शेयर करेंगतांक से आगे… ५. अशोक का धम्म नीति और विकृत अहिंसा का प्रचार प्रसार महात्मा बुद्ध ने अहिंसा को मानवीय संवेदना के रूप में व्यक्त किया था व्यक्ति या राज्य के नीति के रूप में नहीं. उन्होंने व्यक्ति के लिए शांति और अहिंसा की नीति का प्रतिपादन किया था शासन के लिए अहिंसा और निशस्त्रीकरण की नीति का प्रतिपादन नहीं किया था अर्थात अहिंसा परमोधर्मः के साथ साथ धर्महिंसा तथैव च की नीति से कतई छेड़छाड़ नहीं किया था. पर सम्राट अशोक अपने हिंसक युद्धनीति और कलिंग युद्ध में हिंसा का विभत्स नंगा नाच करने के पश्चात युद्ध से…
Category: मध्यकालीन भारत
हिन्दू, बौद्ध राज्यों की 7 ऐतिहासिक गलतियाँ जिसके कारण भारतवर्ष का इस्लामीकरण होता गया भाग-१
शेयर करेंइतिहास भविष्य का दर्पण होता है क्योंकि इतिहास की हमारी समझ ही किसी राष्ट्र और समाज का भविष्य निर्धारण करता है. इतिहास हमारे अच्छे-बुरे, सही-गलत, सफल-असफल कार्यों और उसके परिणामों का लेखा जोखा होता है. इनका समुचित विश्लेषण कर ही राष्ट्रनीति, कूटनीति, युद्धनीति, सामाजिक और प्रशासनिक नीतियाँ बनती है. उपर्युक्त नीतियों की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उस राज्य या राष्ट्र के इतिहास का किस हद तक समुचित विश्लेषण किया गया है. इसलिए यह जरूरी है कि हमलोग भारतवर्ष के इतिहास काल में घटित उन गलतियों का सही सही विश्लेषण करें जिसके कारण एक समय…
अफगानिस्तान के अंतिम हिन्दू राजवंश के संघर्ष कि गौरवगाथा
शेयर करेंअफगानिस्तान भारतवर्ष का वह हिस्सा है जहाँ ५०००० वर्ष पहले के मानवीय बसावट (वैदिक आर्य संस्कृति) का एतिहासिक सबूत मिला है (विकिपीडिया). अर्बस्थान (अरब) में जब इस्लाम का उदय हुआ तो देखते ही देखते तुरगस्थान (तुर्की) के हिन्दू, बौद्ध, इराक के राजा बरमक बौद्ध, ईरान के पहलव क्षत्रिय, समरकंद के बौद्ध राजा आदि के इस्लामीकरण के बाद बारी भारतवर्ष के अफगानिस्तान वाले हिस्से की थी. इतिहासकार पी एन ओक लिखते हैं, “यूरेशिया के महान वैदिक आर्य संस्कृति के लोग “अहिंसा परमोधर्म:” की मूर्खतापूर्ण माला जपते हुए “हिंसा लूट परमोधर्म:” की संस्कृति में समाते जा रहे थे.” अरब के आक्रमणकारियों…
राममन्दिर पुनर्निर्माण केलिए ४९२ वर्ष लम्बे संघर्ष की गौरवगाथा
शेयर करें६ दिसम्बर, १९९३ को भारत का कलंक बाबरी विध्वंस हुआ भारत में उपलब्ध स्थानीय अभिलेख, क्षेत्रीय इतिहास, अनुश्रुति और भारतीय ग्रन्थों में उपलब्ध जानकारी के अनुसार अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मन्दिर बनाने का पहला श्रेय मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के बड़े पुत्र कुश को जाता है. अर्केओलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा श्रीरामजन्मभूमि की खुदाई में मन्दिर के तिन परतों का पता चला जिसमे द्वितीय परत प्रथम ईसापूर्व के महान चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य द्वारा बना माना जाता है. और उसके लगभग एक हजार वर्ष बाद ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी में अयोध्या के गहड़वाल वंश के शासक गोविन्दचन्द्र द्वारा निर्मित या जीर्णोद्धार…
ASI के रिपोर्ट में कुतुबमीनार गुप्तकाल से भी प्राचीन हिन्दू स्तम्भ है
शेयर करेंकुतुबमीनार हिन्दू स्तम्भ है क्या आपको पता है भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की किताब में दिल्ली के कुतुबमीनार को हिन्दू स्तम्भ और कुतुबमीनार सहित पूरे परिसर को गुप्तकाल से भी अधिक प्राचीन हिन्दू मन्दिर परिसर केवल बताया ही नहीं गया है बल्कि साबित भी किया गया है? शायद नहीं. आइये, हम सिर्फ बतायेंगे ही नहीं दिखायेंगे भी की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की किताब में क्या लिखा हुआ है. इस किताब का नाम है Archaeological Survey of India; Report for the Year 1871-72 Delhi, Agra, Volume 4, by J. D. Beglar and A. C. L. Carlleyle. १. पुरातत्व…
तैमूर का काल रघुवंशी क्षत्राणी वीरांगना रामप्यारी गुर्जर
शेयर करेंवीरांगना रामप्यारी गुर्जर तैमूर का नाम लेते ही एक महाक्रूर और भयानक शैतान का चेहरा हमारे सामने आ जाता है जो लाख-लाख हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों के सिरों का पहाड़ बनाकर उसके चारों ओर नाचकर खूनी जश्न मनाता था. कहा जाता है कि तैमूर लंगड़ा ने इतनी हत्याएं की थी कि दुनिया की आबादी में 3 फीसदी की कमी आ गई थी. वर्ष 1398 में भारत पर आक्रमण करने वाला तैमूर इतनी बर्बरता फैलायी थी कि उसके वर्णन मात्र से रूह कांप जाती है. लेकिन भारतवर्ष की एक वीरागंना ऐसी थी जिसने युद्ध में न सिर्फ तैमूर लंगड़े को उसी…
भारत की शान परमशक्तिशाली रघुवंशी राजा बाप्पा रावल
शेयर करेंबाप्पा रावल एक बालक की गाय रोज दूध दुहने के समय कहीं चली जाती थी. उस बालक को अक्सर भूखा रहना पड़ता था, इसलिए एक दिन वो गाय के पीछे पीछे गया और देखा गाय एक ऋषि के आश्रम में जाकर एक शिवलिंग पर अपने दूध से अभिषेक करने लगी. बालक अचम्भित देख ही रहा था कि तभी उसने देखा उसके पीछे एक ऋषि खड़े मुस्कुरा रहे हैं. उस ऋषि का नाम था “हारीत ऋषि” और वह बालक बाप्पा रावल के नाम से विख्यात हुआ. हारीत ऋषि ने ही उस बालक को शिक्षा दीक्षा दी और उनके सहयोग से…
कुतुबमीनार नहीं विष्णु स्तम्भ कहिये, ये रहा प्रमाण
शेयर करेंविष्णु स्तम्भ, महरौली, दिल्ली कुतुबमीनार का वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ है जिसे आक्रमणकारी कुतुबुद्दीन ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था. विष्णु स्तम्भ के पास जो बस्ती है उसे महरौली कहा जाता है. यह एक संस्कृत शब्द है जो मिहिर शब्द से बना है और यह खगोलशास्त्री वराहमिहिर के नाम पर ही बसा है जहाँ वे रहते थे. उनके साथ उनके सहायक, गणितज्ञ और तकनीकविद भी रहते थे और इस विष्णु स्तम्भ का उपयोग खगोलीय गणना, अध्ययन के लिए करते थे. इस स्तम्भ के चारों ओर हिंदू राशि चक्र…
प्राचीन भारत के १५ विश्वविद्यालय जिसके कारण भारत विश्वगुरु कहलाता था
शेयर करेंभारतवर्ष के विश्वविद्यालय भारत के इतिहास्यकार और तथाकथित बुद्धिजीवी हमें समझाते हैं कि क्षत्रिय और ब्राह्मण खुद पढ़ता लिखता था पर तुमलोगों को शिक्षा नहीं देता था क्योंकि तुमलोग शूद्र हो. संस्कृत सवर्णों कि भाषा थी, ब्राह्मण तुम्हे संस्कृत नहीं पढने देते थे. क्या सचमुच ऐसा था? आइये पता करते हैं. तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे और चन्द्रगुप्त मौर्य भी वहीँ का विद्यार्थी था. पर उपर्युक्त लोग तो चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय नहीं मानते हैं? नालंदा और बिक्रमशिला विश्वविद्यालयों में भी पूरे विश्व के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे. क्या वे…
हिन्दू मन्दिर और भवन जो अब मुस्लिम इमारतें कहलाती है
शेयर करेंहिन्दू इमारतें मुझे महान राष्ट्रवादी इतिहासकार स्वर्गीय पुरुषोत्तम नागेश ओक से पत्राचार का अवसर प्राप्त हुआ था. मैं जब मुंबई में था तो उनके भारतीय इतिहास शोध संस्थान का सदस्य भी रहा हूँ. बाबरी मस्जिद तोड़े जाने पर जब मैंने उनसे पूछा था कि आपकी क्या राय है तो उन्होंने ॐ को ७८६ को उल्टा लिखकर समझाते हुए कहा था कि आक्रमणकारी कभी निर्माता नहीं थे. वे हिन्दू इमारतों का केवल स्वरूप चेंज कर देते थे जैसे उन्होंने ॐ को ७८६ (अरबी में उल्टा लिखा जाता है) कर दिया था. उन्होंने कहा था जिस ढांचे को तोड़ा गया वो…