पिछले लेख “मध्य एशिया के कुषाण हिन्दू थे” में आपने देखा कि लगभग सभी इतिहासकार इस बात से सहमत थे कि चीन के यूची भारतीय ग्रंथों में वर्णित ऋषिक लोग हैं और शैवधर्मी हिन्दू कुषाण यूची कबीले के लोग थे. अधिकांश इतिहासकार इस बात से सहमत थे कि कुषाण और तुषार (Tukhar) एक ही लोग थे. चीनी इतिहास में इनमे से एक को महायूची और दूसरे को लघु यूची कहा गया है. ग्रीक इतिहासकार लिखते हैं कि ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य पर तुषारों ने कब्जा कर कुषाण साम्राज्य की स्थापना की जबकि चीनी इतिहास के अनुसार यूचियों का एक कबीला कुषाणों ने…
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दलित-मुस्लिम का नारा देकर दलितों को मरवानेवाला जोगेन्द्रनाथ मंडल की कहानी
जोगेन्द्र नाथ मंडल का मानना था कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच दलितों की स्थिति में कभी सुधार नहीं हो सकता है. अतः हिन्दुओं के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले अल्पसंख्यक मुसलमान और दलित पाकिस्तान में भाई भाई की तरह रह सकते हैं. उनकी आवाहन पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के लाखों करोड़ों दलित विभाजन के दौरान न सिर्फ वहीं रह गये बल्कि लाखों उनके साथ पाकिस्तान चले गये. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र का अध्यक्ष बनाया और वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी बने. पर जल्द ही उनका दलित…
अम्बेडकर ने लिखा है शूद्र क्षत्रियों के वंशज हैं, क्या अम्बेडकर भी क्षत्रियवंशी थे?
मैं पिछले वर्ष शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार वाला अंग्रेजों का शासन जिम्मेदार था. आश्चर्य तो मुझे इस बात पर हुआ कि डॉ…
अरबों द्वारा मध्य एशिया में बौद्ध राज्यों, बौद्ध धर्म और बुद्धिष्टों के सम्पूर्ण विनाश का इतिहास
पिछले दो लेखों, मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक और मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, विस्तार और तीर्थस्थलों के भ्रमण, से साबित हो गया है कि मध्य एशिया भारत और भारतियों के लिए विलायंत नहीं बल्कि भारतवर्ष का ही हिस्सा था. प्राचीन मद्र, साल्व राज्य और कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में ही था. सावित्री-सत्यवान और नकुल सहदेव के मामा साल्व नरेश शल्य मध्य एशिया के ही थे. उन्ही हिन्दुओं में से कुछ ने परवर्ती काल में बौद्ध धर्म अपनाकर अपने राज्यों को बौद्ध धर्मी राज्य घोषित किया था. बौद्ध धर्म…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, प्रसार और तीर्थस्थलों का भ्रमण
पश्चिमोत्तर भारतवर्ष का बाह्लीक प्रदेश जो उत्तरी अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान-उज्बेकिस्तान में विस्तृत था सिकन्दर के आक्रमण के समय से ही ग्रीकों के कब्जे में आ गया था. मध्य एशिया में प्रथम बौद्ध राज्य यही बाह्लीक प्रदेश (बैक्ट्रिया) बना. यह एक राजनितिक निर्णय था. आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बहुत से राज्य अशोक के समय बौद्ध धर्मी या बौद्ध धर्म के संरक्षक बन गये थे. बहुत बड़ी संख्यां में यहाँ के हिन्दू भी बौद्ध धर्म अपना लिए थे. ग्रीको-बैक्ट्रियन बौद्ध शासन ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य कि स्थापना दिवोदत प्रथम (२४५-२३० ईस्वीपूर्व) ने किया था. इसी के वंश में दिमित्री (डेमेत्रियस) आगे राजा बना…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास-सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक
मध्य एशिया का ताजीकिस्तान, कीर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान आधुनिक भारत, अफगानिस्तान, ईरान से उपर काश्पीय सागर तक विस्तृत है. यही वह क्षेत्र है जहाँ से आर्यजन द्रविड़ों या असुरों को खदेड़ते हुए हड़प्पा सभ्यता को नष्ट करते हुए १५०० ईस्वीपूर्व भारत में घुस आये थे ऐसा झूठ साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार फैला रखे थे. कारण था यहाँ उन्हें प्राचीन वैदिक संस्कृति के विपुल प्रमाण मिले थे और उनमें से सबसे प्रमुख प्रमाण ये लोग यह मानते थे कि इस क्षेत्र के लोगों के देवी देवताओं के नाम ठीक वही हैं जो आर्यों का था या भारतियों का है. इसलिए प्राचीन…
हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-२
गतांक से आगे… ५. अशोक का धम्म नीति और विकृत अहिंसा का प्रचार प्रसार महात्मा बुद्ध ने अहिंसा को मानवीय संवेदना के रूप में व्यक्त किया था व्यक्ति या राज्य के नीति के रूप में नहीं. उन्होंने व्यक्ति के लिए शांति और अहिंसा की नीति का प्रतिपादन किया था शासन के लिए अहिंसा और निशस्त्रीकरण की नीति का प्रतिपादन नहीं किया था अर्थात अहिंसा परमोधर्मः के साथ साथ धर्महिंसा तथैव च की नीति से कतई छेड़छाड़ नहीं किया था. पर सम्राट अशोक अपने हिंसक युद्धनीति और कलिंग युद्ध में हिंसा का विभत्स नंगा नाच करने के पश्चात युद्ध से विरक्त…
हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-१
इतिहास भविष्य का दर्पण होता है क्योंकि इतिहास की हमारी समझ ही किसी राष्ट्र और समाज का भविष्य निर्धारण करता है. इतिहास हमारे अच्छे-बुरे, सही-गलत, सफल-असफल कार्यों और उसके परिणामों का लेखा जोखा होता है. इनका समुचित विश्लेषण कर ही राष्ट्रनीति, कूटनीति, युद्धनीति, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ बनती है. उपर्युक्त नीतियों की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस राज्य या राष्ट्र के इतिहास का किस हद तक समुचित विश्लेषण किया गया है. इसलिए यह जरूरी है कि हमलोग भारतवर्ष के इतिहास काल में घटित उन गलतियों का सही सही विश्लेषण करें जिसके कारण एक समय अरब…
यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-२
गतांक से आगे… यूरोप के ड्रुइडस और सेल्टिक अथवा केल्टिक सभ्यता के वैदिक संस्कृति से सम्बन्धित होने के कई अन्य ग्रन्थों से भी प्रमाण मिलते हैं. किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को प्राप्त व्यक्ति को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा जाता था. मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी शुद्र ही होते हैं अतः किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मणपद पर पहुंच सकता था यदि वह १.निष्पाप शुद्ध आचरण वाला जीवन यापन करता है २.अध्ययन त्याग और निष्ठा से करे ३.स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ४.उसका दैनन्दिनी कार्यक्रम आदर्श हो. अतः मनुमहराज कहते हैं, इस…
यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-१
रोमन शासक कांस्टेंटाईन के ३१२ ईस्वी में ईसाई धर्म अपनाने और यूरोप में उसके द्वारा ईसायत के प्रसार से पूर्व यूरोप में वैदिक संस्कृति होने के प्रमाण मिलते हैं. इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि यूरोप के ड्रुइडस भारतीय ब्राह्मण थे और उनके मार्गदर्शन में विकसित केल्टिक या सेल्टिक संस्कृति स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक संस्कृति ही थी. यूरोपीय इतिहासकार इन्हें भारोपीय (Indo-European) भाषा बोलने वाले भारोपीय लोग कहते हैं जो कहीं से आकर यूरोप में बस गये थे. यूरोप में ईसापूर्व की संस्कृति का नेतृत्व और अधीक्षण, निरीक्षण, शिक्षण, व्यवस्थापन आदि कार्य ड्रुइडस के हाथों में था.…