संभल-हरिहर-मंदिर
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत, राष्ट्रीय मुद्दे

संभल के हरिहर मंदिर, अब जामी मस्जिद, का इतिहास

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भगवान कल्कि को समर्पित श्री हरिहर मंदिर के बारे में माना जाता है कि इसका निर्माण सृष्टि के आरंभ में भगवान विश्वकर्मा ने किया था। हिन्दू धर्मशास्त्रों में इस मंदिर का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इसे भगवान विष्णु और भगवान शिव की एकता का प्रतीक बताया गया है। हिन्दू ग्रंथों में लिखा है, ““यथा शिवस्तथा विष्णु, यथा विष्णुस्तथा शिवः” जिसका अर्थ है ‘जैसे शिव हैं, वैसे ही विष्णु हैं; जैसे विष्णु हैं, वैसे ही शिव हैं।’ संभल महात्म्य में जामा मस्जिद को तीर्थों का केंद्र बिंदु दर्शाया है संभल नगर धार्मिक नजरिये से भी ऐतिहासिक है। संभल महात्म्य पुस्तक…

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Iltutmish
मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का खूबसूरत गुलाम इल्तुतमिश

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मध्य एशिया के तुर्किस्तान में अलबेरी जाति के एक मुसलमान के घर एक खूबसूरत लड़का पैदा हुआ था. उसका नाम अल्तमश (या इल्तुतमिश) रखा गया था. किशोरावस्था में उसका सौन्दर्य और भी निखर गया जिससे उसके अपने भाई बन्धु ही उसके शारीरिक सौन्दर्य से जल भुनकर घोड़ों के झुण्ड दिखाने का बहाना बनाकर उसे घोड़ों के व्यापारी के हाथों बेच दिया. इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “अल्तमश एक खूबसूरत लड़का था. मुस्लिम शासन में यह शारीरिक आकर्षण वरदान नहीं था; क्योंकि उसपर नर-भोगियों का आक्रमण होता रहता था. अगर कहीं वह शारीरिक सौन्दर्य क्रय-विक्रय की आंधी में पड़ जाता…

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qutubuddin
मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का तुर्की शैतान कुतुबुद्दीन ऐबक

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मध्य एशिया के तुर्की हिन्दुओं, बौद्धों को जब तलवार के बल पर जबरन धर्मान्तरित किया जा रहा था और उन्हें भेड़, बकरियों की तरह गुलाम बनाया जा रहा था उन्ही गुलामों के झुण्ड में एक धर्मान्तरित गुलाम था कुतुबुद्दीन जिसे निमिषपुर में खरीदकर निमिषपुर के काजी फखरुद्दीन अब्दुल अजीज के हाथों औने पौने दाम पर बेच दिया गया था. काजी ने उसे कुरआन पढ़ाया और काफिरों के विरुद्ध जिहाद लड़ने और काफिरों का कत्लेआम करने की शिक्षा दी. फिर काजी ने उस कुरूप कुतुबुद्दीन को एक सौदागर को बेच दिया. इस प्रकार वह कई बार खरीदा और बेचा गया. इसी…

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ज्ञानवापी मन्दिर
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मन्दिर का सम्पूर्ण इतिहास

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आज का विवादित “ज्ञानवापी” सहित सम्पूर्ण ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मन्दिर परिसर अनादिकाल से विश्वेशर ज्योर्तिलिंग मन्दिर के नाम से जाना जाता था. यह मन्दिर भारतवर्ष और यूरेशिया के अन्य बड़े बड़े प्राचीन मन्दिरों जैसे मक्का (अरब), वेटिकन (रोम), रावक (खोतान) आदि की तरह ज्योतिषीय आधार पर निर्मित था. काशी में विश्वेशर मन्दिर का निर्माण सर्वप्रथम किसने करवाया था इसकी कोई जानकारी नहीं है. मन्दिर से सम्बन्धित जितनी भी जानकारी  है वे इनके जीर्णोधार और पुनर्निर्माण से सम्बन्धित है. इस मन्दिर का उल्लेख महाभारत, उपनिषद, पुराण आदि में मिलता है. मन्दिर से सम्बन्धित अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. मुख्य ज्ञानवापी काशी…

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buddh and bauddh
नवीनतम शोध, मध्यकालीन भारत

अरबों द्वारा मध्य एशिया में बौद्ध राज्यों, बौद्ध धर्म और बुद्धिष्टों के सम्पूर्ण विनाश का इतिहास

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पिछले दो लेखों, मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक और मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, विस्तार और तीर्थस्थलों के भ्रमण, से साबित हो गया है कि मध्य एशिया भारत और भारतियों के लिए विलायंत नहीं बल्कि भारतवर्ष का ही हिस्सा था. प्राचीन मद्र, साल्व राज्य और कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में ही था. सावित्री-सत्यवान और नकुल सहदेव के मामा साल्व नरेश शल्य मध्य एशिया के ही थे. उन्ही हिन्दुओं में से कुछ ने परवर्ती काल में बौद्ध धर्म अपनाकर अपने राज्यों को बौद्ध धर्मी राज्य घोषित किया था. बौद्ध धर्म…

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Indian-history
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, प्रसार और तीर्थस्थलों का भ्रमण

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पश्चिमोत्तर भारतवर्ष का बाह्लीक प्रदेश जो उत्तरी अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान-उज्बेकिस्तान में विस्तृत था सिकन्दर के आक्रमण के समय से ही ग्रीकों के कब्जे में आ गया था. मध्य एशिया में प्रथम बौद्ध राज्य यही बाह्लीक प्रदेश (बैक्ट्रिया) बना. यह एक राजनितिक निर्णय था. आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बहुत से राज्य अशोक के समय बौद्ध धर्मी या बौद्ध धर्म के संरक्षक बन गये थे. बहुत बड़ी संख्यां में यहाँ के हिन्दू भी बौद्ध धर्म अपना लिए थे. ग्रीको-बैक्ट्रियन बौद्ध शासन ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य कि स्थापना दिवोदत प्रथम (२४५-२३० ईस्वीपूर्व) ने किया था. इसी के वंश में दिमित्री (डेमेत्रियस) आगे राजा बना…

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tipu-sultan
आधुनिक भारत

टीपू सुल्तान या टीपू शैतान?

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मैसूर के वोडेयार वंश के राजा कृष्णराजा वोडेयार-II ने अनपढ़ हैदरअली को अपने दरबार में नौकरी दिया था और फिर एक दिन हैदर अली ने उसी राजा को सत्ता से बेदखल कर पूरे वोडेयार वंश को खत्म कर न सिर्फ मैसूर की सत्ता पर अधिकार कर लिया बल्कि मैसूर के हिन्दू प्रजा पर भी भयानक अत्याचार किया और उन्हें जबरन धर्मान्तरित होने को विवश किया. उसी हैदर अली का बेटा था टीपू सुल्तान जो उसकी मौत के बाद गद्दी पर बैठा था. वह अपने बाप से भी ज्यादा क्रूर, धर्मान्ध और हिंसक था. टीपू भी अपने पूर्ववर्ती धर्मान्ध, हिंसक, जिहादी,…

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हिन्दू बौद्ध
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-२

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गतांक से आगे… ५.    अशोक का धम्म नीति और विकृत अहिंसा का प्रचार प्रसार महात्मा बुद्ध ने अहिंसा को मानवीय संवेदना के रूप में व्यक्त किया था व्यक्ति या राज्य के नीति के रूप में नहीं. उन्होंने व्यक्ति के लिए शांति और अहिंसा की नीति का प्रतिपादन किया था शासन के लिए अहिंसा और निशस्त्रीकरण की नीति का प्रतिपादन नहीं किया था अर्थात अहिंसा परमोधर्मः के साथ साथ धर्महिंसा तथैव च की नीति से कतई छेड़छाड़ नहीं किया था. पर सम्राट अशोक अपने हिंसक युद्धनीति और कलिंग युद्ध में हिंसा का विभत्स नंगा नाच करने के पश्चात युद्ध से विरक्त…

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हिन्दू बौद्ध
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-१

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इतिहास भविष्य का दर्पण होता है क्योंकि इतिहास की हमारी समझ ही किसी राष्ट्र और समाज का भविष्य निर्धारण करता है. इतिहास हमारे अच्छे-बुरे, सही-गलत, सफल-असफल कार्यों और उसके परिणामों का लेखा जोखा होता है. इनका समुचित विश्लेषण कर ही राष्ट्रनीति, कूटनीति, युद्धनीति, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ बनती है. उपर्युक्त नीतियों की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस राज्य या राष्ट्र के इतिहास का किस हद तक समुचित विश्लेषण किया गया है. इसलिए यह जरूरी है कि हमलोग भारतवर्ष के इतिहास काल में घटित उन गलतियों का सही सही विश्लेषण करें जिसके कारण एक समय अरब…

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Sun God
नवीनतम शोध, पौराणिक काल

प्राचीनकाल में पूरे यूरेशिया में सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाया जाता था

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ईसाई और इस्लाम पंथों के प्रसार से पूर्व न सिर्फ भारतवर्ष में बल्कि पूरे यूरेशिया के विभिन्न देशों, विभिन्न सभ्यताओं, विभिन्न कालखंडों में सूर्य पूजा और सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाने का एक लम्बा इतिहास मिलता है. यूरेशिया के विभिन्न देशों/सभ्यताओं में सूर्य देवता को विभिन्न नामों से जाना जाता था जिसकी सूचि नीचे है: सूर्य देवता के विभिन्न नाम- देश/सभ्यता का नाम अमित्रसू-जापान Hepa, Arrena, Istanu-Hittite (सीरिया)        अपोलो-ग्रीस और रोम                                          Helios (Helius)-Greece Usil, Helios-Etruscan                                             Gaulish-Celtic                                                          Mithra-Iranian/Persian                                                       Re (Ra), Aten, Horus-Egypt Hors-Slavic Sol (Sunna)-Norse Sól, Sunna, Sunne-German Sulis-British                                                                              Shamash-Mesopotamia Shpash-Canaanite Koyash-Turki Etain-Irish Xu Kai-Chin भारत में ईसाईयों की…

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