शेयर करेंकृपया कमजोर दिलवाले इस शोध-पत्र को न पढ़ें. यह नेहरूवादी/वामपंथी इतिहासकारों की चाटुकारीता पर आधारित नहीं बल्कि खुद अंग्रेजों, कांग्रेसी नेताओं और क्रांतिकारियों के शब्दों में और उनके विवरणों पर आधारित है. कांग्रेस के आधुनिक नेतागण छाती फुलाकर कहते हैं कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल कांग्रेस ने लड़ी थी. क्या सचमुच ऐसा था? वैसे ही एक और सफेद झूठ फैला दिया गया है कि गाँधी ने आजादी दिलाई. भारत को आजादी गाँधी और उनके अहिंसात्मक आन्दोलन से मिली. मैं यकीन दिलाता हूँ कि नीचे का विवरण इस झूठ का पर्दाफाश कर देगा. कांग्रेस के गठन की पृष्ठभूमि…
गौरवशाली भारत-४
शेयर करें76. प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ बृहदविमानशास्त्र, गयाचिन्तामणि, भागवतम, शानिस्त्रोत और रामायण में विमानों का उल्लेख है. बंगलोर के इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के विमान विभाग के पांच रिसर्चरों का शोध पत्र मद्रास से प्रकाशित द हिन्दू पत्रिका में प्रकाशित हुआ था. शोधकों ने लिखा था, “भरद्वाज मुनि द्वारा लिखित बृहदविमानशास्त्र ग्रन्थ में वर्णित विविध विमानों में से ‘रुक्मी’ प्रकार के विमान का वहनतंत्र या उड़ानविधि समझ में आती है. उस विधि द्वारा आज भी विमान की उडान की जा सकती है. किन्तु अन्य विमानों का ब्यौरा समझ नहीं आता. 77. प्राचीन काल के वैदिक शास्त्रों में ८ प्रकार के उर्जा स्रोत…
गौरवशाली भारत-३
शेयर करें51. यहूदी, ईसाई और इस्लामी पंथ में जिस मूल धर्मप्रवर्तक अब्राहम का उल्लेख हुआ है, वे ब्रह्मा ही हैं. ब्रह्मा को अब्रम्हा कहना वैसी ही उच्चारण विकृति है जैसे स्कूल को अस्कूल और स्टेशन को अस्टेशन कहने में होती है. मुसलमानों में वही वैदिक ब्रह्मा अब्राहम के बजाए इब्राहीम उच्चारा जाता है-पी एन ओक 52. ईश्वर का संस्कृत शब्द इशस बाइबिल में Jesus, यहूदी में issac (इशस) जबतक c का उच्चारण स होता रहा तब तक इशस; c का उच्चारण क होने पर आयझेक, इस्लाम में इशाक (issac अर्थात इशस) कहलाता है. अतः स्पष्ट है सारे विश्व में प्राचीन…
गौरवशाली भारत-२
शेयर करें26. चतुर्युग अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलियुग कुल ४३२०००० वर्षों का होता है जिसे एक चक्र कहते हैं. १००० चक्र अर्थात ४३२००००००० वर्ष को एक कल्प कहते हैं जो बिगबैंग सिद्धांत के अनुरूप सृष्टि निर्माण काल और विरामकाल के अनुरूप है. एक कल्प में १४ मन्वन्तर होते हैं. प्रत्येक मन्वन्तर के शासक को मनु कहते हैं. वर्तमान मनुस्मृति चालू मन्वन्तर की आचारसंहिता है. वर्तमान विश्व सातवें मन्वन्तर में है जो सौर्यमंडल सिद्धांत और सूर्य के वैज्ञानिक आयु के समकक्ष है. 27. ईश्वरः सर्व भूतेषु हृदेशे अर्जुन तिष्ठति भ्राम्यन सर्वभूतानि यंत्ररुढ़ानि मायया. अर्थात समूचा विश्व एक यंत्र है जिस…
जब कांग्रेस के संस्थापक जान बचाने के लिए मुंह में कालिख लगाकर, साड़ी पहनकर भाग खड़े हुए..
शेयर करेंइंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना सन १९८५ में अंग्रेजों ने की थी ताकि भारतीय लोगों को १८५७ की तरह क्रन्तिकारी और हिंसक विद्रोह करने से रोका जा सके. वैसे कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को माना जाता है. कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा मे जंगे आजादी के सिपाहियों से जान बचाने के लिये मुंह में कालिख लगा, साड़ी पहन और बुर्का डालकर ग्रामीण महिला का वेष धारण कर भागना पड़ा था. उस समय वे इटावा के मजिस्ट्रेट एवं कलक्टर थे. स्वातन्त्र्य वीर सावरकर ने अपनी जीवनी में…
राजा दाहिर की बहादुर पुत्रियों ने कासिम और खलीफा से बदला लिया
शेयर करेंसूर्य और परिमल राजा दाहिर सेन की बहादुर पुत्रियाँ थी जिसने शैतान कासिम और हज्जाज का बहादुरी और चतुराई से अंत कर वीरगति को प्राप्त हुई सिंध के परमप्रतापी ब्राह्मणवंशी राजा चाच की मृत्यु के बाद 679 ईसवी में दाहिर सेन राजा बने. राजा चाच की तरह राजा दाहिर बहुत वीर और कुशल सेनानी थे. उन्होंने भी मुस्लिम आक्रमणकारियों के छक्के छुड़ा दिए थे. बात उस समय की है जब बगदाद की गद्दी पर खलीफा का गवर्नर सबसे क्रूर नरपिशाच हज्जाज बिन यूसुफ बैठा था. एकबार खलीफा और हज्जाज अपनी कामुक लिप्सा केलिए लंका से सुंदर औरतें जहाज से…
महाप्रतापी राजा चाच और उनके पुत्र राजा दाहिर ने मुस्लिम आक्रमणकारियों के छक्के छुड़ा दिए थे
शेयर करेंवीरता की प्रतिमूर्ति सिंध के राजा दाहिर सेन अरब में इस्लाम का उदय मक्का के काबा मन्दिर के पुजारी के घर मोहम्मद पैगम्बर का जन्म हुआ जिन्होंने सातवीं सदी के प्रारम्भ में इस्लाम मजहब की शुरुआत की. इस्लाम के उदय के साथ ही अर्बस्थान के यहूदियों, ईसाईयों, बौद्धिष्टों, हिन्दुओं आदि को तलवार के दम पर मुसलमान बना दिया गया. सन 634 ईस्वी से लेकर 651 के बिच पारसियों को, सन 640 से 655 ईसवी के बिच इजिप्ट के कुशाईट और ईसाई सहित लगभग सभी लोग मुसलमान बना दिये गए. नार्थ अफ्रीकन देश जैसे अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को, उतरी सूडान आदि…
वैदिक आर्य बाहर से भारत नहीं आये बल्कि भारत से बाहर विभिन्न क्षेत्रों में गये थे!
शेयर करेंइस तस्वीर को ध्यान से देखिए. आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत वस्तुतः आउट ऑफ़ इंडिया सिद्धांत ही है. पूरा विश्व अब मानने लगा है कि विश्व की प्राचीन सभ्यता वास्तव में भारत से ही पूरी दुनिया में फैली. पर दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के कांग्रेसी सरकार और वामपंथी इतिहासकार भारत में सत्य के विपरीत ठीक उल्टा सिद्धांत बना रखें हैं. जब भारत की सरकार और शिक्षा तन्त्र ही झूठ का लबादा ओढ़ रखा हो तो फिर दुसरे देश क्या करें? इसलिए इतिहास के अन्वेषक पूरे विश्व के विद्वान किंकर्तव्यविमूढ़ हो आउट ऑफ़ अफ्रीका सिद्धांत की ओर देखते…
आर्य जन आक्रमणकारी थे या आक्रमित?
शेयर करेंवैदिक ऋषि गण यह सिद्ध करने के बाद की आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत महज साम्राज्यवादी षड्यंत्र था आज हम इस प्रश्न पर विचार करेंगे की क्या हम भारतीयों के पूर्वज आर्य जन सचमुच असभ्य, बर्बर, खानाबदोश, हिंसक, लूटेरा और आक्रमणकारी थे? आज हम धूर्त नेहरूवादी वामपंथी इतिहासकारों के एक और झूठ का पर्दाफाश करेंगे. क्या असुर, दानव, दैत्य, राक्षस बेचारे लोग थे? कभी आपने पढ़ा या सुना है की देवताओं ने असुर लोक/दानव लोक पर आक्रमण कर दिया और उसपर अधिकार कर लिया? अलवत्ता आप हर जगह यही पढते और सुनते हैं की असुरों/दानवों ने देव लोक पर…
भारत पर आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत ब्रिटिश साम्राज्यवादी षड्यंत्र था
शेयर करें आर्यों के आक्रमण का सिद्धांत भारत में ब्रिटिश शासन का एक साम्राज्यवादी षड्यंत्र था. “आर्य जाति” का अविष्कार १८५० के दशक में एक फ्रेंच जोसेफ आर्थर डे ने किया था जिसे भारत में ज्यों का त्यों अंग्रेज सैनिक कनिंघम ने अपना लिया जो भारतीय पुरातत्व विभाग का प्रथम अध्यक्ष था. उसके पहले भारतवर्ष के इतिहास, पुराण और वेदों में कहीं भी आर्य जाति का कोई उल्लेख नहीं है क्योंकि आर्य “जाति” जैसा कोई चीज था ही नहीं. आर्य शब्द वास्तव में जाति सूचक नहीं “श्रेष्ठता” सूचक था “सम्मान” सूचक था और भारतवर्ष के लोग सम्मान देने के लिए…