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हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु से नहीं इंदु से?

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साम्राज्यवादी एवं वामपंथी इतिहासकारों के अनुसार हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु से हुई है और उसी से हिन्द और हिंदुस्तान बना है. और ऐसा इसलिए की फारस/पर्शिया/ईरान के लोग स का उच्चारण ह करते थे. इसमें ईरानी का ईक प्रत्यय लगाने से हिन्दीक शब्द बना जिसका अर्थ ‘हिन्द का’ है. यूनानी इंदिका या यूरोपियन इंडिया आदि इसी हिन्दीक शब्द से ही बने हैं.

परन्तु साम्राज्यवादी इतिहास भारत की गौरवशाली प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, परम्परा और इतिहास की अवहेलना तथा ईसाई मत, कि सृष्टि का निर्माण सिर्फ ४००४ ईस्वी पूर्व हुआ था, जैसे दोषों से युक्त होने के कारण विश्वसनीय नहीं है. भारत के वामपंथी/नेहरूवादी इतिहासकार और पश्चिमी इतिहासकार अंग्रेजों द्वारा लिखित इसी दोषपूर्ण इतिहास का अन्धानुकरण करते हैं इसलिए इनके द्वारा लिखित इतिहास कतई विश्वसनीय नहीं है. भारतीय वामपंथी इतिहासकारों का एक दोष और है कि वे सत्य का शोध करने की जगह रटे रटाये इतिहास को ही इस्लामिक चासनी में लपेटकर पड़ोसते रहते हैं. इनके द्वारा लिखित इतिहास केवल दोषपूर्ण ही नहीं बल्कि फर्जी और मनगढ़ंत होता है, इसलिए ये पूरी तरह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं. आइये जानते हैं हिन्द और हिन्दू शब्द की उत्पत्ति पर विभिन्न शोधपरक इतिहास क्या कहता है.

कुछ इतिहासकार हिन्दू और हिन्द शब्द की उत्पत्ति भारतवर्ष का प्राचीन नाम ‘इंदु’ अर्थात चन्द्रमा शब्द से मानते हैं. उनका मानना है कि हिन्दू शब्द सिन्धु से नहीं इन्दु (चन्द्रमा) से बना है. यूरोपीय लोग हिन्दू को इन्दु ही कहते थे और हिन्दुओं के देश को इंदीय (चन्द्रमा के समान) अपभ्रंश इंडिया कहते थे. चीनी यात्री हुवेन्त्संग ने लिखा है, “भारत के कई नाम हैं. प्राचीनकाल में भारत को शितु और हिनाऊ कहते थे किन्तु उसका सही उच्चार इन्दु है. उस नाम के प्रति बड़ा आदरभाव है. उस देश का नाम इन्दु इसलिए है कि उस देश के विद्वानों ने अपने शीतल, धवल ज्ञानप्रकाश से चन्द्रमा जैसे ही सारे विश्व को उजागर किया.” (हुवेन्त्संग की यात्राकथा, अनुवादक सैम्युएल बील)

हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थान प्रचक्षते॥”- (बृहस्पति आगम)

अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है.

यहां भी हिन्द केलिए इंदु शब्द का प्रयोग हुआ है. अतः इससे और हुएन्त्सन्ग के विवरण से इतना तो स्पष्ट है कि भारत का एक नाम इंदु भी था और भारतीय इंदु शब्द का उच्चारण बड़े आदरभाव से करते थे.

अलबरूनी के ग्रन्थ से भी लगता है सिन्धु और हिन्दू शब्द दो अलग उच्चार है. अलबरूनी ने लिखा है कि उसके प्रदेश से “सिंध में जाने केलिए हिमरोझ उर्फ़ सिजिस्थान से होकर जाना पड़ता है किन्तु यदि हिन्द में पहुंचना हो तो काबुल होकर जाना पड़ता है.” (पृष्ठ १९८, खंड १, एडवर्ड सचाऊ द्वारा अनुदित Al Baruni’s India)

उपर्युक्त से स्पष्ट है सिन्धु और हिन्दू दो अलग शब्द हैं. सिन्धु से हिन्दू नहीं बना है बल्कि भारत का एक प्राचीन नाम इंदु था और इंदु से ही हिन्दू शब्द बना है. सवाल है यह इंदु शब्द चन्द्रमा से उत्पन्न था या कुछ और? और यह कि क्या इंडिया शब्द की उत्पत्ति भी इंदु से ही हुआ है? आइये पता करते हैं.

क्या इण्डिया शब्द की उत्पत्ति इंदु से हुआ है?

इतिहास के शोधकर्ता नरेन्द्र पिपलानी जिन्होंने इतिहास की मृत्यु नामक पुस्तक लिखी है उनका मानना है कि, “हिन्द शब्द की उत्पत्ति वेदों में वर्णित इन्द्र का अपभ्रंश है. ग्रीक के आर्यों द्वारा दिया नाम इन्दका (Indica) रोमन भाषा में जाकर इन्देय तथा बाद में यही शब्द ब्रिटेन की अंग्रेजी भाषा में इंडिया बना.”  

अब सवाल है ग्रीक लोग भारत या भारतियों को ‘इन्दका’ क्यों कहते थे और ईरानी ‘हिन्द का’ क्यों कहते थे?

दरअसल भारतवर्ष का नाम इंद या इंदु भारत नाम पड़ने से पूर्व का है. एक वैदिक कथा जो प्राचीन आर्यों का ईरान की ओर गमन की कथा है उसे जानते हैं. दरअसल, भारतीय और ईरानी शाखाओं के बिच जिस धार्मिक मतभेद को आजतक प्रव्रजन का कारन बताया जाता रहा है उसके विषय में गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी यह कथा प्रस्तुत करते हैं,

“ऋग्वेद के दसवें मंडल के ८६ वें सूक्त से आरम्भ करके आगे के सूक्तों में एक वाक्क्लह का संकेत प्राप्त होता है. ऋज्रास्व ऋषि का दौहित्र जरथुस्त्र नाम का एक व्यक्ति हुआ उसके हृदय में स्वभावतः उस काल के ब्राह्मणों के प्रति द्वेष था. जरथुष्ट्र ने परम्परा से चले आते हुए इंद्र के प्राधान्य को अस्वीकार किया और इसके स्थान पर वरुण को प्रतिष्ठित किया. इसका संकेत ऋकसंहिता के नेद्र देवममंसत मंत्राश में पाया जाता है. उपस्थित ऋषियों में न्रिमेध, वामदेव, गार्ग्य अदि ने इंद्र का पक्ष लिया और सुपर्ण, कण्व, भरद्वाज आदि ने वरुण का पक्ष लिया तथा वशिष्ठ आदि ऋषियों ने अपने अपने स्थान पर दोनों का सम्मान माना. अतः वरुण के समर्थक जरथुस्त्र के नेतृत्व में “भारत से ईरान” की ओर प्रस्थान कर गये. (गिरधर शर्मा चतुर्वेदी, वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति, पटना तथा Indian Civilisation in the Rigvedas, Yeotmal by P R Deshmukh)

इस कथा का विश्लेषण करें तो हमें ईरान के हिंदीका और ग्रीक के इन्दका और रोम के इन्देय शब्द का आधार मिल जाता है. दरअसल भारत से ईरान जानेवाले लोग जो वरुण के पक्षधर थे वे भारत को ‘इंद्र का’ अर्थात इंद्र को माननेवाले कहने लगे. कालान्तर में ‘इंद्र का’ शब्द इंदका (Indica) बन गया जो ग्रीक में ज्यों का त्यों एक देश के नाम के रूप में रूढ़ होकर रह गया परन्तु ईरान में इ का उच्चारण ह होने के कारण हिन्दका बन गया. इसी तरह यह रोमन/Latin भाषा में जाकर Indae(r) अर्थात इन्देय या इन्दर और जर्मन भाषा में इंदर (Inder अर्थात Strong, People of India; स्त्रीलिंग Inderin अर्थात इन्द्राणी), फ्रेंच में Inde(r) अर्थात इंदे या इंदर और कालांतर में अंग्रेजी में इन्दिया और इन्दियन बन गया.

साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार तर्क देते हैं कि ईरानी स को ह बोलते थे इसलिए सिन्धु को वे हिन्दू बोलते थे और इस प्रकार हिन्द, हिन्दू, हिंदुस्तान शब्दों की उत्पत्ति हुई. सवाल है जब ईरानी स बोलते ही नहीं थे तो फिर साईरस/कुरुष (Cyrus), डेरियस-I,II,III आदि ईरानी सम्राटों के नाम में स क्यों है? सत्य यह है कि वे इंदु को हिन्दू बोलते थे. छठी शताब्दी इस्वीपूर्व जब साईरस के नेतृत्व में ईरानियों ने मध्य एशिया के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लिया तब मध्य एशिया के जो लोग भारत या भारतियों को इंदु बोलते थे वे भी कालांतर में हिन्दू बोलने लगे.

नाम हमेशा दूसरों के द्वारा ही दिया जाता है. प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इंदु नाम तो मिलता है पर हिन्दू नहीं मिलता है क्योंकि भारतियों को हिन्दू ईरानी कहते थे और मध्य एशिया के लोग. कालांतर में जब भारत में ईरान और मध्य एशिया से शक, कुषाण, पहलव और हूण आये तो वे सनातन धर्मी भारतियों को हिन्दू ही कहते थे और यहाँ आकर खुद को भी गर्व से हिन्दू कहने लगे. इस प्रकार भारत में हिन्दू शब्द का प्रचलन तेजी से बढ़ता गया. जब मध्य एशिया के बौद्ध, हिन्दू, पारसी, ईसाई आदि तुर्क तलवार के बल पर अरब आक्रमणकारियों द्वारा मुसलमान बना दिए गए तो वे भी अपने सनातन संस्कार को भूल इस्लामिक जिहादी बनकर भारत पर आक्रमण करने लगे. ज्ञातव्य है कि प्राचीन अरबी ग्रंथों में मध्य एशिया के तुर्कों के लिए ‘तुर्की हिन्दू’ शब्द का प्रयोग हुआ है (पी एन ओक) परन्तु जब वे जबरन तलवार के बल पर मुस्लिम बना दिए गये तो वे भी सनातन धर्मी भारतियों को चाहे हिन्दू हो, बौद्ध हो या जैन काफ़िर हिन्दू  कहने लगे और उन्हें भी जबरन मुसलमान बनाने लगे.

वैदिक काल में ‘इन्द’ शब्द भारत के सूर्यवंशी क्षत्रियों का पर्याय बन गया. इन्द = इन + द, इन = सूर्य, द = से उत्पन्न अर्थात सुर्यपुत्र या सूर्यवंशी.

अब सवाल है जब खुद भारतीय भारत का प्राचीन इंदु या इंद नाम भूल गये तो फिर यूरोपियन इन नामों को कैसे आजतक याद रखे हुए हैं?

जबाब है, पहली बात भारतीय भूले नहीं थे बल्कि भारत शब्द बहुत बृहत् स्तर पर प्रयुक्त होने के कारण प्राचीन इंदु या इंद नाम कम प्रयुक्त होने लगे थे. प्रमाण है ह्वेन्त्संग का विवरण जो कहता है भारत का कई नाम है शितु, हिनाऊ (हिन्दू?) और इंदु. दूसरा प्रमाण है मेगास्थनीज जो भारत में रहकर भारत और भारतियों पर ग्रन्थ लिखा और नाम दिया इन्दका (Indica) न कि भारत. परन्तु हमारे वामपंथी इतिहासकारों को गुलामी की लत लगी है इसलिए वे भारत के हर चीज में विदेशी स्रोत ढूंडने की कोशिश करते हैं.

दूसरी बात यूरोपियन लोगों के द्वारा भारत का नाम इंदु या इंद याद रखने का क्या कारण है का जबाब यह है कि अधिकांश यूरोपियन भारत से यूरोप गये लोग हैं. लगभग सभी इतिहासकार इस मत से सहमत हैं कि नवपाषाण काल या उससे भी पूर्व मध्य एशिया से लोग यूरोप जाकर बसे. सभी इतिहासकार इस मत से भी सहमत हैं कि २५०० ईस्वीपूर्व मध्य एशिया खासकर मिदीया वैदिक सभ्यता संस्कृति का केंद्र था जहाँ से आर्यों का बड़ा हिस्सा भारत आया और छोटा हिस्सा यूरोप चला गया.

प्राचीन समय में मध्य एशिया को शक द्वीप के नाम से जाना जाता था. मध्य एशिया में शकों की विभिन्न शाखाएं रहती थी. यही शक सोवियत रूस में स्लाव आदि जातियों के रूप में और ब्रिटेन में एंग्लो सैक्सन के रूप में आज भी हैं. मैंने पहले ही सिद्ध कर दिया है कि शक भारत के सूर्यवंशी क्षत्रिय थे जिन्हें इच्छवाकू वंशी राजा सगर ने वैदिक नियमों का सही ढंग से पालन नहीं करने के कारण भारत से बहिष्कृत कर दिया था, ऐसा पुराणों में विवरण मिलता है. बाल्मीकि रामायण में भी श्रीराम को वनवास देने के बाद कैकयी और सुमंत के बीच इस मुद्दे पर बहस में इस कथा का विस्तृत विवरण मिलता है. इनसे भी पूर्व भारतीय यूरोप जाकर बसते रहे होंगे. वे अपने मातृभूमि को ‘इन्द्र का’ अथवा इंदु देश के रूप में स्मृति बनाये रखे हैं.

शोधकर्ता नरेन्द्र पिपलानी लिखते हैं, “समस्त यूरोप एवं रोमवासी आज तक अपने को इन्दीजन जिसका अर्थ है ‘मातृभूमि का पुत्र’ कहते हैं. अगर उनसे कोई पूछे कि इन्दी या इंदु शब्द का अर्थ क्या है? तो उन्हें उत्तर का ज्ञान नहीं है (क्योंकि ईसाई बनने के बाद वे अपने पूर्वजों के प्राचीन इतिहास को अंधकार युग कहकर नष्ट कर चुके हैं).”

वे आगे लिखते हैं, “Inde (मूल स्थान), Indigens (इन्दीजन) अर्थात मातृभूमि, Indae, Indu, Indigena (धरतीपुत्र, जन्मजात, देशीय आदि), Inder इत्यादि शब्दों का प्रयोग यूरोपवासियों ने स्वयं के लिए किया है तथा भारत के लिए Indica (इन्दिका), India (इंदिया), Inder (इन्दर) शब्दों का प्रयोग किया है.”

यूरोपवासियों के आदि पूर्वज जो इन्द्र देश (भारत) से अनजान स्थानों पर बसने केलिए गए थे, भारत को इन्द्र देश के नाम से ही याद करते थे, परन्तु लिपि की उत्पत्ति के बाद संस्कृत के ५५ ध्वनियों के स्थान पर यूरोप के सिर्फ २२ या २६ ध्वनियों में परिवर्तन के कारण संस्कृत शब्दों के लेखन और उच्चारण में गंडगोल या उलटफेर हो गया.

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आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत वास्तव में आउट ऑफ़ भारत सिद्धांत है

सबसे महत्वपूर्ण है जर्मन लोगों के द्वारा आज भी भारत को Inder के रूप में याद रखना. मैं पहले ही सिद्ध कर चूका हूँ जर्मन लोग अधिकांश में दैत्यों के वंशज है. वे आज भी अपने देश को Deutschland (डाइत्श लैंड) कहते हैं जो संस्कृत दैत्य स्थान का अपभ्रंश है. ये अपने आदि पूर्वजों को Diot/Diota मानते हैं. दैत्यराज हिरण्यकश्यप जब विजय करता हुआ भारत के सिन्धु क्षेत्र से काश्पीय सागर के पार (Trans Caspian region) जब हिरण्यपुर में दैत्य और दानवों की संयुक्त राजधानी बसाया था, संभव है, तब असुर लोग भारत और भारतियों को इन्दर अर्थात इन्द्र को मानने वाले लोग या उनका देश कहने लगे हों और आज तक वही कहते आ रहे हों. बाद में वे धीरे धीरे यूरोप के विभिन्न हिस्सों में बसते चले गए. गॉल प्रदेश (फ़्रांस, स्पेन, पुर्तगाल आदि) के गैलिक तथा यूरोप के केल्टिक (Celtic) लोगों के देवताओं में कई दैत्य और दानव भी थे. Inder, Inderin (इंद्राइन जैसे पंडिताइन, चौधराइन आदि), Indae(r), Inde(r) आदि शब्द इसी की ओर इंगित करते हैं.  

उपर्युक्त से दो बातें स्पष्ट हो जाती है कि हिन्दू, हिन्द और हिंदुस्तान शब्द सिन्धु या ईरानियों के स के स्थान पर ह उच्चारण करने के कारण नहीं बना है. अगर ईरानी हिंदीका शब्द से ग्रीक इन्दिका या अंग्रेजी इंडिया बनता तो वे सिन्धु को Indus नहीं Hindus कहते. अतः सच्चाई वामपंथियों के तथाकथित सत्य के विपरीत है. इसलिए हिन्दू शब्द निश्चय ही इंदु से बना है. इसी तरह इंदु अथवा इन्द्र का अपभ्रंश यूरोपीय शब्द इंदका, इन्देय, इंदर (Inder), इंदे (Inde) और कालांतर में अंग्रेजी में इन्दिया बना.

मुख्य स्रोत:

इतिहास की मृत्यु लेखक नरेन्द्र पिपलानी

वैदिक विश्वराष्ट्र का इतिहास लेखक पुरुषोत्तम नागेश ओक

विकिपीडिया आदि

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