gauravshali-bharat
गौरवशाली भारत

गौरवशाली भारत-11

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शेयर करें251.      होलैंड देश के लोग जो डच (Dutch) कहलाते हैं वे भी वैदिक दैत्य वंश के ही हैं. जैसे प्राचीन नगर ब्रिह्दादित्य का नाम अब बहराईच है यानि आदित्य अब इच शब्द बन गया है-पी एन ओक इसी तरह जर्मन Duetsch, Diot, Diota आदि दैत्य शब्द के ही अपभ्रंश हैं. 252.      जर्मन मैक्स मुलर ने ऋग्वेद का अनुवाद अंग्रेजी में किया है जिसमे उसने अपना परिचय लिखा है-“मया शर्मन देश जातेन गोतीर्थ निवासिना मोक्षमूलर नाम्ना” जर्मन को उन्होंने शर्मन लिखा है. सम्भवतः जर्मन शब्द संस्कृत शर्मन से ही बना हो. दूसरा शब्द गोतीर्थ है जो उन्होंने Oxford का अनुवाद…

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kapaya-nayaka
आधुनिक भारत, ऐतिहासिक कहानियाँ

वारंगल के वीर-Warriors of Warangal

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शेयर करेंप्रतापरुद्र (१२८९-१३२३ ईस्वी) जो रुद्रदेव-II के नाम से जाने जाते थे काकतीय वंश के अंतिम राजा थे. उनकी राजधानी वारंगल थी. संभवतः काकतीय राजवंश के वंशज आज रेड्डी जाति के नाम से जाने जाते हैं. ये काकतीय वंश की महारानी रुद्रमादेवी के नाती थे जिन्हें काकतीय वंश के महान शासकों में गिना जाता है. महारानी रुद्रमादेवी के नाम पर दक्षिण भारत में कई फ़िल्में भी बनी है. दक्षिण में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना करने वाले हरिहर और बुक्का इन्ही के समय काकतीय राज्य के खजाने के खजांची थे. आन्ध्र-तेलंगाना के नायक जाति के पूर्वज प्रलय नायक इनके सेनापति एवं…

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Khusaru-khan
ऐतिहासिक कहानियाँ, मध्यकालीन भारत

राष्ट्रवादी धर्मान्तरित हिन्दू खुसरू खान उर्फ़ सुल्तान नासिरुद्दीन

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शेयर करेंशैतान अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के दो दिन बाद अर्थात ४ जनवरी, १३१६ को ही उसका सबसे प्यारा और हमबिस्तर गुलाम मलिक काफ़ूर ने कुलीनों की सभा को अलादुद्दीन के सबसे प्यारे पुत्र खिज्र खां की मृत्यु की सूचना देकर पांच वर्षीय बाल-शाहजादे शहाबुद्दीन को सुल्तान घोषित कर दिया और संरक्षक होने के बहाने सारी शक्तियाँ अपने हाथों में ले लिया था. पर वह ज्यादा दिन अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सका और अन्य दरबारियों ने षड्यंत्र कर अलाउद्दीन खिलजी जैसा ही शैतान मलिक काफ़ूर का भी काम तमाम कर दिया. फिर जेल में बंद सौभाग्यशाली मुबारक शाह…

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आधुनिक भारत

पाकिस्तान के मदरसों में बन रही है हिन्दुस्थान को खत्म करने कि रणनीति

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शेयर करेंपाकिस्तान के मदरसों पर आधारित यह लेख मुख्य रूप से दो रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एस के दत्ता और राजीव शर्मा की पुस्तक ‘जिन्ना से जिहाद तक’ पर आधारित है जो हर देशभक्त भारतियों के लिए प्रासंगिक है और जानना जरुरी है क्योंकि इस लेख का सीधा सम्बन्ध हिन्दुओं, बौद्धों, सिक्खों, जैनों आदि तथा हम सबका घर हिन्दुस्थान की सुरक्षा से जुड़ा है. मोहम्मद अली जिन्ना ने १९४६ ईस्वी में लेबर पार्टी के सांसद वुडरो वाट से कहा की ‘चूँकि अंग्रेज भारत में मुस्लिम शासन के उत्तराधिकारी थे, इसलिए उसे भारत मुसलमानों को वापस दे देना चाहिए’ हालाँकि ऐसा हुआ…

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मध्यकालीन भारत

भारत में मध्य एशिया का खूंखार शैतान अलाउद्दीन खिलजी

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शेयर करेंइतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “भारतीय मुस्लिम शासक चाहे वह अकबर या औरंगजेब, अहमदशाह या अलाउद्दीन या कोई भी हो वह बलात्कार, अत्याचार, कपट और दुष्टता का साक्षात् अवतार था. सभी एक दुसरे से बढ़कर शैतान थे. इस सच्चाई को पहचानने केलिए सभी को साम्प्रदायिकता का चश्मा उतारकर उन्हें देखना, जांचना और परखना होगा.” अलाउद्दीन खिलजी उन्ही शैतानों में से एक अनपढ़ महाखूंखार शैतान था. खिलजी मध्य एशिया का तुर्की थे जो अफगानिस्तान में आकर रहने लगे थे. अलाउद्दीन जुलाई १२९६ ईस्वी में अपने चचा सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर खुद सुल्तान बन गया था. मृत सुल्तान…

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balban
मध्यकालीन भारत

दिल्ली में मध्य एशिया का खूंखार शैतान गुलाम बलबन

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शेयर करेंबलबन का जीवन लड़ाई-झगड़े और दंगा-फसाद से भरा हुआ है. वह क्रूर मानव हत्यारा था. दिल्ली के आसपास बार-बार उठने वाली विरोध की आवाज को दबाने केलिए उसने एक लाख मानवों की हत्या की. प्रत्येक शहर में मरी-कटी लाशों का ढेर लग गया, जिसकी सड़ांध से सारे वातावरण में असहनीय दुर्गन्ध व्याप्त हो गई थी. (महाराष्ट्रिय ज्ञानकोष पृष्ठ जी-१९१, भाग-१२) बलबन तुर्किस्तान की अलबारी का खाकान था. बचपन में ही मुगल लुटेरों ने उसे पकड़ लिया. इन्ही मुगलों से उसने बलात्कार का पाठ पढ़ा, जिसका उपयोग उसने बाद में हिंदुस्तान में लूट, बलात्कार और हत्या का चक्र चलाकर किया.…

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Nasir-ud-din
मध्यकालीन भारत

वामपंथी इतिहासकारों के मुस्लिम प्रेम का भंडाफोड़

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शेयर करेंमध्य एशिया का खूबसूरत गुलाम इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसकी बेटी रजिया अपने हुस्नोंजाल के बदौलत सत्ता हथियाने में कामयाब हो गयी थी पर जिन सरदारों पर उसके हुस्न की छांह नहीं पड़ी वे एक औरत को अपना सुल्तान मानने केलिए तैयार नहीं थे. आरम्भ में उसने अपने फौलादी अबिसिनियाई अस्तबल्ची गुलाम अम्लुद्दीन को प्यार के मोहपाश में बांधकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश की पर ज्यादा दिन सुरक्षित नहीं रह सकी. इसी बीच तबरहिन्द का सरदार अल्तुनिया ने रजिया के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “अप्रैल १९४० ईस्वी में रजिया उसका…

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Iltutmish
मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का खूबसूरत गुलाम इल्तुतमिश

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शेयर करेंमध्य एशिया के तुर्किस्तान में अलबेरी जाति के एक मुसलमान के घर एक खूबसूरत लड़का पैदा हुआ था. उसका नाम अल्तमश (या इल्तुतमिश) रखा गया था. किशोरावस्था में उसका सौन्दर्य और भी निखर गया जिससे उसके अपने भाई बन्धु ही उसके शारीरिक सौन्दर्य से जल भुनकर घोड़ों के झुण्ड दिखाने का बहाना बनाकर उसे घोड़ों के व्यापारी के हाथों बेच दिया. इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “अल्तमश एक खूबसूरत लड़का था. मुस्लिम शासन में यह शारीरिक आकर्षण वरदान नहीं था; क्योंकि उसपर नर-भोगियों का आक्रमण होता रहता था. अगर कहीं वह शारीरिक सौन्दर्य क्रय-विक्रय की आंधी में पड़…

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qutubuddin
मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का तुर्की शैतान कुतुबुद्दीन ऐबक

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शेयर करेंमध्य एशिया के तुर्की हिन्दुओं, बौद्धों को जब तलवार के बल पर जबरन धर्मान्तरित किया जा रहा था और उन्हें भेड़, बकरियों की तरह गुलाम बनाया जा रहा था उन्ही गुलामों के झुण्ड में एक धर्मान्तरित गुलाम था कुतुबुद्दीन जिसे निमिषपुर में खरीदकर निमिषपुर के काजी फखरुद्दीन अब्दुल अजीज के हाथों औने पौने दाम पर बेच दिया गया था. काजी ने उसे कुरआन पढ़ाया और काफिरों के विरुद्ध जिहाद लड़ने और काफिरों का कत्लेआम करने की शिक्षा दी. फिर काजी ने उस कुरूप कुतुबुद्दीन को एक सौदागर को बेच दिया. इस प्रकार वह कई बार खरीदा और बेचा गया.…

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Kamboj
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

भारतवर्ष का कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में था

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शेयर करेंभारत के वामपंथी इतिहासकार भारत के सोलहवें महाजनपद कम्बोज को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कश्मीर में विस्तृत दिखाते हैं परन्तु आधुनिक ऐतिहासिक शोधों से स्पष्ट हो गया है कि प्राचीन कम्बोज मध्य एशिया के आधुनिक ताजीकिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत था. भारतीय इतिहासकार जिस कम्बोज महाजनपद को दिखाते हैं वे अधिकांशतः कम्बोजों के विजित भारतीय क्षेत्र थे. कंबोज प्राचीन भारत के १६ महाजनपदों में से एक था. इसका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी और बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय और महावस्तु मे कई बार हुआ है. राजपुर (राजौरी), द्वारका (?) तथा कपिशा (काबुल से ५० मील उत्तर) इनके प्रमुख…

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