आधुनिक इतिहासकारों कि सबसे बड़ी खामियां यह है कि वे क्रिश्चियन विश्वास (बाईबल के अनुसार सृष्टि का निर्माण ४००४ ईस्वीपूर्व) के कारण उनकी ऐतिहासिक दृष्टि ३००० ईस्वीपूर्व के आसपास सिमट जाती है. उससे आगे उनमें सोचने समझने कि क्षमता दिखाई ही नहीं पड़ती है. ईसाई-मुस्लिम इतिहासकारों में जानबूझकर ईसापूर्व और इस्लाम पूर्व इतिहास को नकारने की भी गलत प्रवृति पाई जाती है. इसलिए तो इतिहासकार पी एन ओक ईसाई, इस्लामी और वामपंथी इतिहासकारों को इतिहास का दुश्मन लिखते हैं. दूसरी ओर भारतीय ग्रंथों में सहस्त्रों वर्ष पुरानी इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध हैं, परन्तु भारत के “ईसाई” ब्रिटिश सरकार और…
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मध्य एशिया का वैदिक इतिहास: बौद्ध राज्यों के उदय, प्रसार और तीर्थस्थलों का भ्रमण
पश्चिमोत्तर भारतवर्ष का बाह्लीक प्रदेश जो उत्तरी अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान-उज्बेकिस्तान में विस्तृत था सिकन्दर के आक्रमण के समय से ही ग्रीकों के कब्जे में आ गया था. मध्य एशिया में प्रथम बौद्ध राज्य यही बाह्लीक प्रदेश (बैक्ट्रिया) बना. यह एक राजनितिक निर्णय था. आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बहुत से राज्य अशोक के समय बौद्ध धर्मी या बौद्ध धर्म के संरक्षक बन गये थे. बहुत बड़ी संख्यां में यहाँ के हिन्दू भी बौद्ध धर्म अपना लिए थे. ग्रीको-बैक्ट्रियन बौद्ध शासन ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य कि स्थापना दिवोदत प्रथम (२४५-२३० ईस्वीपूर्व) ने किया था. इसी के वंश में दिमित्री (डेमेत्रियस) आगे राजा बना…
Were Arab, Africa and Europe the Asur and Danav-Lok of Pauranic World
Do you know where was Asur-Lok of Pauranic World? Who were they and where did they live? Let’s find… According to the ancient history available in India, Maharishi Kashyap had three main wives Diti, Aditi and Danu who were the daughters of Daksha Prajapati. From Maharishi Kashyap’s wife Diti, there were Daitya (sons of Diti) or Asur castes, Dev (or Sur) castes from Aditi and Danav (sons of Danu) castes from Danu. Hence, Daitya, Danava and Deva were brothers among themselves. There was a struggle for power and fighting for throne between Danav-Daitya and Devas. Devas, fed up with constant…
मध्य एशिया का वैदिक इतिहास-सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक
मध्य एशिया का ताजीकिस्तान, कीर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान आधुनिक भारत, अफगानिस्तान, ईरान से उपर काश्पीय सागर तक विस्तृत है. यही वह क्षेत्र है जहाँ से आर्यजन द्रविड़ों या असुरों को खदेड़ते हुए हड़प्पा सभ्यता को नष्ट करते हुए १५०० ईस्वीपूर्व भारत में घुस आये थे ऐसा झूठ साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार फैला रखे थे. कारण था यहाँ उन्हें प्राचीन वैदिक संस्कृति के विपुल प्रमाण मिले थे और उनमें से सबसे प्रमुख प्रमाण ये लोग यह मानते थे कि इस क्षेत्र के लोगों के देवी देवताओं के नाम ठीक वही हैं जो आर्यों का था या भारतियों का है. इसलिए प्राचीन…
हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-२
गतांक से आगे… ५. अशोक का धम्म नीति और विकृत अहिंसा का प्रचार प्रसार महात्मा बुद्ध ने अहिंसा को मानवीय संवेदना के रूप में व्यक्त किया था व्यक्ति या राज्य के नीति के रूप में नहीं. उन्होंने व्यक्ति के लिए शांति और अहिंसा की नीति का प्रतिपादन किया था शासन के लिए अहिंसा और निशस्त्रीकरण की नीति का प्रतिपादन नहीं किया था अर्थात अहिंसा परमोधर्मः के साथ साथ धर्महिंसा तथैव च की नीति से कतई छेड़छाड़ नहीं किया था. पर सम्राट अशोक अपने हिंसक युद्धनीति और कलिंग युद्ध में हिंसा का विभत्स नंगा नाच करने के पश्चात युद्ध से विरक्त…
हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-१
इतिहास भविष्य का दर्पण होता है क्योंकि इतिहास की हमारी समझ ही किसी राष्ट्र और समाज का भविष्य निर्धारण करता है. इतिहास हमारे अच्छे-बुरे, सही-गलत, सफल-असफल कार्यों और उसके परिणामों का लेखा जोखा होता है. इनका समुचित विश्लेषण कर ही राष्ट्रनीति, कूटनीति, युद्धनीति, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ बनती है. उपर्युक्त नीतियों की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस राज्य या राष्ट्र के इतिहास का किस हद तक समुचित विश्लेषण किया गया है. इसलिए यह जरूरी है कि हमलोग भारतवर्ष के इतिहास काल में घटित उन गलतियों का सही सही विश्लेषण करें जिसके कारण एक समय अरब…
प्राचीनकाल में पूरे यूरेशिया में सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाया जाता था
ईसाई और इस्लाम पंथों के प्रसार से पूर्व न सिर्फ भारतवर्ष में बल्कि पूरे यूरेशिया के विभिन्न देशों, विभिन्न सभ्यताओं, विभिन्न कालखंडों में सूर्य पूजा और सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाने का एक लम्बा इतिहास मिलता है. यूरेशिया के विभिन्न देशों/सभ्यताओं में सूर्य देवता को विभिन्न नामों से जाना जाता था जिसकी सूचि नीचे है: सूर्य देवता के विभिन्न नाम- देश/सभ्यता का नाम अमित्रसू-जापान Hepa, Arrena, Istanu-Hittite (सीरिया) अपोलो-ग्रीस और रोम Helios (Helius)-Greece Usil, Helios-Etruscan Gaulish-Celtic Mithra-Iranian/Persian Re (Ra), Aten, Horus-Egypt Hors-Slavic Sol (Sunna)-Norse Sól, Sunna, Sunne-German Sulis-British Shamash-Mesopotamia Shpash-Canaanite Koyash-Turki Etain-Irish Xu Kai-Chin भारत में ईसाईयों की…
Christmas ईसापूर्व यूरोप के सूर्य उत्तरायण का पर्व है
मैं नहीं, खुद कट्टर ईसाई लोग ऐसा कहते हैं और Christmas मनाने का विरोध करते हैं. भारत में ईसाईयों की सबसे बड़ी संस्था मुम्बई में है. मुम्बई के कट्टर ईसाईयों द्वारा लिखी गयी पुस्तक The Plain Truth, Worldwide Church of God P.O. Box 6727, Mumbai द्वारा प्रकाशित की गयी है. उसमें लिखा है: “चाहे सही हो या गलत आम लोग अनुकरणप्रिय होते हैं. जैसे भेड़ दूसरों के पीछे चुपचाप कत्लखाने में भी प्रविष्ट हो जाती है. किन्तु सुविचारी लोगों को निजी कृत्य की जाँच करते रहना चाहिए. कई लोग Christmas की विविध प्रकार से सराहना करते रहते हैं किन्तु Christmas…
इटली की Etruscan सभ्यता वैदिक सभ्यता थी
इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक कहते हैं यूरोप की मूल अनादि संस्कृति वैदिक थी और ग्रीस तथा रोम उस परम्परा के गढ़ थे. यहाँ भी चतुर्वर्ण व्यवस्था थी. रोमन साम्राज्य वस्तुतः रामन सम्राज्य था और रोम वास्तव में राम का ही इतालवी उच्चार है जिसकी स्थापना ईसापूर्व ७५३ ईस्वीपूर्व में Etruscan लोगों ने की थी. वे लिखते हैं कि रोम नगर के राम नगर होने के एक प्रमाण यह भी है कि रोम नगर के सामने दूसरी ओर रावण (Revenna) नगर बसा है. इतिहासकार एडवर्ड पोकोक ने भी अपने ग्रन्थ के पृष्ठ १७२ पर लिखा है, “Behold the memory of …Ravan…
यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-२
गतांक से आगे… यूरोप के ड्रुइडस और सेल्टिक अथवा केल्टिक सभ्यता के वैदिक संस्कृति से सम्बन्धित होने के कई अन्य ग्रन्थों से भी प्रमाण मिलते हैं. किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को प्राप्त व्यक्ति को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा जाता था. मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी शुद्र ही होते हैं अतः किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मणपद पर पहुंच सकता था यदि वह १.निष्पाप शुद्ध आचरण वाला जीवन यापन करता है २.अध्ययन त्याग और निष्ठा से करे ३.स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ४.उसका दैनन्दिनी कार्यक्रम आदर्श हो. अतः मनुमहराज कहते हैं, इस…