आजकल तेलंगाना और पूरे देश में “रजाकार” फिल्म चर्चा में हैI यह फिल्म हैदाराबाद रियासत (प्राचीन भाग्यनगर और विजयनगर का क्षेत्र) के निजाम द्वारा हिन्दुओं पर अमानवीय अत्याचार, हिंसा और बलात्कार की सच्ची घटना पर आधारित हैI दरअसल 1947 से पूर्व भारतवर्ष में 500 से अधिक रियासतें थी जिनमें 400 से अधिक गैर राजपूत, गैर ब्राह्मण रियासतें थीI भारत में हैदराबाद रियासत को छोड़कर बाकी सभी रियासतें भारत में विलय कर चुकी थीI हैदराबाद के निजाम ने 15 अगस्त 1947 को हैदराबाद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था और वह पाकिस्तान में विलय को तो तैयार था परन्तु भारत…
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उत्तर भारतियों का दुश्मन, देश का गद्दार ई वी रामास्वामी पेरियार!
1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दू और मुसलमानों ने एक साथ मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लडाई लड़ी थी जिससे भयभीत होकर अंग्रेजों ने भारत में फूट डालो, राज करो की नीति का सूत्रपात किया. इसके तहत उसने सबसे पहले हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने केलिए सैय्यद अहमद खां को मुहरा बनाया जो मुसलमानों को हिन्दुओं का विरोध और ब्रिटिश सरकार का समर्थन करने केलिए उकसाने लगा. अंग्रेजों ने अहमद खान को सफल बनाने केलिए भारत में जितने भी प्राचीन हिन्दू इमारतें जो मुसलमानों के कब्जे में थी परन्तु ब्रिटिश सर्वेक्षण में वे हिन्दू इमारतें सिद्ध हुई थी…
हिन्दुओं के विरुद्ध सेकुलरिज्म का षड्यंत्र
तथाकथित सेकुलर राजनेता, कम्युनिष्ट बुद्धिजीवी और दोगली मीडिया चिल्लाते हैं देश में असहिष्णुता बढ़ रही है और यह असहिष्णुता भाजपा और मोदी सरकार के आने से बढ़ी है. मेरा मानना है यह असहिष्णुता में वृद्धि नहीं वरन यह असंतोष में वृद्धि है और इस असंतोष में वृद्धि का कारण वर्षों से सेकुलरिज्म के नाम पर ईसाई-मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं का राजनितिक अवहेलना, भारत के गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और धर्म का अपमान, राष्ट्र और धर्म की सुरक्षा से खिलवाड तथा तुष्टिकरण केलिए देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा से समझौता आदि कारणों के विरुद्ध हिंदुओं का उद्वेग, असंतोष, गुस्सा, धैर्य, सहिष्णुता…
कांग्रेस की स्थापना भारत में ब्रिटिश राज को स्थायी बनाने केलिए हुआ था
इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना सन १९८५ में अंग्रेजों ने की थी ताकि भारतीय लोगों को १८५७ की तरह क्रन्तिकारी और हिंसक विद्रोह करने से रोका जा सके. कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ.ह्यूम को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 17 जून 1857 को उत्तर प्रदेश के इटावा मे जंगे आजादी के सिपाहियों से जान बचाने के लिये मुंह में कालिख लगा, साड़ी पहन और बुर्का डालकर ग्रामीण महिला का वेष धारण कर भागना पड़ा था. उस समय वे इटावा के मजिस्ट्रेट एवं कलक्टर थे. तब से वे ऐसी क्रांति की पुनरावृत्ति होने के डर से अत्यधिक भयभीत रहते थे. (सावरकर समग्र,…
बिहार का धर्मांध मुस्लिम डकैत शेरशाह सूरी
दो मुस्लिम इतिहासकार वाकयात ए मुश्वकी (पृष्ठ १०३) तथा तारीख ए दाऊदी (पृष्ठ २५३) लिखते हैं कि एक बार सारंगपुर तथा उज्जैन के बीच यात्रा में शेरशाह ने अपने साथ चलते हुए मल्लू खान को अपने जीवन की प्रारम्भिक घटनाएँ सुनाई थी. उसने बताया कि एक बार वह चोरों तथा लुटेरों के चक्कर में पड़कर उन्हीं के साथ हो लिया और चारों ओर गावों को लूटता रहा. डाकुओं के साथ इस प्रारम्भिक प्रशिक्षण ने उन सात वर्षों तक (१५३८-४५) शेरशाह को मनमानी लूट तथा बलात्कार के योग्य बना दिया. शेरशाह का वास्तविक नाम फरीद खां था. उसका अफगानी पिता हसन…
मध्य एशिया का लूटेरा मुगल शैतान बाबर का इतिहास
इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “बाबर का पितृ पक्ष तैमूरलंग तथा मातृ पक्ष चंगेज खां से सम्बन्धित था जो संसार के दो क्रूरतम एवं सबसे अधिक लूट-खसोट करनेवाले थे, जिन्होंने अपने अन्यायों एवं अत्याचारों से सम्पूर्ण विश्व को थर्रा दिया था तथा सम्पूर्ण मानवता को पैरों तले कुचलकर रख दिया था. जिनके सामने उदारता और सहृदयता नाम की कोई चीज नहीं थी. विध्वंस जिनके जीवन का प्रमुख ध्येय था….बाबर को भी लोग नरभक्षी समझकर दहशत खाते थे तथा जहाँ कहीं भी वह जाया करता था लोग उसके डर से भाग जाया करते थे.” न्यायाधीश श्री जे. एम् शेलट ने…
पाकिस्तान के मदरसों में बन रही है हिन्दुस्थान को खत्म करने कि रणनीति
पाकिस्तान के मदरसों पर आधारित यह लेख मुख्य रूप से दो रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एस के दत्ता और राजीव शर्मा की पुस्तक ‘जिन्ना से जिहाद तक’ पर आधारित है जो हर देशभक्त भारतियों के लिए प्रासंगिक है और जानना जरुरी है क्योंकि इस लेख का सीधा सम्बन्ध हिन्दुओं, बौद्धों, सिक्खों, जैनों आदि तथा हम सबका घर हिन्दुस्थान की सुरक्षा से जुड़ा है. मोहम्मद अली जिन्ना ने १९४६ ईस्वी में लेबर पार्टी के सांसद वुडरो वाट से कहा की ‘चूँकि अंग्रेज भारत में मुस्लिम शासन के उत्तराधिकारी थे, इसलिए उसे भारत मुसलमानों को वापस दे देना चाहिए’ हालाँकि ऐसा हुआ नहीं,…
क्या नेहरु-कांग्रेस ने PoK और CoK को त्यागने की नीति अपना रखा था?
भारत का नक्शा अक्सर देश और विदेशों में गलत छप जाता है और गलती यह होती है कि भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य का ५४% हिस्सा अक्सर भारत के नक्शे से गायब हो जाता है और पाकिस्तान तथा चीन के नक्शे में शामिल हो जाता है. आखिर क्यों भारत का नक्शा अक्सर विवादों में आ जाता है? क्या नेहरु-कांग्रेस ने पाक अधिग्रहित कश्मीर (PoK) और चीन अधिग्रहित कश्मीर (CoK) को भारत का हिस्सा नहीं मानने की नीति अपना रखा था? आइये इस लेख के माध्यम से पड़ताल करते हैं. जम्मू-कश्मीर के महाराज हरिसिंह का विलेय को लेकर दुविधा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम…
जम्मू-कश्मीर १९४७ : जरा याद करो कुर्बानी
१९४७ के भारत पाक युद्ध के दौरान जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्ववाले सरकार से सहायता नहीं मिल पाने के कारण और नेहरु के गलत नीतियों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारियों से हिंदू-सिक्ख जनता की जान बचाने केलिए स्वेच्छा से आत्मसमर्पण कर मौत को गले लगाने वाले भारतीय सेना के बलिदान की अनसुनी कहानियों का संग्रह, लेफ्टिनेंट जेनरल के.के. नंदा की पुस्तक “निरंतर युद्ध के साए में” के आधार पर प्रस्तुत है, जिसे हर भारतियों को पढ़ना चाहिए ताकि भारत के इतिहास के पन्नों से गायब उन शहीदों की गाथा पढ़कर आप उनकी आत्मा की शांति केलिए भगवान से प्रार्थना कर सकें. भारत-पाकिस्तान…
बांग्लादेश को आजाद कराकर भारत को क्या मिला?
मेरी इच्छा भारत के साथ हजार बरसों तक युद्ध करने की है-जुल्फिकार अली भुट्टो, पूर्व प्रधानमंत्री पाकिस्तान. १९२८ में सिंध के लरकाना में जन्मे मुस्लिम बाप और हिंदू माँ (लखीबाई) का बेटा जुल्फिकार अली भुट्टो मुंबई में अपनी शिक्षा पूर्ण की थी परन्तु इसी बात पर अयूब खान और जिया उल हक के द्वारा राजनितिक दुष्प्रचार के कारण भुट्टो को पाकिस्तान में बार बार परेशान होना पड़ा था. शायद हिंदुओं और हिन्दुस्तान की प्रति उनकी हिंसा और नफरत में वृद्धि का कारण इतिहास के उस कड़वे सच की भांति ही था की धर्मान्तरित हिंदू, हिंदू माँ या धर्मान्तरित बाप या…