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प्राचीन भारत

सिकन्दर ने नहीं, महाराज पौरव ने सिकन्दर को हराया था

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महाराज पौरव और सिकन्दर झेलम और चेनाब नदियों के बीच पुरु का राज्य था. सिकन्दर के साथ हुई मुठभेड़ में पुरु परास्त हुआ किन्तु सिकन्दर ने उसका प्रदेश उसे लौटा दिया-भारत का प्राचीन इतिहास, झा एंड श्रीमाली, पृष्ठ १७१ सिविल सेवा की तयारी के दौरान दुर्भाग्यवश झा एंड श्रीमाली जैसे वामपंथी इतिहासकारों द्वारा लिखित ये मानक इतिहास हमें बार बार पढ़ना पढ़ा जो अपनी शौर्य और वीरता के लिए जगत प्रसिद्ध महान राजा पुरु का इतिहास सिकन्दर महान का गुणगान करते हुए महज इन दो वाक्यों में सिमटा दिया है. हर बार जब मैं यह इतिहास पढता तो इन दो…

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indira-firoz khan
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम: एक खोज, भाग-२

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मैमूना बेगम उर्फ़ इंदिरा गाँधी और फिरोज खान उर्फ़ फिरोज गाँधी गतांक से आगे… ६.     जिन्ना और मुस्लिम लीग ने १९४६ में जब हिंदुओं के विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्यवाही की घोषण की और हिंदुओं की हत्या, लूट और हिंदू स्त्रियों के बलात्कार होने लगे उस समय नेहरु भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री थे, पर उन्होंने इसे रोकने का कोई प्रयत्न नही किया. परन्तु बिहार में जैसे ही कोलकाता में मारे गए लोगों के परिजनों ने इसके विरोध में प्रतिक्रिया व्यक्त की इन्होने तत्काल सेना भेजकर उन्हें गोलियों से भुनवा दिया और उन्हें मरवाने के बाद उसने कहा अब दिल को तसल्ली मिली…

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gangadhar nehru
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम: एक खोज, भाग-१

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उपर बाएं गंगाधर नेहरु, फोटो साभार आनंद भवन (नये तथ्यों के आधार पर संशोधित) लोग अक्सर प्रश्न पूछते हैं कि ईसाई माँ और मुसलमान (या पारसी) बाप का बेटा राहुल गाँधी जैसे खुद को दत्तात्रेय गोत्र का जनेऊधारी ब्राह्मण बताता है, कहीं पंडित जवाहरलाल नेहरु भी, वैसे ही फर्जी पंडित तो नहीं थे? जवाहरलाल नेहरु के हिन्दू विरोधी, हिन्दू धर्म विरोधी और भारत विरोधी कुकृत्यों की लम्बी श्रृंखला देखकर मेरे दिमाग में भी अक्सर यही प्रश्न उठता था. इसलिए मैंने सत्य का पता लगाने का निश्चय किया. ज्ञातव्य है कि अपने मुस्लिमपरस्त मानसकिता और कार्यों की वजह से पंडित नेहरु…

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dravidian
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

आर्य-द्रविड़ एक ही मूल और एक ही संस्कृति के लोग है

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आर्य द्रविड़ जन द्रविड़ संस्कृति वैदिक आर्य संस्कृति ही है. द्रविड़ और आर्य दोनों वैदिक लोग ही हैं. एसा इसलिए नहीं कह रहा हैं कि आधुनिक एतिहासिक और वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चूका है की आर्य हजारों लाखों वर्षों से भारत के मूलनिवासी रहे हैं या डीएनए शोध से आर्यों और द्रविड़ों के एक ही मूल के होने का पता चला है. या फिर विदेशी इतिहासकार द्रविड़ों को आर्य क्षत्रिय बताते हैं या मनुस्मृति द्रविड़ों को भारत के दस क्षत्रिय वंशों में से एक बताते हैं आदि. मैं एसा इसलिए कह रहा हूँ कि हमारे वामपंथी इतिहासकार जब द्रविड़…

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qutubminar
प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

कुतुबमीनार नहीं विष्णु स्तम्भ कहिये, ये रहा प्रमाण

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विष्णु स्तम्भ, महरौली, दिल्ली कुतुबमीनार का वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ है जिसे आक्रमणकारी कुतुबुद्दीन ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था. विष्णु स्तम्भ के पास जो बस्ती है उसे महरौली कहा जाता है. यह एक संस्कृ‍त शब्द है जो मिहिर शब्द से बना है और यह खगोलशास्त्री वराहमिहिर के नाम पर ही बसा है जहाँ वे रहते थे. उनके साथ उनके सहायक, गणितज्ञ और तकनीकविद भी रहते थे और इस विष्णु स्तम्भ का उपयोग खगोलीय गणना, अध्ययन के लिए करते थे. इस स्तम्भ के चारों ओर हिंदू राशि चक्र को…

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गौरवशाली भारत, प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

प्राचीन भारत के १५ विश्वविद्यालय जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था

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भारतवर्ष के विश्वविद्यालय भारत के इतिहास्यकार और तथाकथित बुद्धिजीवी हमें समझाते हैं कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुमलोग शूद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. क्या सचमुच ऐसा था? आइये पता करते हैं. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे और चन्द्रगुप्त मौर्य भी वहीँ का विद्यार्थी था. पर उपर्युक्त लोग तो चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय नहीं मानते हैं? नालंदा और बिक्रमशिला विश्वविद्यालयों में भी पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. क्या वे क्षत्रिय…

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मध्यकालीन भारत

हिन्दू मन्दिर और भवन जो अब मुस्लिम इमारतें कहलाती है

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हिन्दू इमारतें मुझे महान राष्ट्रवादी इतिहासकार स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक से पत्राचार का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं जब मुंबई में था तो उनके भारतीय इतिहास शोध संस्थान का सदस्य भी रहा हूँ. बाबरी मस्जिद तोड़े जाने पर जब मैंने उनसे पूछा था कि आपकी क्या राय है तो उन्होंने ॐ को ७८६ को उल्टा लिखकर समझाते हुए कहा था कि आक्रमणकारी कभी निर्माता नहीं थे. वे हिन्दू इमारतों का केवल स्वरूप चेंज कर देते थे जैसे उन्होंने ॐ को ७८६ (अरबी में उल्टा लिखा जाता है) कर दिया था. उन्होंने कहा था जिस ढांचे को तोड़ा गया वो वास्तव…

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अम्बेडकर
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर न दलित थे न अछूत, वे क्षत्रिय थे

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बाबा साहेब आम्बेडकर मैं पिछले दिनों शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और वे क्षत्रियों, ब्राह्मणों के द्वारा ५००० वर्षों से शोषित, पीड़ित नहीं बल्कि उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार…

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दलित
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-२

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मुस्लिम-ब्रिटिश शासन में बंगाल की जनता की तस्वीर गतांक से आगे… अब देखिये वामपंथी और दलितवादी कहते हैं ब्राह्मण और क्षत्रिय दलितों का ५००० वर्षों से शोषण कर रहे थे जबकि १००० ईस्वी से १८०० ईस्वी तक ब्राह्मण और क्षत्रिय खुद मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा शोषित, पीड़ित और वंचित थे और पिछले २०० वर्षों से अंग्रेज इनका शोषण और उत्पीडन कर रहे थे. जब विदेशी सत्ताधारी ईसाई और मुसलमान पहले से ही सभी भारतवासियों का शोषण और उत्पीडन कर रहा हो तो एसे समय में भला और कोई क्या किसी का शोषण, उत्पीड़न करेंगे. मगर आगे देखिये.. ६.     सीमांत क्षेत्रों में…

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दलित
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-१

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सच्चाई जानकर आप दंग रह जायेंगे. लेखक दावा करता है कि अगर यह लेख दलित जातियों के घर घर पहुँच गयी तो दलित राजनीती और दलितवादियों कि दुकाने बंद हो जाएगी! कुछ प्रश्न मेरे दिमाग में हमेशा दो प्रश्न उठता रहता था. पहला प्रश्न था “अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया था क्या वे सभी सचमुच दलित थे?” और दूसरा प्रश्न था “आखिर हिन्दुओं में इतनी दलित जातियां आई कहाँ से” जबकि हिन्दू संस्कृति तो वैदिक संस्कृति पर आधारित चतुर्वर्ण व्यवस्था थी जिसमे जन्म से सभी शुद्र और कर्म के आधार पर ही अन्य…

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