Sun God
नवीनतम शोध, पौराणिक काल

प्राचीनकाल में पूरे यूरेशिया में सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाया जाता था

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ईसाई और इस्लाम पंथों के प्रसार से पूर्व न सिर्फ भारतवर्ष में बल्कि पूरे यूरेशिया के विभिन्न देशों, विभिन्न सभ्यताओं, विभिन्न कालखंडों में सूर्य पूजा और सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाने का एक लम्बा इतिहास मिलता है. यूरेशिया के विभिन्न देशों/सभ्यताओं में सूर्य देवता को विभिन्न नामों से जाना जाता था जिसकी सूचि नीचे है: सूर्य देवता के विभिन्न नाम- देश/सभ्यता का नाम अमित्रसू-जापान Hepa, Arrena, Istanu-Hittite (सीरिया)        अपोलो-ग्रीस और रोम                                          Helios (Helius)-Greece Usil, Helios-Etruscan                                             Gaulish-Celtic                                                          Mithra-Iranian/Persian                                                       Re (Ra), Aten, Horus-Egypt Hors-Slavic Sol (Sunna)-Norse Sól, Sunna, Sunne-German Sulis-British                                                                              Shamash-Mesopotamia Shpash-Canaanite Koyash-Turki Etain-Irish Xu Kai-Chin भारत में ईसाईयों की…

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christmas-santa-claus
पौराणिक काल

Christmas ईसापूर्व यूरोप के सूर्य उत्तरायण का पर्व है

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मैं नहीं, खुद कट्टर ईसाई लोग ऐसा कहते हैं और Christmas मनाने का विरोध करते हैं. भारत में ईसाईयों की सबसे बड़ी संस्था मुम्बई में है. मुम्बई के कट्टर ईसाईयों द्वारा लिखी गयी पुस्तक The Plain Truth, Worldwide Church of God P.O. Box 6727, Mumbai द्वारा प्रकाशित की गयी है. उसमें लिखा है: “चाहे सही हो या गलत आम लोग अनुकरणप्रिय होते हैं. जैसे भेड़ दूसरों के पीछे चुपचाप कत्लखाने में भी प्रविष्ट हो जाती है. किन्तु सुविचारी लोगों को निजी कृत्य की जाँच करते रहना चाहिए. कई लोग Christmas की विविध प्रकार से सराहना करते रहते हैं किन्तु Christmas…

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etruscan painting
पौराणिक काल

इटली की Etruscan सभ्यता वैदिक सभ्यता थी

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इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक कहते हैं यूरोप की मूल अनादि संस्कृति वैदिक थी और ग्रीस तथा रोम उस परम्परा के गढ़ थे. यहाँ भी चतुर्वर्ण व्यवस्था थी. रोमन साम्राज्य वस्तुतः रामन सम्राज्य था और रोम वास्तव में राम का ही इतालवी उच्चार है जिसकी स्थापना ईसापूर्व ७५३ ईस्वीपूर्व में Etruscan लोगों ने की थी. वे लिखते हैं कि रोम नगर के राम नगर होने के एक प्रमाण यह भी है कि रोम नगर के सामने  दूसरी ओर रावण (Revenna) नगर बसा है. इतिहासकार एडवर्ड पोकोक  ने भी अपने ग्रन्थ के पृष्ठ १७२ पर लिखा है, “Behold the memory of …Ravan…

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celtic druid
पौराणिक काल

यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-२

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गतांक से आगे… यूरोप के ड्रुइडस और सेल्टिक अथवा केल्टिक सभ्यता के वैदिक संस्कृति से सम्बन्धित होने के कई अन्य ग्रन्थों से भी प्रमाण मिलते हैं. किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को प्राप्त व्यक्ति को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा जाता था. मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी शुद्र ही होते हैं अतः किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मणपद पर पहुंच सकता था यदि वह १.निष्पाप शुद्ध आचरण वाला जीवन यापन करता है २.अध्ययन त्याग और निष्ठा से करे ३.स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ४.उसका दैनन्दिनी कार्यक्रम आदर्श हो. अतः मनुमहराज कहते हैं, इस…

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vedic india
नवीनतम शोध, पौराणिक काल

क्या यहूदी द्वारिका से पश्चिम की ओर गये यदुवंशी हैं

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भारतवर्ष से यहूदियों के प्रस्थान मार्ग यह शोध यहूदी “धर्म” के सम्बन्ध में नहीं बल्कि यहूदी लोगों के “मूल” और भारतियों के पश्चिम की ओर प्रव्रजन से सम्बन्धित है. आर्यों के आक्रमण/माईग्रेशन का सिद्धांत १९७० के दशक में झूठ और ब्रिटिश साम्राज्यवादी षड्यंत्र साबित होने के बाद आज ऐतिहासिक शोधों से साबित हो चूका है कि मेसोपोटामिया, सुमेर, बाल्टिक, ग्रीस तथा यूरोप के Druids, Celts, इटली के Etruscan आदि सभ्यताओं के जनक भारतीय लोग ही थे. यहूदी भी उन्हीं में से एक हैं जिसे इस लेख में १५ मानकों पर भारतीय मूल का साबित किया गया है. यह केवल इत्तेफाक…

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दलित
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-१

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सच्चाई जानकर आप दंग रह जायेंगे. लेखक दावा करता है कि अगर यह लेख दलित जातियों के घर घर पहुँच गयी तो दलित राजनीती और दलितवादियों कि दुकाने बंद हो जाएगी! कुछ प्रश्न मेरे दिमाग में हमेशा दो प्रश्न उठता रहता था. पहला प्रश्न था “अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया था क्या वे सभी सचमुच दलित थे?” और दूसरा प्रश्न था “आखिर हिन्दुओं में इतनी दलित जातियां आई कहाँ से” जबकि हिन्दू संस्कृति तो वैदिक संस्कृति पर आधारित चतुर्वर्ण व्यवस्था थी जिसमे जन्म से सभी शुद्र और कर्म के आधार पर ही अन्य…

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गौ माता
प्राचीन भारत

क्या वैदिक लोग गौ मांस खाते थे?

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जो हिन्दू है वो गौ को माता मानते थे, मानते हैं और मानते रहेंगे विश्व का एकमात्र बदनसीब देश भारत है जहाँ पढाया जानेवाला भारत का इतिहास उन लोगों के द्वारा लिखा गया है जो मानसिक रूप में अंग्रेजों के गुलाम, अपने ही देश की सभ्यता, संस्कृति और धर्म के कट्टर विरोधी तथा आक्रमणकारियों के कट्टर पक्षपाती हैं जो भारत पर आक्रमण करने वाले आक्रमणकारीयों को तो हीरो की तरह पेश करते हैं जबकि उन धर्मान्ध, हिंसक नराधमों से अपने मातृभूमि, धर्म और जनता की रक्षा के लिए लडने वाले आक्रमित हिंदू वीरों को ही शत्रु के रूप में प्रदर्शित…

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aryans
पौराणिक काल, प्राचीन भारत

वैदिक आर्य बाहर से भारत नहीं आये बल्कि भारत से बाहर विभिन्न क्षेत्रों में गये थे!

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इस तस्वीर को ध्यान से देखिए. आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत वस्तुतः आउट ऑफ़ इंडिया सिद्धांत ही है. पूरा विश्व अब मानने लगा है कि विश्व की प्राचीन सभ्यता वास्तव में भारत से ही पूरी दुनिया में फैली. पर दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के कांग्रेसी सरकार और वामपंथी इतिहासकार भारत में सत्य के विपरीत ठीक उल्टा सिद्धांत बना रखें हैं. जब भारत की सरकार और शिक्षा तन्त्र ही झूठ का लबादा ओढ़ रखा हो तो फिर दुसरे देश क्या करें? इसलिए इतिहास के अन्वेषक पूरे विश्व के विद्वान किंकर्तव्यविमूढ़ हो आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत की ओर देखते हैं…

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आर्य जन
प्राचीन भारत

आर्य जन आक्रमणकारी थे या आक्रमित?

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वैदिक ऋषि गण यह सिद्ध करने के बाद की आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत महज साम्राज्यवादी षड्यंत्र था आज हम इस प्रश्न पर विचार करेंगे की क्या हम भारतीयों के पूर्वज आर्य जन सचमुच असभ्य, बर्बर, खानाबदोश, हिंसक, लूटेरा और आक्रमणकारी थे? आज हम धूर्त नेहरूवादी वामपंथी इतिहासकारों के एक और झूठ का पर्दाफाश करेंगे. क्या असुर, दानव, दैत्य, राक्षस बेचारे लोग थे? कभी आपने पढ़ा या सुना है की देवताओं ने असुर लोक/दानव लोक पर आक्रमण कर दिया और उसपर अधिकार कर लिया? अलवत्ता आप हर जगह यही पढते और सुनते हैं की असुरों/दानवों ने देव लोक पर आक्रमण…

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आर्य
प्राचीन भारत

भारत पर आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत ब्रिटिश साम्राज्यवादी षड्यंत्र था

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आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत भारत में ब्रिटिश शासन का एक साम्राज्यवादी षड्यंत्र था. “आर्य जाति” का अविष्कार १८५० के दशक में एक फ्रेंच जोसेफ आर्थर डे ने किया था जिसे भारत में ज्यों का त्यों अंग्रेज सैनिक कनिंघम ने अपना लिया जो भारतीय पुरातत्व विभाग का प्रथम अध्यक्ष था. उसके पहले भारतवर्ष के इतिहास, पुराण और वेदों में कहीं भी आर्य जाति का कोई उल्लेख नहीं है क्योंकि आर्य “जाति” जैसा कोई चीज था ही नहीं. आर्य शब्द वास्तव में जाति सूचक नहीं “श्रेष्ठता” सूचक था “सम्मान” सूचक था और भारतवर्ष के लोग सम्मान देने के लिए आर्य शब्द…

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