balban
मध्यकालीन भारत

दिल्ली में मध्य एशिया का खूंखार शैतान गुलाम बलबन

शेयर करें

बलबन का जीवन लड़ाई-झगड़े और दंगा-फसाद से भरा हुआ है. वह क्रूर मानव हत्यारा था. दिल्ली के आसपास बार-बार उठने वाली विरोध की आवाज को दबाने केलिए उसने एक लाख मानवों की हत्या की. प्रत्येक शहर में मरी-कटी लाशों का ढेर लग गया, जिसकी सड़ांध से सारे वातावरण में असहनीय दुर्गन्ध व्याप्त हो गई थी. (महाराष्ट्रिय ज्ञानकोष पृष्ठ जी-१९१, भाग-१२) बलबन तुर्किस्तान की अलबारी का खाकान था. बचपन में ही मुगल लुटेरों ने उसे पकड़ लिया. इन्ही मुगलों से उसने बलात्कार का पाठ पढ़ा, जिसका उपयोग उसने बाद में हिंदुस्तान में लूट, बलात्कार और हत्या का चक्र चलाकर किया. बाद…

Read Full History

Nasir-ud-din
मध्यकालीन भारत

वामपंथी इतिहासकारों के मुस्लिम प्रेम का भंडाफोड़

शेयर करें

मध्य एशिया का खूबसूरत गुलाम इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसकी बेटी रजिया अपने हुस्नोंजाल के बदौलत सत्ता हथियाने में कामयाब हो गयी थी पर जिन सरदारों पर उसके हुस्न की छांह नहीं पड़ी वे एक औरत को अपना सुल्तान मानने केलिए तैयार नहीं थे. आरम्भ में उसने अपने फौलादी अबिसिनियाई अस्तबल्ची गुलाम अम्लुद्दीन को प्यार के मोहपाश में बांधकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कोशिश की पर ज्यादा दिन सुरक्षित नहीं रह सकी. इसी बीच तबरहिन्द का सरदार अल्तुनिया ने रजिया के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “अप्रैल १९४० ईस्वी में रजिया उसका विद्रोह…

Read Full History

Iltutmish
मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का खूबसूरत गुलाम इल्तुतमिश

शेयर करें

मध्य एशिया के तुर्किस्तान में अलबेरी जाति के एक मुसलमान के घर एक खूबसूरत लड़का पैदा हुआ था. उसका नाम अल्तमश (या इल्तुतमिश) रखा गया था. किशोरावस्था में उसका सौन्दर्य और भी निखर गया जिससे उसके अपने भाई बन्धु ही उसके शारीरिक सौन्दर्य से जल भुनकर घोड़ों के झुण्ड दिखाने का बहाना बनाकर उसे घोड़ों के व्यापारी के हाथों बेच दिया. इतिहासकार पुरुषोत्तम नागेश ओक लिखते हैं, “अल्तमश एक खूबसूरत लड़का था. मुस्लिम शासन में यह शारीरिक आकर्षण वरदान नहीं था; क्योंकि उसपर नर-भोगियों का आक्रमण होता रहता था. अगर कहीं वह शारीरिक सौन्दर्य क्रय-विक्रय की आंधी में पड़ जाता…

Read Full History

qutubuddin
मध्यकालीन भारत

मध्य एशिया का तुर्की शैतान कुतुबुद्दीन ऐबक

शेयर करें

मध्य एशिया के तुर्की हिन्दुओं, बौद्धों को जब तलवार के बल पर जबरन धर्मान्तरित किया जा रहा था और उन्हें भेड़, बकरियों की तरह गुलाम बनाया जा रहा था उन्ही गुलामों के झुण्ड में एक धर्मान्तरित गुलाम था कुतुबुद्दीन जिसे निमिषपुर में खरीदकर निमिषपुर के काजी फखरुद्दीन अब्दुल अजीज के हाथों औने पौने दाम पर बेच दिया गया था. काजी ने उसे कुरआन पढ़ाया और काफिरों के विरुद्ध जिहाद लड़ने और काफिरों का कत्लेआम करने की शिक्षा दी. फिर काजी ने उस कुरूप कुतुबुद्दीन को एक सौदागर को बेच दिया. इस प्रकार वह कई बार खरीदा और बेचा गया. इसी…

Read Full History

Kamboj
नवीनतम शोध, प्राचीन भारत

भारतवर्ष का कम्बोज महाजनपद मध्य एशिया में था

शेयर करें

भारत के वामपंथी इतिहासकार भारत के सोलहवें महाजनपद कम्बोज को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और कश्मीर में विस्तृत दिखाते हैं परन्तु आधुनिक ऐतिहासिक शोधों से स्पष्ट हो गया है कि प्राचीन कम्बोज मध्य एशिया के आधुनिक ताजीकिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्रों में विस्तृत था. भारतीय इतिहासकार जिस कम्बोज महाजनपद को दिखाते हैं वे अधिकांशतः कम्बोजों के विजित भारतीय क्षेत्र थे. कंबोज प्राचीन भारत के १६ महाजनपदों में से एक था. इसका उल्लेख पाणिनी के अष्टाध्यायी और बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय और महावस्तु मे कई बार हुआ है. राजपुर (राजौरी), द्वारका (?) तथा कपिशा (काबुल से ५० मील उत्तर) इनके प्रमुख नगर…

Read Full History

Gandhi
आधुनिक भारत

भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण का इतिहास और गाँधी

शेयर करें

बहुसंख्यक हिंदू अल्पसंख्यक मुस्लिम को दबाते हैं इसलिए दंगा होता है-महात्मा गाँधी. भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण की शुरुआत १८५७ के विद्रोह के बाद उत्पन्न स्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक अंग्रेज के उस विचार के मद्दे नजर हुई थी जिसमे उसने कहा था कि अगर भारतीय ब्रिटिश शासन हिंदू हित पर मुस्लिमों को तरजीह देना शुरू कर दें तो सत्ता को स्थायी बनाया जा सकता है. इसके पीछे दर्शन यह था कि हिंदू कभी भी भारत में अंग्रेजी हुकूमत को स्वीकार नही करेंगे और अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करते रहेंगे साथ ही अगर मुस्लिम भी उनका साथ देते रहेंगे…

Read Full History

Celtic-Pashupati
नवीनतम शोध, पौराणिक काल

क्या पशुओं से घिरे यूरोप के सेल्टिक (Celtic) देवता पशुपति शिव है?

शेयर करें

हड़प्पा-सैन्धव सभ्यता से प्राप्त पशुपति शिव की मुहर से तो  सभी इतिहास के विद्यार्थी, शोधार्थी परिचित होंगे ही. उसी से मिलता जुलता यूरोप में एक सेल्टिक (Celtic) देवता पाया जाता है. सेल्टिक (Celtic) लोग यूरोप के अधिकांश भागों में लगभग २००० वर्ष पहले रहते थे. यूँ कहे यूरोप के अधिकांश हिस्सों में ईसाईयत के प्रचार प्रसार से पहले सेल्टिक (Celtic) लोग या उनके वंशज ही रहा करते थे. इनके धर्मगुरु ड्रुइड (Druid) कहलाते थे. अधिकांश इतिहासकारों और विद्वानों का मानना है कि ड्रुइडस  यूरोप में भारत से आये ब्राह्मण थे. ड्रुइड सिर्फ सेल्टिक (Celtic) लोगों के ही नहीं बल्कि गॉल…

Read Full History

vedic-bharatvarsha
प्राचीन भारत

क्या वैदिक लोग घुमन्तु, कबीलाई और कबीले के सरदार मात्र थे?

शेयर करें

पश्चिमी इतिहासकारों की मानें तो मुट्ठी भर द्वीपों पर बसे और छोटे सा यूरोपीय राज्य ग्रीक और रोम में ही केवल विकसित सभ्यता थी, ग्रीक, रोमन साम्राज्य था और वहां सम्राट होते थे बाकी सब तो असभ्य (barbaric), घुमंतू (nomad), कबीले (tribe) और कबीले के सरदार (Chieftain) मात्र होते थे. पश्चिमी इतिहासकारों की नजर में कैसे कैसे असभ्य, घुमन्तु, कबीले और कबीले के सरदार होते थे उसका कुछ उदाहरन देखिए: छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व के ईरान का अखामानी (Achamanid) साम्राज्य जो, इन्ही इतिहासकारों के शब्दों में, मध्य एशिया से लेकर तुर्की, मिस्र और ग्रीस तक विस्तृत था; पर, तीन महाद्वीपों…

Read Full History

तुषार-तुखार
नवीनतम शोध, पौराणिक काल, प्राचीन भारत

मध्य एशिया के तुषार (Tukhar) का हिन्दू इतिहास

शेयर करें

पिछले लेख “मध्य एशिया के कुषाण हिन्दू थे” में आपने देखा कि लगभग सभी इतिहासकार इस बात से सहमत थे कि चीन के यूची भारतीय ग्रंथों में वर्णित ऋषिक लोग हैं और शैवधर्मी हिन्दू कुषाण यूची कबीले के लोग थे. अधिकांश इतिहासकार इस बात से सहमत थे कि कुषाण और तुषार (Tukhar) एक ही लोग थे. चीनी इतिहास में इनमे से एक को महायूची और दूसरे को लघु यूची कहा गया है. ग्रीक इतिहासकार लिखते हैं कि ग्रीको-बैक्ट्रियन राज्य पर तुषारों ने कब्जा कर कुषाण साम्राज्य की स्थापना की जबकि चीनी इतिहास के अनुसार यूचियों का एक कबीला कुषाणों ने…

Read Full History

Romak-Yavan
नवीनतम शोध, पौराणिक काल

युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में आनेवाले रोमक, यवन और सिंगवाले लोग कौन थे

शेयर करें

महाभारत में अर्जुन की दिग्विजय के प्रसंग में कम्बोज का लोह (लोहान) और ऋषिक जनपदों के साथ उल्लेख है (सभा. २७, २५). महाभारत के सभा पर्व के अनुसार ऋषिक जातियों ने लोहान, परमा कम्बोज के साथ मिलकर अर्जुन के दिग्विजय के दौरान उत्तरापथ के राज्यों के विजय में सहायता की थी. यह ऋषिक जनपद मध्य एशिया के आमू दरिया और शिर दरिया के मध्य स्थित था. आधुनिक एतिहासिक शोधों से लगभग सभी इतिहासकार सहमत हैं कि भारतीय ग्रंथों में वर्णित ऋषिक जातियां चीनी ग्रंथों में वर्णित यूची लोग अर्थात कुषाण हैं. ऋषिक जाति और कुषाणों पर आधुनिक शोध परक इतिहास…

Read Full History