शेयर करेंरानी दुर्गावती महोबा के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं. चंदेल लोधी राजपूत वंश की शाखा का ही एक भाग है. बांदा जिले के कालिंजर दुर्ग में ५ अक्तूबर, १५२४ ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया. नाम के अनुरूप ही वह तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण प्रसिद्ध हो गयी. दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था. चीते के शिकार में इनकी विशेष रुचि थी. कालिंजर का युद्ध १५४५ ईस्वी कि बात है. बाबर कि औलाद हुमायूँ को हराकर बिहार का मुस्लिम शासक शेरशाह सूरी जो दिल्ली का…
गौरवशाली भारत-१०
शेयर करें226. रमजान, रामदान वास्तव में रामध्यान शब्द है. अर्बस्थान के लोग प्राचीन समय से रमझान के पुरे महीने में उपवास रखकर भगवान राम का ध्यान पूजन करते थे. इसीलिए रमझान का महीना पवित्र माना जाता है-पी एन ओक 227. मक्का की देवमूर्तियों के दर्शनार्थ प्राचीन (इस्लामपूर्व) काल में जब अरब लोग यात्रा करते थे तो वह यात्रा वर्ष की विशिष्ट ऋतू में ही होती थी. शायद वह यात्रा शरद ऋतू में (यानि दशहरा-दीपावली के दिनों में) की जाती थी. प्राचीन अरबी पंचांग (वैदिक पंचांग के अनुसार) हर तिन वर्षों में एक अधिक मास जुट जाता था. अतः सारे त्यौहार…
गौरवशाली भारत-९
शेयर करें201. ईजिप्त के इतिहासकार Bengsch Bey लिखते हैं, “अति प्राचीनकाल में भारत से लोग आकर ईजिप्त में नील नदी के किनारे बसे. स्वयं ईजिप्त के लोगों में यह भावना व्याप्त है कि वे किसी अन्य अद्भुत देश से ईजिप्त में आ बसे. वह देश हिन्द महासागर के किनारे का पवित्र पन्त देश (पंडितों का देश) था. वह उनलोगों के देवताओं का मूल देश था. वह पन्त देश भारत के अतिरिक्त अन्य कोई हो ही नहीं सकता. (Pg. 123, The Theosophist मासिक, मार्च १८८१) २०२. ईजिप्त के शिलालेखों से पता चलता है कि फराओ संकर्राह (राजा शंकर) ने कई प्रजाजनों…
राजा भोज के वंशज कुछ परमार क्षत्रिय दलित कैसे बन गए?
शेयर करेंफेसबुक के एक पोस्ट पर जब मैंने एक “मिस्टर परमार” को खुद को मूल निवासी बताते हुए समस्त हिंदुओं और मुझे गाली देते देखा तो दंग रह गया. मैं स्तम्भित रह गया की भारत के गौरवशाली क्षत्रिय वंशों में से एक परमार (शासन: ८०० ईस्वी से १३०५ ईस्वी) जिसमे दिग्दिगंत विजेता वाक्पति मुंज जैसा सम्राट पैदा हुआ हो जो पश्चिमी चालुक्यों के शासक तैलप द्वितीय जैसे दक्षिण के विजेता जिसने महान चोलों को भी परास्त किया था को एक दो बार नहीं पूरे छः बार पराजित किया हो, जिसके पूर्वज राजा भोज जैसे महान उदार, प्रजावत्सल, विद्वान, कई ग्रंथों…
अरबों द्वारा मध्य एशिया में बौद्ध राज्यों, बौद्ध धर्म और बुद्धिष्टों के सम्पूर्ण विनाश का इतिहास
शेयर करेंपिछले दो लेखों, मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक और मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, विस्तार और तीर्थस्थलों के भ्रमण, से साबित हो गया है कि मध्य एशिया भारत और भारतियों के लिए विलायंत नहीं बल्कि भारतवर्ष का ही हिस्सा था. प्राचीन मद्र, साल्व राज्य और कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में ही था. सावित्री-सत्यवान और नकुल सहदेव के मामा साल्व नरेश शल्य मध्य एशिया के ही थे. उन्ही हिन्दुओं में से कुछ ने परवर्ती काल में बौद्ध धर्म अपनाकर अपने राज्यों को बौद्ध धर्मी राज्य घोषित किया था. बौद्ध…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, प्रसार और तीर्थस्थलों का भ्रमण
शेयर करेंपश्चिमोत्तर भारतवर्ष का बाह्लीक प्रदेश जो उत्तरी अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान-उज्बेकिस्तान में विस्तृत था सिकन्दर के आक्रमण के समय से ही ग्रीकों के कब्जे में आ गया था. मध्य एशिया में प्रथम बौद्ध राज्य यही बाह्लीक प्रदेश (बैक्ट्रिया) बना. यह एक राजनितिक निर्णय था. आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बहुत से राज्य अशोक के समय बौद्ध धर्मी या बौद्ध धर्म के संरक्षक बन गये थे. बहुत बड़ी संख्यां में यहाँ के हिन्दू भी बौद्ध धर्म अपना लिए थे. ग्रीको-बैक्ट्रियन बौद्ध शासन ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य कि स्थापना दिवोदत प्रथम (२४५-२३० ईस्वीपूर्व) ने किया था. इसी के वंश में दिमित्री (डेमेत्रियस) आगे राजा…
टीपू सुल्तान या टीपू शैतान?
शेयर करेंमैसूर के वोडेयार वंश के राजा कृष्णराजा वोडेयार-II ने अनपढ़ हैदरअली को अपने दरबार में नौकरी दिया था और फिर एक दिन हैदर अली ने उसी राजा को सत्ता से बेदखल कर पूरे वोडेयार वंश को खत्म कर न सिर्फ मैसूर की सत्ता पर अधिकार कर लिया बल्कि मैसूर के हिन्दू प्रजा पर भी भयानक अत्याचार किया और उन्हें जबरन धर्मान्तरित होने को विवश किया. उसी हैदर अली का बेटा था टीपू सुल्तान जो उसकी मौत के बाद गद्दी पर बैठा था. वह अपने बाप से भी ज्यादा क्रूर, धर्मान्ध और हिंसक था. टीपू भी अपने पूर्ववर्ती धर्मान्ध, हिंसक,…
Were Arab, Africa and Europe the Asur and Danav-Lok of Pauranic World
शेयर करेंDo you know where was Asur-Lok of Pauranic World? Who were they and where did they live? Let’s find… According to the ancient history available in India, Maharishi Kashyap had three main wives Diti, Aditi and Danu who were the daughters of Daksha Prajapati. From Maharishi Kashyap’s wife Diti, there were Daitya (sons of Diti) or Asur castes, Dev (or Sur) castes from Aditi and Danav (sons of Danu) castes from Danu. Hence, Daitya, Danava and Deva were brothers among themselves. There was a struggle for power and fighting for throne between Danav-Daitya and Devas. Devas, fed up with…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास-सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक
शेयर करेंमध्य एशिया का ताजीकिस्तान, कीर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान आधुनिक भारत, अफगानिस्तान, ईरान से उपर काश्पीय सागर तक विस्तृत है. यही वह क्षेत्र है जहाँ से आर्यजन द्रविड़ों या असुरों को खदेड़ते हुए हड़प्पा सभ्यता को नष्ट करते हुए १५०० ईस्वीपूर्व भारत में घुस आये थे ऐसा झूठ साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार फैला रखे थे. कारण था यहाँ उन्हें प्राचीन वैदिक संस्कृति के विपुल प्रमाण मिले थे और उनमें से सबसे प्रमुख प्रमाण ये लोग यह मानते थे कि इस क्षेत्र के लोगों के देवी देवताओं के नाम ठीक वही हैं जो आर्यों का था या भारतियों का है. इसलिए…
हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-२
शेयर करेंगतांक से आगे… ५. अशोक का धम्म नीति और विकृत अहिंसा का प्रचार प्रसार महात्मा बुद्ध ने अहिंसा को मानवीय संवेदना के रूप में व्यक्त किया था व्यक्ति या राज्य के नीति के रूप में नहीं. उन्होंने व्यक्ति के लिए शांति और अहिंसा की नीति का प्रतिपादन किया था शासन के लिए अहिंसा और निशस्त्रीकरण की नीति का प्रतिपादन नहीं किया था अर्थात अहिंसा परमोधर्मः के साथ साथ धर्महिंसा तथैव च की नीति से कतई छेड़छाड़ नहीं किया था. पर सम्राट अशोक अपने हिंसक युद्धनीति और कलिंग युद्ध में हिंसा का विभत्स नंगा नाच करने के पश्चात युद्ध से…