शेयर करें1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दू और मुसलमानों ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लडाई लड़ी थी जिससे भयभीत होकर अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो, राज करो की नीति का सूत्रपात किया. इसके तहत उसने सबसे पहले हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने केलिए सैय्यद अहमद खां को मुहरा बनाया जो मुसलमानों को हिन्दुओं का विरोध और ब्रिटिश सरकार का समर्थन करने केलिए उकसाने लगा. अंग्रेजों ने अहमद खान को सफल बनाने केलिए भारत में जितने भी प्राचीन हिन्दू इमारतें जो मुसलमानों के कब्जे में थी परन्तु ब्रिटिश सर्वेक्षण में वे हिन्दू इमारतें सिद्ध हुई…
सवर्ण दलित मतभेद वामपंथी षड्यंत्र है
शेयर करेंदलित होगा तेरा बाप. मैं तो गौरवशाली हिंदू हूँ-ज्ञान में पंडित, कर्म से क्षत्रिय, व्यवसाय से वैश्य तथा देश और समाज का सेवक हूँ इसलिए शुद्र हूँ. भारतीय की महान सभ्यता, संस्कृति, धर्म, परम्परा, हिंदू और हिंदू धर्म विरोधी, नीच और देशद्रोही वामपंथी कैसे हम हिंदुओं को सवर्ण और दलित में बांटकर आपस में लड़ाकर हिंदुओं और हिन्दुस्तान को खत्म करने का षड्यंत्र कर रहे हैं उसका कुछ उदाहरण देखिए: १.वामपंथी/सेकुलर एक तरफ पढ़ाते हैं हम हिंदू सिर्फ १५०० ईस्वी पूर्व मध्य एशिया से भारत आये और दूसरी तरफ कहते हैं शुद्र जो भारत के मूल निवासी थे उन्हें…
हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु से नहीं इंदु से?
शेयर करेंसाम्राज्यवादी एवं वामपंथी इतिहासकारों के अनुसार हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु से हुई है और उसी से हिन्द और हिंदुस्तान बना है. और ऐसा इसलिए की फारस/पर्शिया/ईरान के लोग स का उच्चारण ह करते थे. इसमें ईरानी का ईक प्रत्यय लगाने से हिन्दीक शब्द बना जिसका अर्थ ‘हिन्द का’ है. यूनानी इंदिका या यूरोपियन इंडिया आदि इसी हिन्दीक शब्द से ही बने हैं. परन्तु साम्राज्यवादी इतिहास भारत की गौरवशाली प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, परम्परा और इतिहास की अवहेलना तथा ईसाई मत, कि सृष्टि का निर्माण सिर्फ ४००४ ईस्वी पूर्व हुआ था, जैसे दोषों से युक्त होने के कारण विश्वसनीय नहीं…
हिन्दुओं के विरुद्ध सेकुलरिज्म का षड्यंत्र
शेयर करेंतथाकथित सेकुलर राजनेता, कम्युनिष्ट बुद्धिजीवी और दोगली मीडिया चिल्लाते हैं देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और यह असहिष्णुता भाजपा और मोदी सरकार के आने से बढ़ी है. मेरा मानना है यह असहिष्णुता में वृद्धि नहीं वरन यह असंतोष में वृद्धि है और इस असंतोष में वृद्धि का कारण वर्षों से सेकुलरिज्म के नाम पर ईसाई-मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं का राजनितिक अवहेलना, भारत के गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और धर्म का अपमान, राष्ट्र और धर्म की सुरक्षा से खिलवाड तथा तुष्टिकरण केलिए देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा से समझौता आदि कारणों के विरुद्ध हिंदुओं का उद्वेग, असंतोष, गुस्सा, धैर्य,…
कांग्रेस की स्थापना भारत में ब्रिटिश राज को स्थायी बनाने केलिए हुआ था
शेयर करेंइंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना सन १९८५ में अंग्रेजों ने की थी ताकि भारतीय लोगों को १८५७ की तरह क्रन्तिकारी और हिंसक विद्रोह करने से रोका जा सके. कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा मे जंगे आजादी के सिपाहियों से जान बचाने के लिये मुंह में कालिख लगा, साड़ी पहन और बुर्का डालकर ग्रामीण महिला का वेष धारण कर भागना पड़ा था. उस समय वे इटावा के मजिस्ट्रेट एवं कलक्टर थे. तब से वे ऐसी क्रांति की पुनरावृत्ति होने के डर से अत्यधिक भयभीत रहते थे. (सावरकर…
क्या ताजमहल सचमुच प्रेम का प्रतीक है और इसे शाहजहाँ ने बनबाया है?
शेयर करेंअपने १४वे बच्चे को जन्म देते समय शाहजहाँ की दूसरी बीबी अर्जुमंद बानो बेगम उर्फ मुमताज जब अपनी अंतिम सांसे ले रही थी तब शाहजहाँ बुरहानपुर की एक १५ वर्षीय नामी नर्तकी के प्रेमजाल में फंसकर रासरंग में डूबा हुआ था और नहीं आया. जब आसिफ खान ने उस नर्तकी को मरवा दिया तब ही शाहजहाँ वहां से हिला और आने से पहले उसका कब्र बनबाकर आया जो अब भी विद्यमान है. शाहजहाँ की हजारों रखैलों मे दो अकबराबादी बेगम और कंधारी बेगम को शाही बेगम का दर्जा प्राप्त था. बुरहानपुर में १६३१ में १४ वें बच्चे को जन्म…
मध्य एशिया से भारत आनेवाले श्वेत हूण हिन्दू थे
शेयर करेंपिछले विभिन्न लेखों में साबित कर दिया गया है कि मध्य एशिया के शक/सीथियन, कुषाण/ऋषिक/यूची, तुषार/तोख़ार/यूची, कम्बोज/कुषाण, तुर्क, उइगर आदि बौद्ध बनने और परवर्ती काल में जबरन मुसलमान बनाये जाने से पहले स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक धर्म, संस्कृति को ही मानने वाले थे. बाद में ईरानी ह्खामनी सम्राटों के विजय और सत्ता के दौरान कुछ लोग जोराष्ट्र धर्म (पारसी) को मानने लगे. सिकन्दर के विजय और शासन में कुछ ग्रीक धर्म संस्कृति का प्रभाव पड़ा. अशोक का साम्राज्य जब मध्य एशिया तक विस्तृत हो गया तब बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार मध्य एशिया में भी हुआ और बहुत…
बिहार का धर्मांध मुस्लिम डकैत शेरशाह सूरी
शेयर करेंदो मुस्लिम इतिहासकार वाकयात ए मुश्वकी (पृष्ठ १०३) तथा तारीख ए दाऊदी (पृष्ठ २५३) लिखते हैं कि एक बार सारंगपुर तथा उज्जैन के बीच यात्रा में शेरशाह ने अपने साथ चलते हुए मल्लू खान को अपने जीवन की प्रारम्भिक घटनाएँ सुनाई थी. उसने बताया कि एक बार वह चोरों तथा लुटेरों के चक्कर में पड़कर उन्हीं के साथ हो लिया और चारों ओर गावों को लूटता रहा. डाकुओं के साथ इस प्रारम्भिक प्रशिक्षण ने उन सात वर्षों तक (१५३८-४५) शेरशाह को मनमानी लूट तथा बलात्कार के योग्य बना दिया. शेरशाह का वास्तविक नाम फरीद खां था. उसका अफगानी पिता…
महापराक्रमी पृथ्वीराज चौहान की अक्षम्य गलतियाँ
शेयर करेंपृथ्वीराज चौहान राजा सोमेश्वर और कलचुरी की राजकुमारी रानी कर्पुरदेवी के पुत्र थे. पृथ्वीराज विजय के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ माह के बारहवीं तिथि को हुआ था. वे बहुत सी भाषाओँ के जानकार थे. धनुर्विद्या में महारत हासिल कर रखा था. शब्दभेदी बाण के वे सिद्धहस्त थे. उन्होंने बचपन में शेर का जबड़ा अपने हाथों से फाड़ दिया था. जब उनके पिता राजा सोमेश्वर का देहांत विक्रमी संवत १२३४ में हुआ था उस समय पृथवीराज मात्र ग्यारह वर्ष के थे. अपनी माँ के संरक्षण में उन्होंने राजगद्दी सम्भाली. हालाँकि हम्मीर महाकाव्य दावा करता है कि राजा सोमेश्वर ने खुद…
मध्य एशिया का लूटेरा मुगल शैतान बाबर का इतिहास
शेयर करेंइतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “बाबर का पितृ पक्ष तैमूरलंग तथा मातृ पक्ष चंगेज खां से सम्बन्धित था जो संसार के दो क्रूरतम एवं सबसे अधिक लूट-खसोट करनेवाले थे, जिन्होंने अपने अन्यायों एवं अत्याचारों से सम्पूर्ण विश्व को थर्रा दिया था तथा सम्पूर्ण मानवता को पैरों तले कुचलकर रख दिया था. जिनके सामने उदारता और सहृदयता नाम की कोई चीज नहीं थी. विध्वंस जिनके जीवन का प्रमुख ध्येय था….बाबर को भी लोग नरभक्षी समझकर दहशत खाते थे तथा जहाँ कहीं भी वह जाया करता था लोग उसके डर से भाग जाया करते थे.” न्यायाधीश श्री जे. एम् शेलट…