गौरवशाली भारत

गौरवशाली भारत 12

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276.      इतिहासकार पी एन ओक के दिए आंकड़े के अनुसार यहूदी लोगों का ईसवी सन २०१९-२० में ५७८० वा वर्ष चल रहा है. उनके संवत को Passover वर्ष कहते हैं. Passover का अर्थ है देश छोड़कर निकल जाना. अर्थात उन्हें द्वारिका राज्य छोड़े और कृष्ण से बिछड़े हुए ५७८० वर्ष हो गये. वे जब द्वारिका से बिछड़े तब से उन्होंने निजी सम्वत गणना आरम्भ की. अतः महाभारतीय युद्ध हुए लगभग ५७८१ वर्ष होना चाहिए.

277.      महान ज्योतिषाचार्य और गणितज्ञ पंडित आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध ३१३६ ईसवी पूर्व (एहोल अभिलेख के अनुसार ३१३७ ईसवी पूर्व) में हुआ था और भगवान श्रीकृष्ण का परिनिर्वाण १८ फरवरी, ३१०२ ईसवी पूर्व हुआ था और यही सर्वमान्य तिथि है.

278.      यहूदि अपने केलेंडर को सृष्टि निर्माण के समय से प्रारम्भ मानते हैं और ये मानते हैं की ३७६० ईसवी पूर्व में “एडम” पैदा हुआ था और तभी से उसका केलेंडर शुरू हुआ. अतः प्रारम्भिक यहूदी का पञ्चांग वैदिक पञ्चांग का ही हिस्सा था क्योंकि उनका नया साल भी पहले वैदिक पञ्चांग की तरह बसंत ऋतू में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही प्रारम्भ होता था. ये अभी भी passover week बसंत ऋतू के प्रारम्भ में मार्च-अप्रैल में ही मनाते हैं. वैदिक पञ्चांग ही सृष्टि के आरम्भ से प्रारम्भ होता है.

इसके अतिरिक्त यहूदी केलेंडर भी भारतीय पञ्चांग चन्द्रमास के अनुसार ही बारह चन्द्र मासों का होता है और प्रत्येक तिन वर्ष पर एक मल मास जुड़कर १३ महीने का वर्ष हो जाता है. दिन भी भारतीय पञ्चांग की तरह फिक्स नहीं है. भारतीय पञ्चांग की तरह सूर्यास्त से सूर्योदय तक रात्रि और सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन कहा जाता है.

279.      The Chosen People ग्रन्थ के लेखक अलेंग्रो लिखते हैं की, “यहूदियों के प्रख्यात पूर्वज तथा उनके भगवान के नाम सेमेटिक (अर्थात अरबी) परम्परा के नहीं है. वे तो किसी प्राचीनतम पौर्वात्य सभ्यता ही नहीं अपितु प्राचीनतम जागतिक परम्परा के हैं.”

यहूदियों के पूर्वज और भगवान प्राचीनतम पौर्वात्य सभ्यता के होने का मतलब स्पष्ट है भारतीय पूर्वज और कृष्ण भगवान-पी एन ओक

280.      यहूदियों के प्रथम नेता अब्राहम माने गये हैं. यह ब्रह्मा शब्द ही है. उनके दुसरे देवता मोज़ेस कहलाते हैं जो महेश शब्द का विकृत उच्चार है. मोज़ेस की जन्मकथा कृष्ण की जन्मकथा से मेल खाती है. श्रीकृष्ण का जैसा विराट रूप कुरुक्षेत्र में अर्जुन ने देखा वैसा ही विराट रूप यहूदी लोगों ने रेगिस्तान में मोज़ेस का देखा, एसा यहूदियों की दंतकथा है.

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम

श्रीमद्भगवत गीता की यही भविष्यवाणी यहूदी लोगों में भी प्रचलित है. अतः यह महा-ईश भगवान कृष्ण हो सकते हैं-पी एन ओक

281.      “यहूदियों के नेता मोझेस के धर्मतत्व एक ईश्वर की कल्पना पर ही आधारित थे. वेदों का तात्पर्य भी वही है. मोझेस की धर्म-प्रणाली और सृष्टि-उत्पत्ति की धारणाएँ कुछ मात्रा में उसी हिन्दू वैदिक स्रोत की दिखती है.” (पृष्ठ १४४, The Theogony of the Hindus by कौन्ट विअन्स्तिअर्ना)

282.      एडवर्ड पोकोक अपने ग्रन्थ इंडिया इन ग्रीस के पृष्ठ २२४ पर लिखते हैं, “यहूदी लोगों से यदि कोई पाप होता तो वे पहाड़ के उपर कुञ्जवनों में या वृक्ष के तले मन्दिर बनाते और उसमे “बाल” की मूर्ति स्थापना कर देते. मन्दिर के आगे स्तम्भ होता था. मन्दिर की वेदी पर धुप जलाते थे.”

उपर जिस ‘बाल’ की मूर्तिस्थापना की बात लिखी है वह बालकृष्ण की मूर्ति ही हो सकती है. बायबिल में भी यहूदी लोगों के भगवान का नाम “बाल” उल्लिखित है जो स्पष्टतया बालकृष्ण ही हैं-पी एन ओक

283.      बालकृष्ण प्राचीन इराक के लोगों के भी प्रतिष्ठित देवता थे और उनका चित्र अभी भी इराक में सुरक्षित है. ऐसे ही चित्रों पर १९७९ में वसंतोत्सव के अवसर पर डाक टिकट जारी किए गये थे. इराक के मुसलमानों को नहीं पता की वे वास्तव में कौन हैं पर हम भारतवासी उन्हें देखते ही पहचान लेंगे की यह बाल श्रीकृष्ण हैं. (चित्र कमेन्ट में है)

284.      यहूदी को अंग्रेजी में Jew कहा जाता है. यह मूल शब्द जदु अर्थात यदु का अपभ्रंश है. यहूदी पंथ को Judaism कहा जाता है, यह Yeduism का अपभ्रंश है. य का ज उच्चारण भी होता है जैसे यादव का जादव या जाधव, यदु-ज से जडेजा, यात्रा से जात्रा आदि. इसी पंथ का एक और नाम है Xionism यह Jewnism या जदुनिज्म अर्थात यदुपंथ शब्द है जिसका मतलब है यदुवंशी श्रीकृष्ण के अनुयायी-पी एन ओक

285.      यहूदी का धर्म चिन्ह षटकोण है जो वैदिक अनाहत चक्र या शक्तिचक्र का केन्द्रीय चक्र है. शक्ति के पूजक उसे शक्ति का प्रतीक मानकर पूजते हैं. दिल्ली के हुमायूँ की कब्र कही जाने वाली जो विशाल इमारत है उसमें देवी भवानी का मन्दिर था. उसके उपरले भाग में चारों तरफ बीसों ऐसे शक्तिचक्र बने हुए हैं जो संगमरमर प्रस्तर से ढंक दिए गये हैं-पी एन ओक

बंगाल के त्रिवेणी, हुगली में स्थित विष्णु मन्दिर जो अब जफर खान गाजी मस्जिद और मकबरा कहा जाता है उसके दीवार पर भी ठीक यहूदियों के धर्म चिन्ह जैसा ही वैदिक अनाहत चक्र या शक्ति चक्र बना हुआ है.

286.      मार्कोपोलो ने अपने प्रवास वर्णन के ग्रन्थ में पृष्ठ ३४६ पर चीन के कायफुन्गफु नगर में यहूदियों की एक बस्ती में मिले एक यहूदी शिलालेख में लिखी बातों का उल्लेख किया है. उसमें लिखा है, “With respect to the Israelitish religion we find an inquiry that its first ancestor, Adam came originally from India and that during the (period of the) Chau State the sacred writings were already in existence. The sacred writings embodying eternal reason consist of 53 sections. The principles therein contained are very abstruse and the external reason therein revealed is very mysterious being treated with the same veneration as Heaven. The founder of the religion is Abraham, who is considered the first teacher of it. Then came Moses, who established the law, and handed down the sacred writings. After his time this religion entered China”

उपर के उद्धरण से स्पष्ट है यहूदी धर्म का मूलव्यक्ति Adam (संस्कृत आदिम) भारतीय था, sacred writings से वेदों या गीता की बात कही गयी है, संस्थापक अब्राहम कोई और नहीं ब्रह्मा हैं, मोज़ेस विष्णु (या कृष्ण) हैं और अंतिम पंक्ति की अंतिम बात यह की उसके बाद चीन में वह धर्म अर्थात वैदिक धर्म प्रवेश किया अर्थात चीन वैदिक आर्य संस्कृति और वैदिक धर्मी हो गया था-पी एन ओक

287.      मुम्बई के कट्टर ईसाईयों द्वारा लिखी गयी पुस्तक The Plain Truth, Worldwide Church of God P.O. Box 6727, Mumbai द्वारा प्रकाशित की गयी है. उसमें लिखा है, “कई लोग क्रिसमस की विविध प्रकार से सराहना करते रहते हैं किन्तु क्रिसमस का समर्थन न तो New Testament करता है, न बाईबल में उसका कोई स्थान है और न ईसामसीह ने जिन्हें धर्मोपदेश दिया उन मूल शिष्यों ने भी क्रिसमस त्यौहार का कोई उल्लेख किया है. ईसाई प्रचार के पूर्व रोमन लोगों का जो धर्म था उसका यह त्यौहार चौथी शताब्दी में ईसाई परम्परा में सम्मिलित हुआ, क्योंकि क्रिसमस मनाने की प्रथा रोमन कैथोलिक चर्च की है. Catholic Encyclopedia देखिये जिसमें क्रिसमस शीर्षक के निचे लिखा है, “आरम्भ के ईसाई पर्वों में क्रिसमस का अंतर्भाव नहीं था. उसका प्रवेश प्रथम ईजिप्त में हुआ. सूर्य उत्तरायण सम्बन्धी तत्कालीन समाज की जो उत्सव विधि थी वह क्रिसमस में सम्मिलित हो गयी.”

288.      “रामनगर (रोम) की वाटिका (वेटिकन) हजारों वर्षों से वैदिक आर्य संस्कृति और धर्म का केंद्र होने से वेटिकन में सूर्य उत्तरायण का पर्व २५ दिसम्बर को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता था. इस दिन को सूर्य का जन्मदिन की तरह बाल सूर्य की मूर्ति बनाकर उसे सोमलता से सजाया जाता था. उस समय के ईसाईपंथी नेताओं ने चालाकी यह की रोम के सबसे उल्लासपूर्ण और दीर्घतम सूर्य उत्तरायणी उत्सव से ही ईसा के जन्म का नाता जोड़ दिया. The New Schaff Herzog Encyclopaedia of Religious Knowledge में लिखा है की “दीर्घतम रात्रि समाप्त होकर नए सूर्य के उत्तरायणी आगमन का तत्कालीन जनता के मन पर इतना प्रभाव था की उस प्रसंग के Saturnalia तथा Brumalia कहलाने वाले उत्सव को ईसाई लोग टाल नहीं सके”-पी एन ओक

289.      सूर्य देवता और सूर्य उत्तरायणी उत्सव सिर्फ इटली के एट्रूस्कन लोगों में ही प्रचलित नहीं था बल्कि यूरोप के ड्रुइडस, ईजिप्त, ग्रीक आदि देशों में भी प्रसिद्ध था. इसका प्रमाण सन १९६४ में प्रकाशित आंग्ल ज्ञानकोश में मिलता है जिसमे लिखा है की “सम्राट Constataine ने रविवार ईसाईयों को धार्मिक दिन तथा विश्रांति और छुट्टी का दिन इसलिए घोषित किया क्योंकि ईसवी पूर्व की धार्मिक प्रणाली में रविवार सूर्यपूजन का तथा छुट्टी का दिन होता था.”

290.      १७ वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड में क्रिसमस मनाने पर यह कहकर प्रतिबन्ध लगा दिया गया की “क्रिसमस त्यौहार Pagan, Papish, Saturnalian, Satanic, Idolatrous और leading to idleness है.” जरा शब्दों पर गौर कीजिये क्रिसमस पर क्या क्या आरोप लगाये गये थे. Pagan यानि मूर्तिपूजक या भगवानवादी लोग, Papish यानि पापहर्ता वैदिक धर्मगुरु (वेटिकन के वैदिक पीठाधीश) का चलाया हुआ, Saturnalia यानि सूर्य के मकर राशी में प्रवेश का, Satanic यानि शैतानी, idolatrous यानि मूर्तिपूजा प्रणाली का तथा आलस्य को प्रोत्साहन देने वाला पर्व है.

291.      ब्रिटिश ज्ञानकोष का कथन है की “ईसाई धर्मविधियों में अनेक ईसा पूर्व की है; विशेषकर क्रिसमस. उस त्यौहार द्वारा सूर्य का मकर राशी में प्रवेश तथा नए सूर्य (मित्र) के जन्म पर मिष्टान्न भोजन और आनंदोत्सव मनाए जाते थे.” P. N. Oak

292.      Encyclopaedia Americana ने लिखा है की “उस दिन (२५ दिसम्बर) पहले से उत्तरायण उत्सव भगवानधर्मी (Pagan) लोग मनाते थे.” The New Catholic Encyclopaedia भी कहता है की क्रिसमस उत्तरायण का उत्सव था.

293.      Preface of Oriental Religious ग्रन्थ में लेखक लिखते हिं, “इसमें कोई संदेह नहीं की ईसाईपंथ के कुछ विधि और त्यौहार मूर्तिपूजकों की प्रणाली का अनुकरण करते हैं. चौथी शताब्दी में क्रिसमस का त्यौहार २५ दिसम्बर को इसलिए माना गया की इस दिन प्राचीन परम्परानुसार सूर्यजन्म का उत्सव होता था.

294.      The Celtic Druids के लेखक Godfrey Higgins लिखती है, “पहाड़ियों पर आग जलाकर २५ दिसम्बर का त्यौहार ब्रिटने और आयरलैंड में मनाया जाता था. फ़्रांस में ड्रुइडस की परम्परा वैसी ही सर्वव्यापी थी जैसे ब्रिटेन में. हरियाली और विशेषतया Mistletoe  (यानि सोमलता) उस त्यौहार में घर-घर में लगायी जाती थी. लन्दन नगर में भी लगायी जाती थी. इससे यह ड्रुईडो का त्यौहार होने का पता चलता है. ईसाई परम्परा से उसका (क्रिसमस का) कोई सम्बन्ध नहीं है.” (पेज १६१,)

२9५.   “इशानी (Esseni) पंथ के साधू ईसाई बनाए जाने के बाद पतित और पापी रोमन और ग्रीक साधू कहलाने लगे. उनके ईसाई बनने से पूर्व के मठों में एक विशेष दिन सूर्यपूजा होता था. सूर्य को ईश्वर कहते थे. वह दिन था २५ दिसम्बर, मानो सूर्य का वह जन्मदिन था. ड्रुइड लोग भी इसे मनाते थे. भारत से लेकर पश्चिम के सारे देशों तक सूर्य के उस उत्तर संक्रमन का दिन जो मनाया जाता था उसी को उठाकर ईसाईयों ने अपना क्रिसमस त्यौहार घोषित कर दिया.” (पेज १६४, The Celtic Druids लेखक Godfrey Higgins)

296.      “इशानी (Esseni यानि शैव) पंथ के साधू ईसाई बनाए जाने के बाद पतित और पापी रोमन और ग्रीक साधू कहलाने लगे. उनके ईसाई बनने से पूर्व के मठों में एक विशेष दिन सूर्यपूजा होता था. सूर्य को ईश्वर कहते थे. वह दिन था २५ दिसम्बर, मानो सूर्य का वह जन्मदिन था. ड्रुइड लोग भी इसे मनाते थे. भारत से लेकर पश्चिम के सारे देशों तक सूर्य के उस उत्तर संक्रमन का दिन जो मनाया जाता था उसी को उठाकर ईसाईयों ने अपना क्रिसमस त्यौहार घोषित कर दिया.” (पेज १६४, The Celtic Druids लेखक Godfrey Higgins)

297.      ग्रीक तथा भारतीय पौराणिक कथाओं की गहरी समानता देखकर एसा लगता है की ग्रीक लोग और हिन्दुओं में किसी समय अतीत में घनिष्ठ सम्बन्ध रहा होगा और शायद पायथागोरस ने आत्मा के विविध जन्मों का जो उल्लेख किया है वह भारतीय देवी-देवताओं की कथाओं से सीखकर ग्रीक देव-कथाओं में जोड़ दिया है. (Page-61-62, Narratives of a journey Overland from England to India, Writer-Mrs. Colonal Edwood)

298.      ग्रीस में वैदिक देवताओं के गुण धर्म वाले देवता

भारतवर्ष                                    ग्रीस

इंद्र के वज्र प्रहार की कथा              ज्यूपिटर द्वारा वज्र प्रहार

कृष्ण और गोपियों की कथा             अपोलो और उनकी गोपियाँ

कामदेव                              Cupid

सौन्दर्य की देवी माया/लक्ष्मी             वीनस

सूर्य तथा अर्जुन                       Phoebus और Aurora

अश्विनीकुमार                         Castor और Pollux

काली की कथा                        Hecate उर्फ़ Prosperine की कथा

नारद                                Mercury

गणेश                               Gonus

हनुमान और वानर सेना                Pon और उसके वन देव

Sir William Gones & P N Oak की किताब

299.      महाभारत काल में ग्रीस में वैदिक सभ्यता और संस्कृति होने के कारण वहां कृष्णभक्ति का बड़ा प्रभाव रहा है. Barbara Wingfield Stratford नाम की आंग्ल महिला ने इंडिया एंड द इंग्लिश नाम की पुस्तक लिखी है. उस ग्रन्थ के पृष्ठ १११-११२ पर लिखती है की, “कई बातों में कृष्णभक्ति और कृस्त परम्परा एक जैसी है. उसी प्रकार कृस्त की जन्मकथा तथा बालजीवन और कृष्ण की जन्मकथा भी समान है. बाल कृस्त को जैसे उसके जन्मस्थान से अत्याचारी अधिकारीयों के भय से नाजरेथ में आश्रय लेना पड़ा वैसे ही कृष्ण को निजी जन्मस्थान से निकलकर गोकुल में बचपन बिताना पड़ा.”

300.      केवल कृस्त ही नहीं यहूदियों के नेता Moses की जन्मकथा भी कृष्ण जन्मकथा की नकल ही है. अतः हमारा स्पष्ट मत है की यहूदी और कृस्ती पूर्व में वैदिक समाज के अंग थे. कालांतर में जब वैदिक संस्कृति से बिछड़ गए तो प्रचलित कृष्ण जन्मकथा की ही नकल मारकर अपने अपने अलग पंथ, नेता और ग्रन्थ बना लिए-पी एन ओक

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