कुतुबमीनार हिन्दू स्तम्भ है
क्या आपको पता है भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की किताब में दिल्ली के कुतुबमीनार को हिन्दू स्तम्भ और कुतुबमीनार सहित पूरे परिसर को गुप्तकाल से भी अधिक प्राचीन हिन्दू मन्दिर परिसर केवल बताया ही नहीं गया है बल्कि साबित भी किया गया है? शायद नहीं. आइये, हम सिर्फ बतायेंगे ही नहीं दिखायेंगे भी की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की किताब में क्या लिखा हुआ है. इस किताब का नाम है Archaeological Survey of India; Report for the Year 1871-72 Delhi, Agra, Volume 4, by J. D. Beglar and A. C. L. Carlleyle.
१. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के किताब के पृष्ठ २७ पर लिखा है कुतुबमीनार सहित पूरे मन्दिर परिसर में हिन्दू स्थापत्य और शिल्पकला दिखाई देती है जिसमें मुसलमानों ने सिर्फ कुछ इधर उधर जोड़ तोड़ किया है.
![qutubminar 27](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page-27a.jpg)
२. किताब के पृष्ठ ३० पर लिखा है कि खुदाई में मूल मन्दिर और स्तम्भ के आस पास मुसलमानों द्वारा बाद में केवल जोड़ तोड़ के साक्ष्य मिले हैं साथ ही खुदाई में काले पत्थर के देवी लक्ष्मी की दो मूर्तियाँ मिलने की बात भी लिखी है.
![qutubminar 30](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page-30a.jpg)
३. किताब के पृष्ठ ३१-३२ पर विस्तार से बताया गया है कि कुतुबमीनार सहित पूरा परिसर क्यों हिन्दू मन्दिर परिसर है.
![qutubminar 31](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page-31a-657x1024.jpg)
४. किताब के पृष्ठ ३७-३८ पर कुतुबमीनार को हिन्दू स्तम्भ साबित किया गया है.
![qutubminar 37](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page-37a.jpg)
![qutubminar-page 38](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page-38aa.jpg)
५. किताब के पृष्ठ ४२ पर क़ुतुब मस्जिद को हिन्दू मन्दिर साबित किया गया है
![qutubminar 42](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/12/page-42a.jpg)
६. पृष्ठ ४५ पर कुतुबमीनार परिसर में एक विशाल केन्द्रीय मन्दिर भवन होने का दावा किया गया है जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था.
७. पृष्ठ ४६ पर लिखा है कि अरबी यात्री इब्नबतूता ने सम्पूर्ण कुतुबमीनार परिसर को मन्दिर परिसर कहा है. किताब में वहां पर २७ मन्दिर होने और प्रत्येक मन्दिर के चारों ओर खुला पूजा स्थल होने का विवरण दिया गया है.
![qutubminar page 46](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/pege-46-754x1024.jpg)
८. पृष्ठ ४७ पर यह साबित किया गया है कि कुतुबमीनार मन्दिर के साथ ही बनाया गया था उसे अलग से वहां बनाना सम्भव नहीं था.
![qutubminar 47](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/pege-47-845x1024.jpg)
९. पृष्ठ ४८ पर लिखा है मीनार को मुस्लिम निर्मित मानने का कोई कारण नहीं है और हिन्दू इमारत मानने पर पूरी गुत्थी आसानी से सुलझ जाती है.
![qutubminar 48](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page48.jpg)
१०. पृष्ठ ५१ पर लिखा है कि क़ुतुबमीनार पर जो घंटी, कमल और त्रिकोण के डिजाईन हैं वे ओरिजिनल पत्थर पर बने हैं जबकि अरबी लेखन ओरिजिनल पत्थर को उतनी गहराई में काटकर बाद में उपर से लगाये गये हैं.
![qutubminar 51](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page-51a.jpg)
११. पृष्ठ ५३-५६ पर कुतुबमीनार को ज्यामितीय श्रृंखला के आधार पर हिन्दू निर्मित साबित किया गया है.
![qutubminar 53](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/12/page-53a-679x1024.jpg)
१२. पृष्ठ ५७ पर सर्वेक्षक जोसेफ बेगलर लिखता है स्तम्भ एक ज्यामितीय श्रुंखला पर निर्मित इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है कोई साधारण कारीगर इतना बेहतरीन निर्माण नहीं कर सकता है. मुहम्मडन लोग तो साधारण ढांचा निर्माण करते थे. ऐसा बेहतरीन निर्माण वही लोग कर सकते हैं जिन्होंने यहाँ भव्य मन्दिर का निर्माण किया था.
![](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/12/page-57a.jpg)
१३. पृष्ठ ५८ पर किताब क़ुतुबमीनार पर उत्कीर्ण विभिन्न भारतीय भाषाओँ के लिखावट और चिन्हों के आधार पर उसे गुप्तकाल से भी बहुत प्राचीन हिन्दू ईमारत घोषित करता है. मीनार पर एक अभिलेख के अवशेष में “संवत २९७” लिखा हुआ है.
![qutubminar 58](https://truehistoryofindia.in/wp-content/uploads/2020/10/page58-894x1024.jpg)
१४. यह किताब कोलकाता के भारत सरकार के प्रेस में छपा है. कुतुबमीनार की सच्चाई जानने केलिए आपको इस किताब के पृष्ठ २७ से ६० तक अवश्य पढ़ना चाहिए. आप किताब खरीदकर पढ़ें या हमारे वेबसाईट पर इससे सम्बन्धित लेख में दिए गये लिंक से डाउनलोड कर भी पढ़ सकते हैं.
इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “तथाकथित कुतुबमीनार और अलाई दरवाजा, अलाईमस्जिद वास्तव में विष्णुमन्दिर परिसर का हिस्सा है. अलाईमस्जिद वास्तव में विष्णुमन्दिर का खंडहर है जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया. यहाँ शेषशय्या पर विराजमान भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति थी. इसके चारों ओर २७ मन्दिर थे जो २७ नक्षत्रों के प्रतीक थे. कुतुबमीनार जो वास्तव में खगोलविद वराहमिहिर का एक वेधशाला था जिसे मिहिर स्तम्भ या विष्णु स्तम्भ कहा जाता था वो एक सरोवर के बीच स्थित था जो कमलनाभ का प्रतीक था. स्तम्भ के उपर कमलपुष्प पर ब्रह्मा जी विराजमान थे जिसे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया. मन्दिर से स्तम्भ तक जाने केलिए पूल जैसा रास्ता बना था”.
इसलिए आप सब से प्रार्थना है कि खगोलविद वराहमिहिर के नाम पर बसे महरौली नगर में स्थित इस मीनार को उसके वास्तविक नाम मिहिर स्तम्भ या विष्णु स्तम्भ ही कहें. साथ ही अच्छा होगा यदि आप यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा सकें ताकि सभी सच्चाई से परिचित हों और अपने पूर्वजों के महान कार्यों से भी.
केवल हवन और पूजा पाठ करना ही धर्म नहीं है |
धर्म के विरुद्ध उठने वाली हर सोच को रौंद देना भी धर्म ही है…🚩🎪⛳
धर्मो रक्षति रक्षितः
Good write-up, I am regular visitor of one’s website, maintain up the excellent operate, and It’s going to be a regular visitor for a long time.
Hi my loved one! I want to say that this post is amazing, nice written and come with approximately all vital infos. I’d like to look extra posts like this .
Would you be eager about exchanging hyperlinks?