काला पहाड़
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

कालाचंद राय उर्फ़ काला पहाड़

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नव धर्मान्तरित ज्यादा खतरनाक होते हैं भाग-2:   कालाचंद राय उर्फ़ काला पहाड़ (कारण, नव धर्मान्तरित को साबित करना होता है कि 1. जिस नाले में उसने डुबकी लगाई है वह पवित्र गंगाजल से बेहतर है और 2. उसे नाले में रहने केलिए अनुकूलित होना पड़ता है।) बंगाल के इतिहास में काला पहाड़ का नाम एक अत्याचारी के नाम से स्मरण किया जाता है। काला पहाड़ का असली नाम कालाचंद राय था। कालाचंद राय एक बंगाली वैष्णव ब्राहण नयनचंद राय का पुत्र था। पूर्वी बंगाल के उस वक्‍त के कर्रानी वंश के सुल्तान की बेटी गुलनाज को उससे प्‍यार हो…

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मुर्शिद कुली खान
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

सूर्य नारायण मिश्रा उर्फ़ मुर्शिद कुली खान

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नव धर्मान्तरित ज्यादा खतरनाक होते हैं भाग-1:   सूर्य नारायण मिश्रा उर्फ़ मुर्शिद कुली खान (कारण, नव धर्मान्तरित को साबित करना होता है कि 1. जिस नाले में उसने डुबकी लगाई है वह पवित्र गंगाजल से बेहतर है और 2. उसे नाले में रहने केलिए अनुकूलित होना पड़ता है।) डेक्कन सी में एक कुलीन ब्राह्मण परिवार जो भिक्षा मांगकर अपना गुजरा करते थे इस्लामिक अत्याचार और हिंसा से त्रस्त हिन्दुओं के बीच पेट भरने भर की भिक्षा जुटाने में भी असमर्थ हो गये। ऊपर से मुगलिया कर चुकाने का दबाब। मजबूर होकर उन्होंने अपने एक दस वर्षीय बेटे सूर्य नारायण…

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संभल-हरिहर-मंदिर
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

संभल के हरिहर मंदिर, अब जामी मस्जिद, का इतिहास

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भगवान कल्कि को समर्पित श्री हरिहर मंदिर के बारे में माना जाता है कि इसका निर्माण सृष्टि के आरंभ में भगवान विश्वकर्मा ने किया था। हिन्दू धर्मशास्त्रों में इस मंदिर का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की एकता का प्रतीक बताया गया है। हिन्दू ग्रंथों में लिखा है, ““यथा शिवस्तथा विष्णु, यथा विष्णुस्तथा शिवः” जिसका अर्थ है ‘जैसे शिव हैं, वैसे ही विष्णु हैं; जैसे विष्णु हैं, वैसे ही शिव हैं।’ संभल महात्म्य में जामा मस्जिद को तीर्थों का केंद्र बिंदु दर्शाया है संभल नगर धार्मिक नजरिये से भी ऐतिहासिक है। संभल महात्म्य पुस्तक…

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King-David-of-Israel
नवीनतम शोध, पौराणिक काल, प्राचीन भारत

रामायणकालीन पेलेस्टाइन का इतिहास

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पेलेस्टाइन का उपर्युक्त मानचित्र इजरायल के तीसरे यहूदी राजा डेविड (970-1000 BC) का है. बाईबल में इसका उल्लेख इजरायल के प्रथम और महान राजा के रूप में हुआ है. कुरान में इसका उल्लेख इजरायल के महान राजा और प्रोफेट के रूप में हुआ है जिसने युद्ध में फिलिस्तीनी राक्षस का वध किया था. राजा सुलेमान इसी का बेटा और उत्तराधिकारी था. ईसा मसीह का जन्म इसी राजकुल में हुआ था. राजा डेविड ने यहूदियों के 12 जत्थों को एकजुट कर पेलेस्टाइन में एक महान साम्राज्य का निर्माण किया था जिसे इजरायल कहा गया. इस साम्राज्य का विस्तार दक्षिण में मिस्र…

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पेरियार
आधुनिक भारत

उत्तर भारतियों का दुश्मन, देश का गद्दार ई वी रामास्वामी पेरियार!

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1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दू और मुसलमानों ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लडाई लड़ी थी जिससे भयभीत होकर अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो, राज करो की नीति का सूत्रपात किया. इसके तहत उसने सबसे पहले हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने केलिए सैय्यद अहमद खां को मुहरा बनाया जो मुसलमानों को हिन्दुओं का विरोध और ब्रिटिश सरकार का समर्थन करने केलिए उकसाने लगा. अंग्रेजों ने अहमद खान को सफल बनाने केलिए भारत में जितने भी प्राचीन हिन्दू इमारतें जो मुसलमानों के कब्जे में थी परन्तु ब्रिटिश सर्वेक्षण में वे हिन्दू इमारतें सिद्ध हुई थी…

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hindu-India
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु से नहीं इंदु से?

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साम्राज्यवादी एवं वामपंथी इतिहासकारों के अनुसार हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु से हुई है और उसी से हिन्द और हिंदुस्तान बना है. और ऐसा इसलिए की फारस/पर्शिया/ईरान के लोग स का उच्चारण ह करते थे. इसमें ईरानी का ईक प्रत्यय लगाने से हिन्दीक शब्द बना जिसका अर्थ ‘हिन्द का’ है. यूनानी इंदिका या यूरोपियन इंडिया आदि इसी हिन्दीक शब्द से ही बने हैं. परन्तु साम्राज्यवादी इतिहास भारत की गौरवशाली प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, परम्परा और इतिहास की अवहेलना तथा ईसाई मत, कि सृष्टि का निर्माण सिर्फ ४००४ ईस्वी पूर्व हुआ था, जैसे दोषों से युक्त होने के कारण विश्वसनीय नहीं है.…

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hoon-हूण
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

मध्य एशिया से भारत आनेवाले श्वेत हूण हिन्दू थे

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पिछले विभिन्न लेखों में साबित कर दिया गया है कि मध्य एशिया के शक/सीथियन, कुषाण/ऋषिक/यूची, तुषार/तोख़ार/यूची, कम्बोज/कुषाण, तुर्क, उइगर आदि बौद्ध बनने और परवर्ती काल में जबरन मुसलमान बनाये जाने से पहले स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक धर्म, संस्कृति को ही मानने वाले थे. बाद में ईरानी ह्खामनी सम्राटों के विजय और सत्ता के दौरान कुछ लोग जोराष्ट्र धर्म (पारसी) को मानने लगे. सिकन्दर के विजय और शासन में कुछ ग्रीक धर्म संस्कृति का प्रभाव पड़ा. अशोक का साम्राज्य जब मध्य एशिया तक विस्तृत हो गया तब बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार मध्य एशिया में भी हुआ और बहुत से…

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gauravshali-bharat-12
गौरवशाली भारत

गौरवशाली भारत 12

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276.      इतिहासकार पी एन ओक के दिए आंकड़े के अनुसार यहूदी लोगों का ईसवी सन २०१९-२० में ५७८० वा वर्ष चल रहा है. उनके संवत को Passover वर्ष कहते हैं. Passover का अर्थ है देश छोड़कर निकल जाना. अर्थात उन्हें द्वारिका राज्य छोड़े और कृष्ण से बिछड़े हुए ५७८० वर्ष हो गये. वे जब द्वारिका से बिछड़े तब से उन्होंने निजी सम्वत गणना आरम्भ की. अतः महाभारतीय युद्ध हुए लगभग ५७८१ वर्ष होना चाहिए. 277.      महान ज्योतिषाचार्य और गणितज्ञ पंडित आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३६ ईसवी पूर्व (एहोल अभिलेख के अनुसार ३१३७ ईसवी पूर्व) में हुआ था और भगवान…

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gauravshali-bharat
गौरवशाली भारत

गौरवशाली भारत-11

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251.      होलैंड देश के लोग जो डच (Dutch) कहलाते हैं वे भी वैदिक दैत्य वंश के ही हैं. जैसे प्राचीन नगर ब्रिह्दादित्य का नाम अब बहराईच है यानि आदित्य अब इच शब्द बन गया है-पी एन ओक इसी तरह जर्मन Duetsch, Diot, Diota आदि दैत्य शब्द के ही अपभ्रंश हैं. 252.      जर्मन मैक्स मुलर ने ऋग्वेद का अनुवाद अंग्रेजी में किया है जिसमे उसने अपना परिचय लिखा है-“मया शर्मन देश जातेन गोतीर्थ निवासिना मोक्षमूलर नाम्ना” जर्मन को उन्होंने शर्मन लिखा है. सम्भवतः जर्मन शब्द संस्कृत शर्मन से ही बना हो. दूसरा शब्द गोतीर्थ है जो उन्होंने Oxford का अनुवाद लिखा…

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Kamboj
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

भारतवर्ष का कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में था

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भारत के वामपंथी इतिहासकार भारत के सोलहवें महाजनपद कम्बोज को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कश्मीर में विस्तृत दिखाते हैं परन्तु आधुनिक ऐतिहासिक शोधों से स्पष्ट हो गया है कि प्राचीन कम्बोज मध्य एशिया के आधुनिक ताजीकिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत था. भारतीय इतिहासकार जिस कम्बोज महाजनपद को दिखाते हैं वे अधिकांशतः कम्बोजों के विजित भारतीय क्षेत्र थे. कंबोज प्राचीन भारत के १६ महाजनपदों में से एक था. इसका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी और बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय और महावस्तु मे कई बार हुआ है. राजपुर (राजौरी), द्वारका (?) तथा कपिशा (काबुल से ५० मील उत्तर) इनके प्रमुख नगर…

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