शेयर करेंअफगानिस्तान भारतवर्ष का वह हिस्सा है जहाँ ५०००० वर्ष पहले के मानवीय बसावट (वैदिक आर्य संस्कृति) का एतिहासिक सबूत मिला है (विकिपीडिया). अर्बस्थान (अरब) में जब इस्लाम का उदय हुआ तो देखते ही देखते तुरगस्थान (तुर्की) के हिन्दू, बौद्ध, इराक के राजा बरमक बौद्ध, ईरान के पहलव क्षत्रिय, समरकंद के बौद्ध राजा आदि के इस्लामीकरण के बाद बारी भारतवर्ष के अफगानिस्तान वाले हिस्से की थी. इतिहासकार पी एन ओक लिखते हैं, “यूरेशिया के महान वैदिक आर्य संस्कृति के लोग “अहिंसा परमोधर्म:” की मूर्खतापूर्ण माला जपते हुए “हिंसा लूट परमोधर्म:” की संस्कृति में समाते जा रहे थे.” अरब के आक्रमणकारियों…
अम्बेडकर ने क्यों कहा कम्युनिष्ट हिंसक और मजदूर, लोकतंत्र के दुश्मन होते हैं
शेयर करेंबाबा साहेब अम्बेडकर कम्युनिष्टों के हिंसक, राष्ट्रविरोधी, लोकतंत्र विरोधी और मजदूर विरोधी विचारों और करतूतों से समझ गये थे कि कम्युनिष्ट भारत केलिए खतरनाक साबित होंगे. कम्युनिष्टों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर भारत विभाजन कर पाकिस्तान बनाया और २४% मुसलमानों केलिए ३५% भारतीय भूभाग देकर पाकिस्तान बनाने के बाबजूद उन्हें भारत में रखने का समर्थन किया जबकि अम्बेडकर इसके सख्त खिलाफ थे. इतना ही नहीं कम्युनिष्ट जोगेन्द्रनाथ मंडल ने दलित-मुस्लिम भाई भाई का नारा दिया था जिसके कारण पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान में लाखों दलित, हिन्दू, बौद्ध वहीँ रह गये और जघन्य नरसंहार, रेप और धर्मांतरण के शिकार…
प्राचीन Egypt में वैदिक आर्य संस्कृति थी
शेयर करेंEgypt के बेबिलोनिया में नरसिंह अवतार हुआ था और बाइबिल के Genesis यानि जन्म अथवा आरम्भ XI-7 नाम के भाग में इसका उल्लेख है. एसा थॉमस मॉरिस का मानना है. उन्होंने अपने ग्रन्थ में लिखा है, “इसमें कोई संदेह नहीं की जब मानवजाति तितर-बितर हुई तब जो लोग Egypt में गए वे उस भयंकर (नरसिंह अवतार की) इतिहास की स्मृतियाँ साथ ले गए. उनका वही (नरसिंह) नाम था जो भारतीय परम्परा में है.” वे आगे लिखते हैं, “Egypt में आधा नर और आधा सिंह ऐसी जो स्फिंक्स (Sphinx) नाम की अद्भुत प्रतिमा बनी है उसका स्रोत नरसिंह अवतार ही…
Christmas ईसापूर्व यूरोप के सूर्य उत्तरायण का पर्व है
शेयर करेंमैं नहीं, खुद कट्टर ईसाई लोग ऐसा कहते हैं और Christmas मनाने का विरोध करते हैं. भारत में ईसाईयों की सबसे बड़ी संस्था मुम्बई में है. मुम्बई के कट्टर ईसाईयों द्वारा लिखी गयी पुस्तक The Plain Truth, Worldwide Church of God P.O. Box 6727, Mumbai द्वारा प्रकाशित की गयी है. उसमें लिखा है: “चाहे सही हो या गलत आम लोग अनुकरणप्रिय होते हैं. जैसे भेड़ दूसरों के पीछे चुपचाप कत्लखाने में भी प्रविष्ट हो जाती है. किन्तु सुविचारी लोगों को निजी कृत्य की जाँच करते रहना चाहिए. कई लोग Christmas की विविध प्रकार से सराहना करते रहते हैं किन्तु…
इटली की Etruscan सभ्यता वैदिक सभ्यता थी
शेयर करेंइतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक कहते हैं यूरोप की मूल अनादि संस्कृति वैदिक थी और ग्रीस तथा रोम उस परम्परा के गढ़ थे. यहाँ भी चतुर्वर्ण व्यवस्था थी. रोमन साम्राज्य वस्तुतः रामन सम्राज्य था और रोम वास्तव में राम का ही इतालवी उच्चार है जिसकी स्थापना ईसापूर्व ७५३ ईस्वीपूर्व में Etruscan लोगों ने की थी. वे लिखते हैं कि रोम नगर के राम नगर होने के एक प्रमाण यह भी है कि रोम नगर के सामने दूसरी ओर रावण (Revenna) नगर बसा है. इतिहासकार एडवर्ड पोकोक ने भी अपने ग्रन्थ के पृष्ठ १७२ पर लिखा है, “Behold the memory of…
मुगलों का काल वीर बन्दा वैरागी
शेयर करेंअमर बलिदानी वीर बन्दा वैरागी २७ अक्तूबर, १६७० को जम्मू कश्मीर के पूंछ में श्री रामदेव के घर एक सामान्य हिन्दू परिवार में लक्ष्मण देव उर्फ़ बन्दा वैरागी का जन्म हुआ था. वे बचपन से मल्ल युद्ध और कुश्ती में दक्ष थे. युवावस्था में शिकार खेलना उनका सबसे प्रिय खेल था. एक दिन शिकार खेलते समय अनजाने उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया. इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया. यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया और वे घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर निकल गये. उन्होंने अनेक साधुओं से योग साधना सीखी…
यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-२
शेयर करेंगतांक से आगे… यूरोप के ड्रुइडस और सेल्टिक अथवा केल्टिक सभ्यता के वैदिक संस्कृति से सम्बन्धित होने के कई अन्य ग्रन्थों से भी प्रमाण मिलते हैं. किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को प्राप्त व्यक्ति को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा जाता था. मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी शुद्र ही होते हैं अतः किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मणपद पर पहुंच सकता था यदि वह १.निष्पाप शुद्ध आचरण वाला जीवन यापन करता है २.अध्ययन त्याग और निष्ठा से करे ३.स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ४.उसका दैनन्दिनी कार्यक्रम आदर्श हो. अतः मनुमहराज कहते हैं,…
यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-१
शेयर करेंरोमन शासक कांस्टेंटाईन के ३१२ ईस्वी में ईसाई धर्म अपनाने और यूरोप में उसके द्वारा ईसायत के प्रसार से पूर्व यूरोप में वैदिक संस्कृति होने के प्रमाण मिलते हैं. इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि यूरोप के ड्रुइडस भारतीय ब्राह्मण थे और उनके मार्गदर्शन में विकसित केल्टिक या सेल्टिक संस्कृति स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक संस्कृति ही थी. यूरोपीय इतिहासकार इन्हें भारोपीय (Indo-European) भाषा बोलने वाले भारोपीय लोग कहते हैं जो कहीं से आकर यूरोप में बस गये थे. यूरोप में ईसापूर्व की संस्कृति का नेतृत्व और अधीक्षण, निरीक्षण, शिक्षण, व्यवस्थापन आदि कार्य ड्रुइडस के हाथों में…
राममन्दिर पुनर्निर्माण केलिए ४९२ वर्ष लम्बे संघर्ष की गौरवगाथा
शेयर करें६ दिसम्बर, १९९३ को भारत का कलंक बाबरी विध्वंस हुआ भारत में उपलब्ध स्थानीय अभिलेख, क्षेत्रीय इतिहास, अनुश्रुति और भारतीय ग्रन्थों में उपलब्ध जानकारी के अनुसार अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मन्दिर बनाने का पहला श्रेय मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के बड़े पुत्र कुश को जाता है. अर्केओलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा श्रीरामजन्मभूमि की खुदाई में मन्दिर के तिन परतों का पता चला जिसमे द्वितीय परत प्रथम ईसापूर्व के महान चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य द्वारा बना माना जाता है. और उसके लगभग एक हजार वर्ष बाद ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी में अयोध्या के गहड़वाल वंश के शासक गोविन्दचन्द्र द्वारा निर्मित या जीर्णोद्धार…
क्या यहूदी द्वारिका से पश्चिम की ओर गये यदुवंशी हैं
शेयर करेंभारतवर्ष से यहूदियों के प्रस्थान मार्ग यह शोध यहूदी “धर्म” के सम्बन्ध में नहीं बल्कि यहूदी लोगों के “मूल” और भारतियों के पश्चिम की ओर प्रव्रजन से सम्बन्धित है. आर्यों के आक्रमण/माईग्रेशन का सिद्धांत १९७० के दशक में झूठ और ब्रिटिश साम्राज्यवादी षड्यंत्र साबित होने के बाद आज ऐतिहासिक शोधों से साबित हो चूका है कि मेसोपोटामिया, सुमेर, बाल्टिक, ग्रीस तथा यूरोप के Druids, Celts, इटली के Etruscan आदि सभ्यताओं के जनक भारतीय लोग ही थे. यहूदी भी उन्हीं में से एक हैं जिसे इस लेख में १५ मानकों पर भारतीय मूल का साबित किया गया है. यह केवल…