शेयर करेंआजकल तेलंगाना और पूरे देश में “रजाकार” फिल्म चर्चा में हैI यह फिल्म हैदाराबाद रियासत (प्राचीन भाग्यनगर और विजयनगर का क्षेत्र) के निजाम द्वारा हिन्दुओं पर अमानवीय अत्याचार, हिंसा और बलात्कार की सच्ची घटना पर आधारित हैI दरअसल 1947 से पूर्व भारतवर्ष में 500 से अधिक रियासतें थी जिनमें 400 से अधिक गैर राजपूत, गैर ब्राह्मण रियासतें थीI भारत में हैदराबाद रियासत को छोड़कर बाकी सभी रियासतें भारत में विलय कर चुकी थीI हैदराबाद के निजाम ने 15 अगस्त 1947 को हैदराबाद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था और वह पाकिस्तान में विलय को तो तैयार था परन्तु…
Category: ऐतिहासिक कहानियाँ
महापराक्रमी पृथ्वीराज चौहान की अक्षम्य गलतियाँ
शेयर करेंपृथ्वीराज चौहान राजा सोमेश्वर और कलचुरी की राजकुमारी रानी कर्पुरदेवी के पुत्र थे. पृथ्वीराज विजय के अनुसार उनका जन्म ज्येष्ठ माह के बारहवीं तिथि को हुआ था. वे बहुत सी भाषाओँ के जानकार थे. धनुर्विद्या में महारत हासिल कर रखा था. शब्दभेदी बाण के वे सिद्धहस्त थे. उन्होंने बचपन में शेर का जबड़ा अपने हाथों से फाड़ दिया था. जब उनके पिता राजा सोमेश्वर का देहांत विक्रमी संवत १२३४ में हुआ था उस समय पृथवीराज मात्र ग्यारह वर्ष के थे. अपनी माँ के संरक्षण में उन्होंने राजगद्दी सम्भाली. हालाँकि हम्मीर महाकाव्य दावा करता है कि राजा सोमेश्वर ने खुद…
विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारियों का काल जशरथ खोक्खर
शेयर करेंगक्खर (या खोक्खर) राजपूत भारत के इतिहास में अपनी वीरता और शूरता के लिए जाने जाते हैं. खासकर विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध लडाई में इन्होने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया. इन्होने आक्रमणकारी मोहम्मद गोरी को खत्म किया, कुतुबुद्दीन, इल्तुतमिश, बलबन और मोहम्मद बिन तुगलक जैसे नरपिशाचों को धूल चटाया. परन्तु लड़ते लड़ते ये धीरे धीरे कम और कमजोर होते गए और एक दिन ऐसा भी आया की विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारियों से अपनी प्रजा की जान माल और अस्मत की सुरक्षा केलिए इस्लाम का ढोल भी गले में बांधना पड़ गए. इन्ही लोगों में से एक थे शेख खोक्खर…
वारंगल के वीर-Warriors of Warangal
शेयर करेंप्रतापरुद्र (१२८९-१३२३ ईस्वी) जो रुद्रदेव-II के नाम से जाने जाते थे काकतीय वंश के अंतिम राजा थे. उनकी राजधानी वारंगल थी. संभवतः काकतीय राजवंश के वंशज आज रेड्डी जाति के नाम से जाने जाते हैं. ये काकतीय वंश की महारानी रुद्रमादेवी के नाती थे जिन्हें काकतीय वंश के महान शासकों में गिना जाता है. महारानी रुद्रमादेवी के नाम पर दक्षिण भारत में कई फ़िल्में भी बनी है. दक्षिण में विजयनगर साम्राज्य की स्थापना करने वाले हरिहर और बुक्का इन्ही के समय काकतीय राज्य के खजाने के खजांची थे. आन्ध्र-तेलंगाना के नायक जाति के पूर्वज प्रलय नायक इनके सेनापति एवं…
राष्ट्रवादी धर्मान्तरित हिन्दू खुसरू खान उर्फ़ सुल्तान नासिरुद्दीन
शेयर करेंशैतान अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के दो दिन बाद अर्थात ४ जनवरी, १३१६ को ही उसका सबसे प्यारा और हमबिस्तर गुलाम मलिक काफ़ूर ने कुलीनों की सभा को अलादुद्दीन के सबसे प्यारे पुत्र खिज्र खां की मृत्यु की सूचना देकर पांच वर्षीय बाल-शाहजादे शहाबुद्दीन को सुल्तान घोषित कर दिया और संरक्षक होने के बहाने सारी शक्तियाँ अपने हाथों में ले लिया था. पर वह ज्यादा दिन अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सका और अन्य दरबारियों ने षड्यंत्र कर अलाउद्दीन खिलजी जैसा ही शैतान मलिक काफ़ूर का भी काम तमाम कर दिया. फिर जेल में बंद सौभाग्यशाली मुबारक शाह…
जम्मू-कश्मीर १९४७ : जरा याद करो कुर्बानी
शेयर करें१९४७ के भारत पाक युद्ध के दौरान जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्ववाले सरकार से सहायता नहीं मिल पाने के कारण और नेहरु के गलत नीतियों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारियों से हिंदू-सिक्ख जनता की जान बचाने केलिए स्वेच्छा से आत्मसमर्पण कर मौत को गले लगाने वाले भारतीय सेना के बलिदान की अनसुनी कहानियों का संग्रह, लेफ्टिनेंट जेनरल के.के. नंदा की पुस्तक “निरंतर युद्ध के साए में” के आधार पर प्रस्तुत है, जिसे हर भारतियों को पढ़ना चाहिए ताकि भारत के इतिहास के पन्नों से गायब उन शहीदों की गाथा पढ़कर आप उनकी आत्मा की शांति केलिए भगवान से प्रार्थना कर सकें.…
दलित-मुस्लिम का नारा देकर दलितों को मरवानेवाला जोगेन्द्रनाथ मंडल की कहानी
शेयर करेंजोगेन्द्र नाथ मंडल का मानना था कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच दलितों की स्थिति में कभी सुधार नहीं हो सकता है. अतः हिन्दुओं के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले अल्पसंख्यक मुसलमान और दलित पाकिस्तान में भाई भाई की तरह रह सकते हैं. उनकी आवाहन पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के लाखों करोड़ों दलित विभाजन के दौरान न सिर्फ वहीं रह गये बल्कि लाखों उनके साथ पाकिस्तान चले गये. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र का अध्यक्ष बनाया और वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी बने. पर जल्द ही उनका…
गोंडवाना की रानी वीरांगना दुर्गावती
शेयर करेंरानी दुर्गावती महोबा के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं. चंदेल लोधी राजपूत वंश की शाखा का ही एक भाग है. बांदा जिले के कालिंजर दुर्ग में ५ अक्तूबर, १५२४ ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया. नाम के अनुरूप ही वह तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण प्रसिद्ध हो गयी. दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था. चीते के शिकार में इनकी विशेष रुचि थी. कालिंजर का युद्ध १५४५ ईस्वी कि बात है. बाबर कि औलाद हुमायूँ को हराकर बिहार का मुस्लिम शासक शेरशाह सूरी जो दिल्ली का…
डचों को भारत से खत्म करनेवाले मार्तण्ड वर्मा को भुला दिया
शेयर करेंयूरोपीय देश के लोगों को समुद्र में अजेय माना जाता था पर आपको पता है लगभग २५० साल पहले केरल के राजा मार्तण्ड वर्मा ने डच समुद्री सेना को हरा दिया था, वह भी पारंपरिक हथियारों से. लेकिन विदेशियों के मानसिक गुलाम हमारे इतिहासकारों ने इस गौरवपूर्ण विजय का इतिहास दबा दिया. वस्तिकता तो यह है कि भारत प्राचीनकाल से समुद्री शक्ति रहा था, हाँ, इस्लामिक काल में यह शक्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. पर चोल राजाओं ने जिस प्रकार दक्षिण और दक्षिण पूर्व के समुद्री राज्यों पर विजय प्राप्त कर वहां वैदिक आर्य संस्कृति का विस्तार…
मुगलों का काल वीर बन्दा वैरागी
शेयर करेंअमर बलिदानी वीर बन्दा वैरागी २७ अक्तूबर, १६७० को जम्मू कश्मीर के पूंछ में श्री रामदेव के घर एक सामान्य हिन्दू परिवार में लक्ष्मण देव उर्फ़ बन्दा वैरागी का जन्म हुआ था. वे बचपन से मल्ल युद्ध और कुश्ती में दक्ष थे. युवावस्था में शिकार खेलना उनका सबसे प्रिय खेल था. एक दिन शिकार खेलते समय अनजाने उन्होंने एक गर्भवती हिरणी पर तीर चला दिया. इससे उसके पेट से एक शिशु निकला और तड़पकर वहीं मर गया. यह देखकर उनका मन खिन्न हो गया और वे घर छोड़कर तीर्थयात्रा पर निकल गये. उन्होंने अनेक साधुओं से योग साधना सीखी…