आधुनिक भारत

बांग्लादेश को आजाद कराकर भारत को क्या मिला?

शेयर करें

मेरी इच्छा भारत के साथ हजार बरसों तक युद्ध करने की है-जुल्फिकार अली भुट्टो, पूर्व प्रधानमंत्री पाकिस्तान.

१९२८ में सिंध के लरकाना में जन्मे मुस्लिम बाप और हिंदू माँ (लखीबाई) का बेटा जुल्फिकार अली भुट्टो मुंबई में अपनी शिक्षा पूर्ण की थी परन्तु इसी बात पर अयूब खान और जिया उल हक के द्वारा राजनितिक दुष्प्रचार के कारण भुट्टो को पाकिस्तान में बार बार परेशान होना पड़ा था.  शायद हिंदुओं और हिन्दुस्तान की प्रति उनकी हिंसा और नफरत में वृद्धि का कारण इतिहास के उस कड़वे सच की भांति ही था की धर्मान्तरित हिंदू, हिंदू माँ या धर्मान्तरित बाप या दादा के मुस्लिम औलादों ने खुद को सच्चा मुसलमान साबित करने के लिए मलिक अम्बर, फिरोज शाह तुगलक, रिनचिन, काला पहाड़, फारुक अब्दुल्ला, जिन्ना आदि की भांति हिंदुओं और हिन्दुस्तान पर जघन्य अत्याचार और नुकसान किये.

इसी घृणा के परिणाम स्वरुप १९६५ में जेनरल अयूब खान को भुट्टो ने भारत पर आक्रमण के लिए उकसाया था. १९६५ में पाकिस्तान की करारी हार के साथ ही अयूब खान का सितारा डूब गया और जुल्फिकार अली भुट्टो का सितारा आसमान में उभरने लगा और फिर जेनरल याहया खान के साथ मिलकर इसने जेनरल अयूब खान को राजनितिक परिदृश्य से समाप्त कर दिया. अयूब खान की तरह याह्या खान को भी धर्मनिरपेक्षता शब्द से घृणा था और उससे भी आगे बढ़कर इन्होने हिंदुओं और हिन्दुस्तान के प्रति घृणा को प्रमुख राजनितिक हथकंडा बनाया.

बांग्लादेश के निर्माण की पटकथा

भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के परास्त होने पर समर्पण केलिए समझौता

अयूब खान के समय से ही पूर्वी पाकिस्तान पर उनके निरंकुश दखलंदाजी विशेषकर बांग्ला भाषा और बांग्ला संस्कृति के विरुद्ध उनकी घृणा के कारण पूर्वी पाकिस्तान में सत्ता के केंद्र में बैठे पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं के प्रति आवाज उठने लगी थी. १९५८-१९७१ के पूर्वी पाकिस्तान के शाशन को शोषण, अत्यचार और निरंकुशता का शासन कहा गया है. पाकिस्तना के नेता बंगालियों को हेय दृष्टि से देखते थे और उन्हें सत्ता में भागीदारी देने के पक्ष में नहीं थे. यही कारण था की मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व ने पूर्वी बंगाल ने छः सूत्रीय कार्यक्रम के तहत पूर्वी पाकिस्तान को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की जिसने पाकिस्तानी सत्ता की जड़ें हिला दी. (साभार: पाकिस्तान जिन्ना से जिहाद तक, लेखक एस के दत्ता और राजीव शर्मा)

सन १९७१ के बंगलादेश युद्ध में भुट्टो की धूर्ततापूर्ण हरकतों ने जनरल याह्या खान के दृष्टिकोण को और मजबूत किया, जिनका एकमात्र हित भुट्टो की मदद से सत्ता में बने रहना था. जनरल याहिया ने पूछा की “वह पूर्वी पाकिस्तान का क्या करना चाहते हैं?” भुट्टो ने जवाब दिया, “पूर्वी पाकिस्तान कोई समस्या नहीं है. हमें वहाँ बीस हजार लोगों को मारना होगा, फिर सबकुछ ठीक हो जायेगा” (एडमिरल एस.एन. कोहली).

बंगाल में पाकिस्तानी सेना द्वारा नरसंहार की एक झलक

जब मुजीबुर्रहमान को नेशनल असेम्बली के चुनाव में बहुमत प्राप्त हुआ (पूर्वी पाकिस्तान में १६९ सीटों में से १६७ सीटें) तो भुट्टो याह्या खान को यह समझाने में सफल हो गए की मुजीबुर्रहमान को प्रधानमंत्री बनने का न्योता नहीं देना चाहिए, क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान का शासन पश्चिम पाकिस्तान पर नहीं होना चाहिए. उस समय बंगालियों को असैनिक जाती समझा जाता था. अतः जनरल याह्या खान भुट्टो के जाल में फंस गए. बंगालियों को विद्रोह की स्थिति में दबाने के लिए उन्होंने याह्या खान को विशाल और क्रूर जन-संहार के लिए २५ मार्च, १९७१ को तैयार कर लिया. उन्होंने ढाका के अपने होटल के खिडकी से पाकिस्तनी सेना द्वारा बंगालियों का रक्तपात होते देखा और जनरल टिक्का खान को इस काम के लिए शाबाशी दी (पाकिस्तान जिन्ना से जिहाद तक).

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक १९७१ में लगभग २०-३० लाख बंगाली पाकिस्तानी सेना के द्वारा मारे गए और लगभर दो लाख बंगाली युवतियों को हवस का शिकार बनया गया. हालाँकि कई अन्य स्रोतों से हिंसा और बलात्कार की संख्या और भी अधिक जान पड़ती है. पाकिस्तान ने बंगालियों के साथ वही किया जो आज आईएसआईएस इराक में शिया मुसलमानों और हिंदू यजदियों के साथ किया और कर रहा है.

द चिल्ड्रेन ऑफ वार फिल्म में पाकिस्तानी सेना के कुकृत्यों को दर्शाने की अच्छी कोशिश हुई है. पाकिस्तानी सेना ने गैर सुन्नी मुसलमानों और बंगाली हिंदुओं पर सबसे अधिक कहर ढहाए. कहा जाता है कि बंगाली औरतों का बलात्कार अरब की धरती से उत्पन्न उसी जिहादी मानसिकता का प्रदर्शन था जिसके तहत यह माना जाता है कि बलत्कृत औरतों से उत्पन्न सन्तान बलात्कारी के डिएनए/खून होने के कारण उन्ही की मानसिकता वाले और अनुयायी होंगे. इन्ही का परिणाम आज बंगलादेश के आतंकवादी संगठन जेएमबी  हैं जो पाकिस्तान समर्थक है, तथा हुजी, सिमी, इंडियन मुजाहिद्दीन आदि इसी का परिणाम हैं.

एक इंटरव्यू में पत्रकार Bina D’costa ने जीवित बचे बलात्कार पीड़ितों के ओबोर्शन में बहुत सक्रिय भूमिका निभाने वाली ऑस्ट्रेलियन डॉक्टर से पूछी थी: 

पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा कत्लेआम और बलात्कार

Bina: How did they justify raping the women?

Doctor: They had orders of a kind or instruction from Tikka Khan to the effect that a good Muslim will fight anybody except his father. So what they had to do was to impregnate as many Bengali women as they could. That was the theory behind it.

Bina: Why did they have to impregnate the women? Did they tell you?

Doctor: Yes, so there would be a whole generation of children in East Pakistan that would be born with the blood from the West. That’s what they said.

अरबी जिहाद में यह मानसिकता सैकड़ो सालों से चला आ रहा है. ईसायत ने अपना प्रसार में इस मानसिकता का खूब प्रदर्शन किया था. इस मानसिकता का सबसे घिनौना प्रदर्शन जर्मनी के प्रोटेस्टेन्टो के विरुद्ध फ़्रांस के कैथोलिकों ने किया था जब लाखों प्रोटेस्टेन्ट जर्मन औरतों पर कैथोलिकों ने इसी उद्देश्य से बलात्कार को अंजाम दिया. यही कारण था की जर्मनी में शुद्ध आर्य रक्त वाले लोगों का एक अलग संगठन और सोच बन गया था जिसका एक परिणाम हिटलर भी था.

भारत में इस विचारधारा का पुर्तगालियों द्वारा सबसे अधिक घृणित प्रदर्शन गोवा में किया गया जहाँ पुर्तगालिओं ने भारतीय स्त्रियों से बलात्कार करने और संभोग कर बच्चे पैदा करने की खुली छूट दे दी थी और विरोध करनेवालों को Inquisition के तहत भयंकर यातना देकर मारने के लिए विस्तृत व्यवस्था की गयी थी जिसके परिणाम स्वरूप आज आधा गोवा ईसाई के रूप में हैं. भारत में इस्लामिक आक्रमणकारियों द्वारा आक्रमितों के स्त्रियों का बलात्कार और अपने हरम में ठूंसने का एक घृणित इतिहास है जिसका परिणाम आज पाकिस्तान, बंगलादेश कश्मीर और केरल आदि है.

अस्तु, भुट्टो जानते थे कि पूर्वी पाकिस्तान में विवश होकर भारत को हस्तक्षेप करना पड़ेगा; क्योंकि लगभग एक करोड हिंदू और शिया मुसलमान शरणार्थियों ने पूर्वी पाकिस्तान से भागकर भारत में शरण ली थी. मुजीब से समझौता करने के लिए याहया के पास पर्याप्त समय था, परन्तु भुट्टो ने ऐसा होने नहीं दिया बल्कि पूर्वी पाकिस्तान के अलगाव के लिए देश को तैयार करते हुए खतरनाक सिद्धांत दिया-इधर हम उधर तुम.

१९७१ की लड़ाई में पाकिस्तान के हार के साथ याह्या खान का भी सूर्यास्त हो गया और भुट्टो इसका फायदा उठाकर राष्ट्रपति (दिसम्बर, १९७१-अगस्त, १९७३) और प्रधानमंत्री (अगस्त १९७३-जुलाई, १९७७) बनने में सफल रहे परन्तु जेनेरल जिया उल हक ने उसके बाद षड्यंत्र कर उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर बना दिया और उन्हें येन-केन-प्रकारेण फांसी पर लटकाकर मार दिया. पाकिस्तान: जिन्ना से जिहाद तक का लेखक लिखते हैं “रावलपिंडी जेल की संकरी कोठरी में जुल्फिकार अली भुट्टो का आखिरी दिन एक कुलीन सिंधी परिवार में जन्मे राजनीतिज्ञ की अमानवीय यंत्रणाओं का दिन था. भुट्टो को एक कुत्ते की मौत नहीं देनी चाहिए थी क्योंकि वह पाकिस्तान के प्रथम निर्वाचित प्रधानमंत्री थे.”

बांग्लादेश को आजाद कराकर भारत को क्या मिला?

पूर्वी पाकिस्तान, अब बांग्लादेश

२३% विधर्मी मुसलमानों केलिए हमारे भारतवर्ष का ३५% हिस्सा नेहरु-गाँधी और कांग्रेस ने मुसलमानों को पाकिस्तान के रूप में दे दिया. पाकिस्तान में रह गये हिन्दुओं, बौद्धों, सिक्खों आदि को तो पाकिस्तानियों ने लगभग खत्म कर दिया है इसलिए जिसकी चर्चा किसी और लेख में करेंगे. यहाँ उपर्युक्त आंकड़ों से स्पष्ट है पूर्वी पाकिस्तान में हिन्दू जो १९४१ में २८% थे वे १९५१ में सिर्फ २२.०५% रह गये.

पाकिस्तान के कानून मंत्री जोगेन्द्रनाथ मंडल ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार, बलात्कार, मन्दिर विध्वंस आदि का वीभत्स वर्णन अपने पत्र में किया है. परन्तु सिर्फ विभाजन के वक्त ही हिन्दुओं के नरसंहार हुए ऐसा नहीं था. उपर्युक्त आंकड़ों से स्पष्ट है यह सिलसिला जारी था क्योंकि १९६१ में यह आबादी १८.५% रह गयी थी. १९७१ में पाकिस्तानी सेना द्वारा हिन्दुओं के भयानक नरसंहार के बाद बांग्लादेश में हिन्दुओं कि आबादी १९७४ में सिर्फ १३.५० रह गयी जो २०११ में सिमटकर सिर्फ ८.५४% रह गयी है.

बांग्लादेश पाकिस्तानी सेना द्वारा नरसंहार

सवाल है बांग्लादेश को आजाद कराकर हम भारतियों को क्या मिला? बांग्लादेश के हिन्दुओं को क्या मिला? भारत के नजरिये से अगर देखे तो १९७१ में बंगलादेश की आजादी में भारत के बृहत् पैमाने पर जन-धन लगाने के बाबजूद भारत को कुछ नहीं मिला. मिला तो दो करोड के लगभग हिन्दू-मुस्लिम बंगलादेशी आबादी का बोझ जिसका एक हिस्सा आज भारत विरोधी जिहादी गतिविधियों में लगे हैं तो दूसरा हिस्सा जो लात जूता खाकर, लुटकर और अपने बहन बेटियों को लुटवाकर दुम दबाकर भारत में घुस आये हैं वे आज यहाँ भी डर से भारत के हिन्दुओं को सेकुलरिज्म पर ज्ञान बाँट रहे हैं, बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों के साथ गलबहियां डाल रहे हैं इस भ्रम में कि वे ऐसे शांति से जी सकेंगे.

बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना द्वारा कत्लेआम का फोटो, साभार गूगल सर्च

होना तो यह चाहिए था कि इंदिरा गाँधी को बांग्लादेश की आजादी के बाद भारत आये बांग्लादेशियों को वापस बांग्लादेश में बसाने का प्रबंध करना चाहिए था, उन्हें उनके घरों को भेज देना चाहिए था इस हिदायत के साथ कि आगे से बांग्लादेश के मुसलमान वहां के हिन्दुओं के साथ अमानवीय व्यवहार नहीं करेंगे, कत्ल नहीं करेंगे, बलात्कार नहीं करेंगे. पर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. परिणाम यह हुआ कि २३% आबादी को मिले ३५% भूभाग से विशाल आबादी जो १९७५ तक दो करोड़ के आसपास थी पुनः भारत आकर हम हिन्दुओं (भारतियों) पर और भारत पर बोझ के रूप में लाद दी गयी.

दूसरी ओर बंगलादेश आज भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा बन गया है और भारत का पश्चिम बंगाल उसका मुख्य केंद्र बन गया है. सच कहें तो आज का बंगलादेश जल्द ही पाकिस्तानी अत्याचार को भूलकर फिर से पाकिस्तान के गोद में जा बैठने को आतुर है और भारत के बर्बादी के ताने-बाने बनाने में लगा है. शेख हसीना की सरकार आने पर भारत विरोधी गतिविधियों में थोड़ी कमी आई है परन्तु हम यह नहीं भूल सकते की सरकारें अस्थायी होती है.

इससे भी दुखद बात तो यह रहा की १९७१ की लड़ाई में भारत ने लगभग ९२००० से उपर पाक सैनिकों को बंदी बनाया था. भारत चाहता तो इसका सौदा भारत के हित में कर सकता था और सम्भव है पाकिस्तान इन सैनिकों के बदले खुशी खुशी पाक अधिकृत कश्मीर देने को तैयार हो जाता, परन्तु इंदिरा सरकार ने ऐसा कुछ भी होने नहीं दिया. यहाँ तक की पाकिस्तान के हजारों सेना लौटाने के बदले पाकिस्तान द्वारा अपने सैनिकों को बनाये गए युद्धबंदियों को भी वापस लेने की जरुरत महसूस नहीं की जो आजादी की उम्मीद में घुट घुट कर मरने को विवश हो गए.

इंदिरा गाँधी जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ

इतना ही नहीं इंदिरा नेहरु से भी दो कदम आगे निकल गयी. इंदिरा १९७१ के युद्ध में पाकिस्तान के पराजय का लाभ उठाकर भारतीय भू-भाग उससे लेने के बजाय उसने पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो को नियंत्रण रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा मानने का प्रस्ताव दिया था जिसपर १९७२ में जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गाँधी से कहा की उन्हें इस बात के लिए समय दिया जाए की वह नियंत्रण रेखा को स्थायी सीमा मानने के लिए पाकिस्तानियों को तैयार कर सकें (पुस्तक-पाकिस्तान: जिन्ना से जेहाद तक).

यह कैसी बिडम्बना थी कि आक्रमित परन्तु शक्तिशाली और विजेता देश आक्रमणकारी परन्तु पराजित देश से जबरन अधिकार किये गए अपने भू-भाग पर उसे वैधानिक मान्यता देने हेतु खुद अपने भू-भाग पर स्थायी सीमा बनाने का प्रस्ताव देता हो और पराजित देश यह कहता हो की हम अपने लोगों से पूछेंगे की वे अवैध रूप से अधिगृहित विजित देश का इतना भू-भाग उन्हें संतुष्ट कर सकेगा की नहीं.

मुख्य स्रोत: पाकिस्तान जिन्ना से जिहाद तक, लेखक एस के दत्ता और राजीव शर्मा

Tagged , ,

23 thoughts on “बांग्लादेश को आजाद कराकर भारत को क्या मिला?

  1. Aw, this was an exceptionally good post. Taking a few
    minutes and actual effort to create a top notch article… but what can I say… I put things off a lot and don’t seem to get
    nearly anything done.

  2. You made some really good points there. I checked on the web for additional information about the issue andfound most people will go along with your views on this site.

  3. Useful info. Lucky me I discovered your web site unintentionally, and I’m
    surprised why this twist of fate did not happened earlier!
    I bookmarked it.

  4. Aw, this was an incredibly nice post. Finding the time and actual effort to make a superb article… but what
    can I say… I hesitate a lot and don’t seem to get nearly
    anything done.

  5. This design is incredible! You definitely know how to keep a reader amused.
    Between your wit and your videos, I was almost moved to start my own blog (well, almost…HaHa!) Fantastic job.
    I really enjoyed what you had to say, and more
    than that, how you presented it. Too cool!

  6. At this time it sounds like WordPress is the preferred blogging platform out there right now.(from what I’ve read) Is that what you are using on your blog?

  7. Can I simply just say what a relief to discover someone who actually knows what they’re
    discussing on the web. You definitely realize how to bring an issue to light and make it important.
    More people must look at this and understand this
    side of the story. It’s surprising you’re not more popular given that you definitely have the gift.

  8. Thanks for any other informative website. The place
    else could I get that type of information written in such a perfect approach?
    I have a project that I’m simply now working on, and
    I’ve been at the look out for such info.

  9. Good day! I simply would like to give you a big thumbs up for your
    excellent information you have got here on this post.

    I’ll be coming back to your blog for more soon.

  10. I enjoy what you guys are up too. This sort of clever work and reporting!
    Keep up the awesome works guys I’ve you guys to blogroll.

  11. Asking questions are genuinely good thing if you are not understanding
    something completely, except this paragraph gives pleasant understanding even.

  12. Greetings from Colorado! I’m bored to tears at work so I decided to browse your site on my iphone during lunch break. I enjoy the info you present here and can’t wait to take a look when I get home. I’m amazed at how quick your blog loaded on my cell phone .. I’m not even using WIFI, just 3G .. Anyhow, great blog!

  13. I have been browsing online more than three hours today, yet I never found any interesting article like yours. It is pretty worth enough for me. In my opinion, if all webmasters and bloggers made good content as you did, the internet will be much more useful than ever before.

  14. It is really a great and useful piece of information. I am glad that you simply shared this useful information with us. Please keep us informed like this. Thanks for sharing.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *