शेयर करेंमध्य एशिया के तुर्की हिन्दुओं, बौद्धों को जब तलवार के बल पर जबरन धर्मान्तरित किया जा रहा था और उन्हें भेड़, बकरियों की तरह गुलाम बनाया जा रहा था उन्ही गुलामों के झुण्ड में एक धर्मान्तरित गुलाम था कुतुबुद्दीन जिसे निमिषपुर में खरीदकर निमिषपुर के काजी फखरुद्दीन अब्दुल अजीज के हाथों औने पौने दाम पर बेच दिया गया था. काजी ने उसे कुरआन पढ़ाया और काफिरों के विरुद्ध जिहाद लड़ने और काफिरों का कत्लेआम करने की शिक्षा दी. फिर काजी ने उस कुरूप कुतुबुद्दीन को एक सौदागर को बेच दिया. इस प्रकार वह कई बार खरीदा और बेचा गया.…
भारतवर्ष का कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में था
शेयर करेंभारत के वामपंथी इतिहासकार भारत के सोलहवें महाजनपद कम्बोज को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कश्मीर में विस्तृत दिखाते हैं परन्तु आधुनिक ऐतिहासिक शोधों से स्पष्ट हो गया है कि प्राचीन कम्बोज मध्य एशिया के आधुनिक ताजीकिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत था. भारतीय इतिहासकार जिस कम्बोज महाजनपद को दिखाते हैं वे अधिकांशतः कम्बोजों के विजित भारतीय क्षेत्र थे. कंबोज प्राचीन भारत के १६ महाजनपदों में से एक था. इसका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी और बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय और महावस्तु मे कई बार हुआ है. राजपुर (राजौरी), द्वारका (?) तथा कपिशा (काबुल से ५० मील उत्तर) इनके प्रमुख…
भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण का इतिहास और गाँधी
शेयर करेंबहुसंख्यक हिंदू अल्पसंख्यक मुस्लिम को दबाते हैं इसलिए दंगा होता है-महात्मा गाँधी. भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण की शुरुआत १८५७ के विद्रोह के बाद उत्पन्न स्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक अंग्रेज के उस विचार के मद्दे नजर हुई थी जिसमे उसने कहा था कि अगर भारतीय ब्रिटिश शासन हिंदू हित पर मुस्लिमों को तरजीह देना शुरू कर दें तो सत्ता को स्थायी बनाया जा सकता है. इसके पीछे दर्शन यह था कि हिंदू कभी भी भारत में अंग्रेजी हुकूमत को स्वीकार नही करेंगे और अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करते रहेंगे साथ ही अगर मुस्लिम भी उनका साथ देते…
क्या पशुओं से घिरे यूरोप के सेल्टिक (Celtic) देवता पशुपति शिव है?
शेयर करेंहड़प्पा-सैन्धव सभ्यता से प्राप्त पशुपति शिव की मुहर से तो सभी इतिहास के विद्यार्थी, शोधार्थी परिचित होंगे ही. उसी से मिलता जुलता यूरोप में एक सेल्टिक (Celtic) देवता पाया जाता है. सेल्टिक (Celtic) लोग यूरोप के अधिकांश भागों में लगभग २००० वर्ष पहले रहते थे. यूँ कहे यूरोप के अधिकांश हिस्सों में ईसाईयत के प्रचार प्रसार से पहले सेल्टिक (Celtic) लोग या उनके वंशज ही रहा करते थे. इनके धर्मगुरु ड्रुइड (Druid) कहलाते थे. अधिकांश इतिहासकारों और विद्वानों का मानना है कि ड्रुइडस यूरोप में भारत से आये ब्राह्मण थे. ड्रुइड सिर्फ सेल्टिक (Celtic) लोगों के ही नहीं बल्कि…
क्या वैदिक लोग घुमन्तु, कबीलाई और कबीले के सरदार मात्र थे?
शेयर करेंपश्चिमी इतिहासकारों की मानें तो मुट्ठी भर द्वीपों पर बसे और छोटे सा यूरोपीय राज्य ग्रीक और रोम में ही केवल विकसित सभ्यता थी, ग्रीक, रोमन साम्राज्य था और वहां सम्राट होते थे बाकी सब तो असभ्य (barbaric), घुमंतू (nomad), कबीले (tribe) और कबीले के सरदार (Chieftain) मात्र होते थे. पश्चिमी इतिहासकारों की नजर में कैसे कैसे असभ्य, घुमन्तु, कबीले और कबीले के सरदार होते थे उसका कुछ उदाहरन देखिए: छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व के ईरान का अखामानी (Achamanid) साम्राज्य जो, इन्ही इतिहासकारों के शब्दों में, मध्य एशिया से लेकर तुर्की, मिस्र और ग्रीस तक विस्तृत था; पर, तीन…
मध्य एशिया के तुषार (Tukhar) का हिन्दू इतिहास
शेयर करेंपिछले लेख “मध्य एशिया के कुषाण हिन्दू थे” में आपने देखा कि लगभग सभी इतिहासकार इस बात से सहमत थे कि चीन के यूची भारतीय ग्रंथों में वर्णित ऋषिक लोग हैं और शैवधर्मी हिन्दू कुषाण यूची कबीले के लोग थे. अधिकांश इतिहासकार इस बात से सहमत थे कि कुषाण और तुषार (Tukhar) एक ही लोग थे. चीनी इतिहास में इनमे से एक को महायूची और दूसरे को लघु यूची कहा गया है. ग्रीक इतिहासकार लिखते हैं कि ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य पर तुषारों ने कब्जा कर कुषाण साम्राज्य की स्थापना की जबकि चीनी इतिहास के अनुसार यूचियों का एक कबीला कुषाणों…
युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आनेवाले रोमक, यवन और सिंगवाले लोग कौन थे
शेयर करेंमहाभारत में अर्जुन की दिग्विजय के प्रसंग में कम्बोज का लोह (लोहान) और ऋषिक जनपदों के साथ उल्लेख है (सभा. २७, २५). महाभारत के सभा पर्व के अनुसार ऋषिक जातियों ने लोहान, परमा कम्बोज के साथ मिलकर अर्जुन के दिग्विजय के दौरान उत्तरापथ के राज्यों के विजय में सहायता की थी. यह ऋषिक जनपद मध्य एशिया के आमू दरिया और शिर दरिया के मध्य स्थित था. आधुनिक एतिहासिक शोधों से लगभग सभी इतिहासकार सहमत हैं कि भारतीय ग्रंथों में वर्णित ऋषिक जातियां चीनी ग्रंथों में वर्णित यूची लोग अर्थात कुषाण हैं. ऋषिक जाति और कुषाणों पर आधुनिक शोध परक…
मध्य एशिया के कुषाण हिन्दू थे
शेयर करेंग्रियर्सन के अनुसार (मध्य एशिया के) मिदिया के लोग आर्य थे और २५०० ईस्वीपूर्व में यहाँ थे. मिदिया में आर्यों की धाक थी. उनके देवता वे ही थे जिनके नाम बाद में हम भारत में पाते हैं और यह कि वे सतेम भाषी थे, जो प्राचीन संस्कृत से अधिक निकटता रखती है. ग्रियर्सन के इस बात से लगभग सभी साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार सहमत हैं क्योंकि ये लोग भारत के हिन्दुओं को मध्यएशिया से भारत में आये हुए साबित करने केलिए ही नाना प्रकार के झूठ और मनगढ़ंत इतिहास फैला रखें हैं. सवाल यह उठता है कि जब सिर्फ…
क्या नेहरु-कांग्रेस ने PoK और CoK को त्यागने की नीति अपना रखा था?
शेयर करेंभारत का नक्शा अक्सर देश और विदेशों में गलत छप जाता है और गलती यह होती है कि भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य का ५४% हिस्सा अक्सर भारत के नक्शे से गायब हो जाता है और पाकिस्तान तथा चीन के नक्शे में शामिल हो जाता है. आखिर क्यों भारत का नक्शा अक्सर विवादों में आ जाता है? क्या नेहरु-कांग्रेस ने पाक अधिग्रहित कश्मीर (PoK) और चीन अधिग्रहित कश्मीर (CoK) को भारत का हिस्सा नहीं मानने की नीति अपना रखा था? आइये इस लेख के माध्यम से पड़ताल करते हैं. जम्मू-कश्मीर के महाराज हरिसिंह का विलेय को लेकर दुविधा भारतीय स्वतंत्रता…
जम्मू-कश्मीर १९४७ : जरा याद करो कुर्बानी
शेयर करें१९४७ के भारत पाक युद्ध के दौरान जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्ववाले सरकार से सहायता नहीं मिल पाने के कारण और नेहरु के गलत नीतियों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारियों से हिंदू-सिक्ख जनता की जान बचाने केलिए स्वेच्छा से आत्मसमर्पण कर मौत को गले लगाने वाले भारतीय सेना के बलिदान की अनसुनी कहानियों का संग्रह, लेफ्टिनेंट जेनरल के.के. नंदा की पुस्तक “निरंतर युद्ध के साए में” के आधार पर प्रस्तुत है, जिसे हर भारतियों को पढ़ना चाहिए ताकि भारत के इतिहास के पन्नों से गायब उन शहीदों की गाथा पढ़कर आप उनकी आत्मा की शांति केलिए भगवान से प्रार्थना कर सकें.…