हिन्दू बौद्ध
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-१

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इतिहास भविष्य का दर्पण होता है क्योंकि इतिहास की हमारी समझ ही किसी राष्ट्र और समाज का भविष्य निर्धारण करता है. इतिहास हमारे अच्छे-बुरे, सही-गलत, सफल-असफल कार्यों और उसके परिणामों का लेखा जोखा होता है. इनका समुचित विश्लेषण कर ही राष्ट्रनीति, कूटनीति, युद्धनीति, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ बनती है. उपर्युक्त नीतियों की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस राज्य या राष्ट्र के इतिहास का किस हद तक समुचित विश्लेषण किया गया है. इसलिए यह जरूरी है कि हमलोग भारतवर्ष के इतिहास काल में घटित उन गलतियों का सही सही विश्लेषण करें जिसके कारण एक समय अरब…

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पौराणिक काल

यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-२

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गतांक से आगे… यूरोप के ड्रुइडस और सेल्टिक अथवा केल्टिक सभ्यता के वैदिक संस्कृति से सम्बन्धित होने के कई अन्य ग्रन्थों से भी प्रमाण मिलते हैं. किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को प्राप्त व्यक्ति को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा जाता था. मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी शुद्र ही होते हैं अतः किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मणपद पर पहुंच सकता था यदि वह १.निष्पाप शुद्ध आचरण वाला जीवन यापन करता है २.अध्ययन त्याग और निष्ठा से करे ३.स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ४.उसका दैनन्दिनी कार्यक्रम आदर्श हो. अतः मनुमहराज कहते हैं, इस…

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पौराणिक काल

यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-१

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रोमन शासक कांस्टेंटाईन के ३१२ ईस्वी में ईसाई धर्म अपनाने और यूरोप में उसके द्वारा ईसायत के प्रसार से पूर्व यूरोप में वैदिक संस्कृति होने के प्रमाण मिलते हैं. इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि यूरोप के ड्रुइडस भारतीय ब्राह्मण थे और उनके मार्गदर्शन में विकसित केल्टिक या सेल्टिक संस्कृति स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक संस्कृति ही थी. यूरोपीय इतिहासकार इन्हें भारोपीय (Indo-European) भाषा बोलने वाले भारोपीय लोग कहते हैं जो कहीं से आकर यूरोप में बस गये थे. यूरोप में ईसापूर्व की संस्कृति का नेतृत्व और अधीक्षण, निरीक्षण, शिक्षण, व्यवस्थापन आदि कार्य ड्रुइडस के हाथों में था.…

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आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

अशोक और अकबर महान, चन्द्रगुप्त मौर्य और विक्रमादित्य क्यों नहीं?

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महान कौन? भारतवर्ष के ऐतिहासिक काल (जिसका लिखित और पुरातात्विक साक्ष्य दोनों उपलब्ध हो) में ही दर्जनों ऐसे पराक्रमी, महापराक्रमी और महान राजा, सम्राट भरे हुए हैं जो अशोक मौर्य से लाख गुना बेहतर थे और बेहतर हुए. पूरे भारतवर्ष को फिर से एकसूत्र में बांधनेवाला अपने दादा चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने ही अशोक मौर्य कहीं नहीं ठहरता है, सम्राट विक्रमादित्य की तो वह परछाई भी नहीं छू सका. इन दोनों की महानता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग आधे दर्जन परवर्ती राजाओं ने चन्द्रगुप्त की उपाधि धारण की थी और दर्जनों राजाओं ने विक्रमादित्य…

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गौरवशाली भारत, प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

प्राचीन भारत के १५ विश्वविद्यालय जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था

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भारतवर्ष के विश्वविद्यालय भारत के इतिहास्यकार और तथाकथित बुद्धिजीवी हमें समझाते हैं कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुमलोग शूद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. क्या सचमुच ऐसा था? आइये पता करते हैं. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे और चन्द्रगुप्त मौर्य भी वहीँ का विद्यार्थी था. पर उपर्युक्त लोग तो चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय नहीं मानते हैं? नालंदा और बिक्रमशिला विश्वविद्यालयों में भी पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. क्या वे क्षत्रिय…

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hindu architecture
गौरवशाली भारत, प्राचीन भारत

वैदिक स्थापत्य ही पूरे विश्व के स्थापत्य कला की जननी है

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वैदिक स्थापत्य कला विश्व में स्थापत्यकला के दर्जनों प्राचीन ग्रन्थ हैं और वे ग्रन्थ सिर्फ संस्कृत में हैं, इसलिए वे वैदिक सभ्यता के धरोहर है. वैदिक स्थापत्य यानि वास्तुकला और नगर-रचना की पूरी विधि मूल तत्व आदि विवरण जिन संस्कृत ग्रंथों में मिलता है उन्हें अगम साहित्य कहा जाता है. ये ग्रन्थ बहुत प्राचीन हैं. मानसार शिल्पशास्त्र के रचयिता महर्षि मानसार के अनुसार ब्रह्मा जी ने नगर-निर्माण और भवन-रचना विद्याओं में चार विद्वानों को प्रशिक्षण दिया. उनके नाम हैं-विश्वकर्मा, मय, तवस्तर और मनु. शिल्पज्ञान (Engineering) की सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है भृगु शिल्पसन्हिता. किले, महल, स्तम्भ, भवन, प्रासाद, पूल, मन्दिर,…

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ऐतिहासिक कहानियाँ, प्राचीन भारत

भारतवर्ष के नव निर्माता महापराक्रमी पुष्यमित्र शुंग

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महापराक्रमी पुष्यमित्र शुंग जबतक सम्राट अशोक अपने गुरु चाणक्य की नीतियों पर चलता हुआ खड्गहस्त रहा, मौर्य साम्राज्य फलता फूलता रहा और फैलकर पश्चिम में ईरान तो पूर्व में म्यानमार की सीमा को छूने लगा. यह उत्तर में अफगानिस्तान, कश्मीर को सम्मिलित करते हुए दक्षिण में तमिलनाडू और केरल की सीमा तक पहुँच गया था, परन्तु, शस्त्र त्यागकर भेड़ी घोष (युद्ध विजय) के स्थान पर धम्म घोष की नीति अपनाते ही चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य के खून पसीने से निर्मित विशाल मौर्य साम्राज्य देखते ही देखते भड़भडाकर गिरने लगा. कहा जाता है उसने अपने सैनिकों को भी निशस्त्र कर बौद्ध…

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Bakhtiyar Khilji
ऐतिहासिक कहानियाँ, मध्यकालीन भारत

बिहार, बंगाल का विनाशक बख्तियार खिलजी को असम के वीरों ने दौड़ा दौड़ा कर मारा

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बख्तियार खिलजी मोहम्मद बख्तियार खिलजी गर्मसिर प्रान्त के गोर स्थान का जन्मजात लूटेरा था. अपनी लूटेरी प्रवृति के कारन वह लूटेरों के सरदार मोहम्मद गोरी के दल में शामिल हो गया और लूटपाट में अधिक से अधिक हिस्सेदारी पाने और बड़े ओहदे केलिए मोहम्मद गोरी के काम पिपासा शांत करने हेतु औरतों की दलाली करने लगा. वह हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों को लूटने, कत्ल करने के साथ साथ उनकी स्त्रियों, बहनों और बेटियों को सेक्स गुलाम बनाकर बेचने का धंधा भी करने लगा. शैतान बख्तियार खिलजी की पैशाचिक प्रतिभा को देखते हुए मुहम्मद गोरी के अवध का सिपहसालार मलिक हिसामुद्दीन ने…

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kashmir
आधुनिक भारत

भारत के लिए कितना खतरनाक था धारा-३७० और ३५-A भाग-१

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जम्मू कश्मीर कितने आश्चर्य की बात है की देश के किसी भी भाग में बसने की हमारी संवैधानिक स्वतंत्रता जम्मू-कश्मीर की सीमा के पास जाकर घुटने टेक देती थी. वर्षों से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए जान की बाजी लगाकर डटे रहनेवाले भारतीय सैनिक जम्मू-कश्मीर में दो गज जमीन पाने के हकदार नही थे. वहाँ की नागरिकता पृथक मानी जाती थी. करोडो भारतियों का गौरव भारतीय सम्विधान जम्मू-कश्मीर में कुछ लाख लोंगो के बीच गौरवहीन हो जाता था क्योंकि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग सम्विधान था. यहाँ तक की भारतियों की आँखों का तारा तिरंगा झंडा, जिसके लिए हजारों लोगों ने…

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अम्बेडकर
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर न दलित थे न अछूत, वे क्षत्रिय थे

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बाबा साहेब आम्बेडकर मैं पिछले दिनों शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और वे क्षत्रियों, ब्राह्मणों के द्वारा ५००० वर्षों से शोषित, पीड़ित नहीं बल्कि उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार…

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