दलित
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-१

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शेयर करेंसच्चाई जानकर आप दंग रह जायेंगे. लेखक दावा करता है कि अगर यह लेख दलित जातियों के घर घर पहुँच गयी तो दलित राजनीती और दलितवादियों कि दुकाने बंद हो जाएगी! कुछ प्रश्न मेरे दिमाग में हमेशा दो प्रश्न उठता रहता था. पहला प्रश्न था “अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया था क्या वे सभी सचमुच दलित थे?” और दूसरा प्रश्न था “आखिर हिन्दुओं में इतनी दलित जातियां आई कहाँ से” जबकि हिन्दू संस्कृति तो वैदिक संस्कृति पर आधारित चतुर्वर्ण व्यवस्था थी जिसमे जन्म से सभी शुद्र और कर्म के आधार पर ही…

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gandhi nehru
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

गाँधी-कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई लड़ी ही नहीं थी

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शेयर करेंकृपया कमजोर दिलवाले इस शोध-पत्र को न पढ़ें. यह नेहरूवादी/वामपंथी इतिहासकारों की चाटुकारीता पर आधारित नहीं बल्कि खुद अंग्रेजों, कांग्रेसी नेताओं और क्रांतिकारियों के शब्दों में और उनके विवरणों पर आधारित है. कांग्रेस के आधुनिक नेतागण छाती फुलाकर कहते हैं कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल कांग्रेस ने लड़ी थी. क्या सचमुच ऐसा था? वैसे ही एक और सफेद झूठ फैला दिया गया है कि गाँधी ने आजादी दिलाई. भारत को आजादी गाँधी और उनके अहिंसात्मक आन्दोलन से मिली. मैं यकीन दिलाता हूँ कि नीचे का विवरण इस झूठ का पर्दाफाश कर देगा. कांग्रेस के गठन की पृष्ठभूमि…

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A O Hume
आधुनिक भारत, ऐतिहासिक कहानियाँ

जब कांग्रेस के संस्थापक जान बचाने के लिए मुंह में कालिख लगाकर, साड़ी पहनकर भाग खड़े हुए..

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शेयर करेंइंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना सन १९८५ में अंग्रेजों ने की थी ताकि भारतीय लोगों को १८५७ की तरह क्रन्तिकारी और हिंसक विद्रोह करने से रोका जा सके. वैसे कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को माना जाता है. कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा मे जंगे आजादी के सिपाहियों से जान बचाने के लिये मुंह में कालिख लगा, साड़ी पहन और बुर्का डालकर ग्रामीण महिला का वेष धारण कर भागना पड़ा था. उस समय वे इटावा के मजिस्ट्रेट एवं कलक्टर थे. स्वातन्त्र्य वीर सावरकर ने अपनी जीवनी में…

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anti india
आधुनिक भारत, पौराणिक काल, प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत

भारत का इतिहास भारत विरोधी क्यों?

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शेयर करेंभारत विरोधी इतिहास और इतिहासकार ईसाई, इस्लामी और वामपंथी तीनों इतिहास के दुश्मन होते हैं. ये तीनों अपने अतीत के इतिहास को निकम्मा और गैरजरूरी बताकर नष्ट कर देते हैं. अगर भारत में घर घर में रामायण, महाभारत, वेद, पुराण आदि नहीं होते तो ये तीनों मिलकर भारत के गौरवशाली अतीत को भी नष्ट करने में सफल हो गये होते-स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक, महान राष्ट्रवादी इतिहासकार विचार कीजिए… आपने किसी देश का ऐसा इतिहास पढ़ा है जो अपने ही देश और उसके मूलनिवासियों के अतीत को कलंकित करती हो? कभी आपने सोचा है विश्व की सबसे प्राचीन और गौरवशाली…

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