्य अरब तक विस्तृत कर लिया था. ऐसा जघन्य हिन्दू विरोधी, भारत विरोधी कोई जिहादी ही हो सकता है हिन्दू कभी नहीं.
२३. कहा गया है जो समाज या राष्ट्र अपना इतिहास भूल जाता है वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो भटक जाता है और खत्म हो जाता है. इतिहास भविष्य का दर्पण होता है. इनका समुचित विश्लेषण कर ही राष्ट्रनीति, कूटनीति, युद्धनीति, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ बनती है. उपर्युक्त नीतियों की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस राज्य या राष्ट्र के इतिहास का किस हद तक समुचित विश्लेषण किया गया है. इसलिए यह जरूरी था कि भारतवर्ष के सत्य इतिहास का लेखन होता ताकि बचा खुचा भारत पुनर्संगठित और एकजुट हो एक शक्तिशाली देश बनता. पर दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ.
अंग्रेजों ने अपने साम्राज्यवादी हितों के लिए भारतवर्ष के इतिहास को तोड़मरोड़ कर उसे झूठ का पुलिंदा बना दिया उस पर कांग्रेस के पांच मुस्लिम शिक्षा मंत्रियों ने अपने जिहादी उद्देश्यों की पूर्ति केलिए भारत विरोधी वामपंथी इतिहासकारों के साथ मिलकर भारत का फर्जी इतिहास इस प्रकार लिखाया और पढ़ाया है कि भारतीय एकजुट होने की जगह बिखरते चले जा रहे हैं. हिन्दू अपने महान सभ्यता, संस्कृति और धर्म पर गर्व करने और अपने पूर्वजों की तरह शक्तिशाली, राष्ट्रभक्त योद्धा बनने की जगह मुर्ख सेकुलर, वामपंथी बन रहे हैं.
आज हिन्दू सेकुलर, कांग्रेसी, वामपंथी, अम्बेडकरवादी, जिहादी, मिशनरी, नक्सली आदि बनकर बचे खुचे भारत का जो विनाश करने में लगे हैं उसका कारण ७० वर्षों से पढ़ाया जा रहा नेहरुवादियों-जिहादियों-वामपंथियों द्वारा लिखा भारतवर्ष का फर्जी और विकृत इतिहास है. परिणामतः भारतीय अपने इतिहास से विमुख हो किंकर्तव्यविमूढ़ हो चुके हैं. षड्यंत्रकारी इतिहास का पठन पाठन ने भारत की वर्तमान सामाजिक, धार्मिक स्थिति मध्यकालीन सामाजिक धार्मिक स्थिति से भी ज्यादा बुरा बना दिया है. अगर भारतियों को उनका सत्य इतिहास नहीं बताया गया तो २२ वीं शताब्दी तक भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म, हिन्दू, हिंदुत्व, हिन्दुस्थान जैसे शब्द इतिहास के अंधेरों में वैसे ही दफन हो जायेंगे जैसे अरब से पाकिस्तान तक लुप्त हो चुके है. और इन सबके लिए जिम्मेदार मौलाना नेहरु का भारत विरोधी, हिन्दू विरोधी मानसिकता और कुकर्म ही है.
२४. इंदिरा गाँधी के जीवन और कार्य भी इस ओर संकेत करता है कि वह मौलाना नेहरु की बेटी थी न कि पंडित नेहरु की:
मैमूना बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी फिरोज खान वल्द जहाँगीर नवाब खान से निकाह की थी. जहाँगीर नबाब खान मुसलमान था. उसकी पारसी पत्नी मुस्लिम धर्म अपनाकर ही जहाँगीर नबाब खान से निकाह की थी.
मैमूना बेगम उर्फ इंदिरा गाँधी के दोनों पुत्र राजीव गाँधी और संजय गाँधी के पिता मुस्लिम ही थे (नेहरु राजवंश, लेखक के. एन राव). संजय गाँधी का आवश्यक मुस्लिम संस्कार भी हुआ था. (यूनुस खान की पुस्तक “व्यक्ति जुनून और राजनीति”)
फिरोज खान का मकबरा इस बात का प्रमाण है कि इंदिरा गाँधी अपने मुस्लिम संस्कारों को नही त्यागी थी.
१९७१ की लड़ाई में ९२ हजार से उपर पाकिस्तानी सैनिक बंदी बनाये गए थे जिसे इंदिरा गाँधी ने बिना शर्त छोड़ दिया. वे चाहते तो इसके बदले पाक अधिकृत कश्मीर वापस ले सकती थी. कुछ नही तो बदले में पाकिस्तान द्वारा बंदी बनाये गए भारतीय सैनिकों को तो रिहा करवा ही सकती थी पर उन्होंने ऐसा कुछ नही किया. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये सब करने की जगह इंदिरा गाँधी ने तो उलटे जुल्फिकार अली भुट्टो को पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान में मिला लेने का प्रस्ताव दिया था.
जनसंख्या नियंत्रण की नीति के तहत इसके द्वारा चलाये गए नशबंदी अभियान के बारे में तत्कालीन इतिहासकार लिखते है, “हिंदुओं को उनके घरों, दुकानों यहाँ तक की मंदिरों से भी खिंच खिंच कर नशबंदी किया जाने लगा, परन्तु इस सरकार की कभी हिम्मत नही हुई की वे एक मस्जिद से किसी मुसलमान को खिंच ले या एक ईसाई को किसी गिरजाघर से खिंच लें.” उसने हिन्दुओं की जनसंख्या कम करने हेतु जबरन ६२ लाख हिन्दुओं की नशबंदी करवा दी. इस घटना का जिक्र होने पर बचपन में मेरी बुआ बताई थी कि इंदिरा गाँधी हिंदू और मुसलमान की जनसंख्या बराबर करना चाहती थी.
इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान में बाबर के मजार पर सिजदा करने गयी थी. नटवर सिंह ने अपनी किताब Profiles and Letters में लिखा है, “कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं था. अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही. अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी. यह एक सुनसान जगह थी. वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके खड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे. जब इंदिरा ने प्रार्थना समाप्त कर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली “आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया”.
अरब के प्रिंस ने इंदिरा गाँधी को मक्का आने का निमंत्रण दिया था जहाँ गैर मुस्लिमों को जाना वर्जित है.
इंदिरा कहती थी मैं हिंदू से विवाह नहीं करुँगी. मुझे हिंदुओं से बेहद घृणा है: ओ एम् मुथैया
इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी के दौरान संविधान को खत्म करने और मुस्लिमों की तरह तानाशाह शासक बनने की कोशिश. उसने संविधान में असंवैधानिक पंथनिरपेक्ष शब्द घुसाकर हिन्दुस्थान पर जबरन सेकुलरिज्म थोप दिया.
१९६७ में गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग कर रहे साधू संतों पर गोलियां चलवाकर २५००-३००० साधू संतों की हत्या करवाने जैसे जिहादी कुकृत्य की.
इंदिरा गाँधी ने भी नेहरु की तरह ही इतिहास को और भी अधिक विकृत करने केलिए आक्रमणकारी जमात के नुरुल हसन को शिक्षा राज्य मंत्री बनाया और भारत के इतिहास का जिहादीकरण कर भारतीय शिक्षण संस्थानों को भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म और हिन्दू विरोधी तथा मुस्लिम परस्त वामपंथियों के हवाले कर दिया
२५. नेहरु खुद तो यह स्वीकार करते ही थे कि उनके संस्कार मुस्लिम के है, उपर्युक्त तथ्यों और उनके कार्यों के आधार पर मेरा मानना है कि वे अपने विचार और कार्य से भी मुस्लिम ही थे. उनके साथ जुड़ा हिंदू शब्द उनके लिए कष्टकारी था जिसकी अभिव्यक्ति वे यदा कदा और हिंदू होने को महज एक दुर्घटना कहकर व्यक्त करते थे. उनका नास्तिक होना ठीक वैसे ही था जैसे आज रोमन कैथोलिक ईसाई सोनिया और उसकी संताने जनता को धोखा देने के लिए हर जगह अपना धर्म ‘Religious Humanity’ लिखते है.
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