प्रारम्भ में पाकिस्तान खुद शेख अब्दुल्ला का कश्मीरी मुस्लिमों पर प्रभाव को देखते हुए प्लेबीसाईट से मुकर गया. नेहरु भी शेख अब्दुल्ला के आजाद कश्मीर की मांग से बौखला गए थे लेकिन जम्मू-कश्मीर के भाग्य का फैसला करने वाला तुरुप का पत्ता तो शेख अब्दुल्ला के हाथों में जा पड़ा था. अब जम्मू कश्मीर के भाग्य का फैसला करने का हक न भारत संघ के हाथ में रह गया था न भारतियों के और न ही महाराज हरिसिंह के हाथ में. अब देश का हित अनहित और जम्मू-कश्मीर एवं वहाँ के अल्पसंख्यकों के भाग्य का फैसला करने का हक चंद…
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भारत के लिए कितना खतरनाक था धारा-३७० और ३५-A भाग-१
जम्मू कश्मीर कितने आश्चर्य की बात है की देश के किसी भी भाग में बसने की हमारी संवैधानिक स्वतंत्रता जम्मू-कश्मीर की सीमा के पास जाकर घुटने टेक देती थी. वर्षों से जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा के लिए जान की बाजी लगाकर डटे रहनेवाले भारतीय सैनिक जम्मू-कश्मीर में दो गज जमीन पाने के हकदार नही थे. वहाँ की नागरिकता पृथक मानी जाती थी. करोडो भारतियों का गौरव भारतीय सम्विधान जम्मू-कश्मीर में कुछ लाख लोंगो के बीच गौरवहीन हो जाता था क्योंकि जम्मू-कश्मीर का अपना अलग सम्विधान था. यहाँ तक की भारतियों की आँखों का तारा तिरंगा झंडा, जिसके लिए हजारों लोगों ने…
डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर न दलित थे न अछूत, वे क्षत्रिय थे
बाबा साहेब आम्बेडकर मैं पिछले दिनों शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और वे क्षत्रियों, ब्राह्मणों के द्वारा ५००० वर्षों से शोषित, पीड़ित नहीं बल्कि उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार…
दलित जातियां दरिद्र बने क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य लोग हैं, भाग-२
मुस्लिम-ब्रिटिश शासन में बंगाल की जनता की तस्वीर गतांक से आगे… अब देखिये वामपंथी और दलितवादी कहते हैं ब्राह्मण और क्षत्रिय दलितों का ५००० वर्षों से शोषण कर रहे थे जबकि १००० ईस्वी से १८०० ईस्वी तक ब्राह्मण और क्षत्रिय खुद मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा शोषित, पीड़ित और वंचित थे और पिछले २०० वर्षों से अंग्रेज इनका शोषण और उत्पीडन कर रहे थे. जब विदेशी सत्ताधारी ईसाई और मुसलमान पहले से ही सभी भारतवासियों का शोषण और उत्पीडन कर रहा हो तो एसे समय में भला और कोई क्या किसी का शोषण, उत्पीड़न करेंगे. मगर आगे देखिये.. ६. सीमांत क्षेत्रों में…
बंगाल का प्रयागराज त्रिवेणी संगम, हूगली और वहां के विष्णुमन्दिर की कहानी
A true history of Triveni, Hooghly of Bengal; you must not have been taught. दक्षिण बंगाल के सप्तग्राम (हूगली जिले में) में मान नृपति नाम का एक स्थानीय क्षत्रप था. प्राचीनकाल में सप्तग्राम एक विश्वप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्षेत्र था. यह बंगाल का प्रसिद्ध बन्दरगाह था. सप्तग्राम एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल भी था. इसी सप्तग्राम में पवित्र तीर्थस्थल त्रिवेणी था. बंगाल के हूगली जिले में त्रिवेणी बंडेल से ४ किमी दूर, बांसबेरिया, शिवपुर में है. यहाँ गंगा के साथ यमुना की एक धारा और दक्षिण सरस्वती की एक धारा (सोलहवीं सदी तक) आकर मिलती थी इसलिए इसे दक्षिण का प्रयाग भी कहा…
गाँधी-कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई लड़ी ही नहीं थी
कृपया कमजोर दिलवाले इस शोध-पत्र को न पढ़ें. यह नेहरूवादी/वामपंथी इतिहासकारों की चाटुकारीता पर आधारित नहीं बल्कि खुद अंग्रेजों, कांग्रेसी नेताओं और क्रांतिकारियों के शब्दों में और उनके विवरणों पर आधारित है. कांग्रेस के आधुनिक नेतागण छाती फुलाकर कहते हैं कि भारत की आजादी की लड़ाई केवल कांग्रेस ने लड़ी थी. क्या सचमुच ऐसा था? वैसे ही एक और सफेद झूठ फैला दिया गया है कि गाँधी ने आजादी दिलाई. भारत को आजादी गाँधी और उनके अहिंसात्मक आन्दोलन से मिली. मैं यकीन दिलाता हूँ कि नीचे का विवरण इस झूठ का पर्दाफाश कर देगा. कांग्रेस के गठन की पृष्ठभूमि इंडियन…
जब कांग्रेस के संस्थापक जान बचाने के लिए मुंह में कालिख लगाकर, साड़ी पहनकर भाग खड़े हुए..
इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना सन १९८५ में अंग्रेजों ने की थी ताकि भारतीय लोगों को १८५७ की तरह क्रन्तिकारी और हिंसक विद्रोह करने से रोका जा सके. वैसे कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को माना जाता है. कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा मे जंगे आजादी के सिपाहियों से जान बचाने के लिये मुंह में कालिख लगा, साड़ी पहन और बुर्का डालकर ग्रामीण महिला का वेष धारण कर भागना पड़ा था. उस समय वे इटावा के मजिस्ट्रेट एवं कलक्टर थे. स्वातन्त्र्य वीर सावरकर ने अपनी जीवनी में लिखा…