jogendranath mandal
आधुनिक भारत, ऐतिहासिक कहानियाँ

दलित-मुस्लिम का नारा देकर दलितों को मरवानेवाला जोगेन्द्रनाथ मंडल की कहानी

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जोगेन्द्र नाथ मंडल का मानना था कि बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच दलितों की स्थिति में कभी सुधार नहीं हो सकता है. अतः हिन्दुओं के विरुद्ध संघर्ष करनेवाले अल्पसंख्यक मुसलमान और दलित पाकिस्तान में भाई भाई की तरह रह सकते हैं. उनकी आवाहन पर पाकिस्तान और बांग्लादेश के लाखों करोड़ों दलित विभाजन के दौरान न सिर्फ वहीं रह गये बल्कि लाखों उनके साथ पाकिस्तान चले गये. पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र का अध्यक्ष बनाया और वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी बने. पर जल्द ही उनका दलित…

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अम्बेडकर
आधुनिक भारत, नवीनतम शोध

अम्बेडकर ने लिखा है शूद्र क्षत्रियों के वंशज हैं, क्या अम्बेडकर भी क्षत्रियवंशी थे?

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मैं पिछले वर्ष शोध कर रहा था कि अंग्रेजों ने जिन हिन्दू जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था क्या वे सचमुच दलित थे तथा ब्राह्मणों और क्षत्रियों द्वारा ५००० वर्षों से शोषित और पीड़ित थे! मैंने अपने शोध में पाया कि अंग्रेजों ने जिन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया था अपवाद को छोड़कर बाकी सब क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य जाति से थे और उनकी दुर्गति केलिए ८०० वर्षों का अत्याचारी, हिंसक, लूटेरा मुस्लिम शासन और २०० वर्षों का लूट और अत्याचार वाला अंग्रेजों का शासन जिम्मेदार था. आश्चर्य तो मुझे इस बात पर हुआ कि डॉ…

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shak or scythian
नवीनतम शोध, पौराणिक काल, प्राचीन भारत

शक (Scythian) भारतवर्ष से निर्वासित सूर्यवंशी क्षत्रिय थे

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आधुनिक इतिहासकारों कि सबसे बड़ी खामियां यह है कि वे क्रिश्चियन विश्वास (बाईबल के अनुसार सृष्टि का निर्माण ४००४ ईस्वीपूर्व) के कारण उनकी ऐतिहासिक दृष्टि ३००० ईस्वीपूर्व के आसपास सिमट जाती है. उससे आगे उनमें सोचने समझने कि क्षमता दिखाई ही नहीं पड़ती है. ईसाई-मुस्लिम इतिहासकारों में जानबूझकर ईसापूर्व और इस्लाम पूर्व इतिहास को नकारने की भी गलत प्रवृति पाई जाती है. इसलिए तो इतिहासकार पी एन ओक ईसाई, इस्लामी और वामपंथी इतिहासकारों को इतिहास का दुश्मन लिखते हैं. दूसरी ओर भारतीय ग्रंथों में सहस्त्रों वर्ष पुरानी इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध हैं, परन्तु भारत के “ईसाई” ब्रिटिश सरकार और…

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parmar
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

राजा भोज के वंशज कुछ परमार क्षत्रिय दलित कैसे बन गए?

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फेसबुक के एक पोस्ट पर जब मैंने एक “मिस्टर परमार” को खुद को मूल निवासी बताते हुए समस्त हिंदुओं और मुझे गाली देते देखा तो दंग रह गया. मैं स्तम्भित रह गया की भारत के गौरवशाली क्षत्रिय वंशों में से एक परमार (शासन: ८०० ईस्वी से १३०५ ईस्वी) जिसमे दिग्दिगंत विजेता वाक्पति मुंज जैसा सम्राट पैदा हुआ हो जो पश्चिमी चालुक्यों के शासक तैलप द्वितीय जैसे दक्षिण के विजेता जिसने महान चोलों को भी परास्त किया था को एक दो बार नहीं पूरे छः बार पराजित किया हो, जिसके पूर्वज राजा भोज जैसे महान उदार, प्रजावत्सल, विद्वान, कई ग्रंथों के…

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tipu-sultan
आधुनिक भारत

टीपू सुल्तान या टीपू शैतान?

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मैसूर के वोडेयार वंश के राजा कृष्णराजा वोडेयार-II ने अनपढ़ हैदरअली को अपने दरबार में नौकरी दिया था और फिर एक दिन हैदर अली ने उसी राजा को सत्ता से बेदखल कर पूरे वोडेयार वंश को खत्म कर न सिर्फ मैसूर की सत्ता पर अधिकार कर लिया बल्कि मैसूर के हिन्दू प्रजा पर भी भयानक अत्याचार किया और उन्हें जबरन धर्मान्तरित होने को विवश किया. उसी हैदर अली का बेटा था टीपू सुल्तान जो उसकी मौत के बाद गद्दी पर बैठा था. वह अपने बाप से भी ज्यादा क्रूर, धर्मान्ध और हिंसक था. टीपू भी अपने पूर्ववर्ती धर्मान्ध, हिंसक, जिहादी,…

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central asia
नवीनतम शोध, पौराणिक काल, प्राचीन भारत

मध्य एशिया का वैदिक इतिहास-सावित्री-सत्यवान से बौद्ध राज्यों के उदय तक

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मध्य एशिया का ताजीकिस्तान, कीर्गीस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान आधुनिक भारत, अफगानिस्तान, ईरान से उपर काश्पीय सागर तक विस्तृत है. यही वह क्षेत्र है जहाँ से आर्यजन द्रविड़ों या असुरों को खदेड़ते हुए हड़प्पा सभ्यता को नष्ट करते हुए १५०० ईस्वीपूर्व भारत में घुस आये थे ऐसा झूठ साम्राज्यवादी और वामपंथी इतिहासकार फैला रखे थे. कारण था यहाँ उन्हें प्राचीन वैदिक संस्कृति के विपुल प्रमाण मिले थे और उनमें से सबसे प्रमुख प्रमाण ये लोग यह मानते थे कि इस क्षेत्र के लोगों के देवी देवताओं के नाम ठीक वही हैं जो आर्यों का था या भारतियों का है. इसलिए प्राचीन…

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marthand varma
आधुनिक भारत, ऐतिहासिक कहानियाँ

डचों को भारत से खत्म करनेवाले मार्तण्ड वर्मा को भुला दिया

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यूरोपीय देश के लोगों को समुद्र में अजेय माना जाता था पर आपको पता है लगभग २५० साल पहले केरल के राजा मार्तण्ड वर्मा ने डच समुद्री सेना को हरा दिया था, वह भी पारंपरिक हथियारों से. लेकिन विदेशियों के मानसिक गुलाम हमारे इतिहासकारों ने इस गौरवपूर्ण विजय का इतिहास दबा दिया. वस्तिकता तो यह है कि भारत प्राचीनकाल से समुद्री शक्ति रहा था, हाँ, इस्लामिक काल में यह शक्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. पर चोल राजाओं ने जिस प्रकार दक्षिण और दक्षिण पूर्व के समुद्री राज्यों पर विजय प्राप्त कर वहां वैदिक आर्य संस्कृति का विस्तार किया…

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आधुनिक भारत

अम्बेडकर ने क्यों कहा कम्युनिष्ट हिंसक और मजदूर, लोकतंत्र के दुश्मन होते हैं

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बाबा साहेब अम्बेडकर कम्युनिष्टों के हिंसक, राष्ट्रविरोधी, लोकतंत्र विरोधी और मजदूर विरोधी विचारों और करतूतों से समझ गये थे कि कम्युनिष्ट भारत केलिए खतरनाक साबित होंगे. कम्युनिष्टों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर भारत विभाजन कर पाकिस्तान बनाया और २४% मुसलमानों केलिए ३५% भारतीय भूभाग देकर पाकिस्तान बनाने के बाबजूद उन्हें भारत में रखने का समर्थन किया जबकि अम्बेडकर इसके सख्त खिलाफ थे. इतना ही नहीं कम्युनिष्ट जोगेन्द्रनाथ मंडल ने दलित-मुस्लिम भाई भाई का नारा दिया था जिसके कारण पूर्वी एवं पश्चिमी पाकिस्तान में लाखों दलित, हिन्दू, बौद्ध वहीँ रह गये और जघन्य नरसंहार, रेप और धर्मांतरण के शिकार हुए.…

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celtic-druid
पौराणिक काल

यूरोप की ड्रुइड अथवा केल्टिक सभ्यता वैदिक सभ्यता थी: भाग-१

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रोमन शासक कांस्टेंटाईन के ३१२ ईस्वी में ईसाई धर्म अपनाने और यूरोप में उसके द्वारा ईसायत के प्रसार से पूर्व यूरोप में वैदिक संस्कृति होने के प्रमाण मिलते हैं. इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं कि यूरोप के ड्रुइडस भारतीय ब्राह्मण थे और उनके मार्गदर्शन में विकसित केल्टिक या सेल्टिक संस्कृति स्थानीय परिवर्तनों के साथ वैदिक संस्कृति ही थी. यूरोपीय इतिहासकार इन्हें भारोपीय (Indo-European) भाषा बोलने वाले भारोपीय लोग कहते हैं जो कहीं से आकर यूरोप में बस गये थे. यूरोप में ईसापूर्व की संस्कृति का नेतृत्व और अधीक्षण, निरीक्षण, शिक्षण, व्यवस्थापन आदि कार्य ड्रुइडस के हाथों में था.…

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babari 2
आधुनिक भारत, मध्यकालीन भारत

राममन्दिर पुनर्निर्माण केलिए ४९२ वर्ष लम्बे संघर्ष की गौरवगाथा

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६ दिसम्बर, १९९३ को भारत का कलंक बाबरी विध्वंस हुआ भारत में उपलब्ध स्थानीय अभिलेख, क्षेत्रीय इतिहास, अनुश्रुति और भारतीय ग्रन्थों में उपलब्ध जानकारी के अनुसार अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मन्दिर बनाने का पहला श्रेय मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के बड़े पुत्र कुश को जाता है. अर्केओलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा श्रीरामजन्मभूमि की खुदाई में मन्दिर के तिन परतों का पता चला जिसमे द्वितीय परत प्रथम ईसापूर्व के महान चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य द्वारा बना माना जाता है. और उसके लगभग एक हजार वर्ष बाद ग्यारहवीं-बारहवीं शताब्दी में अयोध्या के गहड़वाल वंश के शासक गोविन्दचन्द्र द्वारा निर्मित या जीर्णोद्धार किया…

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