मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का लूटेरा मुगल शैतान बाबर का इतिहास

babar
शेयर करें

इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “बाबर का पितृ पक्ष तैमूरलंग तथा मातृ पक्ष चंगेज खां से सम्बन्धित था जो संसार के दो क्रूरतम एवं सबसे अधिक लूट-खसोट करनेवाले थे, जिन्होंने अपने अन्यायों एवं अत्याचारों से सम्पूर्ण विश्व को थर्रा दिया था तथा सम्पूर्ण मानवता को पैरों तले कुचलकर रख दिया था. जिनके सामने उदारता और सहृदयता नाम की कोई चीज नहीं थी. विध्वंस जिनके जीवन का प्रमुख ध्येय था….बाबर को भी लोग नरभक्षी समझकर दहशत खाते थे तथा जहाँ कहीं भी वह जाया करता था लोग उसके डर से भाग जाया करते थे.”

न्यायाधीश श्री जे. एम् शेलट ने लिखा है, “बाबर फारस की पूर्वी सीमा पर स्थित एक छोटे से राज्य फरगना के स्वामी उमर शेख का बेटा था. उमर शेख का बाप तैमुरलंग का प्रपौत्र था. बाबर की माँ कुतलुग निगार खानम क्रूरतम मंगोल चंगेज खां का बेटा युनुस खां की दूसरी बेटी थी. कहा जा सकता है कि भारत के सभी मुग़ल बादशाहों की रगों में संसार की दो क्रूरतम एवं बर्बर जातियों का खून था.” (अकबर, जे एम् शेलट, पृष्ठ ६)

बाबर का जन्म १४ फरवरी, १४८३ ईस्वी को हुआ था. बाबर का पिता, जो अतीव शराबी और अफीमची था, जब कबुतरखाने से गिरकर मर गया उस समय बाबर ११ वर्ष का था और वही फरगना का उत्तराधिकारी बना.

लूटेरा शैतान बाबर

बाबर का समूचा जीवन डाकूपन की कहानी है-प्रारम्भ में छोटी मोटी लूटमार, बाद में बहुत भयानक डकैतियां. अपने संस्मरण के ५४ वें पृष्ठ पर बाबर लिखता है कि एकबार उसने जगराग (एक वन्य जाति) पर धावा बोलकर उनकी २०००० भेड़ें तथा १५०० घोड़े छीन लिए थे. इन्हीं लूट खसोटन ने उसे आगे चलकर स्वयम तथा अपनी संतति द्वारा हिंदुस्तान लूटने में सहायता दी. पृष्ठ ११८ पर वह तम्बोलों के साथ हुए युद्ध के विषय में  लिखता है, “हमने अनेक बंदियों के सिरों को काटने की आज्ञा दी….शत्रु देश को लगातार लूटते रहे, उनके घोड़ों को हांक लाये, उनके लोगों को मार दिया और उन्हें मुसीबतों में डाल दिया.”

अपने संस्मरण के २१९ वें पृष्ठ पर बाबर दासों के विषय में लिखता है कि इनके कारण ही यवन लूटेरे भारत पर हमला किया करते थे. स्पष्ट है कि जबसे भारत में मध्य एशियाई मुस्लिम लूटेरों का आक्रमण हुए, निस्सहाय हिन्दू स्त्री, पुरुष, बालक वन्य पशुओं की भांति घेरे जाकर कुकृत्यों, अप्राकृतिक मैथुन आदि केलिए बुखारा, समरकंद, गजनी, दमिश्क, बगदाद आदि जैसे मुस्लिम बाजारों में बेचे ही नहीं जाते थे अपितु उन्हें बलात धर्मान्तरित करके अपनी ही मातृभूमि पर आक्रमण में साथ देने केलिए मजबूर भी करते थे. इस प्रकार ये दुष्ट लूटेरे गुंडों को साथ लेकर जितनी बार निस्सहाय हिन्दुओं पर आक्रमण कर उन्हें दास बनाकर बेचते थे, उसी अनुपात में धनवान होते जाते थे.

कोहट पर हमले का वर्णन करते हुए बाबर लिखता है, “हम कोहट पर टूट पड़े, दोपहर के समय उसे खूब लूटा, अनगिनत बैलों तथा भैंसों को साथ लिया और अनेक अफगानों को बंदी बना लिया. उनके घरों में बहुत अन्न भंडार प्राप्त हुआ. हमारे लूटेरे दल सिंध नदी तक पहुँच गए….फिर तय हुआ की हम अफगानों तथा बंगश के प्रदेशों को लूटते-खसोटते नगर के मार्ग से वापस जायेंगे…..आदेश दिए गए की जीवित पकड़े हुओं के सिर काट दिए जाएँ; हमारे आगामी पड़ाव पर उनके सिरों की मीनार खड़ी हो गयी थी.”

किवी जाति पर की गई चढ़ाई में बाबर के गुंडों ने बहुत सा कपड़ा लूटा. मारे हुए अफगानों के खोपड़ियों का ढेर लगा दिया गया. इसके बाद दश्त की लूट में उन्हें बहुमूल्य पदार्थ मिल सकते हैं यह सोचकर बाबर ने उधर जाने का निश्चय किया. मार्ग में इसखेल (इशिकुल) पर आक्रमण किया गया तथा बहुत पड़े परिमाण में भेड़, पशु तथा कपडे लाये गए.

भाग २ के पृष्ठ ५३ पर उसकी एक लूट अरेबियन नाईटस के चोरों की प्राप्ति सी लगती है, “लूट में अश्व, ऊंट-ऊंटनिया, रेशमी कपड़ों से लदे खच्चर, चमड़े के थैलों, तम्बुओं तथा मखमली चंदोवों भरी ऊंटनिया थीं. हर घर में हजारों मन सामग्री ठीक तरह रखकर पिटारों में बंद कर दी गयी. हर भंडार में ढेर के ढेर ट्रंक तथा गट्ठर तथा अन्य सामान, लबदों के थाले तथा चांदी के सिक्कों से भरे बर्तन थे. हर घर में लूट का अत्यधिक सामान था. इसी प्रकार अनगनित भेड़ें थीं.”

वह आगे लिखता है, “धन को गिनने में स्वयं को असमर्थ पा हम तराजू से तौलकर इसे बांटते थे. बेग लोग, अधिकारी तथा नौकर-चाकर चांदी के थैलों तथा सम्पूर्ण खरभारों (लगभग ७०० पौंड) को लेकर चलते थे और हम काबुल पर्याप्त धन, लूट का सामान एवं ख्याति लेकर लौटते थे.”

इसी तरह बाबर भारत से लूटे गये माल के बंटबारे का ब्यौरा देते हुए लिखता है, “कुछ अमीरों को मैंने दस लाख, कुछ को आठ लाख, सात लाख तथा छः लाख दिए. अफगानों, हाजरों, अरबों, बलूचों तथा अन्यान्य जो हमारी सेना में थे बांटा….मैंने समरकंद, खुरासान, काशगर तथा इराक के अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों को उपहार भेजे. खुरासान समरकंद, मक्का तथा मदीना के मुल्लाओं को भी भेंट भेजी गई.” इस प्रकार मुस्लिम आक्रमणकारियों की लूट से सोने की चिड़िया भारत धीरे धीरे कंगाल हो रहा था.

क्रूर शैतान बाबर

बाबर अपने संस्मरण में लिखता है, “हमने काफी संख्यां में कैदी बनाये. मैंने आदेश दिया कि उनके सिर काट लिए जाएँ (तम्बुल का युद्ध). जो लोग जीवित उपस्थित किये गए थे, उनके सिर काट लेने के आदेश जारी किये गये (कोहद और हांगु की लडाई). उनकी खोपड़ियों की एक मीनार खड़ी की गई. हांगु में भी कटे सिरों की मीनार खड़ी की गई. बन्नू नामक स्थान पर कटे सिरों का एक समूह एकत्रित किया गया…शत्रुओं के सैनिक जत्थे हमें लड़ने केलिए उकसा रहे थे. इन अफगानों की कटी खोपड़ियों की एक मीनार खड़ी की गई.

इस प्रकार बजौर के हमले की सफलता से मुझे संतोष हुआ…युद्ध के मैदान पर मैंने काटी गयी खोपड़ियों के समूह से एक स्तम्भ खड़ा करने का आदेश दिया. पंजकोरा को लूटने के लिए हिंदल बेग के नेतृत्व में मैंने एक सेना भेजी. पंजकोरा में सेना पहुंचने से पहले ही वहां के निवासी भाग खड़े हुए. सईद पुर के निवासियों को, जिन्होंने विरोध किया, काट फेंका गया. उनकी पत्नियों और बच्चों को कैदी बना लिया गया और उनकी समूची सम्पत्ति लूट ली गई…..लाहौर बाजार एवं शहर को लूटा गया एवं आग लगा दी गईं.

जब मैं पहली बार आगरा पहुंचा तो यह नजर आया की वहां के लोगों तथा मेरे आदमियों के बीच प्रबल पारस्परिक वैमनस्य घृणा एवं शत्रुता की भावना थी, गाँव के किसानों तथा सैनिकों ने मेरे आदमियों का बहिष्कार कर दिया. बाद में दिल्ली तथा आगरा को छोड़कर प्रत्येक स्थान के लोगों ने मेरी आज्ञाओं को मानने से इंकार कर दिया. जब मैं आगरा पहुंचा, गर्मी के दिन थे, मेरे डर के करण वहां के सभी निवासी भाग खड़े हुए. गाँव वालों ने हमसे घृणा तथा शत्रुता के कारण विद्रोह कर दिया. मार्ग अवरुद्ध हो गये, कासिमी इस समय एक छोटी सेना के साथ बयाना की ओर आगे बढ़ रहा था. उसने कुछ लोगों के सर काट डाले तथा उन्हें लेकर मेरे पास पहुंचा.

मुल्ला तुर्क अली को आदेश दिया गया था कि वह मेवात को लूटने तथा उसे ध्वस्त करने की प्रत्येक सम्भावना का निरीक्षण करे. मगफूर दीवान को भी इसी प्रकार के आदेश देते हुए कहा गया की वह कुछ दूरस्थ सीमावर्ती प्रदेशों पर हमला करने, गाँव को नष्ट करने तथा वहां के निवासियों को बंदी बनाने के लिए आगे बढ़े.”

एक काजी ने बाबर से शिकायत की कि मोहन मुन्दाहिर नामक एक हिन्दू ने काजी द्वारा उसकी समूची सम्पत्ति हड़प लेने का बदला लेने केलिए काजी की सम्पत्ति पर हमला किया, जलाया, सब सम्पत्ति लूट ली और काजी के पुत्र का कत्ल कर दिया. तब बाबर ने ३००० अरबों के साथ अली कुली हमदानी को काजी के बेटे के प्रति किये गये दुर्व्यवहार का बदला लेने के लिए भेजा. लगभग एक सहस्त्र मुन्दाहिर मार डाले गये और इतने ही स्त्री, पुरुष एवं बालक बंदी बना लिए गये. कत्ल बड़ा भयानक था, कटे हुए सिरों का मीनार बनाया गया था. मोहन को जीवित पकड़ लिया गया. जब बंदी दिल्ली लाये गये तो सभी स्त्रियों को मुगलों में बाँट दी गई. मुन्दाहिर को कमर तक जमीन में गाड़ कर उस पर तीरों की वर्षा कर मार डाला गया. (इलियड में डाउसन, पृष्ठ २३६)

लूटेरे बाबर का भारत पर आक्रमण

भारत पर आक्रमण करते समय मुस्लिम आक्रमणकारी सदैव हिन्दू तालाबों, झीलों, कुओं तथा जल के अन्य स्रोतों को या तो विषाक्त कर देते थे अथवा मल-मूत्र एवं सड़ी लाशों से भ्रष्ट कर देते थे. फतेहपुर सीकरी में राणा सांगा से युद्ध करते समय बाबर ने भी यही हथकंडे अपनाये थे.

भारत में पूरी तरह पैर ज़माने के पहले बाबर ने भारत पर पांच हमले किये थे. पहला १५१९ ईस्वी के आरम्भ में, दूसरा उसी वर्ष सितम्बर में, तीसरा १५२० में चौथा १५२४ में और पांचवा नवम्बर, १५२५ में.

भारत पर तीसरे आक्रमण में बाबर बाजौर तक बढ़ गया. यहाँ भयानक मारकाट मचाया और खोपड़ियों का मीनार बनाया किन्तु सिन्धु पार करते ही सीमा रक्षक बहादुर गक्खरों (खोक्खरों) तथा अन्य हिन्दू जातियों द्वारा बाबर को सिन्धु पार खदेड़ दिया गया. फिर भी वह सियालकोट लूटने में सफल हो गया. सईदपुर के निवासियों ने प्रतिरोध किया पर उन्हें तलवार के घात उतार दिया गया, उनके बच्चों एवं स्त्रियों को बलात्कार तथा इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए साथ ले जाया गया और उनकी समूची सम्पत्ति को लूट लिया गया.

१५२४ में बाबर का भारत पर चौथा आक्रमण हुआ. इब्राहीम लोदी के अफगान सेनापतियों की हार हुई तथा लाहौर नगर को लूटकर आग लगा दी गई. देवलपुर में कत्लेआम का आदेश दे दिया गया. बाबर सरहिंद तक बढ़ा और फिर वापस काबुल लौट गया.

७ नवम्बर १५२५ को उसने भारत पर पुनः आक्रमण किया. दिसम्बर २२, १५२५ को उसने सियालकोट पर अधिकार कर लिया. जनवरी ८, १५२६ को बाबर ने मलोट दुर्ग में प्रवेश किया. जंजुआ राजपूतों की यह परम्परागत गद्दी थी. इस युद्ध के विषय में बाबर लिखता है, “मलोट दुर्ग में प्राप्त स्वर्ण एवं अन्य वस्तुओं के कुछ अंश को मैंने स्वार्थसिद्धि के लिए बलख, कुछ को अपने रिश्तेदारों तथा मित्रों को भेंट स्वरूप काबुल भेज दिया तथा कुछ अंश अपने बच्चों एवं आश्रितों को बाँट दिया.”

अप्रैल १२, १५२६ को बाबर पानीपत पहुंचा. वह निर्णायक युद्ध जिसमें दिल्ली का अफगानी शासक इब्राहीम लोदी मारा गया, २१ अप्रैल, १५२६ को हुआ. ४ मई, १५२६ को बाबर आगरा पहुंचा और हिन्दुओं को लूटा, बंदी बनाया और स्त्रियों को अपने सैनिकों में बलात्कार केलिए बाँट दिया. जुलाई ११, १५२६ को उसने तथाकथित ताजमहल में दावत किया. वह लिखता है, “ईद के कुछ दिन पश्चात एक आलिशान दावत ऐसे विशाल कक्ष में हुई जो पाषाण खम्भों की स्तम्भ पंक्ति से सुसज्जित है और जो सुल्तान इब्राहीम के पाषाण प्रासाद के मध्य गुम्बद के नीचे हैं.”

भारत के सिंह राणा सांगा जब बाबर को रोकने केलिए आगे बढ़ रहे थे तो भारत के अनेक मुसलमान गवर्नर, शासक, किलेदार आदि ने राणा सांगा की अपेक्षा सहधर्मी होने के कारण बाबर का साथ दिया. फिर भी राणा सांगा ने खानवा के युद्ध में बाबर को धूल चटा दी. यहाँ राणा सांगा से गलती हुई और बाबर के युद्ध विराम के प्रस्ताव को स्वीकार कर उसे फिर से सैन्य तयारी का मौका दे दिया.

इतिहासकार पुरुषोतम नागेश ओक लिखते हैं, “खानवा की हार से बाबर के शिविर में अत्यधिक भय छा गया था तथा उसके सेनापति लौट चलने केलिए जोर दे रहे थे. यदि राणा सांगा खानवा से सीधे ही बाबर की सेना को खदेड़ते आते तो उसकी विजय हो जाती पर उन्होंने शत्रु को फिर से पुनर्गठित करने का समय दे दिया.”

राणा सांगा और बाबर के बीच अंतिम लड़ाई फतेहपुर सीकरी में हुई जहाँ राणा की हार हो गई और बाबर के सेनाओं ने फ़तेह पुर सिकड़ी के राजमहल का सत्यानाश कर दिया. नदी की ओर के प्रवेश मार्ग पर बने हाथियों को तोड़ डाला गया. देवी देवताओं की मूर्तियों और मन्दिरों का विध्वंस किया गया. बाद में अकबर कुछ वर्षों तक इन्ही महलों में आकर रहा था.

बाबर के आदेश पर उसके सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या में बने इसी श्रीराम मंदिर को 21 मार्च 1528 को तोप से ध्वस्त कर दिया था. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के प्रथम अध्यक्ष जनरल कनिंघम ने लिखा है कि मीर बाकी ने यह काम १७४००० रामभक्तों को कत्ल करने के बाद अंजाम दिया था.

२६ दिसम्बर, १५३० को बाबर आगरे के उसी तथाकथित ताजमहल में मर गया. उसका शव कुछ दिन यमुना तट पर राम बाग़ में रखा गया और बाद में काबुल ले जाकर दफना दिया गया.

Tagged , , , ,

28 thoughts on “मध्य एशिया का लूटेरा मुगल शैतान बाबर का इतिहास

  1. Hello, i think that i saw you visited my web site so i came to “return the favor”.I’m attempting to find things to improve my web site!I suppose its ok to use
    some of your ideas!!

  2. Hi there, I found your blog by means of Google at the same time as searching for a related subject, your web site got here up, it looks great.
    I have bookmarked it in my google bookmarks.
    Hello there, just become aware of your weblog via Google, and found that it is truly informative.
    I’m gonna watch out for brussels. I will be grateful in the event you continue this in future.
    Lots of other folks will probably be benefited from your writing.
    Cheers!

  3. Greetings I am so grateful I found your weblog, I really found you by
    error, while I was searching on Aol for something else,
    Nonetheless I am here now and would just like to say thank you for a incredible post
    and a all round thrilling blog (I also love the theme/design), I don’t have time
    to look over it all at the moment but I have saved it and
    also included your RSS feeds, so when I have time I will be back to read more, Please do keep up the awesome jo.

  4. Simply want to say your article is as amazing. The clearness in your submit is
    simply cool and i can think you’re an expert in this subject.
    Fine along with your permission let me to grasp your feed to keep updated with impending post.
    Thanks one million and please keep up the rewarding work.

  5. I think this is one of the most important information for me.
    And i’m glad reading your article. But wanna remark on few general things,
    The site style is great, the articles is really great : D.
    Good job, cheers

  6. Please let me know if you’re looking for a article writer for your weblog. You have some really good articles and I think I would be a good asset. If you ever want to take some of the load off, I’d really like to write some articles for your blog in exchange for a link back to mine. Please send me an email if interested. Regards!

  7. I have read some good stuff here. Certainly price bookmarking for revisiting. I surprise how so much attempt you put to create this kind of magnificent informative web site.

  8. I¦ve been exploring for a little bit for any high quality articles or blog posts on this kind of space . Exploring in Yahoo I ultimately stumbled upon this website. Studying this info So i¦m glad to show that I’ve a very just right uncanny feeling I discovered just what I needed. I such a lot unquestionably will make certain to do not fail to remember this website and give it a glance regularly.

  9. When someone writes an paragraph he/she retains the plan of a user in his/her brain that how a user can know it.
    Therefore that’s why this article is great. Thanks!

  10. My brother recommended I may like this blog. He used to be
    totally right. This submit truly made my day. You cann’t believe just how much time I had spent for
    this information! Thank you!

  11. My brother suggested I may like this blog. He used to be
    entirely right. This put up actually made my day.
    You can not imagine just how a lot time I had spent for this info!
    Thank you!

  12. Howdy just wanted to give you a brief heads up and let you
    know a few of the images aren’t loading correctly.
    I’m not sure why but I think its a linking issue. I’ve tried it in two different web
    browsers and both show the same results.

  13. That is really attention-grabbing, You’re an excessively professional blogger.
    I have joined your rss feed and look ahead to in the hunt for more of your wonderful post.
    Also, I have shared your website in my social networks

  14. Normally I don’t read article on blogs, but I wish to say that this write-up very forced me to try and do so! Your writing style has been amazed me. Thank you, very nice article.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *