शेयर करें276. इतिहासकार पी एन ओक के दिए आंकड़े के अनुसार यहूदी लोगों का ईसवी सन २०१९-२० में ५७८० वा वर्ष चल रहा है. उनके संवत को Passover वर्ष कहते हैं. Passover का अर्थ है देश छोड़कर निकल जाना. अर्थात उन्हें द्वारिका राज्य छोड़े और कृष्ण से बिछड़े हुए ५७८० वर्ष हो गये. वे जब द्वारिका से बिछड़े तब से उन्होंने निजी सम्वत गणना आरम्भ की. अतः महाभारतीय युद्ध हुए लगभग ५७८१ वर्ष होना चाहिए. 277. महान ज्योतिषाचार्य और गणितज्ञ पंडित आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३६ ईसवी पूर्व (एहोल अभिलेख के अनुसार ३१३७ ईसवी पूर्व) में हुआ था और…
Category: गौरवशाली भारत
गौरवशाली भारत-11
शेयर करें251. होलैंड देश के लोग जो डच (Dutch) कहलाते हैं वे भी वैदिक दैत्य वंश के ही हैं. जैसे प्राचीन नगर ब्रिह्दादित्य का नाम अब बहराईच है यानि आदित्य अब इच शब्द बन गया है-पी एन ओक इसी तरह जर्मन Duetsch, Diot, Diota आदि दैत्य शब्द के ही अपभ्रंश हैं. 252. जर्मन मैक्स मुलर ने ऋग्वेद का अनुवाद अंग्रेजी में किया है जिसमे उसने अपना परिचय लिखा है-“मया शर्मन देश जातेन गोतीर्थ निवासिना मोक्षमूलर नाम्ना” जर्मन को उन्होंने शर्मन लिखा है. सम्भवतः जर्मन शब्द संस्कृत शर्मन से ही बना हो. दूसरा शब्द गोतीर्थ है जो उन्होंने Oxford का अनुवाद…
गौरवशाली भारत-१०
शेयर करें226. रमजान, रामदान वास्तव में रामध्यान शब्द है. अर्बस्थान के लोग प्राचीन समय से रमझान के पुरे महीने में उपवास रखकर भगवान राम का ध्यान पूजन करते थे. इसीलिए रमझान का महीना पवित्र माना जाता है-पी एन ओक 227. मक्का की देवमूर्तियों के दर्शनार्थ प्राचीन (इस्लामपूर्व) काल में जब अरब लोग यात्रा करते थे तो वह यात्रा वर्ष की विशिष्ट ऋतू में ही होती थी. शायद वह यात्रा शरद ऋतू में (यानि दशहरा-दीपावली के दिनों में) की जाती थी. प्राचीन अरबी पंचांग (वैदिक पंचांग के अनुसार) हर तिन वर्षों में एक अधिक मास जुट जाता था. अतः सारे त्यौहार…
गौरवशाली भारत-९
शेयर करें201. ईजिप्त के इतिहासकार Bengsch Bey लिखते हैं, “अति प्राचीनकाल में भारत से लोग आकर ईजिप्त में नील नदी के किनारे बसे. स्वयं ईजिप्त के लोगों में यह भावना व्याप्त है कि वे किसी अन्य अद्भुत देश से ईजिप्त में आ बसे. वह देश हिन्द महासागर के किनारे का पवित्र पन्त देश (पंडितों का देश) था. वह उनलोगों के देवताओं का मूल देश था. वह पन्त देश भारत के अतिरिक्त अन्य कोई हो ही नहीं सकता. (Pg. 123, The Theosophist मासिक, मार्च १८८१) २०२. ईजिप्त के शिलालेखों से पता चलता है कि फराओ संकर्राह (राजा शंकर) ने कई प्रजाजनों…
गौरवशाली भारत-८
शेयर करेंवंदेमातरम् 176. चीन के कोवान्झाऊ में दीवारों पर उत्कीर्ण चित्र में कुबेर के दो पुत्र, सात कन्याओं के साथ जलक्रीडा करते हुए कालिया नाग तथा बालकृष्ण द्वारा कलिया नाग दमन का चित्र प्रदर्शित है. गरुड पर आरूढ़ विष्णु भगवान का भी चित्र है-पी एन ओक 177. अयोध्या के सूर्यवंशी राजा की कन्या से कोरिया के राजा किम सुरो का विवाह हुआ था. कोरिया के इतिहास में लिखा है कि ईसवी सन ४९ में अयोध्या की राजकन्या ईश्वरीय आज्ञा के अनुसार नौका से सागर पारकर कोरिया में दाखिल हुई. जिस क्षत्रिय कोरियाई राजा से उस भारतीय राजकुमारी का विवाह हुआ…
गौरवशाली भारत-७
शेयर करेंवंदेमातरम् 151. लेखक Spencer Lewis के ग्रन्थ The mystical Life of jesus के पृष्ठ १३५ पर मुकुटधारी शिशु का एक चित्र मुद्रित है और उसके निचे लिखा है, “Research has revealed that a similar statue of a holy child was exhibited on Chrismas Day in many lands before the Christian era.” 152. चैत्र से प्रारम्भ होनेवाला मास अरब, यूरोप में एकाम्बर द्वितीयाम्बर आदि संख्यावाची शब्दों में भी गिना जाता था. यूरोपियनों के ईसाई बनने पर नवमास मार्च (जैसे इंग्लैण्ड में २२ मार्च जो १७५२ ईसवी तक चला) को रूढ़ हो गया. उसी मार्च महीने को प्रथम मास मानकर सेप्टेम्बर…
प्राचीन भारत के १५ विश्वविद्यालय जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था
शेयर करेंभारतवर्ष के विश्वविद्यालय भारत के इतिहास्यकार और तथाकथित बुद्धिजीवी हमें समझाते हैं कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुमलोग शूद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. क्या सचमुच ऐसा था? आइये पता करते हैं. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे और चन्द्रगुप्त मौर्य भी वहीँ का विद्यार्थी था. पर उपर्युक्त लोग तो चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय नहीं मानते हैं? नालंदा और बिक्रमशिला विश्वविद्यालयों में भी पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. क्या वे…
वैदिक स्थापत्य ही पूरे विश्व के स्थापत्य कला की जननी है
शेयर करेंवैदिक स्थापत्य कला विश्व में स्थापत्यकला के दर्जनों प्राचीन ग्रन्थ हैं और वे ग्रन्थ सिर्फ संस्कृत में हैं, इसलिए वे वैदिक सभ्यता के धरोहर है. वैदिक स्थापत्य यानि वास्तुकला और नगर-रचना की पूरी विधि मूल तत्व आदि विवरण जिन संस्कृत ग्रंथों में मिलता है उन्हें अगम साहित्य कहा जाता है. ये ग्रन्थ बहुत प्राचीन हैं. मानसार शिल्पशास्त्र के रचयिता महर्षि मानसार के अनुसार ब्रह्मा जी ने नगर-निर्माण और भवन-रचना विद्याओं में चार विद्वानों को प्रशिक्षण दिया. उनके नाम हैं-विश्वकर्मा, मय, तवस्तर और मनु. शिल्पज्ञान (Engineering) की सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है भृगु शिल्पसन्हिता. किले, महल, स्तम्भ, भवन, प्रासाद, पूल,…
गौरवशाली भारत-६
शेयर करें126. आप-सिन्धु का अपभ्रंश है आबसिन. इसी से अफ्रीका का अबीसीनिया देश का नाम पड़ा है. वहां के मूल निवासी भारत से आकर बसे थे. Eusebius नाम के ग्रीक इतिहासकार ने India as seen and known by Foreigners पुस्तक में लिखा है कि सिन्धु नदी के किनारे रहनेवाले लोग ईजिप्त के समीप इथिओपिया (अबीसीनिया) प्रदेश में आकर बसे. 127. वैदिक कालगणना के अनुसार साठ पल की एक घटि और साठ घटियों का एक दिन होता है. ढाई घटियों का एक होरा बनता है. उसी होरा शब्द से Hour बना है. 128. भारतीय पद्धति में समय के मापक इकाई १…
गौरवशाली भारत-५
शेयर करें101. यूरोप में सारे ड्रुइडो का धर्मप्रमुख जिसे सामान्यजनों को पापी ठहराकर बहिष्कृत कराने या पापमुक्त घोषित करने का अधिकार था उसके पद का संस्कृत नाम था पाप-ह यानि पापहर्ता या पापहंता. रोम में उसके धर्मपीठ को Vatican संस्कृत शब्द वाटिका कहा जाता था. उसी पाप-ह शब्द से पोप शब्द बना. किन्तु फ्रेंच आदि अन्य यूरोपीय भाषाओँ में उस धर्मगुरु को अभी भी उसके मूल संस्कृत शब्द पाप या पाप-ह ही कहते है.(पी एन ओक) 102. The Celtic Druids, Writer-Godfrey Higgins, Picadilly, 1929 ग्रन्थ की भूमिका में हिगिंस ने लिखा है, “उत्तर भारत के निवासी बौद्ध लोग, जिन्होंने पिरमिड्स,…