इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक कहते हैं यूरोप की मूल अनादि संस्कृति वैदिक थी और ग्रीस तथा रोम उस परम्परा के गढ़ थे. यहाँ भी चतुर्वर्ण व्यवस्था थी. रोमन साम्राज्य वस्तुतः रामन सम्राज्य था और रोम वास्तव में राम का ही इतालवी उच्चार है जिसकी स्थापना ईसापूर्व ७५३ ईस्वीपूर्व में Etruscan लोगों ने की थी. वे लिखते हैं कि रोम नगर के राम नगर होने के एक प्रमाण यह भी है कि रोम नगर के सामने दूसरी ओर रावण (Revenna) नगर बसा है. इतिहासकार एडवर्ड पोकोक ने भी अपने ग्रन्थ के पृष्ठ १७२ पर लिखा है, “Behold the memory of …Ravan…
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यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-२
गतांक से आगे… यूरोप के ड्रुइडस और सेल्टिक अथवा केल्टिक सभ्यता के वैदिक संस्कृति से सम्बन्धित होने के कई अन्य ग्रन्थों से भी प्रमाण मिलते हैं. किसी भी क्षेत्र में उच्चतम स्तर को प्राप्त व्यक्ति को वैदिक प्रणाली में ब्राह्मण कहा जाता था. मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी शुद्र ही होते हैं अतः किसी भी कुल में जन्मा व्यक्ति निजी योग्यता बढ़ाते बढ़ाते ब्राह्मणपद पर पहुंच सकता था यदि वह १.निष्पाप शुद्ध आचरण वाला जीवन यापन करता है २.अध्ययन त्याग और निष्ठा से करे ३.स्वतंत्र जीविका उपार्जन करता है ४.उसका दैनन्दिनी कार्यक्रम आदर्श हो. अतः मनुमहराज कहते हैं, इस…
यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-१
रोमन शासक कांस्टेंटाईन के ३१२ ईस्वी में ईसाई धर्म अपनाने और यूरोप में उसके द्वारा ईसायत के प्रसार से पूर्व यूरोप में वैदिक संस्कृति होने के प्रमाण मिलते हैं. इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि यूरोप के ड्रुइडस भारतीय ब्राह्मण थे और उनके मार्गदर्शन में विकसित केल्टिक या सेल्टिक संस्कृति स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक संस्कृति ही थी. यूरोपीय इतिहासकार इन्हें भारोपीय (Indo-European) भाषा बोलने वाले भारोपीय लोग कहते हैं जो कहीं से आकर यूरोप में बस गये थे. यूरोप में ईसापूर्व की संस्कृति का नेतृत्व और अधीक्षण, निरीक्षण, शिक्षण, व्यवस्थापन आदि कार्य ड्रुइडस के हाथों में था.…
क्या यहूदी द्वारिका से पश्चिम की ओर गये यदुवंशी हैं
भारतवर्ष से यहूदियों के प्रस्थान मार्ग यह शोध यहूदी “धर्म” के सम्बन्ध में नहीं बल्कि यहूदी लोगों के “मूल” और भारतियों के पश्चिम की ओर प्रव्रजन से सम्बन्धित है. आर्यों के आक्रमण/माईग्रेशन का सिद्धांत १९७० के दशक में झूठ और ब्रिटिश साम्राज्यवादी षड्यंत्र साबित होने के बाद आज ऐतिहासिक शोधों से साबित हो चूका है कि मेसोपोटामिया, सुमेर, बाल्टिक, ग्रीस तथा यूरोप के Druids, Celts, इटली के Etruscan आदि सभ्यताओं के जनक भारतीय लोग ही थे. यहूदी भी उन्हीं में से एक हैं जिसे इस लेख में १५ मानकों पर भारतीय मूल का साबित किया गया है. यह केवल इत्तेफाक…
गौरवशाली भारत-८
वंदेमातरम् 176. चीन के कोवान्झाऊ में दीवारों पर उत्कीर्ण चित्र में कुबेर के दो पुत्र, सात कन्याओं के साथ जलक्रीडा करते हुए कालिया नाग तथा बालकृष्ण द्वारा कलिया नाग दमन का चित्र प्रदर्शित है. गरुड पर आरूढ़ विष्णु भगवान का भी चित्र है-पी एन ओक 177. अयोध्या के सूर्यवंशी राजा की कन्या से कोरिया के राजा किम सुरो का विवाह हुआ था. कोरिया के इतिहास में लिखा है कि ईसवी सन ४९ में अयोध्या की राजकन्या ईश्वरीय आज्ञा के अनुसार नौका से सागर पारकर कोरिया में दाखिल हुई. जिस क्षत्रिय कोरियाई राजा से उस भारतीय राजकुमारी का विवाह हुआ वह…
गौरवशाली भारत-७
वंदेमातरम् 151. लेखक Spencer Lewis के ग्रन्थ The mystical Life of jesus के पृष्ठ १३५ पर मुकुटधारी शिशु का एक चित्र मुद्रित है और उसके निचे लिखा है, “Research has revealed that a similar statue of a holy child was exhibited on Chrismas Day in many lands before the Christian era.” 152. चैत्र से प्रारम्भ होनेवाला मास अरब, यूरोप में एकाम्बर द्वितीयाम्बर आदि संख्यावाची शब्दों में भी गिना जाता था. यूरोपियनों के ईसाई बनने पर नवमास मार्च (जैसे इंग्लैण्ड में २२ मार्च जो १७५२ ईसवी तक चला) को रूढ़ हो गया. उसी मार्च महीने को प्रथम मास मानकर सेप्टेम्बर (सप्तअम्बर),…
आर्य-द्रविड़ एक ही मूल और एक ही संस्कृति के लोग है
आर्य द्रविड़ जन द्रविड़ संस्कृति वैदिक आर्य संस्कृति ही है. द्रविड़ और आर्य दोनों वैदिक लोग ही हैं. एसा इसलिए नहीं कह रहा हैं कि आधुनिक एतिहासिक और वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चूका है की आर्य हजारों लाखों वर्षों से भारत के मूलनिवासी रहे हैं या डीएनए शोध से आर्यों और द्रविड़ों के एक ही मूल के होने का पता चला है. या फिर विदेशी इतिहासकार द्रविड़ों को आर्य क्षत्रिय बताते हैं या मनुस्मृति द्रविड़ों को भारत के दस क्षत्रिय वंशों में से एक बताते हैं आदि. मैं एसा इसलिए कह रहा हूँ कि हमारे वामपंथी इतिहासकार जब द्रविड़…
वैदिक स्थापत्य ही पूरे विश्व के स्थापत्य कला की जननी है
वैदिक स्थापत्य कला विश्व में स्थापत्यकला के दर्जनों प्राचीन ग्रन्थ हैं और वे ग्रन्थ सिर्फ संस्कृत में हैं, इसलिए वे वैदिक सभ्यता के धरोहर है. वैदिक स्थापत्य यानि वास्तुकला और नगर-रचना की पूरी विधि मूल तत्व आदि विवरण जिन संस्कृत ग्रंथों में मिलता है उन्हें अगम साहित्य कहा जाता है. ये ग्रन्थ बहुत प्राचीन हैं. मानसार शिल्पशास्त्र के रचयिता महर्षि मानसार के अनुसार ब्रह्मा जी ने नगर-निर्माण और भवन-रचना विद्याओं में चार विद्वानों को प्रशिक्षण दिया. उनके नाम हैं-विश्वकर्मा, मय, तवस्तर और मनु. शिल्पज्ञान (Engineering) की सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ है भृगु शिल्पसन्हिता. किले, महल, स्तम्भ, भवन, प्रासाद, पूल, मन्दिर,…
भारतवर्ष के नव निर्माता महापराक्रमी पुष्यमित्र शुंग
महापराक्रमी पुष्यमित्र शुंग जबतक सम्राट अशोक अपने गुरु चाणक्य की नीतियों पर चलता हुआ खड्गहस्त रहा, मौर्य साम्राज्य फलता फूलता रहा और फैलकर पश्चिम में ईरान तो पूर्व में म्यानमार की सीमा को छूने लगा. यह उत्तर में अफगानिस्तान, कश्मीर को सम्मिलित करते हुए दक्षिण में तमिलनाडू और केरल की सीमा तक पहुँच गया था, परन्तु, शस्त्र त्यागकर भेड़ी घोष (युद्ध विजय) के स्थान पर धम्म घोष की नीति अपनाते ही चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य के खून पसीने से निर्मित विशाल मौर्य साम्राज्य देखते ही देखते भड़भडाकर गिरने लगा. कहा जाता है उसने अपने सैनिकों को भी निशस्त्र कर बौद्ध…
भारत की ऐतिहासिक इमारतें हिन्दू, बौद्ध, जैन निर्मित है
हिन्दू इमारतें भारत के ऐतिहासिक इमारतों को मुस्लिम इमारतें, मस्जिदें, मकबरे आदि होने का झूठ अलेक्जेंडर कनिंघम नाम के लुच्चे अंग्रेज जो दुर्भाग्य से भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग का प्रथम अध्यक्ष था ने जानबूझकर फैलाया था. यहाँ तक की उनके सर्वेक्षकों ने जिन इमारतों को हिन्दू इमारतें पाया उन्हें भी डांटकर चुप करा दिया. जैसे की सर्वेक्षक जोसेफ बैगलर ने कुतुबमीनार और उसके आस पास के इमारतों को हिन्दू इमारतें घोषित किया तो धूर्त कनिंघम ने उसे चुप करा दिया-पी एन ओक कनिंघम के फैलाये उस झूठ को ही मुस्लिमपरस्त, हिन्दूविरोधी वामपंथी इतिहासकार ज्यों के त्यों फ़ैलाने लगे. जब उनसे…