बाबा साहेब आम्बेडकर मैं पिछले दिनों शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और वे क्षत्रियों, ब्राह्मणों के द्वारा ५००० वर्षों से शोषित, पीड़ित नहीं बल्कि उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार…
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दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-२
मुस्लिम-ब्रिटिश शासन में बंगाल की जनता की तस्वीर गतांक से आगे… अब देखिये वामपंथी और दलितवादी कहते हैं ब्राह्मण और क्षत्रिय दलितों का ५००० वर्षों से शोषण कर रहे थे जबकि १००० ईस्वी से १८०० ईस्वी तक ब्राह्मण और क्षत्रिय खुद मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा शोषित, पीड़ित और वंचित थे और पिछले २०० वर्षों से अंग्रेज इनका शोषण और उत्पीडन कर रहे थे. जब विदेशी सत्ताधारी ईसाई और मुसलमान पहले से ही सभी भारतवासियों का शोषण और उत्पीडन कर रहा हो तो एसे समय में भला और कोई क्या किसी का शोषण, उत्पीड़न करेंगे. मगर आगे देखिये.. ६. सीमांत क्षेत्रों में…
दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-१
सच्चाई जानकर आप दंग रह जायेंगे. लेखक दावा करता है कि अगर यह लेख दलित जातियों के घर घर पहुँच गयी तो दलित राजनीती और दलितवादियों कि दुकाने बंद हो जाएगी! कुछ प्रश्न मेरे दिमाग में हमेशा दो प्रश्न उठता रहता था. पहला प्रश्न था “अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया था क्या वे सभी सचमुच दलित थे?” और दूसरा प्रश्न था “आखिर हिन्दुओं में इतनी दलित जातियां आई कहाँ से” जबकि हिन्दू संस्कृति तो वैदिक संस्कृति पर आधारित चतुर्वर्ण व्यवस्था थी जिसमे जन्म से सभी शुद्र और कर्म के आधार पर ही अन्य…
वैदिक आर्य बाहर से भारत नहीं आये बल्कि भारत से बाहर विभिन्न क्षेत्रों में गये थे!
इस तस्वीर को ध्यान से देखिए. आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत वस्तुतः आउट ऑफ़ इंडिया सिद्धांत ही है. पूरा विश्व अब मानने लगा है कि विश्व की प्राचीन सभ्यता वास्तव में भारत से ही पूरी दुनिया में फैली. पर दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के कांग्रेसी सरकार और वामपंथी इतिहासकार भारत में सत्य के विपरीत ठीक उल्टा सिद्धांत बना रखें हैं. जब भारत की सरकार और शिक्षा तन्त्र ही झूठ का लबादा ओढ़ रखा हो तो फिर दुसरे देश क्या करें? इसलिए इतिहास के अन्वेषक पूरे विश्व के विद्वान किंकर्तव्यविमूढ़ हो आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत की ओर देखते हैं…
भारत का इतिहास भारत विरोधी क्यों?
भारत विरोधी इतिहास और इतिहासकार ईसाई, इस्लामी और वामपंथी तीनों इतिहास के दुश्मन होते हैं. ये तीनों अपने अतीत के इतिहास को निकम्मा और गैरजरूरी बताकर नष्ट कर देते हैं. अगर भारत में घर घर में रामायण, महाभारत, वेद, पुराण आदि नहीं होते तो ये तीनों मिलकर भारत के गौरवशाली अतीत को भी नष्ट करने में सफल हो गये होते-स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक, महान राष्ट्रवादी इतिहासकार विचार कीजिए… आपने किसी देश का ऐसा इतिहास पढ़ा है जो अपने ही देश और उसके मूलनिवासियों के अतीत को कलंकित करती हो? कभी आपने सोचा है विश्व की सबसे प्राचीन और गौरवशाली सभ्यता,…