महान कौन? भारतवर्ष के ऐतिहासिक काल (जिसका लिखित और पुरातात्विक साक्ष्य दोनों उपलब्ध हो) में ही दर्जनों ऐसे पराक्रमी, महापराक्रमी और महान राजा, सम्राट भरे हुए हैं जो अशोक मौर्य से लाख गुना बेहतर थे और बेहतर हुए. पूरे भारतवर्ष को फिर से एकसूत्र में बांधनेवाला अपने दादा चन्द्रगुप्त मौर्य के सामने ही अशोक मौर्य कहीं नहीं ठहरता है, सम्राट विक्रमादित्य की तो वह परछाई भी नहीं छू सका. इन दोनों की महानता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग आधे दर्जन परवर्ती राजाओं ने चन्द्रगुप्त की उपाधि धारण की थी और दर्जनों राजाओं ने विक्रमादित्य…
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प्राचीन भारत के १५ विश्वविद्यालय जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था
भारतवर्ष के विश्वविद्यालय भारत के इतिहास्यकार और तथाकथित बुद्धिजीवी हमें समझाते हैं कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुमलोग शूद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. क्या सचमुच ऐसा था? आइये पता करते हैं. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे और चन्द्रगुप्त मौर्य भी वहीँ का विद्यार्थी था. पर उपर्युक्त लोग तो चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय नहीं मानते हैं? नालंदा और बिक्रमशिला विश्वविद्यालयों में भी पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. क्या वे क्षत्रिय…
वैदिक स्थापत्य ही पूरे विश्व के स्थापत्य कला की जननी है
वैदिक स्थापत्य कला विश्व में स्थापत्यकला के दर्जनों प्राचीन ग्रन्थ हैं और वे ग्रन्थ सिर्फ संस्कृत में हैं, इसलिए वे वैदिक सभ्यता के धरोहर है. वैदिक स्थापत्य यानि वास्तुकला और नगर-रचना की पूरी विधि मूल तत्व आदि विवरण जिन संस्कृत ग्रंथों में मिलता है उन्हें अगम साहित्य कहा जाता है. ये ग्रन्थ बहुत प्राचीन हैं. मानसार शिल्पशास्त्र के रचयिता महर्षि मानसार के अनुसार ब्रह्मा जी ने नगर-निर्माण और भवन-रचना विद्याओं में चार विद्वानों को प्रशिक्षण दिया. उनके नाम हैं-विश्वकर्मा, मय, तवस्तर और मनु. शिल्पज्ञान (Engineering) की सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है भृगु शिल्पसन्हिता. किले, महल, स्तम्भ, भवन, प्रासाद, पूल, मन्दिर,…
भारतवर्ष के नव निर्माता महापराक्रमी पुष्यमित्र शुंग
महापराक्रमी पुष्यमित्र शुंग जबतक सम्राट अशोक अपने गुरु चाणक्य की नीतियों पर चलता हुआ खड्गहस्त रहा, मौर्य साम्राज्य फलता फूलता रहा और फैलकर पश्चिम में ईरान तो पूर्व में म्यानमार की सीमा को छूने लगा. यह उत्तर में अफगानिस्तान, कश्मीर को सम्मिलित करते हुए दक्षिण में तमिलनाडू और केरल की सीमा तक पहुँच गया था, परन्तु, शस्त्र त्यागकर भेड़ी घोष (युद्ध विजय) के स्थान पर धम्म घोष की नीति अपनाते ही चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य के खून पसीने से निर्मित विशाल मौर्य साम्राज्य देखते ही देखते भड़भडाकर गिरने लगा. कहा जाता है उसने अपने सैनिकों को भी निशस्त्र कर बौद्ध…
बिहार, बंगाल का विनाशक बख्तियार खिलजी को असम के वीरों ने दौड़ा दौड़ा कर मारा
बख्तियार खिलजी मोहम्मद बख्तियार खिलजी गर्मसिर प्रान्त के गोर स्थान का जन्मजात लूटेरा था. अपनी लूटेरी प्रवृति के कारन वह लूटेरों के सरदार मोहम्मद गोरी के दल में शामिल हो गया और लूटपाट में अधिक से अधिक हिस्सेदारी पाने और बड़े ओहदे केलिए मोहम्मद गोरी के काम पिपासा शांत करने हेतु औरतों की दलाली करने लगा. वह हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों को लूटने, कत्ल करने के साथ साथ उनकी स्त्रियों, बहनों और बेटियों को सेक्स गुलाम बनाकर बेचने का धंधा भी करने लगा. शैतान बख्तियार खिलजी की पैशाचिक प्रतिभा को देखते हुए मुहम्मद गोरी के अवध का सिपहसालार मलिक हिसामुद्दीन ने…
भारत के लिए कितना खतरनाक था धारा-३७० और ३५-A भाग-१
जम्मू कश्मीर कितने आश्चर्य की बात है की देश के किसी भी भाग में बसने की हमारी संवैधानिक स्वतंत्रता जम्मू-कश्मीर की सीमा के पास जाकर घुटने टेक देती थी. वर्षों से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए जान की बाजी लगाकर डटे रहनेवाले भारतीय सैनिक जम्मू-कश्मीर में दो गज जमीन पाने के हकदार नही थे. वहाँ की नागरिकता पृथक मानी जाती थी. करोडो भारतियों का गौरव भारतीय सम्विधान जम्मू-कश्मीर में कुछ लाख लोंगो के बीच गौरवहीन हो जाता था क्योंकि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग सम्विधान था. यहाँ तक की भारतियों की आँखों का तारा तिरंगा झंडा, जिसके लिए हजारों लोगों ने…
डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर न दलित थे न अछूत, वे क्षत्रिय थे
बाबा साहेब आम्बेडकर मैं पिछले दिनों शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और वे क्षत्रियों, ब्राह्मणों के द्वारा ५००० वर्षों से शोषित, पीड़ित नहीं बल्कि उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार…
महात्मा बुद्ध की अहिंसा नहीं सम्राट अशोक का धम्म नीति भारतवर्ष और हिन्दुओं के पतन का कारन था
नमो बुद्धाय प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक फ्रंकोइस गौटीयर ने अपने आर्टिकल हिंदू पॉवर के माध्यम से यह समझाने की कोशिस की है कि भारतवर्ष/हिंदुओं के पतन का कारन हिंदुओं में घर कर गयी कायरता, निष्क्रियता, अतिसहिष्णुता और दब्बूपन जैसी बुराईयां है और यह बुराईयां हिंदुओं में कमोवेश बौद्ध धर्म की अहिंसा की गलत नीतियों और भारतवर्ष में उसके बृहत प्रभाव के कारन जन मानस में फ़ैल जाने के कारन आई. उदहारण के रूप में वे कहते हैं की हिंदू/बौद्ध आज भी बाजिब लड़ाई झगड़े से भी दूर घरों में दुबक जाते हैं, कश्मीर से चार लाख पंडित केवल हिंदू होने…
इस्लामपूर्व अर्बस्थान का हिन्दू इतिहास
मक्का का पुराना तस्वीर यह ख़ुशी की बात है कि अंग्रेजों और वामपंथियों का हिन्दू विरोधी षड्यंत्र की हम हिन्दू विदेशी और अपने ही देश भारतवर्ष पर आक्रमणकारी है अब झूठ और मनगढ़ंत साबित हो चूका है. अब इतिहासकार मानने लगे हैं कि हिन्दू विदेशों से भारत नहीं आये बल्कि विश्वगुरु भारत के गौरवशाली हिन्दू भारत से निकलकर पुरे विश्व में वैदिक संस्कृति, सभ्यता, धर्म, शिक्षा, ज्ञान, विज्ञान और व्यापार का प्रसार किये थे.आधुनिक इतिहास शोधों से अब स्पष्ट हो गया है कि लगभग पुरे एशिया पर इस्लाम पूर्व काल तक हिन्दुओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष शासन था. अरब में…
अरब से लेकर बांग्लादेश तक इस्लाम ने कैसे बौद्ध धर्म और बुद्धिष्टों को खत्म कर दिया
नमो बुद्धाय! इस्लाम के उदय के पूर्व सम्राट अशोक के बौद्ध धम्म की नीतियों के कारण बौद्ध धर्म और बौद्ध शासन भारत से लेकर अरब तक फ़ैल गया था. अर्बस्थान के पैगन केवल मूर्तिपूजक हिन्दू ही नहीं थे पर्याप्त संख्या में बौद्ध भी थे. अरब के काबा में तो इस्लामिक एन्सायक्लोपीडिया के अनुसार ३६० से अधिक हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियाँ थी और इस्लाम के प्रवर्तक पैगम्बर मोहम्मद के चाचा और परिवार उस विशालकाय मन्दिर के संरक्षक और महंथ थे. मौर्य और शुंग वंश के बाद क्या हुआ मौर्य और शुंग वंश के बाद मगध साम्राज्य के कमजोर पड़ने के…