जो हिन्दू है वो गौ को माता मानते थे, मानते हैं और मानते रहेंगे विश्व का एकमात्र बदनसीब देश भारत है जहाँ पढाया जानेवाला भारत का इतिहास उन लोगों के द्वारा लिखा गया है जो मानसिक रूप में अंग्रेजों के गुलाम, अपने ही देश की सभ्यता, संस्कृति और धर्म के कट्टर विरोधी तथा आक्रमणकारियों के कट्टर पक्षपाती हैं जो भारत पर आक्रमण करने वाले आक्रमणकारीयों को तो हीरो की तरह पेश करते हैं जबकि उन धर्मान्ध, हिंसक नराधमों से अपने मातृभूमि, धर्म और जनता की रक्षा के लिए लडने वाले आक्रमित हिंदू वीरों को ही शत्रु के रूप में प्रदर्शित…
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वैदिक आर्य बाहर से भारत नहीं आये बल्कि भारत से बाहर विभिन्न क्षेत्रों में गये थे!
इस तस्वीर को ध्यान से देखिए. आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत वस्तुतः आउट ऑफ़ इंडिया सिद्धांत ही है. पूरा विश्व अब मानने लगा है कि विश्व की प्राचीन सभ्यता वास्तव में भारत से ही पूरी दुनिया में फैली. पर दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के कांग्रेसी सरकार और वामपंथी इतिहासकार भारत में सत्य के विपरीत ठीक उल्टा सिद्धांत बना रखें हैं. जब भारत की सरकार और शिक्षा तन्त्र ही झूठ का लबादा ओढ़ रखा हो तो फिर दुसरे देश क्या करें? इसलिए इतिहास के अन्वेषक पूरे विश्व के विद्वान किंकर्तव्यविमूढ़ हो आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत की ओर देखते हैं…
आर्य जन आक्रमणकारी थे या आक्रमित?
वैदिक ऋषि गण यह सिद्ध करने के बाद की आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत महज साम्राज्यवादी षड्यंत्र था आज हम इस प्रश्न पर विचार करेंगे की क्या हम भारतीयों के पूर्वज आर्य जन सचमुच असभ्य, बर्बर, खानाबदोश, हिंसक, लूटेरा और आक्रमणकारी थे? आज हम धूर्त नेहरूवादी वामपंथी इतिहासकारों के एक और झूठ का पर्दाफाश करेंगे. क्या असुर, दानव, दैत्य, राक्षस बेचारे लोग थे? कभी आपने पढ़ा या सुना है की देवताओं ने असुर लोक/दानव लोक पर आक्रमण कर दिया और उसपर अधिकार कर लिया? अलवत्ता आप हर जगह यही पढते और सुनते हैं की असुरों/दानवों ने देव लोक पर आक्रमण…
भारत पर आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत ब्रिटिश साम्राज्यवादी षड्यंत्र था
आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत भारत में ब्रिटिश शासन का एक साम्राज्यवादी षड्यंत्र था. “आर्य जाति” का अविष्कार १८५० के दशक में एक फ्रेंच जोसेफ आर्थर डे ने किया था जिसे भारत में ज्यों का त्यों अंग्रेज सैनिक कनिंघम ने अपना लिया जो भारतीय पुरातत्व विभाग का प्रथम अध्यक्ष था. उसके पहले भारतवर्ष के इतिहास, पुराण और वेदों में कहीं भी आर्य जाति का कोई उल्लेख नहीं है क्योंकि आर्य “जाति” जैसा कोई चीज था ही नहीं. आर्य शब्द वास्तव में जाति सूचक नहीं “श्रेष्ठता” सूचक था “सम्मान” सूचक था और भारतवर्ष के लोग सम्मान देने के लिए आर्य शब्द…
भारत का इतिहास भारत विरोधी क्यों?
भारत विरोधी इतिहास और इतिहासकार ईसाई, इस्लामी और वामपंथी तीनों इतिहास के दुश्मन होते हैं. ये तीनों अपने अतीत के इतिहास को निकम्मा और गैरजरूरी बताकर नष्ट कर देते हैं. अगर भारत में घर घर में रामायण, महाभारत, वेद, पुराण आदि नहीं होते तो ये तीनों मिलकर भारत के गौरवशाली अतीत को भी नष्ट करने में सफल हो गये होते-स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक, महान राष्ट्रवादी इतिहासकार विचार कीजिए… आपने किसी देश का ऐसा इतिहास पढ़ा है जो अपने ही देश और उसके मूलनिवासियों के अतीत को कलंकित करती हो? कभी आपने सोचा है विश्व की सबसे प्राचीन और गौरवशाली सभ्यता,…