महाभारत में अर्जुन की दिग्विजय के प्रसंग में कम्बोज का लोह (लोहान) और ऋषिक जनपदों के साथ उल्लेख है (सभा. २७, २५). महाभारत के सभा पर्व के अनुसार ऋषिक जातियों ने लोहान, परमा कम्बोज के साथ मिलकर अर्जुन के दिग्विजय के दौरान उत्तरापथ के राज्यों के विजय में सहायता की थी. यह ऋषिक जनपद मध्य एशिया के आमू दरिया और शिर दरिया के मध्य स्थित था. आधुनिक एतिहासिक शोधों से लगभग सभी इतिहासकार सहमत हैं कि भारतीय ग्रंथों में वर्णित ऋषिक जातियां चीनी ग्रंथों में वर्णित यूची लोग अर्थात कुषाण हैं. ऋषिक जाति और कुषाणों पर आधुनिक शोध परक इतिहास…
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मध्य एशिया के कुषाण हिन्दू थे
ग्रियर्सन के अनुसार (मध्य एशिया के) मिदिया के लोग आर्य थे और २५०० ईस्वीपूर्व में यहाँ थे. मिदिया में आर्यों की धाक थी. उनके देवता वे ही थे जिनके नाम बाद में हम भारत में पाते हैं और यह कि वे सतेम भाषी थे, जो प्राचीन संस्कृत से अधिक निकटता रखती है. ग्रियर्सन के इस बात से लगभग सभी साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार सहमत हैं क्योंकि ये लोग भारत के हिन्दुओं को मध्यएशिया से भारत में आये हुए साबित करने केलिए ही नाना प्रकार के झूठ और मनगढ़ंत इतिहास फैला रखें हैं. सवाल यह उठता है कि जब सिर्फ २५००…
क्या प्राचीन ग्रीस (यूनान) की सभ्यता के जनक वैदिक जन थे?
इतिहासकार पी एन ओक लिखते हैं, “यूरोपीय लोग ग्रीस (यूनान) देश को निजी परम्परा का उद्गम स्थान मानते है तथापि यूरोप में ईसाईयत के प्रसार के पश्चात वे यह भूल गये कि ग्रीस स्वयम एक वैदिक देश था.” वे आगे लिखते हैं, “यूरोपीय विद्वान मित्र उर्फ़ मित्रस देवता को ईरानी समझकर आश्चर्य प्रकट करते हैं कि ग्रीस और रोम में भी सूर्य देवता की पूजा कि प्रथा कैसे चल पड़ी? दरअसल यूरोपियनों ने ईसा पूर्व के अपने पूर्वजों के इतिहास को अंधकार युग बताकर भुला दिया है. इसलिए उन्हें पता ही नहीं है कि भारत और ईरान की तरह यूरोप…
Secret Of Sinauli Decoded-सिनौली-का-रहस्य-खुल-गया?
उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के सिनौली गाँव के नीचे प्राचीन भारत का इतिहास दबा हुआ है. यहां पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (ASI) की टीम ने खोदाई की तो जमीन से नर कंकाल, समाधि, तांबे के कड़े, म्यान, तलवार, धनुष-बाण, स्वर्णाभूषण, मिट्टी के बर्तन, खंडहरनुमा रसोई आदि निकली है. खुदाई में प्राचीन भारत के रथ और हथियार भी पाए गए हैं. सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ कवच पहने एक स्त्री की भी समाधि मिली है जिसके पास ताम्बे की एंटीना तलवार मिली है. भारत में आर्यों के आक्रमण की थ्योरी को झुठलाते ये प्रमाण अब लोगों में चर्चा…
शक (Scythian) भारतवर्ष से निर्वासित सूर्यवंशी क्षत्रिय थे
आधुनिक इतिहासकारों कि सबसे बड़ी खामियां यह है कि वे क्रिश्चियन विश्वास (बाईबल के अनुसार सृष्टि का निर्माण ४००४ ईस्वीपूर्व) के कारण उनकी ऐतिहासिक दृष्टि ३००० ईस्वीपूर्व के आसपास सिमट जाती है. उससे आगे उनमें सोचने समझने कि क्षमता दिखाई ही नहीं पड़ती है. ईसाई-मुस्लिम इतिहासकारों में जानबूझकर ईसापूर्व और इस्लाम पूर्व इतिहास को नकारने की भी गलत प्रवृति पाई जाती है. इसलिए तो इतिहासकार पी एन ओक ईसाई, इस्लामी और वामपंथी इतिहासकारों को इतिहास का दुश्मन लिखते हैं. दूसरी ओर भारतीय ग्रंथों में सहस्त्रों वर्ष पुरानी इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध हैं, परन्तु भारत के “ईसाई” ब्रिटिश सरकार और…
गौरवशाली भारत-१०
226. रमजान, रामदान वास्तव में रामध्यान शब्द है. अर्बस्थान के लोग प्राचीन समय से रमझान के पुरे महीने में उपवास रखकर भगवान राम का ध्यान पूजन करते थे. इसीलिए रमझान का महीना पवित्र माना जाता है-पी एन ओक 227. मक्का की देवमूर्तियों के दर्शनार्थ प्राचीन (इस्लामपूर्व) काल में जब अरब लोग यात्रा करते थे तो वह यात्रा वर्ष की विशिष्ट ऋतू में ही होती थी. शायद वह यात्रा शरद ऋतू में (यानि दशहरा-दीपावली के दिनों में) की जाती थी. प्राचीन अरबी पंचांग (वैदिक पंचांग के अनुसार) हर तिन वर्षों में एक अधिक मास जुट जाता था. अतः सारे त्यौहार नियमित…
गौरवशाली भारत-९
201. ईजिप्त के इतिहासकार Bengsch Bey लिखते हैं, “अति प्राचीनकाल में भारत से लोग आकर ईजिप्त में नील नदी के किनारे बसे. स्वयं ईजिप्त के लोगों में यह भावना व्याप्त है कि वे किसी अन्य अद्भुत देश से ईजिप्त में आ बसे. वह देश हिन्द महासागर के किनारे का पवित्र पन्त देश (पंडितों का देश) था. वह उनलोगों के देवताओं का मूल देश था. वह पन्त देश भारत के अतिरिक्त अन्य कोई हो ही नहीं सकता. (Pg. 123, The Theosophist मासिक, मार्च १८८१) २०२. ईजिप्त के शिलालेखों से पता चलता है कि फराओ संकर्राह (राजा शंकर) ने कई प्रजाजनों को…
अरबों द्वारा मध्य एशिया में बौद्ध राज्यों, बौद्ध धर्म और बुद्धिष्टों के सम्पूर्ण विनाश का इतिहास
पिछले दो लेखों, मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक और मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, विस्तार और तीर्थस्थलों के भ्रमण, से साबित हो गया है कि मध्य एशिया भारत और भारतियों के लिए विलायंत नहीं बल्कि भारतवर्ष का ही हिस्सा था. प्राचीन मद्र, साल्व राज्य और कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में ही था. सावित्री-सत्यवान और नकुल सहदेव के मामा साल्व नरेश शल्य मध्य एशिया के ही थे. उन्ही हिन्दुओं में से कुछ ने परवर्ती काल में बौद्ध धर्म अपनाकर अपने राज्यों को बौद्ध धर्मी राज्य घोषित किया था. बौद्ध धर्म…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, प्रसार और तीर्थस्थलों का भ्रमण
पश्चिमोत्तर भारतवर्ष का बाह्लीक प्रदेश जो उत्तरी अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान-उज्बेकिस्तान में विस्तृत था सिकन्दर के आक्रमण के समय से ही ग्रीकों के कब्जे में आ गया था. मध्य एशिया में प्रथम बौद्ध राज्य यही बाह्लीक प्रदेश (बैक्ट्रिया) बना. यह एक राजनितिक निर्णय था. आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बहुत से राज्य अशोक के समय बौद्ध धर्मी या बौद्ध धर्म के संरक्षक बन गये थे. बहुत बड़ी संख्यां में यहाँ के हिन्दू भी बौद्ध धर्म अपना लिए थे. ग्रीको-बैक्ट्रियन बौद्ध शासन ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य कि स्थापना दिवोदत प्रथम (२४५-२३० ईस्वीपूर्व) ने किया था. इसी के वंश में दिमित्री (डेमेत्रियस) आगे राजा बना…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास-सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक
मध्य एशिया का ताजीकिस्तान, कीर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान आधुनिक भारत, अफगानिस्तान, ईरान से उपर काश्पीय सागर तक विस्तृत है. यही वह क्षेत्र है जहाँ से आर्यजन द्रविड़ों या असुरों को खदेड़ते हुए हड़प्पा सभ्यता को नष्ट करते हुए १५०० ईस्वीपूर्व भारत में घुस आये थे ऐसा झूठ साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार फैला रखे थे. कारण था यहाँ उन्हें प्राचीन वैदिक संस्कृति के विपुल प्रमाण मिले थे और उनमें से सबसे प्रमुख प्रमाण ये लोग यह मानते थे कि इस क्षेत्र के लोगों के देवी देवताओं के नाम ठीक वही हैं जो आर्यों का था या भारतियों का है. इसलिए प्राचीन…