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आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

राममन्दिर पुनर्निर्माण केलिए ४९२ वर्ष लम्बे संघर्ष की गौरवगाथा

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६ दिसम्बर, १९९३ को भारत का कलंक बाबरी विध्वंस हुआ भारत में उपलब्ध स्थानीय अभिलेख, क्षेत्रीय इतिहास, अनुश्रुति और भारतीय ग्रन्थों में उपलब्ध जानकारी के अनुसार अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मन्दिर बनाने का पहला श्रेय मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के बड़े पुत्र कुश को जाता है. अर्केओलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा श्रीरामजन्मभूमि की खुदाई में मन्दिर के तिन परतों का पता चला जिसमे द्वितीय परत प्रथम ईसापूर्व के महान चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य द्वारा बना माना जाता है. और उसके लगभग एक हजार वर्ष बाद ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी में अयोध्या के गहड़वाल वंश के शासक गोविन्दचन्द्र द्वारा निर्मित या जीर्णोद्धार किया…

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नवीनतम शोध, प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

ASI के रिपोर्ट में कुतुबमीनार गुप्तकाल से भी प्राचीन हिन्दू स्तम्भ है

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कुतुबमीनार हिन्दू स्तम्भ है क्या आपको पता है भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की किताब में दिल्ली के कुतुबमीनार को हिन्दू स्तम्भ और कुतुबमीनार सहित पूरे परिसर को गुप्तकाल से भी अधिक प्राचीन हिन्दू मन्दिर परिसर केवल बताया ही नहीं गया है बल्कि साबित भी किया गया है? शायद नहीं. आइये, हम सिर्फ बतायेंगे ही नहीं दिखायेंगे भी की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की किताब में क्या लिखा हुआ है. इस किताब का नाम है Archaeological Survey of India; Report for the Year 1871-72 Delhi, Agra, Volume 4, by J. D. Beglar and A. C. L. Carlleyle. १.     पुरातत्व सर्वेक्षण…

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आधुनिक भारत, ऐतिहासिक कहानियाँ

बंगाल का अंतिम वीर योद्धा-The Savior of Calcutta

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गोपाल पाठा खटिक उर्फ़ गोपालचन्द्र मुखोपाध्याय पाकिस्तान की मांग मनवाने केलिए मुस्लिम लीग ने भारत के गैरमुस्लिमों के विरुद्ध पूरे भारत में ‘सीधी कार्रवाई’ की घोषणा कर दी थी. मुस्लिम लीग के हिन्दुओं के विरुद्ध सीधी कार्यवाही (Direct Action) से सबसे अधिक प्रभावित कोलकाता, नोआखाली और रावलपिंडी हुआ था. कोलकाता में इस घटना को कोलकाता हत्या और बलात्कार कांड के नाम से जाना जाता है. जिन्ना ने कहा था कोलकाता के बिना पूर्वी पाकिस्तान अधूरा होगा. इसलिए सीधी कार्यवाही में हिन्दू बहुल कोलकाता मुस्लिम लीग के एजेंडे में सबसे उपर था. बंगाल में मुस्लिम लीग का ही सरकार था. उसने…

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आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

अशोक और अकबर महान, चन्द्रगुप्त मौर्य और विक्रमादित्य क्यों नहीं?

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महान कौन? भारतवर्ष के ऐतिहासिक काल (जिसका लिखित और पुरातात्विक साक्ष्य दोनों उपलब्ध हो) में ही दर्जनों ऐसे पराक्रमी, महापराक्रमी और महान राजा, सम्राट भरे हुए हैं जो अशोक मौर्य से लाख गुना बेहतर थे और बेहतर हुए. पूरे भारतवर्ष को फिर से एकसूत्र में बांधनेवाला अपने दादा चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने ही अशोक मौर्य कहीं नहीं ठहरता है, सम्राट विक्रमादित्य की तो वह परछाई भी नहीं छू सका. इन दोनों की महानता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग आधे दर्जन परवर्ती राजाओं ने चन्द्रगुप्त की उपाधि धारण की थी और दर्जनों राजाओं ने विक्रमादित्य…

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प्राचीन भारत

सिकन्दर ने नहीं, महाराज पौरव ने सिकन्दर को हराया था

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महाराज पौरव और सिकन्दर झेलम और चेनाब नदियों के बीच पुरु का राज्य था. सिकन्दर के साथ हुई मुठभेड़ में पुरु परास्त हुआ किन्तु सिकन्दर ने उसका प्रदेश उसे लौटा दिया-भारत का प्राचीन इतिहास, झा एंड श्रीमाली, पृष्ठ १७१ सिविल सेवा की तयारी के दौरान दुर्भाग्यवश झा एंड श्रीमाली जैसे वामपंथी इतिहासकारों द्वारा लिखित ये मानक इतिहास हमें बार बार पढ़ना पढ़ा जो अपनी शौर्य और वीरता के लिए जगत प्रसिद्ध महान राजा पुरु का इतिहास सिकन्दर महान का गुणगान करते हुए महज इन दो वाक्यों में सिमटा दिया है. हर बार जब मैं यह इतिहास पढता तो इन दो…

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आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम: एक खोज, भाग-२

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मैमूना बेगम उर्फ़ इंदिरा गाँधी और फिरोज खान उर्फ़ फिरोज गाँधी गतांक से आगे… ६.     जिन्ना और मुस्लिम लीग ने १९४६ में जब हिंदुओं के विरुद्ध प्रत्यक्ष कार्यवाही की घोषण की और हिंदुओं की हत्या, लूट और हिंदू स्त्रियों के बलात्कार होने लगे उस समय नेहरु भारत के अंतरिम प्रधानमंत्री थे, पर उन्होंने इसे रोकने का कोई प्रयत्न नही किया. परन्तु बिहार में जैसे ही कोलकाता में मारे गए लोगों के परिजनों ने इसके विरोध में प्रतिक्रिया व्यक्त की इन्होने तत्काल सेना भेजकर उन्हें गोलियों से भुनवा दिया और उन्हें मरवाने के बाद उसने कहा अब दिल को तसल्ली मिली…

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आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

नेहरु हिंदू थे या मुस्लिम: एक खोज, भाग-१

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उपर बाएं गंगाधर नेहरु, फोटो साभार आनंद भवन (नये तथ्यों के आधार पर संशोधित) लोग अक्सर प्रश्न पूछते हैं कि ईसाई माँ और मुसलमान (या पारसी) बाप का बेटा राहुल गाँधी जैसे खुद को दत्तात्रेय गोत्र का जनेऊधारी ब्राह्मण बताता है, कहीं पंडित जवाहरलाल नेहरु भी, वैसे ही फर्जी पंडित तो नहीं थे? जवाहरलाल नेहरु के हिन्दू विरोधी, हिन्दू धर्म विरोधी और भारत विरोधी कुकृत्यों की लम्बी श्रृंखला देखकर मेरे दिमाग में भी अक्सर यही प्रश्न उठता था. इसलिए मैंने सत्य का पता लगाने का निश्चय किया. ज्ञातव्य है कि अपने मुस्लिमपरस्त मानसकिता और कार्यों की वजह से पंडित नेहरु…

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नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

आर्य-द्रविड़ एक ही मूल और एक ही संस्कृति के लोग है

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आर्य द्रविड़ जन द्रविड़ संस्कृति वैदिक आर्य संस्कृति ही है. द्रविड़ और आर्य दोनों वैदिक लोग ही हैं. एसा इसलिए नहीं कह रहा हैं कि आधुनिक एतिहासिक और वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चूका है की आर्य हजारों लाखों वर्षों से भारत के मूलनिवासी रहे हैं या डीएनए शोध से आर्यों और द्रविड़ों के एक ही मूल के होने का पता चला है. या फिर विदेशी इतिहासकार द्रविड़ों को आर्य क्षत्रिय बताते हैं या मनुस्मृति द्रविड़ों को भारत के दस क्षत्रिय वंशों में से एक बताते हैं आदि. मैं एसा इसलिए कह रहा हूँ कि हमारे वामपंथी इतिहासकार जब द्रविड़…

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प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

कुतुबमीनार नहीं विष्णु स्तम्भ कहिये, ये रहा प्रमाण

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विष्णु स्तम्भ, महरौली, दिल्ली कुतुबमीनार का वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ है जिसे आक्रमणकारी कुतुबुद्दीन ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था. विष्णु स्तम्भ के पास जो बस्ती है उसे महरौली कहा जाता है. यह एक संस्कृ‍त शब्द है जो मिहिर शब्द से बना है और यह खगोलशास्त्री वराहमिहिर के नाम पर ही बसा है जहाँ वे रहते थे. उनके साथ उनके सहायक, गणितज्ञ और तकनीकविद भी रहते थे और इस विष्णु स्तम्भ का उपयोग खगोलीय गणना, अध्ययन के लिए करते थे. इस स्तम्भ के चारों ओर हिंदू राशि चक्र को…

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गौरवशाली भारत, प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

प्राचीन भारत के १५ विश्वविद्यालय जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था

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भारतवर्ष के विश्वविद्यालय भारत के इतिहास्यकार और तथाकथित बुद्धिजीवी हमें समझाते हैं कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुमलोग शूद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. क्या सचमुच ऐसा था? आइये पता करते हैं. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे और चन्द्रगुप्त मौर्य भी वहीँ का विद्यार्थी था. पर उपर्युक्त लोग तो चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय नहीं मानते हैं? नालंदा और बिक्रमशिला विश्वविद्यालयों में भी पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. क्या वे क्षत्रिय…

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