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क्या ताजमहल सचमुच प्रेम का प्रतीक है और इसे शाहजहाँ ने बनबाया है?

ताजमहल-tajmahal
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अपने १४वे बच्चे को जन्म देते समय शाहजहाँ की दूसरी बीबी अर्जुमंद बानो बेगम उर्फ मुमताज जब अपनी अंतिम सांसे ले रही थी तब शाहजहाँ बुरहानपुर की एक १५ वर्षीय नामी नर्तकी के प्रेमजाल में फंसकर रासरंग में डूबा हुआ था और नहीं आया. जब आसिफ खान ने उस नर्तकी को मरवा दिया तब ही शाहजहाँ वहां से हिला और आने से पहले उसका कब्र बनबाकर आया जो अब भी विद्यमान है.

शाहजहाँ की हजारों रखैलों मे दो अकबराबादी बेगम और कंधारी बेगम को शाही बेगम का दर्जा प्राप्त था.  बुरहानपुर में १६३१ में १४ वें बच्चे को जन्म देते समय मुमताज की मृत्यु के बाद उसे वहीँ दफनाकर दिल्ली लौटा तो सबसे पहले मुमताज की बहन और प्रेमिका/रखैल फरजाना बेगम के साथ शादी कर लिया परन्तु शाहजहाँ  इतने में ही नहीं रुका. शाहजहाँ कामुकता के लिए इतना कुख्यात था की कई इतिहासकारों ने उसे, उसकी अपनी अविवाहिता बेटी जहाँआरा के साथ स्वयं सम्भोग करने का दोषी कहा है-प्रख्यात राष्ट्रवादी इतिहासकार एवं शोधकर्ता पुरुषोत्तम नागेश ओक. 

कहा जाता है कि शाहजहाँ और मुमताज महल की बड़ी बेटी जहाँआरा बिल्कुल अपनी माँ की तरह लगती थी इसीलिए लम्पट शाहजहाँने अपनी ही बेटी जहाँआरा को फंसाकर भोगना शुरू कर दिया था. बर्नियर लिखा है, “Begum Sahib, the elder daughter of Shah Jahan was very beautiful… Rumour has it that his attachment reached a point which it is difficult to believe, the justification of which he rested on the decision of the Mullahs, or doctors of their law. According to them it would have been unjust to deny the king the privilege of gathering fruit from the tree he himself had planted.”

पिटर मुंडी और ट्रेबेनियर ने भी शाहजहाँ और जहाँआरा के अवैध सम्बन्धों का जिक्र किया है. हलाकि इतिहासकार के एस लाल ने शाहजहाँ का बचाव करते हुए कहा है कि औरंगजेब ने शाहजहाँ और जहाँआरा के सम्बन्धों को स्कैंडल बनाकर अफवाह उड़ाया होगा जो मुसलमानों को जबरदस्ती महान बनाने की सिर्फ वामपंथी बददिमागी ही कहा जा सकता है.

अस्तु, इतना ही नहीं जहाँआरा के किसी भी आशिक को शाहजहाँ उसके पास फटकने नहीं देता था. एकबार जहाँआरा जब अपने एक आशिक के साथ इश्क लड़ा रही थी तो शाहजहाँ आ गया जिससे डरकर वह हरम के तंदूर में छिप गया. शाहजहाँ ने तंदूर में आग लगवा दिया और उसे जिन्दा जला दिया. दरअसल अकबर ने यह नियम बना दिया था की मुगलिया खानदान की बेटियों की शादी नहीं होगी. इतिहासकार इसके लिए कई कारन बताते है. इसका परिणाम यह होता था कि मुग़ल खानदान की लड़कियां अपने जिस्मानी भूख मिटाने के लिए अवैध तरीके से दरबारी, नौकर के साथ साथ रिश्तेदार यहाँ तक की सगे सम्बन्धियों का भी सहारा लेती थी. जहाँआरा जहाँ अपने ही बाप शाहजहाँ की रखैल थी तो दूसरी बेटी रोशनारा जिन्दापीर औरंगजेब की रखैल थी. तीसरी बेटी गौहर उर्फ मेहरुन्निसा शिवाजी के बेटे शम्भाजी के चक्कर में फंस गयी थी.

इतना ही नहीं जहाँआरा अपने लम्पट बाप के लिए लड़कियां भी फंसाकर लाती थी. शाहजहाँ के राजज्योतिष की १३ वर्षीय ब्रह्मिन लडकी को जहाँआरा अपने महल में बुलाकर धोके से नशा करा अपने लम्पट बाप के हवाले कर दिया था. सम्भोग की पीड़ा से जब उसकी आँखे खुल गयी तो वह पहचाने जाने के डर से भाग खड़ा हुआ परन्तु उस ब्राह्मण कुमारी ने उसे पहचानने की हिम्मत दिखाई और अंततः शाहजहाँ को ५८ वें वर्ष में उस १३ बर्ष की ब्राह्मण कन्या से निकाह करना पड़ा. मनुची ने लिखा है “it would seem as if the only thing Shahjahan cared for was the search for women to serve his pleasure” and “for this end he established a fair (Meena Bazar) at his court. No one was allowed to enter except women of all ranks that is to say, great and small, rich and poor, but all beautiful”.

मीणा बाजार में बंदी बनाकर लाये गये खूबसूरत हिंदू औरतों और लड़कियों की बिक्री भी होता था जिसका मुख्य खरीददार शहंशाह और शाही खानदान होता था जो अकबर के समय से चला आ रहा था. इसी मीणा बाज़ार में अकबर ने मान सिंह की बहन, जहाँगीर की बीबी और अपनी बहु मानबाई के बलात्कार करने की कोशिश की थी परन्तु बहादुर राजपूत बाला खंजर लेकर उसके सीने पर चढ गयी थी और दुबारा एसी गलती नहीं करने का शपथ लेने पर बक्श दी थी. वह आगे लिखता है, “Shah Jahan didn’t lose his “weakness for the flesh” even when he had grown very old,. Shah Jahan also had an affair with Farzana Begum, Mumtaz Mahal’s sister”

कुछ साल बाद जब वह बीमार पड़ा तो औरंगजेब ने उसे उसकी रखैल जहाँआरा के साथ आगरा के किले में बंद कर दिया साथ ही अपने बाप की कामुकता को समझते हुए उसे अपने साथ ४० रखैलें (शाही वेश्याएँ) रखने की इजाजत दे दी. दिल्ली आकर आपने बाप के हजारों रखैलों में से कुछ गिने चुने बीबियों/रखैलों को अपने हरम में डालकर बाकी को उसने किले से बाहर निकाल दिया जिसकी औलादें आज दिल्ली के रेड लाईट एरिया जीबी रोड की शोभा बढ़ाती है.

उन्ही बीबियों में से एक खूबसूरत बीबी वही ब्राह्मण कन्या थी जिसे वह अपनी बेगम बनाने के लिए उतावला था परन्तु उस ब्राह्मण कन्या ने एक पतिव्रता हिंदू संस्कार का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया. बाद में औरंगजेब के लम्पटता से बचने के लिए उसने अपने ही हाथों अपने चेहरे पर तेजाब उड़ेल ली थी ( आधार: खंडहर बोल रहे हैं-गुरु दत्त). शाहजहाँ की मृत्यु आगरे के किले में ही २२ जनवरी १६६६ ईस्वी में ७४ साल की उम्र में, द हिस्ट्री चैनल, के अनुसार अत्यधिक कमोत्तेजक दवाएँ खा लेने का कारण हुई थी. यानी जिन्दगी के आखिरी वक्त तक वो अय्याशी ही करता रहा था. 

ताजमहल को महान राष्ट्रवादी इतिहासकार पी एन ओके ने शिव मंदिर तेजोमहालय सिद्ध कर दिया है और किसी भी धूर्त नेहरूवादी, वामपंथी इतिहासकार ने उनके ठोस प्रमाणों को खंडित करने का हिम्मत नहीं दिखाया है. उनकी खोज “ताजमहल तेजोमहालय है” पुस्तक में वर्णित है. दरअसल ताजमहल और प्यार की कहानी नेहरूवादी-वामपंथी-जिहादी धूर्त इतिहासकारों ने इसीलिए गढ़ी है कि लोगों को गुमराह किया जा सके और खास कर हिन्दुओं से छुपायी जा सके कि ताजमहल कोई प्यार की निशानी नहीं बल्कि महाराज मानसिंह के पूर्वजों द्वारा बनवाया गया भगवान् शिव का मंदिर “तेजो महालय” था….!

ताजमहल की खोज को स्टेफिन नैप ने अपने नजरिये से जांच पडताल कर निम्न निष्कर्ष निकाला है. http://www.stephen-knapp.com/was_the_taj_mahal_a_vedic_temple.htm 

बीबीसी ने अपने खोज में निम्न प्रमाण प्रस्तुत किये हैं http://missionisi.wordpress.com/2007/11/24/taj-mahal-or-tejo-mahalaya-2/

इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक ने एक पूरी किताब के माध्यम से यह साबित कर दिया है कि ताजमहल हिन्दू भवन है. अतः हमें यह साबित करने की जरूरत नहीं है.

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7 thoughts on “क्या ताजमहल सचमुच प्रेम का प्रतीक है और इसे शाहजहाँ ने बनबाया है?

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